Mere Jeevan Ka Lakshya Essay In Hindi

Mere Jeevan Ka Lakshya Essay In Hindi:यह बिल्कुल सच वाक्य है कि बिना उद्देश्य वाला व्यक्ति जीवन में कभी कुछ नहीं कर सकता, उसका जीवन जानवर के समान होता है। ऐसा कहा जाता है कि इंसान और जानवर में यही फर्क होता है। जानवर अपने लिए सब कुछ नहीं कर सकता, परंतु इंसान चाहे तो अपने लिए सब कुछ कर सकता है।

Mere Jeevan Ka Lakshya Essay In Hindi

इसीलिए जीवन में हर व्यक्ति का कोई ना कोई लक्ष्य जरूर होना चाहिए। अगर हमारा जिंदगी में कोई भी लक्ष्य नहीं होगा तो समाज भी हमें नहीं स्वीकारता।

प्रस्तावना

उद्देश्य यह बहुत ही छोटा सा शब्द है, लेकिन इसका हमारे जीवन में बहुत ही बड़ा महत्व है। जीवन में जो सपना हम सच करना चाहते हैं, उसे ही उद्देश्य कहा जाता है। लक्ष्य का मतलब होता है, पक्का इरादा करना, निरंतर प्रयास करना, किसी चीज से आकांक्षा रखना, अपनी इच्छा को पूरा करना। बचपन में हर कोई अपने जीवन को लेकर कोई ना कोई सपना जरूर देखता है।

कोई व्यक्ति चाहता है कि मैं कलाकार बनूंगा तो कोई व्यक्ति चाहता है मैं डॉक्टर बनूंगा, यही उद्देश्य का मतलब होता है। अगर हमें अपना उद्देश्य पूरा करना है तो इसके लिए हमें हर चुनौती और समस्या का सामना डट कर करना होगा। उसको पार करके ही हम अपने सपने को पूरा कर सकते हैं।

लक्ष्य/उद्देश्य का क्या महत्व होता है?

साधारण शब्दों में कहा जाए, तो जिस व्यक्ति का कोई उद्देश्य नहीं होता, उस व्यक्ति को समाज नकार देता है। उसे अपने समाज में जगह नहीं देता है। अगर हमें अपना सपना पूरा करना है तो हमें सफलता के लिए हर पड़ाव को पूरा करना होगा। चाहे कितनी भी बार हमारे कदम क्यों ना लड़खड़ाए हमें वहां डटकर खड़े रहना होगा।

हमारे जीवन में लक्ष्य का बहुत अधिक महत्व है, क्योंकि लक्ष्य के बिना जीवन जीने का कोई मतलब नहीं होता है। अगर आपका आपके जीवन में कोई ना कोई लक्ष्य होता है तो आपका जीवन बहुत ही आनंदमय के साथ बीतता है और यह हमारे जीवन जीने का सबसे सर्वोत्तम तरीका है।

हमारे जीवन में प्राथमिक उद्देश्य क्या होना चाहिए?

सभी व्यक्तियों के जीवन में अलग-अलग प्राथमिक उद्देश्य होते हैं। किसी के लिए सबसे पहले उनका परिवार आता है, तो किसी के लिए सबसे पहले उनका सपना होता है। अगर आपको अपने सपने को पूरा करना है तो इसके लिए आपको खुद को फिट रखना होगा, जीवन को पूरी स्वतंत्रता के साथ जीना होगा और सफलता के लिए हर प्रयास करना होगा। यही हमारे प्राथमिक उद्देश्य होने चाहिए।

उद्देश्य कितने प्रकार के होते हैं?

हर व्यक्ति के जीवन में उनके लिए उद्देश्य कई प्रकार के होते हैं। जिस तरह से सभी व्यक्ति अलग होते हैं, उसी तरह से उनके उद्देश्य भी अलग होते हैं। क्योंकि कुछ व्यक्ति शिक्षक बनना चाहते हैं तो कुछ पायलट बनना चाहते हैं, इसी तरह से कुछ लोग इंजीनियरिंग करना चाहते हैं, जबकि कुछ लोग चित्रकला में दिलचस्पी रखते हैं। इसी तरह से उदेश्य कई प्रकार के हो सकते हैं।

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हमें जीवन का सही उद्देश्य कैसे चुनना चाहिए?

ऐसा कहा जाता है कि जीवन में सबसे पहली गुरु हमारी मां होती है। अगर आपको अपने उद्देश्य को चुनने में मुश्किल हो रही है, तो सबसे पहले आप अपनी मां के पास जाइए, क्योंकि आपकी मां से बेहतर आपको कोई नहीं जान सकता। इसीलिए आपको आपके प्रश्नों के उत्तर आपकी मां के पास बेहतर तरह से मिल सकेंगे।

आजकल की युवा पीढ़ी को इन समस्याओं का अधिक सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि उनके सामने इतने अत्यधिक विकल्प हैं कि वह असमंजस में पड़ जाते हैं कि उनके लिए कौन सा बेहतर विकल्प है। इसके लिए वह अपने प्रिय जनों से या अपने गुरु से वार्तालाप करके इस समस्या का हल पा सकते हैं।

हमें अपने लक्ष्य को कैसे प्राप्त करना चाहिए?

