Aapda Prabandhan Essay In Hindi:प्रकृति ने पृथ्वी बहुत ही मनमोहक चीज बनायीं है सुन्दर पेड़, फूल, पत्ते, नदियाँ, झरने ऐसे कई सारे चीजे बनायीं है। जिसे लिखने लग जायें तो शायद लिखने के लिए जगह कम पड़ जायेगी। प्रकृति की कई स्वरुप हैं – कभी सौम्यता के रूप में व्यवहार करती है, कभी शत्रुतापूर्ण। इसी को लोग कभी सुख के रूप में भोगते है तो कभी क्रूरता के रूप में।
Aapda Prabandhan Essay In Hindi
जैसा कि हम लोग जानते है की विश्व में आर्थिक, सामाजिक एवं अनेक परिवर्तन हुए है जिससे लोग पहले से सुखी महसूस कर रहे है। लेकिन पर्यावरण आपदा का डर हमेशा उसके दिमाग में बना रहता है। क्योंकि यह मानव जीवन को पल भर में अस्त व्यस्त कर देता है। यंहा तक की जान और माल दोनों को खतरा रहता है।
प्रस्तावना
आपदा की परिभाषा
आपदाएं, प्राकृतिक या मानव निर्मित खतरों के परिणाम हैं. चूंकि हम आपदाओं को आने से नहीं रोक सकते हैं लेकिन हम हमेशा तैयार रह सकते हैं. जीवन और संपत्ति के नुकसान को कम करने के लिए उचित प्रबंधन द्वारा प्रभावों को कम कर सकते हैं
आपदा यानी ‘Disaster’ शब्द मध्य फ्रांसीसी शब्द ‘desastre’ से लिया गया है. इस फ्रांसीसी शब्द की उत्पत्ति प्राचीन ग्रीक शब्द “Dus” से हुई है जिसका अर्थ है – बुरा और “Aster” जिसका अर्थ है – तारा, आपदा शब्द की जड़ ग्रहों की स्थिति पर दोष लगाने वाली आपदा के ज्योतिषीय अर्थ से आती है
आपदा के प्रकार
आपदा जो सामान्यतः पृथ्वी पर समस्त जीवों को हानि पहुंचाती है। ये निम्नलिखित प्रकार की होती है:
प्राकृतिक आपदाएँ
मानवजनित आपदाएँ
प्राकृतिक आपदाएँ
प्राकृतिक आपदा जो प्रकृति द्वारा, पृथ्वी पर रहने वाले समस्त जीवों को क्षति पहुंचती है। जैसे बाढ़ आने से लोगों की फसल का नुकसान, वहां के जीव जन्तुओं की जान का खतरा रहता है। जिस तरह विकास हो रहा है हर जगह नया-नया कंस्ट्रक्शन हो रहा है, जिससे कई प्रकार की प्रदूषित गैस (कार्बन, हीलियम, मीथेन इत्यादि) निकलती है और यह हमारे वायुमंडल में जाकर एक दीवार सा बना देती है, जिससे पृथ्वी का तापमान दिनों दिन बढ़ता जा रहा है।
पृथ्वी के उत्तरी एवं दक्षिणी छोर पर बर्फ तेजी से पिघल रही है। इसी के कारण है पानी का स्तर ऊपर उठ रहा है, जिससे बाढ़ आ रही है और समस्त जीवों को हानि हो रही है। प्राकृतिक आपदा के कुछ और भी उदाहरण है भूसंख्लन होना, जंगलो में भयानक आग लगना, सड़कों का बुरी तरह से टूट जाना।
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मानवजनित आपदाएँ
मानवजनित आपदा, ऐसी आपदा जिसका जिम्मेदार मानव खुद होता है। आज के समय में आदमी अपने लाभ के लिए यह नहीं देखता कि इससे प्रकृति को कितना नुकसान पहुंचा रहा है। वह स्वयं का लाभ देखता है, जिसके कारण सारी जीव जन्तुओं और वस्तुओं को नुकसान पहुँचता है।
आदमी अपने लाभ के लिए पेड़ काटना, अवैधानिक तरीके से खुदाई करना, नदियों और समुद्रों में प्रदूषण फैलाना (जिससे उसमें रहने वाले जंतु मछली, कछुआ आदि को नुकसान पहुंचाता है) इत्यादि कार्य करता है। देश की अलग-अलग सरकार को इसके बारे में सोचना होगा, जो कुछ मानव के हाथ में है, उसे तो वह रोक ही सकता है। बाकी प्रकृति के आगे तो कोई कुछ नहीं कर सकता।
आकस्मिक आपदा
यह ऐसी आपदा होती है, जिसमें मानव कुछ कर नहीं सकता, यह अकस्मात् हो जाती है। जिसके बारे में कोई नहीं जानता और न अभी तक इसे जानने के लिए किसी प्रकार का यंत्र है तथा वैज्ञानिकों के लिए इस प्रकार का बना पाना असंभव सा है। ऐसी कुछ घटनाएँ जैसे ज्वालामुखी बिस्फोट, बदल फटना, हिम आना, भूकंप आना है।
अनाकस्मिक आपदा
ऐसी घटनाएँ जिसके बारे में मानव कुछ अनुमान पहले से लगा ले और उससे होने वाले नुकसान से बच सके। परन्तु यह भी कुछ निम्न स्तर तक सीमित है। ऐसी कुछ घटनाएं जैसे मौसम एवं जलवायु के विषय में पहले से ज्ञात होना, अकाल, मरुस्थलीकरण और कृषि में कुछ कीड़ों से हानि जैसे समस्याओं का समाधान वैज्ञानिक कर सकते है। यह सब अनाकस्मिक आपदा से सम्बंधित है।
आपदा से होने वाली हानि
आपदा से होनी वाली निम्नलिखित हानि जैसे आर्थिक हानि, जन हानि होती है। आर्थिक हानि में लोगो घर, फसल तथा उनकी उपयोग की जाने वाली चीजे बर्बाद हो जाती है। लोगों को उन्हें फिर से इकट्ठा करने में उतना समय लगता है, जिससे उनके दैनिक जीवन में काफी बार उतर चढ़ाव आता है तथा दूसरी तरफ जन हानि में लोगों एवं उनके द्वारा पाले गए पालतू जानवरों के जान जाने का खतरा बना रहता है।
आपदा प्रबंधन क्या है?
