1. नेत्र की समंजन क्षमता (Eye capability in hindi):- अन्नत पर रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब नेत्र लेंस के द्वारा रेटिना पर बनता है नजदीक की वस्तु को देखने के लिए नेत्र लेंस पर पेशियों के द्वारा दबाव डालकर फोकस दूरी कम कर देते हैं और नजदीक रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब भी रेटिना पर बन जाता है। नेत्र के इस गुण को नेत्र की संमजन क्षमता कहते है।
2. निकट बिन्दु:- नेत्र से वछ न्यूनतम दूरी जिस पर रखी वस्तु आंख को स्पष्ट दिखाई देती है निकट बिन्दु कहलाता है साधारण आंख के लिए यह 25 सेन्टीमीटर (D) होता है। जबकि दस वर्ष के बालक का निकट बिन्दु 8-10 सेन्टीमीटर होता है।
3. दूर बिन्दु:- नेत्र से वह अधिकतम दूरी जहाँ पर रखी वस्तु आंख को स्पष्ट दिखाई देती है दूर बिन्दु कहलाते है। साधारण आंख को दूरी बिन्दु अनंत पर होता है।
4. दृष्टि परास:- न्यूनतम से अधिकतम दूरी जहाँ पर रखी वस्तु आंख को स्पष्ट दिखाई देती है दृष्टि परास कहते है। साधारण आंख के लिए दृष्टि परास 25 सेन्टीमीटर अंनत होता है।
5. निकट दृष्टि दोष एवं निवारण (Near sight defects and prevention in hindi):- आंख का वह दोष जिसके कारण अंनत की वस्तु दिखाई नहीं देती परन्तु नजदीक की स्पष्ट दिखाई देती है इस दोष का कारण हैं कि नेत्र लेंस की फोकस दूरी कम हो जाती है। जिससे दूर स्थित वस्तु का प्रतिबिम्ब रेटिना से पहले बनता है। इस दोष को दूर करने के लिए आंख के साथ अवतल लैंस काम में लेना चाहिए।
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6. दूर दृष्टि दोष एवं निवारण:- इस प्रकार की आंख को दूर की वस्तु तो दिखाई देती है परन्तु नजदीक की दिखायी नहीं देती है। इसका कारण नेत्र लैंस की फोकस दूरी में वृद्वि होना है। अतः नजदीक की वस्तु का प्रतिबिम्ब रेटिना के पीछे बनता है। इस दोष का निवारण करने के लिए उतल लैंस काम में लेते है।
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7. अबिन्दुकता दोष व निवारण:- इस प्रकार की आखं के लिए क्षैतिज और उध्र्व रेखाएं एक साथ दिखाई देती है इस दोष के निवारण के लिए बेलनाकार लेंस काम में लेना चाहिए।
Remark:
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