Gulab Ki Kheti Kaise Karen: ‘‘कभी तो फैलेगी बाग-ए-हयात में खुशबू, गुलाब खिल के फजा को गुलाब कर देगा।’’ (Gulab Ki Kheti) कौसर सीवानी की ये पंक्तियां Gulab के महत्व को बखूबी बयां करती हैं। ब्याह, शादियों से लेकर हर खुशनुमा पल में ये फूल अपनी रंगत बिखेरता है।
ये न सिर्फ चेहरे पर रौनक ला देता है बल्कि जीने का अंदाज भी बताता है।घाटे की मार झेल रहे किसानों के चेहरों पर भी गुलाब बड़ा मुनाफा देकर बड़ी सी मुस्कान बिखेर रहा है। तो अगर आप जानना चाहते है कि Gulab Ki Kheti कैसे करें और उसको मार्केट में कैसे बेचे तो यह ब्लॉग (Rose Farming) बिज़नेस प्लान से संबन्धित आपके सारे सवालों के जवाब देगा।
Gulab Ki Kheti Kaise Karen
Gulab को गुलाब के राजा के रूप में जाना जाता है क्योंकि यह विभिन्न रंगों में पाया जाने वाला एक सुंदर फूल है। ऐसे में बाजार में तरह-तरह के फूलों की मांग बढ़ रही है। गुलाब के फूल सभी प्रकार के फूलों में बहुत लोकप्रिय होते हैं और शादियों के मौसम में इसकी मांग बहुत अधिक होती है। गुलाब उगाने के पीछे कई कारण होते हैं, जिनमें सबसे बड़ा कारण मुनाफा होता है। कम प्रयास से गुलाब की फसल अधिक लाभदायक हो सकती है। गुलाब का वैज्ञानिक नाम है – Rosa Habrida ( रोजा हाईब्रीड़ा )
आवश्यक तापमान ,मिटटी व जलवायु
(Rose Farming) में तापमान की बात करें तो गुलाब की खेती में दिन का तापमान 24°C से 32C माना जाता है। यदि आप किसी पॉली हाउस में गुलाब उगाते हैं, तो गुलाब को दिन में 4 से 5 घंटे धूप की आवश्यकता होगी।
मिट्टी, बलुई दोमट या दोमट मिट्टी में, यदि humidity अधिक है, तो ऐसी मिट्टी ठीक होती है, जिसका ph 5.3 से 6.5 तक उपयुक्त माना जाता है। साथ ही, पौधों के उगने के लिए कोई छाया या स्थिर भूमि नहीं होनी चाहिए।
ऐसा इसलिए है क्योंकि गर्मियों के दौरान यहां का तापमान बहुत अधिक होता है और तेज गर्म हवाएं चलती हैं। यह गुलाब के लिए बहुत हानिकारक हो सकता है। इसलिए इसकी खेती यहां सर्दियों में की जाती है। इसे राजस्थान जैसे शुष्क क्षेत्रों में उगाया जा सकता है यदि तापमान का ठीक से ध्यान रखा जाए।
उन्नत किस्में (improved varieties)
गुलाब की किस्मों को विभिन्न वर्गों में विभाजित किया गया है|
· फ्लोरीबंडा(Floribunda)- इस वर्ग की किस्मों से उत्पन्न फूलों का डंठल छोटा होता है और फूल का आकार संकर चाय वर्ग की तुलना में छोटा होता है। उदाहरण के लिए भारत राम, लहर, जंतर मंतर, पंचारण, सदाबहार, अरुणिमा, संगरिया जैसी किस्में महत्वपूर्ण हैं।
· लता वर्ग(creeper class)- इस वर्ग की किस्में लता बनाती हैं| इसमें एक जगह से कई फूल निकलते हैं| जैसे- Rosa Banksia, Rosa Lutea, White Rambler, Crimson आदि प्रमुख हैं|
· सुगन्धित वर्ग(Aromatic class)- इस वर्ग के गुलाब के फूल से सुगंध आती है| ऐसे फूलों से तेल, कंक्रीट, गुलाब जल इत्यादि बनाया जाता है| जैसे- Rosa barbouniana, Rosa damecina, desi gulab आदि प्रमुख किस्में हैं|
· व्यावसायिक किस्म(Professional Variety)- व्यावसायिक स्तर पर गुलाब का कट फ्लावर उत्पादन के लिए हाइब्रिड टी वर्ग में First Red, Grandgala, Confetti, Capri, Star Light, Melody, Diplomat इत्यादि प्रकिस्मों का चयन करना चाहिए| floribanda वर्ग का कट फ्लावर उत्पादन के लिए Sangaria, Lambada, Moldy, Golden Times, Cream Profit, Jack Frost इत्यादि किस्मों का चयन करना चाहिए|
सिंचाई की प्रक्रिया कब व कैसे करे (irrigation process)
