आज़ादी का अमृत महोत्सव पर निबंध – Azadi Ka Amrit Mahotsav Essay In Hindi

Azadi Ka Amrit Mahotsav Essay In Hindi:इस वर्ष 2021 में भारत को स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे हो जाएंगे जो कि सभी के लिए एक गर्व की बात है लेकिन भारत में वर्तमान समय में जो युवा पीढ़ी है जिनकी उम्र 20 से 30 वर्ष के बीच में है वह आजादी के संघर्ष को इतना बेहतर ढंग से नहीं जानते हैं और आजादी का महत्व उन्हें इतना अधिक नहीं पता है हलाकि किताबों और स्कूल में पढ़ाए गए पाठ से उन्हें आजादी के बारे में काफी जानकारी है

Azadi Ka Amrit Mahotsav Essay In Hindi

लेकिन वह करीब से इसकी संघर्ष की कहानी को नहीं जानते हैं कि भारत को आजाद कराने के लिए किन-किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा और क्या-क्या कुर्बानियां भारत को देनी पड़ी।

प्रस्तावना

आज भारत को एक बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश कहा जाता है क्योंकि भारत में युवाओं की संख्या बहुत अधिक है जो अपनी काबिलियत से लगातार तरक्की कर रहे हैं और देश के विकास में सहायता कर रहे है, लेकिन भारत ने एक बुरी अर्थव्यवस्था का दौर देखा है जब आजादी के बाद भारत को बटवारा देखना पड़ा और उस समय के बाद भारत की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से टूट चुकी थी लेकिन फिर भी लगातार प्रयास के बाद और देश प्रेम के दम पर भारत एक बार फिर अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करता नजर आया और विश्व में अपनी जगह भी बनाई।

भारत और सफलताएं

आज भारत उन देशों में गिना जाता है जिसके पास परमाणु हथियार हैं और यही नहीं भारत एक ऐसा देश है जिस के पास परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत है जिसमें भारत अपने सभी परमाणु हथियार सुरक्षित रख सकता है।Azadi Ka Amrit Mahotsav Essay In Hindi यही नहीं चांद और मंगल पर मानव रहित मिशन भेजने वाले 5 देशों की सूची में भारत का भी नाम शामिल है जो कि हर भारतवासी के लिए गर्व की बात है। बात की जाए उत्पादन की तो इस मामले में भी भारत ने कई देशों को पीछे छोड़ा है और अपनी जगह बनाई है।

भारत सरकार भी लगातार अपनी योजनाओं के माध्यम से लोगों तक सेवाएं पहुंचाती रहती है और सबका साथ सबका विकास के नारे के साथ कार्य करती है और इससे भारत का भी विकास होता है। इन सभी बातों पर ध्यान देना आवश्यक है क्योंकि जब आप इन सभी बातों पर ध्यान देंगे तो आपको गर्व महसूस होगा कि आप भारतवासी हैं और आप भारत जैसे देश में पैदा हुए हैं, इसलिए आजादी का अमृत महोत्सव मनाना बहुत जरूरी है।

आजादी के अमृत महोत्सव पर अलग-अलग तरीके से कार्यक्रम करके लोगों के मन में देश प्रेम को जागरूक किया जाता है और उन शहीदों को याद किया जाता है जिन्होंने आजादी के संघर्ष की लड़ाई लड़ी और जो सभी लोगों ने स्वतंत्रता का सपना देखा था उसे पूरा किया।Azadi Ka Amrit Mahotsav Essay In Hindi इसके अलावा आजादी के अमृत महोत्सव के माध्यम से हम आज की युवा पीढ़ी को आजादी के संघर्ष के बारे में विस्तार से बता सकते हैं और उन्हें उन सभी चुनौतियों से अवगत करा सकते हैं जो भारत को स्वतंत्रता दिलाने में सामने आई, क्योंकि हमें अपने भविष्य को ध्यान में रखते हुए अपने इतिहास को भी याद करना जरूरी है क्योंकि यह भारत का वह इतिहास है जो किसी को भी आत्मविश्वास से भर देगा।

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आजादी का अमृत महोत्सव कब से कब तक मनाया जाता है?

