Author name: Rajkumar Singh

p – n  संधि का निर्माण समझाइये

p-n संधि का निर्माण (formation of pn junction):-  यदि अर्द्ध चालक में एकल क्रिस्टल में एक तरफ n प्रकार का अर्द्धचालक बनाने के लिए पंच सयोजी अशुद्धि और दूसरी तरफ p प्रकार का अर्द्धचालक बनाने के लिए त्रिंसयोजी अशुद्धि को मिश्रित करत है। इस प्रकार p-n संधि के निर्माण में दो महत्वपूर्ण घटनायें घटित होती है। 1. विसरण 2. […]

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विद्युत चुम्बकीय तरंगों के संचरण की विधियाँ | भू-तरंग | व्योम आकाश तरंग संचरण

1. भू-तरंग संचरण:- कम आवृत्ति की तरंगों के प्रेषक के लिए ऐन्टिना की लम्बाई अधिक लेनी पडती है। ऐसे ऐन्टिना पृथ्वी सें ज्यादा ऊचाई पर लगाना सम्भ्ज्ञव नहीं है ये कम ऊँचाई पर स्थित होते है इनसे चलने वाली विद्युत चुम्बकीय तरंगे पृथ्वी के पृष्ठ के सहारे चलती है ये पृथ्वी में विद्युत धारा उत्पन्न

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ऊर्जा बैण्ड की परिभाषा क्या है | चालक | अर्धचालक | कुचालक को समझाइये

ऊर्जा बैण्ड (Energy band in hindi):- जब एक परमाणु दूसरे परमाणु के सम्पर्क में आता है तो अन्योण क्रिया के करण प्रत्येक ऊर्जा स्तर दो ऊर्जा स्तरों में विभाजित हो जाता है। एक ऊर्जा स्तर मूल ऊर्जा स्तर के नीचे और एक थोड़ा ऊपर होता है। किस्टलीय सरंचना में एक परमाणु का सम्बद्व n –

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मॉडुलन की परिभाषा क्या है | आवश्यकता तथा प्रकार

मॉडुलन (Modulation):- संदेश सिग्नल निम्न आवृत्ति के होते है। जिन्हें अधिक दूरी तक प्रेषित करना सम्भव नहीं है इसलिए इन्हंें उच्च आवृत्ति की वहक तरंगों पर अध्यारोपित कराते है। इस प्रक्रिया को माॅडुलन कहते है। माॅडुलन की आवश्यकता:– 1. ऐन्टिना की लम्बाई – सिग्नल को प्रभावी रूप से विकृत करने केलिए ऐन्टिना की लम्बाई कम से

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नाभिकीय विखण्डन | परमाणु रियेक्टर (भट्टी) | नाभिकीय संलयन

भिकीय विखण्डन (Nuclear fission):- बड़ा नाभिक जैसे यूरेनियम पर न्यूट्रान की क्रिया कराये तो यह लगभग दो बराबर भागों में टूट जाता है और काफी मात्रा में मुक्त होती है। इस घटना को नाभिकीय विखण्डन कहते है। 92U235  + 0n1  = 56Ba144 + 36Kr89 + 30n1 92U235  + 0n1  =  54Xe140 + 38Sr94 + 20n1नाभिकीय विखण्डन में प्राप्त न्यूट्रॉनों की औसत संख्या 2.57 होती है।  श्रृंखला अभिक्रिया (chain

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विवर्तन की परिभाषा क्या है | व्यतिकरण और विवर्तन में अन्तर

विवर्तन (Diffraction in hindi):- अवरोध की ज्यामिती छाया में प्रकाश के पहुचने की घटना को प्रकाश का विवर्तन कहते है। अवरोध के किनारों से तरंग के मुड़ने को विवर्तन कहते है। शर्तें:– विवर्तन के लिए आवश्यक शर्त है कि अवरोध अथवा छिद्र का आकार तरंग दैध्र्य की कोटि का होना चाहिए। ध्वनि की तरंग द्वैध्र्य

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डॉप्लर प्रभाव | व्यतिकरण

डॉप्लर प्रभाव (Doppler effect in hindi):- यदि प्रकाश स्त्रोत अथवा प्रेक्षक गतिशील है तो प्रेक्षक को स्त्रोत की आवृति एवं तरंगद्र्वध्र्य परिवर्तित प्रेक्षित होते है। इस घटना को डाॅप्लर प्रभाव कहते है।  तरंग दैध्र्य अथवा आवृति मे जितना परिवर्तन होता हैं उसे डाॅप्लर विस्थापन कहते है। सूत्र अभिरक्त विस्थापन (Abundant Displacement)  – यदि तारा, ग्रह निहारिका

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हाइगेन्स का तरंग सिद्धान्त | तरंगाग्र के प्रकार | परिभाषा

हाइगेन्स का तरंग सिद्धान्त (Wave theory of hedges) :- हाइगेन के अनुसार किसी स्त्रोत से प्रकाश तरंगाग्र के रूप में चलता है तरंगाग्र का प्रत्येक बिन्दु स्त्रोत की तरह कार्य करता है। जिससे द्वितीयक तरंगी निकलती है। प्रकाश के संचरण को प्रदर्शित करने के लिए माना कि ै  एक बिन्दु स्त्रोत है| और किसी क्षण गोला

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ट्रांसफार्मर क्या है | सिद्धांत | रचना | कार्यविधि | परिभाषा प्रिन्सिपले ऑफ़ ट्रान्सफार्मर

यह एक एक ऐसी युक्ति है जो अन्योन्य प्रेरण के सिद्धांत पर आधारित है तथा इसका उपयोग प्रत्यावर्ती धारा वोल्टता में परिवर्तन के लिए किया जाता है अर्थात प्रत्यावर्ती धारा की वोल्टता को कम या अधिक करने के लिए किया जाता है। ट्रांसफार्मर का सिद्धांत (principle of transformer in hindi): यह अन्योन्य प्रेरण के सिद्धांत

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चोक कुंडली की परिभाषा क्या है | सिद्धान्त | कार्यविधि

चोक कुंडली :- ऐसी युक्ति जिसका उपयोग प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में बिना ऊर्जा क्षय के धारा को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है उसे चोक कुंडली कहा जाता है। चोक कुंडली का सिद्धांत: हम पढ़ चुके है की प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में व्यय उर्जा का मान निम्न सूत्र द्वारा ज्ञात किया जाता है यहाँ θ विद्युत

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