अगर हमें अपने लक्ष्य को वाकई में प्राप्त करना है तो इसके लिए हमें बहुत ही मेहनत करनी होगी। इसके लिए आपको कुछ बातें याद भी रखनी होगी जो निम्नलिखित हैं:

हमें हमेशा अपने लक्ष्य के प्रति सक्रिय रहना चाहिए और लगातार काम करते रहना चाहिए।

जितना हो सके हमें नकारात्मक बातों को दिमाग में नहीं लाना चाहिए।

सभी काम हमें धैर्य पूर्वक करने चाहिए और काम में संतुलन बनाए रखना चाहिए।

सभी काम हमें ध्यान पूर्वक करना चाहिए।

असफलता और मुसीबतों से नहीं घबराना चाहिए बल्कि, गलतियों को सुधार कर और बेहतर बनाना चाहिए।

बाल्यावस्था की समस्या :

 जब बच्चा छोटा होता है तो वह विद्यालय में प्रवेश करता है। उस समय में बच्चों के सामने अनेक लक्ष्य होते हैं। वह जैसे-जैसे लोगों के संपर्क में आता है वैसे-वैसे उस पर प्रभाव पड़ता है। कभी तो वह सोचने लगता है कि वह डॉक्टर बनेगा और कभी वह सोचने लगता है कि वह अध्यापक बनेगा और कभी इंजीनियर बनेगा।

अलग-अलग लोगों के लक्ष्य भी अलग-अलग होते हैं। कभी वह डॉक्टर बनकर रोगियों की सेवा करना चाहता है, कभी इंजीनियर बनकर इमारतें बनाना चाहता है, कभी नेता बनकर देश की सेवा करना चाहता है, कभी सैनिक बनकर देश की रक्षा करना चाहता है।

माँ-बाप भी यह कल्पना करते हैं कि वे अपने बच्चे को यह बनायेंगे, वह बनायेंगे लेकिन वास्तव में निर्णय तो बच्चों को खुद ही लेना पड़ता है। माँ-बाप को बच्चों पर अपनी मर्जी नहीं थोपनी चाहिए। विद्यार्थीकाल मनुष्य के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह मानव जीवन की आधारशिला के बराबर होता है।

यदि विद्यार्थी इस काल में अपने जीवन के लक्ष्य को निर्धारित कर लेते हैं तो वे जीवन को सुख-सुविधाओं से परिपूर्ण बना लेता है और अपने देश और समाज के लिए उपयोगी सिद्ध होता है। सभी लोगों की इच्छाएं अलग-अलग होती हैं लेकिन कुछ ही लोगों की इच्छाएं साकार हो पाती हैं।

डॉक्टर बनने का उद्देश्य :

 मैं अक्सर अपने दोस्तों को बात करते हुए सुनता हूँ की वे क्या बनना चाहते हैं लेकिन मैंने तो पहले से ही अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित कर रखा है। मेरा जीवन में एक ही लक्ष्य है कि मैं बड़ा होकर डॉक्टर बनूंगा। मैं डॉक्टर बनकर देश और समाज की रोगों से रक्षा करूंगा।

कुछ विद्यार्थी डॉक्टर इसलिए बनना चाहते हैं जिससे वे अधिक-से-अधिक धन कमा सकें लेकिन मेरा उद्देश्य यह नहीं है। मैं डॉक्टर बनकर गरीबों और पीड़ितों की सेवा करना चाहता हूँ। कुछ लोग अपने उद्देश्य को पाकर भी गलत रास्ते पर चल देते हैं वे अपने कर्तव्य को अच्छी तरह नहीं निभाते हैं।

मैं अपने लक्ष्य पर पहुंचने के बाद अपने कर्तव्य से नहीं भटकूँगा। मैं ऐसा चिकित्सा ज्ञान प्राप्त करना चाहता जिसे लोग पैसा के अभाव की वजह से प्राप्त नहीं कर पाते हैं। मैं डॉक्टर इसलिए बनना चाहता हूँ जिससे मैं गरीब लोगों की रोगों से रक्षा कर सकूं।

मैं उन्हें स्वस्थ रहने के लिए अनेक प्रकार के तरीके बताऊंगा जैसे- वे किस प्रकार जीवन-यापन करें, स्वास्थ्य और संतुलित भोजन के महत्व को समझें, किस प्रकार रोगों से खुद की रक्षा करें इन सब में मैं अपना पूरा योगदान दूंगा। मैं डॉक्टर बनकर अपने देश और समाज की सेवा करना चाहता हूँ।

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शिक्षकों एवं डॉक्टर का महत्व :

प्राचीनकाल के धार्मिक ग्रंथ भी घोषणा करते हैं कि दो वर्ग के मनुष्यों का समाज पर बहुत ज्यादा उपकार है। पहला वर्ग शिक्षकों का है जो लोगों के अंदर से अज्ञान को निकालकर ज्ञान का दीपक जलाकर उनके जीवन को सार्थक कर देते हैं।