आजादी का अमृत महोत्सव 75 सप्ताह तक मनाया जाता है और इन सप्ताह में अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित कराए जाते हैं और उनके माध्यम से लोगों के मन में देश प्रेम को जागरूक किया जाता है, इस बार आजादी का अमृत महोत्सव 12 मार्च से शुरू हुआ था जो अगले 75 सप्ताह तक चलेगा।

आजादी का अमृत महोत्सव पर जरूरी नारे?

“जिन वीरों पर हमें गर्व है आजादी होनी है का पर्व है”

“कहती भारत की आबादी है जान से भी प्यारी आजादी है”

“स्वतंत्रता अधूरी जिनके बिन है यह उन्हीं शहीदों का दिन है”

“गांधी सुभाष और भगत सिंह यही है आजादी के चिन्ह”

आजादी का अमृत महोत्सव कहां से शुरू हुआ था?

आजादी का अमृत महोत्सव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख द्वारा गुजरात से शुरू हुआ था।

प्रधानमंत्री द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव कहा किये

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजादी का मृत्यु महोत्सव की शुरुआत मार्च महीने में गुजरात के साबरमती आश्रम में की थी और उन्होंने स्वतंत्रता के बारे में विस्तार से लोगों को बताया था।

आज़ादी का अमृत महोत्सव (Azadi ka Amrit Mahotsav)

यानी- आज़ादी की ऊर्जा का अमृत। आज़ादी का अमृत महोत्सव यानी – स्वाधीनता सेनानियों से प्रेरणाओं का अमृत। आज़ादी का अमृत महोत्सव यानी – नए विचारों का अमृत। नए संकल्पों का अमृत। आज़ादी का अमृत महोत्सव यानी – आत्मनिर्भरता का अमृत है।

1857 का स्वतंत्रता संग्राम, महात्मा गांधी का विदेश से लौटना, देश को ‘सत्याग्रह’ की ताकत फिर याद दिलाना, लोकमान्य तिलक का “पूर्ण स्वराज्य” का आह्वान, नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में आजाद हिंद फौज का “दिल्ली मार्च”, “दिल्ली चलो” का नारा कौन भूल सकता है।

आज नए भारत के समुद्र-मंथन में,

जन-जन की भागीदारी है।

आजादी के अमृत महोत्सव की बेला में,

 आत्मनिर्भर भारत की तैयारी है।

21वीं सदी का भारत आत्मनिर्भरता की तरफ कदम बढ़ा रहा है।Azadi Ka Amrit Mahotsav Essay In Hindi कोरोना काल में यह सारे विश्व के सामने प्रत्यक्ष सिद्ध भी हो गया कि आत्मनिर्भर भारत मानवता को महामारी के संकट से बाहर निकालने में, वैक्सीन निर्माण में एक स्वस्थ उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है। जिसने न केवल अपनी अपितु विश्व के अनेक देशों की जनता की स्वास्थ्य रक्षा के लिए भरसक प्रयास किए तथा कोरोना वैक्सीन उपलब्ध करवाई।

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भारत की उपल्धियां आज सिर्फ हमारी अपनी नहीं हैं, बल्कि ये पूरी दुनिया को रोशनी दिखाने वाली हैं, पूरी मानवता को उम्मीद जगाने वाली हैं। हम भारतीय चाहे देश में रहे हों, या फिर विदेश में, हमने अपनी मेहनत से खुद को साबित किया है। हमें गर्व है । हमें अपने संविधान, हमारी लोकतांत्रिक परंपराओं पर गर्व है। भारत लोकतंत्र की जननी है और आज भी लोकतंत्र को मजबूती देते हुए आगे बढ़ रहा है। भारत की आत्मनिर्भरता से ओतप्रोत हमारी विकास यात्रा पूरी दुनिया की विकास यात्रा को गति देने वाली है।

