चालक , कुचालक तथा अर्धचालक की बैंड सिद्धांत व्याख्या

इस पोस्ट में आप Class 12th Chemistry के चालक , कुचालक तथा अर्धचालक की बैंड सिद्धांत व्याख्या अध्याय के सभी टॉपिक के बारे विस्तार से बताया गया है | आपको इन नोट्स से बहुत हेल्प मिलेगी |

बैंड सिद्धांत किसे कहते है –  Band Siddhant Kya Hai:

इस सिद्धान्त के अनुसार जितने परमाणु कक्षक आपस में मिलते है उतने ही अणु कक्षकों का निर्माण होता है।  जब बहुत सारे परमाणु कक्षक आपस में मिलते है तो उतने ही अधिक संख्या में अणु कक्षको का निर्माण होता है।

इस अणु कक्षको की ऊर्जाओं में अंतर बहुत कम होता है। ये परस्पर मिलकर एक बैंड का निर्माण कर लेते है।  अतः इसे बैंड सिद्धांत कहते हैं।

इस सिद्धान्त द्वारा चालक , कुचालक व अर्द्धचालक की व्याख्या निम्न प्रकार से की जा सकती है।

● चालक अथवा सुचालक ( Conductor )
● कुचालक अथवा अचालक ( Insulator )
● अर्द्धचालक ( Semiconductor )

चालक अथवा सुचालक:

वे पदार्थ जिनमें विद्युत धारा का प्रवाह आसानी से हो जाता है, चालक पदार्थ कहलाते है । चालको मे मुक्त इलेक्ट्राॅन की संख्या अधिक होती है ।

उदाहरण – चांदी, तांबा, एल्युमीनियम आदि ।

उपयोग – विद्युत धारा के प्रवाहन एवं विद्युत चलित उपकरणों के निर्माण में

अच्छे सुचालक के गुण –

● चालक का प्रतिरोध बहुत कम होना चाहिए ।
● चालक सस्ता तथा सरलता से उपलब्ध होना चाहिए ।
● चालक मजबूत होना चाहिए ।

कुचालक अथवा अचालक:

वे पदार्थ जिनमें विद्युत धारा प्रवाहित नहीं होती है, अचालक पदार्थ कहलाते हैं तथा इनमें मुक्त इलेक्ट्राॅन नहीं (न के बराबर) होते है ।

उदाहरण – रबर, प्लास्टिक, कांच आदि ।

उपयोग – चालक तारों के आवरण के लिए, विद्युतरोधी वस्तुओं के निर्माण में ।

कुचालक के गुण –

● प्रतिरोध उच्च होना चाहिए ।
● सस्ता एवं सरलता से उपलब्ध होना चाहिए ।
● कुचालक पदार्थ मजबूत और जलरोधी होना चाहिए ।

अर्द्धचालक:

वे पदार्थ जिनमें सामान्य परिस्थितियों मे विद्युत धारा प्रवाहित नहीं होती परन्तु तापमान बढ़ाने या अशुद्धि मिलाने पर इनकी चालकता बढ़ जाती है और इनमे से धारा प्रवाहित होने लगती है, ऐसे पदार्थ अर्द्धचालक कहलाते हैं ।

इनका प्रतिरोध चालक पदार्थ से अधिक लेकिन अचालक पदार्थ से कम होता है, इनमें कम मात्रा में मुक्त इलेक्ट्राॅन पाये जाते है ।

उदाहरण – सिलिकॉन तथा जर्मेनियम

उपयोग – इलेक्ट्रॉनिक युक्ति जैसे डायोड, ट्रांजिस्टर, LED आदि के निर्माण में ।

डोपिंग किसे कहते है – Doping Kise Kahate Hain:

अर्धचालकों में उसकी चालक क्षमता को कम या ज्यादा करने के लिए उसमें किसी दूसरी धातुओं को मिलाया जाता है और इसी दूसरी धातुओं को मिलाने की पूरी प्रक्रिया को डोपिंग कहते हैं |

किसी भी मटेरियल में दूसरा मटेरियल बनाने के लिए सबसे पहले उसकी एटॉमिक प्रॉपर्टी को देखा जाता है कि वह दोनों मटेरियल आपस में Doped हो सकते हैं या नहीं. अर्धचालक की Doping प्रक्रिया में में जो पदार्थ मिलाया जाता है उसे N-Type कहते हैं और वह पदार्थ जिस पदार्थ के अंदर मिलाया जाता है P-Type अर्धचालक कहते हैं.

UP Board Class 12 Chemistry Notes in Hindi

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