Author name: Galeshwar Kumar

संचार व्यवस्था की परिभाषा क्या है तथा प्रकार

संचार व्यवस्था (Communication system):-सूचना को एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजने की व्यवस्था को संचार व्यवस्था कहते है। इसके मुख्य भाग निम्न है:- 1. प्रेषित 2. चैनल 3. अभिग्राही संदेश सिग्नल को सीधे ही प्रेषित करना सम्भव नहीं है। क्योंकि ये अधिक दूरी तक नहीं जा सकते है। संदेश सिग्नल को प्रेषित में भेजते […]

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ट्रांजिस्टर | ट्रांजिस्टर में धारा प्रवाह

ट्रांजिस्टर (Transistor):- इनमें तीन अपमिश्रित क्षेत्र होते है तथा इसमें दो pn संधि होती है तीन भाग निम्न है। 1. उत्सर्जक (Emitter):- यह अधिक मादित क्षेत्र होता है। जिसका कार्य अधिक मात्रा में आवेश वाहक प्रदान करता है। 2. आधार (base):- यह सबसे पतला और सबसे कम मादित क्षेत्र होता है इसका कार्य उत्सर्जक से प्राप्त आवेश

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प्रकाश उत्सर्जन डायोड (LED) | सौर सेल की बनावट व कार्य प्रणाली

प्रकाश उत्सर्जक डायोड (Light emitting diode):- ये ऐसे डायोड है जो परिपथ में अग्र बायस में जोड़ने पर प्रकाश उत्सर्जन करते है इन्हें अत्याधिक मात्रा में अशुद्वि को अपमिश्रण करके बनाया जाता है तथा इन्हें पारदर्शी आवरण में बन्द कर देते हैं ताकि प्रकाश का उत्सर्जन हो सके। कार्य प्रणाली (working):- जब pn संधि डायोड को

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logic gate (तार्किक द्वार) क्या है ये कितने प्रकार के होते है

अनुरूप सतत:- ये ऐसे सिaग्नल है जिसमें चार राशि जैसे वोल्टेज धारा आदि का मान समय के अनुसार निरन्तर प्राप्त होता है जब ध्वनि को विद्युत संकेतों में परिवर्तित करते है तो ऐसे ही सिग्नल प्राप्त होते है। आंकिक सिग्नल (डिजिटल):- ये ऐसे सिग्नल है जिनमें चर राशि का मान तक निश्चित समय अन्तराल के

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एकीकृत परिपथ (IC) (इंटीग्रेटेड सर्किट) की परिभाषा क्या है तथा प्रकार

एकीकृत परिपथ (IC) (इंटीग्रेटेड सर्किट)  : अर्द्धचालक का एकल  क्रिस्टल (सिलिकन) को लेकर उस पर सक्रिय अवयव जैसे डायोड ट्रांजिस्टर और आक्रिय अवयव जैसे प्रतिरोध और संधारिख् का सूक्ष्म रूप से निर्माण करके अनेक इलेक्ट्राॅनिक परिपथ की सरंचना करते है इसे एकीकृत परिपथ कहते है। इसके निम्न लाभ है। 1. टाॅके की संधि नहीं होने

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नेज अर्धचालक | n –  प्रकार के अर्द्धचालक | p- प्रकार का अर्धचालक 

नेज अर्धचालक (pure semiconductor):-की संरचना सम चतुष्फलकीय होती है किसी अर्द्धचालक की संरचना समझने के लिए जर्मेनियम (Ge) का उदाहरण लेते है जिसका इलेक्ट्रोनिक विन्यास 2,8,18,4 होता है। इसके बाहरी कोश में ele  की संख्या 4 होती है। अतः यह अष्टक बनाने के लिए अन्य जर्मेनियम परमाणु के 4 इलेक्ट्रॉन से सह संयोजक बंध बना लेते है।

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नाभिकीय बल की परिभाषा क्या है | विशेषताएँ | रेडियो एक्टिवता

नाभिकीय बल (Nuclear force in hindi):- नाभिक के अन्दर न्यूक्लिओन्स के मध्य लगने वाले बल को नाभिकीय बल कहते है। इसकी विशेषता निम्न है – 1. यह बल आकर्षण का होता है। 2. यह बल प्रकृति में सबसे अधिक प्रबल है। 3. इसकी परास बहुत कम लगभग 10-14 मीटर होती है अतः यह बल नाभिक के अन्दर

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रदरफोर्ड का अल्फा प्रकीर्णन प्रयोग | निष्कर्ष | रदरफोर्ड माॅडल | कमियाँ 

रदरफोर्ड का अल्फा प्रकीर्णन प्रयोग (Rutherford’s Alpha Dispersion Experiment in hindi):- रदर फोर्ड ने सोने की पतली पन्नी जिसकी मोटाई 2.1 x 10-7m  है पर अल्फा कण जिनकी ऊर्जा 5.5 Mev  (मेटाई वोल्ट) की बौछार की गयी प्रकिर्णन से प्राप्त अल्फा कणों को सूक्ष्मदर्शी से जिसकी नेत्रिका पर्र दे का पर्दा है प्रेक्षित किये गये तो निम्न

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ट्रांसफार्मर के प्रकार , उच्चायी , अपचायी ट्रांसफॉर्मर हानि

कार्य के आधार पर इनको दो भागो में विभाजित किया गया है 1. उच्चायी ट्रांसफार्मर (step up transformer in hindi) : जैसा की हम बात कर चुके है की इसमें प्राथमिक तथा द्वितीयक दो कुण्डलियाँ होती है तथा दोनों पर तांबे के तार लिपटे होते है। जब प्राथमिक कुण्डली में फेरों की संख्या द्वितीयक कुण्डली

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वाटहीन धारा की परिभाषा क्या है

वाटहीन धारा :- किसी प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में औसत शक्ति क्षय या व्यय उर्जा का मान परिपथ में प्रवाहित धारा तथा विभवांतर के वर्ग  माध्य मूल के व दोनों के मध्य कलान्तर की कोज्या के , तीनों के गुणनफल के बराबर होता है। अर्थात प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में व्यय ऊर्जा या औसत शक्ति क्षय को

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