इतिहास के इस गौरव को सहेजने के लिए हर राज्य, हर क्षेत्र में इस दिशा में प्रयास कर रहे हैं।Azadi Ka Amrit Mahotsav Essay In Hindi दांडी यात्रा से जुड़े स्थल का पुनरुद्धार देश ने दो साल पहले ही पूरा किया है। अंडमान में जहां नेताजी सुभाष ने देश की पहली आज़ाद सरकार बनाकर तिरंगा फहराया था, देश ने उस विस्मृत इतिहास को भी भव्य आकार दिया है। अंडमान निकोबार के द्वीपों को स्वतन्त्रता संग्राम के नामों पर रखा गया है। जालियाँवाला बाग में स्मारक हो या फिर ‘पाइका-आंदोलन’ की स्मृति में स्मारक, सभी पर काम हुआ है। बाबा साहेब से जुड़े जो स्थान दशकों से भूले-बिसरे पड़े थे, उनका भी विकास देश ने पंचतीर्थ के रूप में किया है।

भारत का हर नागरिक लोकमान्य तिलक के ‘पूर्ण स्वराज’ ‘आज़ाद हिंद फ़ौज के ‘दिल्ली चलो’, भारत छोड़ो आंदोलन के आह्वान को देश कभी नहीं भूल सकता। हम मंगल पांडे, तात्या टोपे, रानी लक्ष्मी बाई, चंद्रशेखर आज़ाद, भगत सिंह, पं. नेहरू, सरदार पटेल, अंबेडकर से प्रेरणा लेता हैं।

भारत को स्वतंत्र कराने में देश के कोने-कोने से कितने ही दलित, आदिवासी, महिलाएं और युवा थे जिन्होंने असंख्य तप-त्याग किए। आजादी के आंदोलन की इस ज्योति को निरंतर जागृत करने का काम, पूर्व-पश्चिम-उत्तर-दक्षिण, हर दिशा में, हर क्षेत्र में, हमारे संतो-महंतों, आचार्यों ने किया था। एक प्रकार से भक्ति आंदोलन ने राष्ट्रव्यापी स्वाधीनता आंदोलन की पीठिका तैयार की थी।

जब गाँधी जी ने दांडी यात्रा की और नमक कानून तोडा, उस दौर में नमक भारत की आत्मनिर्भरता का एक प्रतीक था। अंग्रेजों ने भारत के मूल्यों के साथ-साथ इस आत्मनिर्भरता पर भी चोट की थी। भारत के लोगों को इंग्लैंड से आने वाले नमक पर निर्भर होना पड़ा था ।Azadi Ka Amrit Mahotsav Essay In Hindi गांधी जी ने देश के इस पुराने दर्द को समझा, जन-जन से जुड़ी उस नब्ज को पकड़ा। देखते ही देखते ये आंदोलन हर एक भारतीय का आंदोलन बन गया, हर एक भारतीय का संकल्प बन गया। हमारे यहां नमक का मतलब है- वफादारी। हम आज भी कहते हैं कि हमने देश का नमक खाया है। ऐसा इसलिए नहीं क्योंकि नमक कोई बहुत कीमती चीज है। ऐसा इसलिए क्योंकि नमक हमारे यहाँ श्रम और समानता का प्रतीक है।

जब हम ब्रिटिश शासन के युग के बारे में सोचते हैं तो ध्यान आता है कि जब करोड़ों लोग स्वतंत्रता का इंतजार कर रहे थे, तो यह स्वतंत्रता के 75 वर्षों के उत्सव को और भी महत्वपूर्ण बना देता है।Azadi Ka Amrit Mahotsav Essay In Hindi आजादी का अमृत महोत्सव आज़ादी की लड़ाई के साथ-साथ आज़ाद भारत के सपनों और कर्तव्यों को देश के सामने रखकर आगे बढ़ने की प्रेरणा देगा।

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उप-संहार

हम सभी का सौभाग्य है कि हम आजाद भारत के इस ऐतिहासिक कालखंड के साक्षी बन रहे हैं जिसमें भारत उन्नति की नई ऊंचाइयों को छू रहा है। आज का भारत विश्व में अपना नाम अग्रिम पंक्ति में लिखवा चुका है। हम इस पुण्य अवसर पर बापू के चरणों में अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं तथा देश के स्वाधीनता संग्राम में अपने आपको आहूत करने वाले, देश को नेतृत्व देने वाली सभी महान विभूतियों के चरणों में नमन और उनका कोटि-कोटि वंदन करते हैं।

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