पृथ्वी के किसी भी कोने में प्रायः सूनामी, चक्रवात की घटना, भूकंप आदि घटनाएँ घटित होती रहती है। इन्हीं से बचने के उपाय को ही आपदा प्रबंधन कहते है। इसके लिए भारत सरकार ने 2005 में एक अधिनियम लेकर आयी जो प्राकृतिक आपदा से हुए छति से बचाव करना।
भारत सरकार ने इसके लिए कुछ स्पेशल फोर्सेज का गठन भी किया जैसे ICMR (नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट), NCC (नेशनल कैडेट कोर) एवं NDRF (नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट रिस्पांस फ़ोर्स) है और ये फोर्सेज जब कभी प्राकृतिक आपदा आती है तो अपना पूरा सहयोग प्रदान करती है। आपदा प्रबंधन के निम्लिखित चरण है:
लोगों को ज्यादा से ज्यादा इसके बारे में जागरूक व शिक्षित किया जाये।
दूर संचार के माध्यम से अवगत कराया जायें, जितना ज्यादा हो सके सरकार इसके बारे में लोगों को बताएं।
राज्य स्तर पर, राज्य सरकार को इसके बारे में समझकर तत्पश्चात नियम बनाना चाहिए तथा केंद्र सरकार को इसके बारे में पुष्टि करनी चाहिए।
छोटे-छोटे को किताबों माध्यम से समझाने का प्रयास किया जायें आदि कई सारे चरण है, जिनका प्रयोग करके सरकार कुछ निजात पा सकती है, आपदा से।
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मानव निर्मित आपदाएं
मानव निर्मित आपदाएं तकनीकी खतरों के परिणाम हैं. आग, परिवहन दुर्घटनाएं, परमाणु विस्फोट, आतंकवादी हमले, तेल रिसाव और युद्ध सभी इस श्रेणी में आते हैं
आपदा प्रबंधन का अर्थ
आपदा प्रबंधन वह अनुशासन है जिसके द्वारा मनुष्य आपदाओं से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए निरंतर प्रयास करता है. आपदा प्रबंधन को मोटे तौर पर तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है या यूं कहें इसके तीन प्रकार है जोकि है → आपदा से पहले, आपदा के दौरान और आपदा के बाद
आपदा पूर्व प्रबंधन
यह आपदा आने से पहले ही बचाव से संबंधित है. इसका मुख्य उद्देश्य प्रभाव को कम करना और मानव जीवन और अन्य प्रजातियों के नुकसान को रोकना है
आपदा पूर्व प्रबंधन में सूचना प्रौद्योगिकी का विकास, आपदा का आकलन और आपदा की स्थिति में लोगों को रेडियो और मीडिया आदि के माध्यम से चेतावनी जारी करना, लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाना, आवश्यक कार्रवाई के लिए संसाधन जुटाना शामिल है
आपदाओं के दौरान प्रबंधन
इस चरण की उपलब्धि पूर्व आपदा प्रबंधन चरण की तैयारी के स्तर पर निर्भर है. यह त्वरित कार्रवाई और आपदा के समय पीड़ितों के समन्वय और उन्हें सुरक्षित आश्रय स्थलों तक पहुंचाने पर निर्भर करता है. इस चरण में पीड़ित लोगों को भोजन, वस्त्र, आश्रय और स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान की जाती हैं
आपदा के बाद प्रबंधन
इस चरण में प्रभावित क्षेत्रों का पुनर्निर्माण, पुनर्विकास किया जाता है. प्रभावित लोगों को उनके पैरों पर वापस लाने में मदद करने के लिए पुनर्वास, रोजगार और मुआवजा दिया जाता है
रोकथाम के उपाय और नियंत्रण
प्राकृतिक आपदाएँ अजेय हैं. हम उन्हें होने से नहीं रोक सकते भले ही हमारे पास आपदाओं की भविष्यवाणी करने की सारी तकनीक हो. आने वाली आपदाओं से बचने के लिए हम जो सबसे अच्छी चीज कर सकते हैं वह उन प्रथाओं से बचना है जो पर्यावरणीय गिरावट की ओर ले जा सकती हैं
आपदाओं से बड़े पैमाने पर विनाश होता है, जीवन की हानि होती है, लोगों का विस्थापन होता है. आपदाओं के दौरान प्रभावित लोगों को प्राथमिक उपचार की सुविधा प्रदान करके तैयार रखना एक अच्छी बात के रूप में सामने आता है. हम लोगों को बचाव और राहत प्रदान करके बढ़ती स्थिति को नियंत्रित कर सकते हैं
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उपसंहार
आपदा से निपटने के लिए हमें नवीनतम तकनीकों से लैस होना चाहिए. हमें आपदा प्रबंधन के विषय पर अच्छी तरह से जानकारी दी जानी चाहिए. हमें सहायता और सरकार के साथ मिलकर काम करना चाहिए. इस तरह हम किसी आपदा के बाद के हालात से निपट सकते हैं