Christmas Essay in Hindi

Christmas Essay in Hindi: क्रिसमस ईसाइयों का त्यौहार है यह पूरे विश्व में 25 दिसंबर को धूम-धाम से मनाया जाता है। लोगों द्वारा पूरी दुनिया में क्रिसमस को मनाया जाता है, इसे खासतौर से ईसाई धर्म के लोगों द्वारा हर साल 25 दिसंबर के दिन मनाया जाता है। इसे प्रभु ईसा के जन्मदिन पर मनाया जाता है, ये ईसाइयों के भगवान है जिन्होंने ईसाई धर्म की शुरुआत की।

Christmas Essay in Hindi

ये त्योहार हर साल ठंड के मौसम में आता है हालाँकि लोग इसे पूरी मस्ती, क्रिया-कलाप और खुशी के साथ मनाते है। ये ईसाइयों के लिये एक महत्वपूर्ण त्योहार है जिसके लिये वो लोग ढेर सारी तैयारियाँ करते है। इस उत्सव की तैयारी एक महीने पहले ही शुरु हो जाती है और क्रिसमस के 12 दिनों के बाद ये पर्व खत्म होता है।

प्रभु ईसा मसीह का जन्म

 बाइबल के अनुसार परमेश्वर ने जिब्राइल नाम के स्वर्गदूत को एक स्त्री जिसका नाम मरियम था उसके पास भेजा और कहा कि उसका एक बेटा होगा तो राजा बनकर राज करेगा और उस बच्चे का नाम यीशु था जिसका जन्म 6 ई.शा .पूर्व में बेथलेहम में हुआ था और उसका जन्म एक अस्तबल में हुआ था उन्होंने बहुत छोटे से ही लोगों को सही राह दिखाने का कार्य किया इस तरह जब वो 12 वर्ष के हुए तो उन्होंने 12 आदमियों को चुना और उन्हें अपना प्रेरित बनाया ईसा मसीह ने कई चमत्कार भी किये जिसे ईश्वर का दूत नहीं बल्कि ईश्वर की संज्ञा दी गई है उन्ही की याद में क्रिसमस मनाया जाता है.

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सांता क्लाज़ रात के समय सभी के घरों में जाकर उनको उपहार बाँटता है खासतौर से बच्चों को वो मजाकिया उपहार देता है। बच्चे बड़ी व्याकुलता से सांता और इस दिन का इंतजार करते है। वो अपने माता-पिता से पूछते है कि कब सांता आयेगा और अंततः: बच्चों का इंतज़ार खत्म होता है और ढ़ेर सारे उपहारों के साथ सांता 12 बजे मध्यरात्रि को आता है।

परंपरा और मान्यता

क्रिसमस के त्यौहार में यह एक परंपरा है कि लोग इस दिन अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को सुन्दर ग्रीटिंग कार्ड भेजते और देते हैं। हर कोई परिवार के लोग और दोस्त रात के दावत में शामिल होते है।

इस पर्व में मिठाई,  चॉकलेट,  ग्रीटींग कार्ड,  क्रिसमस पेड़, सजावटी वस्तुएँ आदि भी पारिवारिक सदस्यों, दोस्तों, रिश्तेदार और पड़ोसियों को देने की परंपरा है। लोग पूरे जनून के साथ महीने के शुरुआत में ही इसकी तैयारियों में जुट जाते है। इस दिन को लोग गाने गाकर, नाचकर, पार्टी मनाकर, अपने प्रियजनों से मिलकर मनाते है। प्रभू ईसा, ईसाई धर्म के संस्थापक के जन्मदिवस के अवसर पर ईसाईयों द्वारा इस उत्सव को मनाया जाता है। लोगों का ऐसा मानना है कि मानव जाति की रक्षा के लिये प्रभु ईशा को धरती पर भेजा गया है।

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क्रिसमस मनाने के तरीके

जैसे क्रिसमस के दिन की महिमा विशेष व सर्वव्यापी है। वैसे ही क्रिसमस मनाने का तरीका भी विशेष है। क्रिसमस की तैयारियां एक महीने पहले से शुरू कर दी जाती है। घरों की सफाई होती है। लोग अपने अपने घरों को सुंदर बनाते है और बड़े ही अच्छे तरीके से सजाते है। जैसे यीशु का जन्म उन्ही के घर मे हुआ हो। लोग नए नए वस्त्र व आभूषण खरीदते है। ढेर सारे पख्वान बनाते है। क्रिसमस के दिन चर्च को सजाया जाता है। रंग बिरंगी रोशनी से चर्च जगमगाते है। क्रिसमस की पूर्व संध्या में लोग प्रभु की प्रशंसा में केरोल गाते है। सुबह गिरजाघरों में प्रार्थना सभा होती है।शाम को सभी लोग एक दूसरे के घर बेंड बाजो के साथ  जाकर प्यार व भाईचारे के संदेश देते है। लोग प्रभु की प्रशंसा में गीत गाते है। आपस मे मनोरंजन करते है। आज के दिन बड़े बड़े क्रिसमस ट्री सजाये जाते है। उनपर घंटी लाइट आदि लगाई जाती है। लोग अपनी मनोकामनाये क्रिसमस ट्री पर लिखते है।krismas essay in hindi और आशा करते है कि उनकी मनोकामनाएं ज़रूर पूरी होंगी।रात्रि को भोज होता है। सभी साथ में भोजन करते है।लोगों की आज खुशी की सीमा नही होती।

