April 2020

चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता | दण्ड चुम्बक के अक्ष | निरक्ष पर चुम्बकीय क्षेत्र

चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता : जब एक एकांक परिक्षण उत्तरी ध्रुव को किसी चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो इस एकांक उत्तरी ध्रुव द्वारा किसी बिंदु पर महसूस किये जाने वाले बल को ही चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता कहते है।अर्थात किसी बिंदु पर जितना बल इस एकांक परिक्षण ध्रुव पर लगता है उसे ही […]

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दण्ड चुम्बक का चुम्बकीय आघूर्ण

चुम्बकीय द्विध्रुव के बारे में अध्ययन करते समय यह पढ़ा था की जब किसी दंड चुंबक को बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाए तो यह एक द्विध्रुव की भांति व्यवहार करता है तथा इस पर एक बल आघूर्ण कार्य करता है। अब हम यहाँ अध्ययन करते है की दण्ड चुम्बक के कारण कितना चुम्बकीय आघूर्ण

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चुम्बकीय द्विध्रुव तथा चुंबकीय द्विध्रुव आघूर्ण की परिभाषा क्या है | सूत्र | मात्रक 

चुम्बकीय द्विध्रुव (Magnetic dipole in hindi) : हमने विद्युत क्षेत्र का अध्ययन करते समय पढ़ा था की विद्युत द्विध्रुव को किसी विधुत क्षेत्र में रखने पर विधुत द्विध्रुव पर एक बलयुग्म कार्य करता है। ठीक इसी प्रकार “जब किसी वस्तु को चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाए और इस वस्तु पर बल युग्म कार्य करे तो यह

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उदासीन बिन्दु चुम्बक तथा चुम्बकीय क्षेत्र के सन्दर्भ में

जैसा की हम जानते है की पृथ्वी भी चुम्बक की भाँति व्यवहार करती है अतः जब किसी चुम्बक के पास कोई चुम्बकीय सुई रखी जाती है तो उस पर दो चुम्बकीय क्षेत्र कार्य करते है पहला चुम्बक के कारण उत्पन्न तथा दूसरा पृथ्वी के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र। जिस बिन्दु पर दोनों चुम्बकीय क्षेत्र का

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चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ या चुंबकीय बल रेखाएं क्या है | परिभाषा | गुण

एक चुम्बक के पास कोई चुम्बकीय सुई (कम्पास सूई ) लायी जाए तो चुंबकीय सुई एक निश्चित दिशा में ठहरती है , अब यदि चुम्बकीय सुई की स्थिति बदल दी जाए तो इसके ठहरने की दिशा भी बदल जाती है इसी प्रकार सुई एक वक्र पथ में विचलित होती रहती है। इससे यह सिद्ध होता

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चुम्बकीय ध्रुवों के मध्य कार्यरत बल कुलॉम का नियम

यह नियम बताता है की ” दो चुम्बकीय ध्रुवों के बीच लगने वाला आकर्षण या प्रतिकर्षण का बल दोनों चुम्बक की ध्रुव प्रबलता के गुणनफल के समानुपाती तथा दोनों ध्रुवों के मध्य की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होती है ” माना किसी चुम्बक के ध्रुवों की प्रबलताओं का मान m1 तथा m2 है। तथा दोनों ध्रुवों के मध्य

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चुम्बक की प्रभावी लम्बाई | चुम्बकीय ध्रुव | चुंबकीय अक्ष | प्रबलता | आघूर्ण 

चुम्बक की प्रभावी लम्बाई (magnet Effective length): चुंबक के दोनों ध्रुवों या सिरों के मध्य की दूरी को चुम्बक की लम्बाई कहते है , इसे चित्र में 2l से प्रदर्शित किया गया है। चुम्बकीय ध्रुव: हमने दण्ड चुम्बक में पढ़ा की सिरों पर चुंबकत्व अधिकतम होता है , अतः हम कह सकते है की दंड चुम्बक में जहाँ

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दण्ड चुम्बक के गुण क्या है | चुम्बकीय प्रेरण | विचुंबकन

दंड चुंबक लोहे ,स्टील या फेरोमैग्नेटिक पदार्थ की बनी हुई आयताकार चुम्बक होती है। इसका उपयोग बहुतायत से विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है।यहाँ हम दण्ड चुम्बक के गुणों के बारे में विस्तार से अध्ययन करेंगे. 1. पदार्थों को आकर्षित करने की प्रवृत्ति: दण्ड चुम्बक में लोह पदार्थों जैसे लोहा , कोबाल्ट को आकर्षित करने का गुण

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चुम्बक की परिभाषा | प्राकृतिक | कृत्रिम चुम्बक | स्थाई | अस्थाई चुंबक

धातुओं जैसे लोहा , कोबाल्ट आदि को आकर्षित करने के गुण को चुम्बकत्व तथा जो पदार्थ चुंबकत्व गुण दर्शाते है उसे चुम्बक कहते है। चुम्बक को दो भागों में अध्ययन किया जाता है 1. प्राकृतिक चुम्बक 2. कृत्रिम चुंबक इन दोनों के बारे में हम यहाँ विस्तार से अध्ययन करते है। 1. प्राकृतिक चुम्बक (Natural

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टोरॉइड (टोरोइड) की अक्ष पर चुम्बकीय क्षेत्र

टोरॉइड (टोरोइड) की अक्ष पर चुम्बकीय क्षेत्र : जब एक लम्बी परिनालिका को मोड़ कर एक वृत्ताकार आकार दिया जाता है अर्थात मोड़कर दोनों सिरों को आपस में मिलाया जाता है तो बनी आकृति को टोरॉइड (टोरोइड) कहते है। यह एक खोखले छल्ले की तरह आकृति का होता है जिस पर अत्यधिक पास में तार

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