Author name: Rajkumar Singh

अमीटर क्या है | धारामापी का अमीटर में रूपान्तरण

अमीटर क्या है ( Ammeter in hindi ): यह एक ऐसी युक्ति है जिसका उपयोग किसी भी परिपथ में प्रवाहित धारा का मान ज्ञात करने या मापने के लिए होता है। अमीटर एक अत्यन्त कम प्रतिरोध वाली युक्ति है तथा इसकी सहायता से धारा का मापन करने के लिए इसको परिपथ में हमेशा श्रेणीक्रम में […]

अमीटर क्या है | धारामापी का अमीटर में रूपान्तरण Read More »

शंट प्रतिरोध की परिभाषा क्या है | शण्ट का प्रयोग का कारण

कभी कभी ऐसा होता है की धारामापी में इसकी क्षमता से अधिक धारा प्रवाहित हो जाती है , अधिक धारा प्रवाहित होने से इसमें अत्यधिक मात्रा में ऊष्मा उत्पन्न हो जाती है इस ऊष्मा के कारण धारा में उपयोग की गयी कुण्डली के जलने का खतरा बन जाता है। या अचानक से धारामापी में अत्यधिक

शंट प्रतिरोध की परिभाषा क्या है | शण्ट का प्रयोग का कारण Read More »

धारामापी की सुग्राहिता | धारा सुग्राहिता | वोल्टता सुग्राहिता | दक्षतांक | प्रभावी करने वाले कारक

धारामापी की सुग्राहिता : अल्प से अल्प धारा को भी अच्छी सुग्राहिता वाली धारामापी द्वारा संसूचन कर सकते है। अतः हम कह सकते है की सुग्राहिता का तात्पर्य धारामापी की गुणवत्ता से है। यदि किसी धारामापी की कुण्डली में एक बहुत अल्प धारा प्रवाहित की जाए तथा इस अल्प धारा का मापन धारामापी में अच्छा विक्षेप

धारामापी की सुग्राहिता | धारा सुग्राहिता | वोल्टता सुग्राहिता | दक्षतांक | प्रभावी करने वाले कारक Read More »

निलंबित कुण्डली धारामापी | त्रिज्य क्षेत्र

निलंबित कुण्डली धारामापी (suspended coil galvanometer in Hindi ) : बनावट या संरचना (Construction) : निलम्बित कुण्डली धारामापी की संरचना चित्र में दिखाई गयी है , इसमें एक अनुचुम्बकीय धातु (एल्युमिनियम) पर विद्युत रोधी तथा ताँबे के तार को लपेटकर कुण्डली बनाई जाती है। इस कुण्डली को फॉस्फर ब्रॉन्ज (phosphor bronze) के तार की सहायता

निलंबित कुण्डली धारामापी | त्रिज्य क्षेत्र Read More »

धारामापी क्या है | गैल्वेनोमीटर | सिद्धान्त | कार्य | प्रकार | उपयोग

धारामापी क्या है (Galvanometer in hindi): किसी विद्युत परिपथ में अल्प विद्युत धारा के मापन के लिए जिस युक्ति का उपयोग किया जाता है उसे धारामापी या गैल्वेनोमीटर कहते है। धारामापी किस सिद्धान्त पर कार्य करती है (principle of galvanometer): यह युक्ति इस सिद्धांत पर कार्य करती है की ” यदि किसी समान या नियत

धारामापी क्या है | गैल्वेनोमीटर | सिद्धान्त | कार्य | प्रकार | उपयोग Read More »

एक समान चुम्बकीय क्षेत्र में आयताकार धारावाही लूप पर बल एवं बल आघूर्ण

जब किसी आयताकार धारावाही लूप को एक चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाए तथा इस लूप में विद्युत धारा प्रवाहित की जाए तो इस लूप पर एक बलाघूर्ण कार्य करता है हम इस बल आघूर्ण का अध्ययन करेंगे तथा इसके लिए सूत्र की स्थापना करेंगे। चित्रानुसार माना एक ABCD आयताकार लूप है , इस लूप में

एक समान चुम्बकीय क्षेत्र में आयताकार धारावाही लूप पर बल एवं बल आघूर्ण Read More »

दो समान्तर धारावाही चालक तारों के मध्य चुम्बकीय बल या एम्पियर का नियम

जब एक धारावाही चालक तार में विद्युत धारा प्रवाहित करते है तो इसके चारों ओर एक चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है। जब दो धारावाही चालकों को एक दूसरे के निकट रखा जाता है तथा इनमे विद्युत धारा प्रवाहित करते है तो ये एक दूसरे पर अपने चारों तरफ उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र के कारण बल आरोपित

दो समान्तर धारावाही चालक तारों के मध्य चुम्बकीय बल या एम्पियर का नियम Read More »

फ्लेमिंग का बायें हाथ का नियम | दांये हाथ की हथेली का नियम

जब किसी धारावाही चालक को चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो चुम्बकीय क्षेत्र में धारावाही चालक तार पर बल कार्य करता है। 1. फ्लेमिंग का बायें हाथ का नियम (fleming’s left hand rule) 2. दांये हाथ की हथेली का नियम (Right hand palm rule ) अब हम इन दोनों नियमो को विस्तार से पढ़ते

फ्लेमिंग का बायें हाथ का नियम | दांये हाथ की हथेली का नियम Read More »

चुम्बकीय क्षेत्र में धारावाही चालक तार पर बल

जब किसी चालक तार को किसी चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो तार में उपस्थित मुक्त इलेक्ट्रॉनो पर लॉरेन्ज बल कार्य करता है और इस लॉरेंज बल (चुम्बकीय बल ) के कारण तार में उपस्थित मुक्त इलेक्ट्रॉन चालक में अपवहन चाल (वेग) से प्रवाहित होना शुरू हो जाते है। अतः किसी धारावाही चालक को

चुम्बकीय क्षेत्र में धारावाही चालक तार पर बल Read More »

साइक्लोट्रॉन की गणितीय विवेचना | सीमाएँ | उपयोग

साइक्लोट्रॉन क्या है: साइक्लोट्रॉन में धनावेशित कण वृत्ताकार पथ में गति करता है और हम जानते है की वृत्ताकार पथ में गति करने के लिए अभिकेंद्रीय बल की आवश्यकता होती है , इसको यह अभिकेंद्रीय बल चुम्बकीय क्षेत्र से प्राप्त होता है। चूँकि हम जानते है की कण का रेखीय संवेग p = mvअतः अर्द्ध आवर्त

साइक्लोट्रॉन की गणितीय विवेचना | सीमाएँ | उपयोग Read More »

Scroll to Top