शून्य कोटि की अभिक्रिया | परिभाषा

इस पोस्ट में आप Class 12th Chemistry के शून्य कोटि की अभिक्रिया | परिभाषा अध्याय के सभी टॉपिक के बारे विस्तार से बताया गया है | आपको इन नोट्स से बहुत हेल्प मिलेगी |

जब अभिक्रिया वेग क्रियाकारको की सान्द्रता के शून्य घात के समानुपाती होता है तो उसे शून्य कोटि की अभिक्रिया कहते है।

माना एक अभिक्रिया निम्न है:

अभिक्रिया  का वेग -d[R]/dt  = k[R]0

चूँकि [R]0 = 1

अतः  -d[R]/dt  = k

– (माइनस ) से गुना करने पर।

d[R] = – k dt

∫d[R] = ∫ – k dt

[R] = -kt  + I         . . . . समीकरण 1

यहाँ I समाकलन स्थिरांक है।

इसका मान निम्न प्रकार ज्ञात कर सकते है।

यदि t = 0 है तो [R] = [R]0  होगा।

अतः समीकरण 1 से

[R]  =  -kt + [R]0

kt = [R]0  – [R]

k = ([R]0  – [R] )/t

यह शून्य कोटि की अभिक्रिया का समाकलित वेग समीकरण कहलाता है।

शून्य कोटि की अभिक्रिया का अर्द्धकाल ज्ञात करना :

किसी अभिक्रिया के 50% पूर्ण होने में लगे समय को उस अभिक्रिया का अर्द्ध आयुकाल कहते है।

इसे t1/2 से व्यक्त करते है।

शून्य कोटि की अभिक्रिया के लिए

k = ([R]0  – [R] )/t

या

t = ([R]0  – [R] )/k

यदि t  = t 1/2 है तो

[R] = [R]0/2

t 1/2 = ([R]0  – [R]0/2 )/k

t 1/2 =[R]0 /2k

या

t 1/2  ∝ [R]0

अतः

शून्य कोटि की अभिक्रिया का अर्द्ध आयुकाल क्रियाकारको की प्रारंभिक सांद्रता के समानुपाती होता है।

UP Board Class 12 Chemistry Notes in Hindi

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