Physics Class 12

समतल वृत्ताकार कुण्डली का स्वप्रेरकत्व

एक समतल वृत्ताकार कुण्डली का स्वप्रेरकत्व कितना होता है इसके लिए हम सूत्र की स्थापना भी करेंगे। मान लेते है की N फेरे किसी वृत्ताकार कुण्डली में लिपटे हुए है तथा इस वृत्ताकार कुंडली में I धारा प्रवाहित हो रही है। धारा प्रवाहित होने से इसके केंद्र में एक चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है […]

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स्वप्रेरण गुणांक या स्वप्रेरकत्व की परिभाषा क्या है |सूत्र | SI मात्रक | विमा

माना किसी N फेरो वाली कुण्डली में I धारा प्रवाहित हो रही है , I धारा प्रवाहित होने से इस कुण्डली के प्रत्येक फेरे के कारण ϴ चुम्बकीय फ्लक्स उत्पन्न हो जाता है।  अतः सम्पूर्ण फेरों या कुण्डली के कारण कुल उत्पन्न चुम्बकीय फ्लक्स का मान Nϴ होगा।  कुण्डली में उत्पन्न चुम्बकीय फ्लक्स Nϴ का मान इसमें प्रवाहित धारा

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स्वप्रेरण की परिभाषा क्या है ,स्व प्रेरण का प्रायोगिक प्रदर्शन

जब किसी कुण्डली में परिवर्तित धारा का मान प्रवाहित किया जाता है तो इसमें चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है तथा जिसके कारण इससे सम्बद्ध परिवर्तनशील चुम्बकीय फ्लक्स का मान उत्पन्न हो जाता है। चुम्बकीय फ्लक्स के मान में परिवर्तन होने से प्रेरित विद्युत वाहक बल उत्पन्न हो जाता है इस घटना को ही स्वप्रेरण

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भँवर धाराओं के उपयोग

कहीं कही भंवर धाराएं अवांछनीय है जैसे इनकी वजह से ऊष्मा उत्पन्न हो जाती है जिससे ऊर्जा की क्षति होती है , तो कही पर इनका बहुत उपयोग है , हम यहाँ इनके उपयोग के बारे में अध्य्यन करेंगे की इनका उपयोग कहा और क्यों किया जाता है। 1:- प्रेरण भट्टी में : प्रेरण भट्टी

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भँवर धाराएँ क्या है या फोको धारा परिभाषा

सन 1895 में फोकॉल्ट वैज्ञानिक ने ज्ञात किया की जब एक बन्द परिपथ से संबद्ध चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन किया जाता है तो फ्लक्स में परिवर्तन के कारण परिपथ में एक प्रेरित विद्युत वाहक बल उत्पन्न हो जाता है। इस प्रेरित विद्युत वाहक बल के उत्पन्न होने के कारण परिपथ में प्रेरित धारा बहने लगती है। फोकॉल्ट

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समरूप चुम्बकीय क्षेत्र में आयताकार कुण्डली की घूर्णन गति के कारण उत्पन्न विद्युत वाहक बल

मान लीजिये एक B समरूप चुम्बकीय क्षेत्र में एक आयताकार कुण्डली रखी हुई है ,इसे चित्र में abcd द्वारा दर्शाया गया है। इस आयताकार कुण्डली abcd को इस प्रकार रखा जाता है की इसकी घूर्णन की अक्ष चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत हो। अब इस आयताकार कुण्डली को w कोणीय वेग से घुमाया जाता है ,

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समरूप चुम्बकीय क्षेत्र में घूर्णन करती धातु की चकती में प्रेरित विद्युत वाहक बल

समरूप चुम्बकीय क्षेत्र में घूर्णन करती धातु की चकती में प्रेरित विद्युत वाहक बल माना एक चित्रानुसार समरूप चुम्बकीय क्षेत्र है जिसकी दिशा पृष्ठ (कागज) के लम्बवत बाहर की तरफ है , चुंबकीय क्षेत्र की दिशा को चित्र में डॉट (.) से प्रदर्शित किया गया है। इस समरूप चुंबकीय क्षेत्र में एक धातु की चकती

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समरूप (समांग) चुम्बकीय क्षेत्र में घूर्णन करती धातु की छड़ में प्रेरित वि.वा.बल

माना चित्रानुसार एक समरूप चुम्बकीय क्षेत्र B है , इसकी दिशा पृष्ठ के लंबवत है बाहर की तरफ है जिसे चित्र में डॉट (.) से प्रदर्शित किया गया है। इस समरूप चुम्बकीय क्षेत्र में एक चालक छड रखी हुई है तथा इसकी लम्बाई l है। यह चालक छड इस चुम्बकीय क्षेत्र में w कोणीय वेग

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असमान चुम्बकीय क्षेत्र में नियत वेग से गति के कारण आयताकार लूप में प्रेरित वि.वा.बल एवं धारा

माना एक आयताकार आकृति है जिसे चित्र में abcd से दर्शाया गया है , यह एक असमान चुम्बकीय क्षेत्र में रखी हुई है। यहाँ असमान से तात्पर्य है की चुम्बकीय क्षेत्र का मान अलग अलग जगह पर भिन्न है। मान लेते है की आयताकार आकृति (कुण्डली) की ab भुजा पर चुंबकीय क्षेत्र का मान B1 है तथा

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समरूप चुम्बकीय क्षेत्र में चालक छड की गति के कारण प्रेरित वि.वा.बल

माना कागज के लम्बवत निचे की तरफ एक चुम्बकीय क्षेत्र B उपस्थित है ,यह समरूप से फैला हुआ है। इस चुम्बकीय क्षेत्र में एक l लम्बाई का चालक रखा हुआ है इसे PQ से चित्र में दर्शाया गया है , यह कागज तल में रखा हुआ है अत: यह चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत स्थित है

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