November 2019

परावैद्युत तथा ध्रुवण क्या है

परावैद्युत अचालक पदार्थ होते हैं। चालकों की तुलना में इनमें कोई आवेश वाहक नहीं (अथवा नगण्य) होता। क्या होता है जब किसी चालक को किसी बाह्य विद्युत क्षेत्र में रखा जाता है? चालक में मुक्त आवेश वाहक गति करके अपने को इस प्रकार समायोजित कर लेते हैं |कि प्रेरित आवेशों के कारण विद्युत क्षेत्र बाह्य […]

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चालक-स्थिरवैद्युतिकी क्या है

चालक-स्थिरवैद्युतिकी: धात्विक चालकों में ये वाहक इलेक्ट्रॉन होते हैं। धातुओं में, बाह्य (संयोजी) इलेक्ट्रॉन अपने परमाणु से अलग होकर गति करने के लिए मुक्त होते हैं। ये इलेक्ट्रॉन धातु के अंदर गति करने के लिए मुक्त होते हैं परंतु धातु से मुक्त नहीं हो सकते। ये मुक्त इलेक्ट्रॉन एक प्रकार की ‘गैस’ की भाँति आपस

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बाह्य क्षेत्र में स्थितिज ऊर्जा

बाह्य क्षेत्र में स्थितिज ऊर्जा क्या है: विद्यत क्षेत्र के स्रोत का विशेष उल्लेख किया गया-आवेश तथा उनकी स्थितियाँ-तथा उन आवेशों के निकाय की स्थितिज ऊर्जा निर्धारित की गई। इस अनुभाग में हम इससे संबंधित परंतु भिन्न प्रश्न पूछते हैं। किसी दिए गए क्षेत्र में किसी आवेश q की स्थितिज ऊर्जा क्या होती है? वास्तव

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आवेशों के निकाय की स्थितिज ऊर्जा | Potential Energy of a System of Charges in Hindi

आवेशों के निकाय की स्थितिज ऊर्जा क्या है : जब दो या दो से अधिक आवेशों को अनंत से लाकर एक दूसरे के समीप व्यवस्थित करके या रखकर एक निकाय बनाया जाता है , इस निकाय को बनाने के लिए एक कार्य करना पड़ता है और यह किया गया कार्य इस निकाय में स्थितिज ऊर्जा

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समविभव पृष्ठ | परिभाषा | गुणधर्म | उदाहरण

समविभव पृष्ठ क्या है – Samvibhav Prasth Kise Kahte Hai : ” किसी वैद्युत क्षेत्र में खींचा गया वह पृष्ठ जिस पर स्थित सभी बिंदुओं पर विद्युत विभव बराबर हो सम विभव पृष्ठ कहलाता है। “ दूसरे शब्दों में सम विभव पृष्ठ पर किन्हीं दो बिंदुओं के बीच विद्युत विभवांतर सदैव शून्य ही होता है

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आवेशों के निकाय के कारण विद्युत विभव | Potential Due to Group of Electric Charges in Hindi

आवेशों के निकाय के कारण विद्युत विभव क्या है  आवेशों के निकाय के कारण विद्युत क्षेत्र की तीव्रता सभी आवेशों के कारण उत्पन्न विद्युत क्षेत्र के सदिश योग के बराबर होता है अर्थात हमने सभी आवेशों द्वारा उत्पन्न विद्युत क्षेत्र की तीव्रता अलग अलग ज्ञात किया था और सभी का सदिश योग किया था। हमने

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विद्युत द्विध्रुव के कारण विद्युत विभव | Electric Potential Due to Electric Dipole in Hindi

विद्युत द्विध्रुव के कारण विद्युत विभव क्या है : परिमाण में समान किन्तु प्रकृति में विपरीत जब दो आवेश अल्प दूरी पर रखे हो तो ऐसे समूह को विद्युत द्विध्रुव कहते है।   पिछले अध्याय में हम विद्युत द्विध्रुव के कारण विद्युत क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात कर चुके है , अब हम विद्युत द्विध्रुव के कारण

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बिंदु आवेश के कारण विभव | Potential Due to Point Charge in Hindi

बिंदु आवेश के कारण विभव क्या है:   विभव की परिभाषानुसार किसी आवेश को उस बिंदु तक लाने में किया गया कार्य ही विद्युत विभव कहलाता है।   मान लीजिये कोई बिंदु O है जिस पर कोई आवेश +q रखा हुआ है , इस आवेश (q) अर्थात O बिन्दु से r दूरी पर एक बिंदु P

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स्थिर विद्युत विभव | सूत्र | विमा | मात्रक

स्थिर विद्युत विभव किसे कहते हैं – Sthir Vidyut Vibhav Kya Hai: विधुत क्षेत्र में किसी बिंदु पर वैधुत विभव किसी धन परिक्षण आवेश को आनंत से उस बिंदु तक लाने में किये गए कार्य तथा धन परिक्षण आवेश के  मान  की निष्पत्ति के बराबर होता है | अर्थात                                               V=w/q0    यह एक आदीश राशि है | इसका मात्रक जुल/कुलाम

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गाउस नियम के अनुप्रयोग – Gauss Niyam Ke Anuprayog in Hindi

गाउस नियम के अनुप्रयोग क्या है: किसी व्यापक आवेश वितरण के कारण विद्युत क्षेत्र समीकरण द्वारा व्यक्त किया जाता है। कुछ विशिष्ट प्रकरणों को छोड़कर, व्यवहार में, इस समीकरण में सम्मिलित संकलन (अथवा समाकलन) की प्रक्रिया दिक्स्थान के सभी बिंदुओं पर विद्युत क्षेत्र प्राप्त करने के लिए कार्यान्वित नहीं की जा सकती। तथापि, कुछ सममित

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