दूसरा वर्ग डॉक्टर या चिकित्सक का होता है जो रोगी के रोगों को दूर करके उसे नया जीवन देता है। शिक्षा देना और रोगियों का इलाज करना दोनों ही पवित्र काम होते हैं और मैंने अपने जीवन के लक्ष्य के लिए इनमें से एक पवित्र लक्ष्य को चुन लिया है।

हमारे देश में जितने भी लोग डॉक्टरी की परीक्षा में पास होते हैं वे नगरों या शहरों में अपने अलग क्लीनिक खोल लेते हैं और धन जमा करना शुरू कर देते हैं और विदेशों की तरफ भागते है। ऐसे डॉक्टर कभी भी समाज और राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्य को नहीं समझते हैं।

वे अपना लक्ष्य सिर्फ धन कमाना मानते हैं। आज के समय में नगरों में ऐसे असंख्य नर्सिंग होम खुल चुके हैं। यहाँ पर जो डॉक्टर काम करते हैं वे मरीजों को गुमराह कर रहे हैं। यह अपने देश और देश में रहने वाले निवासियों के साथ विश्वासघात है।

ग्रामीणों के उपचार की आवश्यकता :

मैं दूसरे लोगों की तरह नगर में क्लीनिक न खोलकर नगर से दूर गाँव में एक छोटा सा अस्पताल स्थापित करूं जिससे गाँव के लोगों को रोगों से बचने और रोग से मुक्त होने की सुविधा मिल सके। मैं रोगियों से पैसे लूटने की जगह उनसे केवल उतने ही पैसे लूँगा जिससे अस्पताल सुचारू रूप से चल सके।

जो लोग गरीब और अभावग्रस्त होंगे उनका इलाज मैं मुफ्त में करूंगा। मैं भी एक गाँव का रहने वाला हूँ। मैंने कई बार गाँव के लोगों को दवा और इलाज के अभाव की वजह से मरते हुए देखा है और देख रहा हूँ। मैं डॉक्टर बनकर उन लोगों की सेवा करना चाहता हूँ जो न ही तो बड़े डॉक्टर को मोटी फीस दे सकते हैं और न ही मरीज को बड़े नगरों में ले जा सकते हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों की अधिक-से-अधिक जरूरत है। हम अक्सर रेडियो, समाचार पत्र और अखबारों में पढ़ते हैं कि हर साल हजारों लोग कुपोषण का शिकार हो रहे है और उन्हें ठीक इलाज न मिलने की वजह से उनकी मौत हो जाती है इस बात को पढकर बहुत दुःख होता है।

उद्देश्य पूर्ति के लिए प्रयत्न :

 मैं यह बात अच्छी तरह से जानता हूँ कि एक सफल डॉक्टर बनना आसान नहीं है इसके लिए बहुत कठिन परिश्रम करना पड़ता है। डॉक्टर के ह्रदय में मरीजों के प्रति दया, करुणा, और सहानुभूति की भावना होना बहुत ही जरूरी होता है। मैंने अपने इस उद्देश्य को पूर्ण करने के लिए अभी से प्रयास करने शुरू कर दिए हैं।

मेरे माता-पिता का आशिर्वाद सदैव मेरे साथ है। उनका भी सपना है कि मैं बड़ा होकर डॉक्टर बनूँ। मैं डॉक्टर बनकर सही अर्थों में उन लोगों को पाठ पढ़ाना चाहता हूँ जो लोगों से पैसे कमाने के लिए डॉक्टर बनते हैं। मैं किसी ग्रामीण क्षेत्र में ऐसे नर्सिंग होम की स्थापना करना चाहता हूँ जिसमें गरीब और अभावग्रस्त लोगों का उचित फीस पर इलाज कर सकूं।

आज के समय में ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की बहुत जरूरत है। यह काम भारत सरकार कर रही है लेकिन उसकी अपनी सीमाएं हैं। मैं अपने उद्देश्य को पूर्ण करने के लिए बहुत कठिन परिश्रम करूंगा। मैं जब तक डॉक्टर नहीं बन जाता तब तक चैन से नहीं बैठूँगा।

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credit:Hindi-English Learning

उपसंहार :

मेरी यह इच्छा है कि मैं अपने लक्ष्य को पूरा करूं। मैं इस काम को पूरा करने के लिए स्थानीय लोगों के साथ-साथ समाज-सेवा संस्थाओं का भी सहयोग लूँगा। मैं कोशिश करूंगा कि गाँव में स्थित मेरा नर्सिंग होम गाँव के लोगों की जरूरतों को पूरा कर सकें।

मुझे पता है कि यह काम इतना आसान नहीं है लेकिन मेरे दृढ निश्चय और संकल्प से सभी काम संभव हो सकते हैं। मैं भगवान से प्रार्थना करता हूँ कि वे मेरी लक्ष्य तक पहुंचने में मदद करें। मुझे विश्वास है कि मेरे डॉक्टर बनने के लक्ष्य में गुरुजन, सहपाठी और मेरे माता-पिता मेरा साथ जरुर देंगे। मैं अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कठिन-से-कठिन परिश्रम करूंगा।

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