Chakrapani Kaun Sa Samas Hai: इसलिए हमने विद्यार्थियों की सहायता के लिए बहुब्रीहि समास की परिभाषा, भेद और उदाहरण को यहाँ पर संक्षेप में समझाया है।
Chakrapani Kaun Sa Samas Hai
बहुव्रीहि समास की परिभाषा
जिस भी समास के सभी समस्तपदों में यानि की किसी भी दोनों पदों या शब्दो में चाहे वह पूर्व पद वह प्रधान न बल्कि दोनों पद या शब्द पूर्व पद और उत्तर पद दोनों मिलकर किसी तीसरे पद की और संकेत करते हो तो वहा बहुव्रीहि समास होता है।
बहुव्रीहि समास के भेद
1.समानाधिकरण बहुव्रीहि
इसमें जिस का समास होता है, वे साधारणतः कर्ताकारक होते है, किन्तु समस्तपद द्वारा द्वारा जो अन्य उक्त होता है, वह कर्म, करण, सम्प्रदान, अपादान, संबन्ध, अधिकरण आदि विभक्ति रूपों में भी उक्त हो सकता है |
जैसे – कलह है प्रिय जिसको वह = कलहप्रिय (कर्म में उक्त)
2.व्यधिकरण बहुव्रीहि
इसमें भी पहला पद कर्ताकारक का और दूसरा पद संबंध या अधिकरण कारक का होता है |
जैसे –
- शूल है पाणि में जिसके वह = शूलपाणि
- वीणा है पाणि में जिसके वह = वीणापाणि
- चन्द्र है शेखर पर जिसके =वह चन्द्रशेखर
बहुव्रीहि समास के अन्य उदाहरण
- पंचामृत – पाँच प्रकार का अमृत -दूध, दही, शक्कर, गोमल, एवं गोमूत्र का रसायन विशिष्ट
- दुधमुँहा – जिसके मुँह में दूध है -छोटा बालक
- दुर्वासा – बुरे वस्त्र पहनने वाला -एक ऋषि विशेष का नाम
- देवराज – देवों का राजा है जो -इन्द्र
आर्टिकल में अपने पढ़ा कि चक्रपाणि मे कौन से समास का प्रयोग किया गया है ? हमे उम्मीद है कि ऊपर दी गयी जानकारी आपको आवश्य पसंद आई होगी। इसी तरह की जानकारी अपने दोस्तों के साथ ज़रूर शेयर करे ।