Author name: Rajkumar Singh

शक्ति गुणांक की परिभाषा क्या है

शक्ति गुणांक :- हमने प्रत्यावर्ती परिपथ में औसत शक्ति में हम पढ़ चुके है की औसत शक्ति का मान धारा तथा विभवान्तर (वोल्टता) के वर्ग मध्य मूल तथा दोनों के मध्य कलान्तर की कोज्या के गुणनफल के बराबर होता है। यहाँ कलान्तर की कोज्या को ही शक्ति गुणांक कहते है।शक्ति गुणांक की परिभाषा :किसी भी […]

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प्रत्यावर्ती परिपथ में औसत शक्ति

प्रत्यावर्ती परिपथ में औसत शक्ति :- किसी भी विद्युत परिपथ में ऊर्जा व्यय होने की दर को ही “शक्ति” कहा जाता है।यदि किसी दिष्ट धारा परिपथ हो तथा इसमें i धारा t समय तक प्रवाहित हो रही हो तथा विभवान्तर V हो तो परिपथ में व्यय उर्जा को निम्न सूत्र द्वारा ज्ञात किया जाता हैव्यय

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श्रेणी L-C-R अनुनादी परिपथ

जब एक परिपथ में प्रेरकत्व L , प्रतिरोध R तथा संधारित्र C को श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है तो इस परिपथ को श्रेणी LCR परिपथ कहते है।जब इसमें एक प्रत्यावर्ती धारा स्रोत लगाया जाता है तो इसमें विभवान्तर तथा धारा के मध्य कलांतर प्राप्त होता है और यह कला अंतर प्रेरकीय प्रतिघात तथा धारितीय प्रतिघात

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LCR श्रेणी परिपथ

LC श्रेणी परिपथ : जब दिए गए परिपथ में एक प्रेरकत्व L , प्रतिरोध R तथा संधारित्र C आपस में श्रेणी क्रम में जुड़े हुए हो तथा इन तीनो के साथ कोई प्रत्यावर्ती धारा स्रोत जुड़ा हो तो इस प्रकार बने परिपथ को LCR श्रेणी परिपथ कहते है। जैसा चित्र में दिखाया गया है की

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R-C परिपथ में प्रत्यावर्ती वोल्टता तथा प्रत्यावर्ती धारा के मध्य कला संबंध तथा फेजर आरेख

R-C परिपथ में प्रत्यावर्ती वोल्टता तथा प्रत्यावर्ती धारा के मध्य कला संबंध तथा फेजर आरेख :  चित्रानुसार जब किसी परिपथ में एक प्रत्यावर्ती स्रोत V के साथ संधारित्र C तथा प्रतिरोध R जुड़ा हो तो इस प्रकार के परिपथ को RC परिपथ कहते है। इस परिपथ के लिए धारा तथा वोल्टता की कला में क्या सम्बन्ध

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L-R परिपथ में प्रत्यावर्ती वोल्टता तथा प्रत्यावर्ती धारा के मध्य कला संबंध तथा फेजर आरेख

जब किसी परिपथ में प्रतिरोध (R) तथा प्रेरकत्व (L) जुड़े हुए हो और इसमें कोई प्रत्यावर्ती स्रोत जुड़ा हुआ हो तो इस प्रकार बने परिपथ को LR परिपथ कहते है।यहाँ हम ज्ञात करेंगे की इस परिपथ में वोल्टता तथा धारा के मध्य कला में क्या सम्बन्ध होगा तथा साथ ही इस परिपथ के लिए वोल्टता

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शुद्ध प्रेरकीय परिपथ में प्रत्यावर्ती वोल्टता तथा प्रत्यावर्ती धारा के मध्य कला संबंध तथा फेजर आरेख

जब किसी परिपथ में प्रत्यावर्ती धारा स्रोत के साथ एक नगण्य प्रतिरोध वाला प्रेरकत्व कुण्डली को जोड़ा जाता है तो इस परिपथ को शुद्ध प्रेरकीय प्रत्यावर्ती परिपथ कहा जाता है।यहाँ हम इस प्रेरकत्व कुण्डली का प्रतिरोध शून्य (नगण्य) मानकर चलते है तथा इस कुण्डली का प्रेरकत्व L मानते है। चित्रानुसार परिपथ में प्रत्यावर्ती धारा स्रोत

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नेत्र की समंजन क्षमता | निकट बिन्दु | दूर बिन्दु | दृष्टि परास | अबिन्दुकता दोष व निवारण

1. नेत्र की समंजन क्षमता (Eye capability in hindi):- अन्नत पर रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब नेत्र लेंस के द्वारा रेटिना पर बनता है नजदीक की वस्तु को देखने के लिए नेत्र लेंस पर पेशियों के द्वारा दबाव डालकर फोकस दूरी कम कर देते हैं और नजदीक रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब भी रेटिना पर बन जाता है।

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शुद्ध प्रतिरोधीय परिपथ में प्रत्यावर्ती वोल्टता तथा प्रत्यावर्ती धारा के मध्य कला संबंध तथा फेजर आरेख

शुद्ध प्रतिरोधीय परिपथ में प्रत्यावर्ती वोल्टता तथा प्रत्यावर्ती धारा के मध्य कला संबंध तथा फेजर आरेख  : जब किसी परिपथ में चित्रानुसार एक वोल्टता स्रोत तथा एक ओमीय प्रतिरोध जुड़ा हुआ हो तो जितना विभवान्तर इस प्रतिरोध के सिरों पर उत्पन्न होगा यह वोल्टता स्रोत के विभवान्तर के बराबर होगा। ओम का नियम हम पढ़

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प्रत्यावर्ती धारा की विशेषताएँ | नुकसान या दोष 

1. जब हमें प्रत्यावर्ती धारा को अधिक दूरी तक भेजने की आवश्यकता होती है तो हम ट्रांसफॉर्मर का उपयोग करते है , ट्रांसफोर्मर के माध्यम से प्रत्यावर्ती धारा को कम शक्ति हास या नुकसान के साथ भी अधिक दूरी तक भेजा जा सकता है।  ट्रांसफोर्मर निम्न वोल्टेज को उच्च वोल्टेज में परिवर्तित कर देता है

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