अगर गुलाब की खेती में पानी देने की बात करें तो आप Gulab के पौधे को 7 से 10 दिनों के अंतराल पर पानी दें, लेकिन ध्यान रहे कि क्यारियों में ज्यादा देर तक पानी नहीं देना चाहिए। पानी के ठहराव पर विशेष ध्यान दें, खासकर बरसात के दिनों में।
कटाई-छंटाई कैसे करे (harvesting sorting)
गुलाब की खेती के लिए इसके पौधों की छंटाई बहुत जरूरी है। रोपण के बाद इसके पौधों से नई शाखाएं दिखाई देंगी। इन सभी शाखाओं को नीचे से 8 से 10 सेमी की दूरी पर छोड़ दें और नीचे की ओर झुकें (मोड़ें)। ऐसा करने से प्रत्येक पौधे से कई नई शाखाएँ बन जाएँगी और जब पौधे में अधिक शाखाएँ होंगी तो फूलों का उत्पादन बढ़ेगा।
छंटाई करते समय सूखी शाखाओं को काट देना चाहिए। प्यूपा पैदा करने के लिए गुलाब की पतली शाखाओं को प्रशिक्षित नहीं किया जाना चाहिए। पौधों की छंटाई होते ही 2 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से कैप्टन का छिड़काव करना चाहिए।|
खरपतवार नियंत्रण
पॉलीहाउस में गुलाब की खेती में खरपतवार की समस्या कम होती है। महीने में एक बार, क्यारियों की ऊपरी सतह पर मिट्टी को हल्का ढीला करें। मिट्टी की जुताई करने से मिट्टी की चपलता बढ़ती है और मिट्टी की जल भंडारण क्षमता बढ़ती है। निराई करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि गुलाब की पतली जड़ें न टूटें, इसलिए हल्का फावड़ा लेकर चलें।
गुलाब की खेती मे प्रमुख रोग क्या है ?
आपको मालूम ही होगा आप किसी भी फसल कि खेती क्यू ना करे सब फसलों मे रोग जरूर उत्पन्न होते है उसी प्रकार गुलाब की खेती मे भी कुछ प्रमुख रोग है जिसने उत्पादन पर काफी ज्यादा असर पड़ता है
- Diebeck या शीर्षारंभी क्षय रोग(Diebeck or vertigo tuberculosis) – यह देशी गुलाबों का प्रमुख कवक रोग है। यह पौधे के ऊपर से नीचे की ओर आता है। शाखाएँ आमतौर पर कटाई के बाद कटे हुए क्षेत्र से आगे बढ़ती हैं और पौधा मर सकता है। कवक के अलावा, रोग उर्वरकों के अनुचित उपयोग, अनुचित सिंचाई और जल निकासी और धूप की कमी के कारण होता है।
- तने का अंगमारी रोग (Stem blight disease) – गुलाब का यह कवक जनित रोग Diebeck के रोग के साथ-साथ पाया जाता है तने पर छोटे-छोटे बादामी रंग के धब्बे बनते हैं।
- पत्ती धब्बा रोग(Leaf spot disease)- बरसात के मौसम में इस रोग से अधिक नुकसान होता है, पत्तियों और तनों पर पीले-भूरे से गहरे भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते हैं, रोगग्रस्त भाग गिर जाता है और पत्तियों में छोटे-छोटे छेद बन जाते हैं।
निष्कर्ष
गुलाब की खेती (Rose Farming) व्यावसायिक स्तर पर करके काफी लाभ कमाया जा सकता है। किसान भाई गुलाब की खेती कर अच्छी आमदनी कर सकते हैं। गुलाब की खेती में चार महीने में फूल आना शुरू हो जाता है। प्रति एकड़ प्रति दिन लगभग 30 से 40 किलोग्राम फूलों की कटाई की जा सकती है।
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गुलाब बाजार में 50 से 70 रुपये किलो बिकता है। इससे आप रोजाना 1500 से 3000 तक कमा सकते हैं। यह सालाना 200 से 300 क्विंटल फूल पैदा करता है। इससे 15 से 20 लाख रुपए कमाए जा सकते हैं। तो दोस्तों हमने Gulab Ki Kheti (Rose Farming) की सम्पूर्ण जानकारी आपको इस लेख से देने की कोशिश की है उम्मीद है आपको यह लेख पसंद आया होगा अगर आपको हमारी पोस्ट अच्छी लगी हो तो प्लीज कमेंट सेक्शन में हमें बताएँ और अपने दोस्तों के साथ शेयर भी करें।