परावैद्युत अचालक पदार्थ होते हैं। चालकों की तुलना में इनमें कोई आवेश वाहक नहीं (अथवा नगण्य) होता। क्या होता है जब किसी चालक को किसी बाह्य विद्युत क्षेत्र में रखा जाता है? चालक में मुक्त आवेश वाहक गति करके अपने को इस प्रकार समायोजित कर लेते हैं |कि प्रेरित आवेशों के कारण विद्युत क्षेत्र बाह्य क्षेत्र का विरोध करता है।
यह उस समय तक होता रहता है जब तक कि स्थिर स्थिति में दोनों क्षेत्र एक-दूसरे का निरसन कर देते हैं तथा चालक के भीतर नेट स्थिरवैद्युत क्षेत्र शून्य होता है। किसी परावैद्युत में आवेश की यह मुक्त ।
गति संभव नहीं होती। फिर भी यह पाया जाता है कि बाह्य क्षेत्र परावैद्युत के पृष्ठ पर कुछ आवेश प्रेरित कर देता है जो एक ऐसा क्षेत्र उत्पन्न करता है जो बाह्य क्षेत्र का विरोध करता है।
परंतु चालक से किसी बाह्य विद्युत क्षेत्र में किसी चालक तथा निरक्षित नहीं करता। यह केवल क्षेत्र को घटा देता है। इस प्रभाव की परावैद्युत के व्यवहार में अंतर। सीमा परावैद्युत की प्रकृति पर निर्भर करती है। इस प्रभाव को समझने के लिए हमें किसी परावैद्युत पदार्थ में आण्विक स्तर पर आवेश वितरण के अध्ययन की आवश्यकता होगी।
किसी पदार्थ के अणु ध्रुवी अथवा अध्रुवी हो सकते हैं। किसी अध्रुवी अणु में धनावेश तथा ऋणावेश के केंद्र संपाती अधवी अण| H. होते हैं। तब अणु का कोई स्थायी (अथवा आंतरिक) द्विध्रुव आघूर्ण नहीं होता। ऑक्सीजन (O) तथा हाइड्रोजन (H.) अणु अध्रुवी अणुओं के उदाहरण हैं जिनमें सममिति के कारण कोई द्विध्रुव आघूर्ण नहीं होता।
इसके विपरीत कोई ध्रुवी अणु वह होता है जिसमें धनावेशों तथा ऋणावेशों के केंद्र पृथक-पृथक (उस स्थिति में भी जब कोई बाह्य क्षेत्र नहीं है) होते हैं। ऐसे अणुओं में स्थायी द्विध्रुव आघूर्ण होता है।
HCl जैसा आयनी अणु अथवा जल (H,O) का कोई अणु ध्रुवी अणुओं के उदाहरण हैं। ध्रुवी अणु किसी बाह्य विद्युत क्षेत्र में अध्रुवी अणु के धनावेश तथा ऋणावेश विपरीत दिशाओं में विस्थापित हो जाते हैं। यह विस्थापन तब रुकता है जब अणु के अवयवी आवेशों पर बाह्य चित्र 2.21 ध्रवी तथा अधवी अणओं के कछ उदाहरण। बल प्रत्यानयन बल (अणु में आंतरिक क्षेत्रों के कारण) द्वारा संतुलित हो जाता है। अतः अध्रुवी अणु एक प्रेरित द्विध्रुव आघूर्ण विकसित कर लेता है। उस स्थिति में परावैद्युत को बाह्य क्षेत्र द्वारा ध्रुवित कहा जाता है। हम