चालक-स्थिरवैद्युतिकी:
धात्विक चालकों में ये वाहक इलेक्ट्रॉन होते हैं। धातुओं में, बाह्य (संयोजी) इलेक्ट्रॉन अपने परमाणु से अलग होकर गति करने के लिए मुक्त होते हैं। ये इलेक्ट्रॉन धातु के अंदर गति करने के लिए मुक्त होते हैं परंतु धातु से मुक्त नहीं हो सकते।
ये मुक्त इलेक्ट्रॉन एक प्रकार की ‘गैस’ की भाँति आपस में परस्पर तथा आयनों से टकराते हैं तथा विभिन्न दिशाओं में यादृच्छिक गति करते हैं। किसी बाह्य विद्युत क्षेत्र में, ये क्षेत्र की दिशा के विपरीत बहते हैं।
नाभिकों के इस प्रकार धन आयन तथा परिबद्ध इलेक्ट्रॉन अपनी नियत स्थितियों पर ही दृढ़ रहते हैं। अपघटनी चालकों में धनायन तथा ऋणायन दोनों ही आवेश वाहक होते हैं; परंतु इस प्रकरण में स्थिति अधिक जटिल होती है-आवेश वाहकों की गति बाह्य विद्युत क्षेत्र के साथ-साथ रासायनिक बलों द्वारा भी प्रभावित होती है। यहाँ हम अपनी चर्चा ठोस धात्विक चालकों तक ही सीमित रखेंगे।
आइए चालक-स्थिरवैद्युतिकी से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण परिणामों पर ध्यान दें।
- चालक के भीतर स्थिरवैद्युत क्षेत्र शून्य होता है
किसी उदासीन अथवा आवेशित चालक पर विचार कीजिए। यहाँ कोई बाह्य स्थिरवैद्युत क्षेत्र भी हो सकता है। स्थैतिक स्थिति में, जब चालक के भीतर अथवा उसके पृष्ठ पर कोई विद्युत धारा नहीं होती, तब चालक के भीतर हर स्थान पर स्थिरवैद्युत क्षेत्र शून्य होता है।
इस तथ्य को किसी चालक को परिभाषित करने के गुण के रूप में माना जा सकता है। चालक में मुक्त इलेक्ट्रॉन होते हैं। जब तक विद्युत क्षेत्र शून्य नहीं है, मुक्त आवेश वाहक एक बल का अनुभव करेंगे और उनमें बहाव होगा।
स्थैतिक स्थिति में मुक्त इलेक्ट्रॉन स्वयं को इस प्रकार वितरित कर लेते हैं कि चालक के भीतर हर स्थान पर विद्युत क्षेत्र शून्य होता है। किसी चालक के भीतर स्थिरवैद्युत क्षेत्र शून्य होता है।
- आवेशित चालक के पृष्ठ पर, पृष्ठ के प्रत्येक बिंदु पर स्थिरवैद्युत क्षेत्र अभिलंबवत होना चाहिए
यदि E पृष्ठ के अभिलंबवत नहीं है तो उसका पृष्ठ के अनुदिश कोई शून्येतर घटक होगा। तब पृष्ठ के मुक्त इलेक्ट्रॉन पृष्ठ पर किसी बल का अनुभव करेंगे और गति करेंगे।
अतः, स्थैतिक स्थिति में E का कोई स्पर्श रेखीय घटक नहीं होना चाहिए। इस प्रकार, किसी आवेशित चालक के पृष्ठ पर स्थिरवैद्युत क्षेत्र पृष्ठ के हर बिंदु पर पृष्ठ के अभिलंबवत होना चाहिए। (किसी चालक के लिए जिस पर कोई पृष्ठीय आवेश घनत्व नहीं है, उसके पृष्ठ तक पर भी क्षेत्र शून्य होता है।)
- स्थैतिक स्थिति में किसी चालक के अभ्यंतर में कोई अतिरिक्त आवेश नहीं हो सकता
किसी उदासीन चालक के प्रत्येक लघु आयतन अथवा पृष्ठीय अवयव में धनात्मक तथा ऋणात्मक आवेश समान मात्रा में होते हैं। जब किसी चालक को आवेशित किया जाता है, तो स्थैतिक स्थिति में अतिरिक्त आवेश केवल उसके पृष्ठ पर विद्यमान रहता है। यह गाउस नियम से स्पष्ट है।
किसी चालक के भीतर किसी यादृच्छिक आयतन अवयव पर विचार कीजिए। आयतन अवयव ५ को परिबद्ध करने वाले किसी बंद पृष्ठ S पर स्थिरवैद्युत क्षेत्र शून्य होता है। इस प्रकार, S से गुजरने वाला कुल फ्लक्स शून्य है।
अतः गाउस नियम के अनुसार S पर परिबद्ध कोई नेट आवेश नहीं है। परंतु पृष्ठ S को आप जितना छोटा चाहें, उतना छोटा बना सकते हैं, अर्थात आयतन को अत्यल्प (लोपी बिंदु तक छोटा) बनाया जा सकता है। इसका अभिप्राय यह हुआ कि चालक के भीतर कोई नेट आवेश नहीं है तथा यदि कोई अतिरिक्त आवेश है तो उसे पृष्ठ पर विद्यमान होना चाहिए।
- चालक के समस्त आयतन में स्थिरवैद्युत विभव नियत रहता है तथाइसका मान इसके पृष्ठ पर भी समान ( भीतर के बराबर) होता है
यह उपरोक्त परिणाम 1 तथा 2 का अनुवर्ती है। चूंकि किसी चालक के भीतर E = 0 तथा इसका पृष्ठ पर कोई स्पर्श रेखीय घटक नहीं होता अतः इसके भीतर अथवा पृष्ठ पर किसी छोटे परीक्षण आवेश को गति कराने में कोई कार्य नहीं होता।
अर्थात, चालक के भीतर अथवा उसके पृष्ठ पर दो बिंदुओं के बीच कोई विभवांतर नहीं होता। यही वांछित परिणाम है। यदि चालक आवेशित है तो चालक के पृष्ठ के अभिलंबवत विद्युत क्षेत्र होता है;
इसका यह अभिप्राय है कि चालक के पृष्ठ के किसी बिंदु का विभव चालक से तुरंत बाहर के बिंदु के विभव से भिन्न होगा।
- आवेशित चालक के पृष्ठ पर विद्युत क्षेत्र