आज का दिन बच्चों ले लिए सबसे विशेष माना जाता है। एक काल्पनिक किरदार बच्चों की मनोकामनाये पूर्ण करता है। सांता क्लॉज़ बच्चों के आकर्षण का केंद्र है। ऐसा माना जाता है कि सांता बच्चों को रात में खिलोने चॉकलेट आदि तोहफे देता है। सांता क्लॉज स्वर्गदूत होता है। जो बच्चों की इच्छाओं को पूर्ण करता है। आज के दिन सांता की पोशाक पहन कोई एक व्यक्ति झूमते हुए और बच्चों का मनोरंजन करते नजर आता है। बच्चे क्रिसमस का बड़ी ही बेसब्री से इंतज़ार करते है। नादान बच्चों के लिए आज के दिन तोहफे मनोरंजन का साधन होते है। उन्हें क्रिसमस ट्री व सांता क्लॉज बड़ा ही आकर्षक लगता है। यीशु के जन्म दिवस क्रिसमस के दिन लोग खुशी से झूम उठते है। क्रिसमस मनाने के साथ साथ लोग भाईचारे का संदेश भी देते है। लोग एक दूसरे के प्रति कैसे समर्पित रहा जाता है इसका पाठ सीखते है। कैसे लोगो के प्रति सम्मान रखना है ये भी बताते है। जिस प्रकार जैन लोगो का परमोधर्म अहिंसा होता है, वैसे ही ईसाइयों के परमोधर्म परोपकार होता है। क्रिसमस के दिन परोपकार का प्रचार प्रसार करते है।अपने अपने आंगन में लोग क्रिसमस ट्री लगते है। और साथ मे केक भी काटते है। क्रिसमस के दिन केक का विशेष महत्व माना जाता है। यीशु के जन्म की खुशी के उपलक्ष्य में लोग केक काटते है।

विद्यालय में क्रिसमस

क्रिस्चियन स्कूल में क्रिसमस बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है। कई विद्यालयों में क्रिसमस 25 तरीक के पहले ही मना लिया जाता है। क्योंकि सभी विद्यालय में क्रिसमस पर अवकाश होता है। उस दिन विद्यालय में चित्र कला का प्रदर्शन होता है। जिसकी थीम क्रिसमस होती है। लोग अपनी कला से रंगोली व चित्रकारी करते है। लगभग हर चित्र में सांता क्लॉज, क्रिसमस ट्री, ईसा मसीह नज़र आते है। बच्चों को अपनी कला प्रस्तुति में अव्वल आने पर पुरुस्कृत भी किया जाता है। विद्यालय में भी क्रिसमस ट्री सजाया जाता है। ईसा मसीह के जन्म का नाट्य रूपांतरण भी किया जाता है।

प्रभु के जन्म पर लोग भाव विभोर व प्रसन्न होते है।बड़े ही रोचक तरीके से नाट्य रूपांतरण किया जाता है। प्रभु के गुणगान में लोग केरोल व अन्य गीत भी गाते है।  बच्चो के आकर्षण का केंद्र सांता है इसीलिए खास कर बच्चों के लिए विद्यालयों में सांता की पोशाक में एक किरदार प्रस्तूत किया जाता है। भोले भाले बच्चे आसमान से आये सांता समझ बेहद प्रसन्न और मनोरंजित होते है। सांता सफेद और लाल रंग के वस्त्र पहन बच्चों के सामने आते है और उन्हें ढेर साथ चॉकलेट तोहफे आदि देते है। क्रिसमस ट्री को देख भी बच्चे खिलखिला उठते है।

वे क्रिसमस आने का बेसब्री से  इंतज़ार करते है।  स्कूल में कार्यक्रम के दौरान केक कांटा जाता है।और सभी बच्चों को बांटा जाता है। बाद में क्रिसमस की 10 दिन की लंबी छुट्टी की घोषणा की जाती है। विदेश में भी यह त्योहार मनाया जाता है। क्रिसमस के एक दिन पूर्व जर्मनी में समारोह होते है।पूरे विश्व मे क्रिसमस का अवकाश होता है। ब्रिटेन में क्रिसमस के एक दिन पश्चयात 26 तारिक को बॉक्सिंग डे मानते है।कुछ कैथोलिक देशों में इसे सेंट स्टीफेंस डे या फीस्ट ऑफ सेंट स्टीफेंस भी कहते है।ये लोग आज के दिन केक कांट कर धुम धाम से चर्च में त्योहार मनाते है। चर्च को सुंदर ढंग से सजाते है। अपने परिवार समेत चर्च जाकर प्रभु के गुणगान करते है।

Credit: Learn Essay Speech

उपसंहार

क्रिसमस शांति का पर्व है। क्रिसमस परोपकार का पर्व है। क्रिसमस जीत का पर्व है, क्रिसमस सत्य का पर्व है। जब जब देश में या समाज से बुराइयों का पलड़ा भारी होता है तब तब क्रिसमस हमे सही राह पर चलने को प्ररित करता है। समाज से लालच, नफरत व  कुरीतियों को विलुप्त कर प्रेम, दया व परोपकार से जीने की प्रेरणा देता है। बच्चों को खेल खुद, मस्ती मज़ाक में भी परोपकार का पाठ सीखा देता है क्रिसमस का दिन। जाने अनजाने सभी आनंद में मग्न अच्छाई का पाठ सीख लेते है। जो उन्हें जीवन मे हमेशा काम आता है। बच्चे हो या बड़े आज के दिन सभी एक दूसरे को मैरी क्रिसमस बोलते है। इसका अर्थ होता है हैप्पी क्रिसमस

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