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विस्तृत उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1
घर की सफाई का अर्थ स्पष्ट कीजिए तथा घर की सफाई के महत्त्व ,
अदकता का विस्तार से वर्णन कीजिए।2012
परिवार के सदस्यों के स्वस्थ जीवन के लिए घर की सफाई की आवश्यकता तथा महत्त्व को स्पष्ट कीजिए। घर की सफाई के महत्त्व को संक्षेप में लिखिए।
घर की सफाई क्यों आवश्यक है?
या
घर की स्वच्छता का अर्थ और इसका महत्त्व समझाइए2015,
घर की सफाई से आप क्या समझती हैं? 2 16, 17
उत्तर:
घर की सफाई का अर्थ परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य के लिए तथा घर की शोभा, व्यवस्था एवं साज-सज्जा के लि। घर की सफाई अति आवश्यक है। प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि उसका घर अधिक-से-अधिक साफ-सुथरा रहे। घर की सफाई के महत्त्व को स्वीकार करने के उपरान्त प्रश्न उठता है कि घर की सफाई का अर्थ क्या है? घर की सफाई से आशय है घर में गन्दगी का न होना। अब प्रश्न उठता है कि गन्दगी का क्या अर्थ है? सैद्धान्तिक रूप से जिस वस्तु को जहाँ नहीं होना चाहिए, उसका वहाँ पाया जानी ही गन्दगी है। इस आधार पर कहा जा सकता है कि प्रत्येक वस्तु का यथा-स्थान पाया जाना सफाई है। इस सैद्धान्तिक तथ्य को घर की सफाई के सन्दर्भ में व्यावहारिक रूप से भी प्रस्तुत किया जा सकता है।
घर के कूड़े का कूड़ेदान में होना घर की सफाई का प्रतीक है तथा कूड़े का जहाँ-तहाँ फैला होना घर की गन्दगी का प्रमाण है। बर्तन माँजने के उपरान्त गन्दा पानी नाली से होकर बह जाना घर की सफाई का प्रतीक है। इसके विपरीत, यदि यह पानी रसोईघर में तथा आँगन में ही फैला रहे तो इसे घर की गन्दगी ही माना जाएगा। मकान के बाहर गली में अथवा लॉन में यदि धूल-मिट्टी है, तो उसे गन्दगी नहीं माना जाएगा, परन्तु यदि घर के अन्दर सोफे पर यो खाने की टेबल पर धूल हो, तो उसे गन्दगी या सफाई का अभाव माना जाएगा।
नाश्ते के समय अण्डे के छिलके यदि एक प्लेट में रखे जाएँ तो उसे सफाई का प्रतीक माना जाएगा। इसके विपरीत, यदि यही छिलके कालीन पर बिखरे हों, तो ये घर की गन्दगी के प्रमाण स्वरूप माने जाएँगे। इसी प्रकार घर के अन्य भागों में भी उन वस्तुओं का पाया जाना गन्दगी का प्रतीक माना जाएगा जो वहाँ पर नहीं होनी चाहिए, इसके विपरीत प्रत्येक स्थान पर गन्दगी का अभाव सफाई का प्रतीक माना जाएगा।
घर की सफाई का महत्त्व एवं आवश्यकता
घर की सफाई के महत्त्व एवं आवश्यकता सम्बन्धी मुख्य बिन्दु निम्नवर्णित हैं|
(1) घर की सुन्दरता में सहायक-घर की सफाई का सर्वाधिक महत्त्व यह है कि इससे घर की सुन्दरता में वृद्धि होती है। घर की सफाई के अभाव में कीमती एवं अच्छी-अच्छी वस्तुएँ तथा फर्नीचर भी घर को सुन्दर बनाने में असफल रहते हैं।
(2) कीटाणुओं को पनपने से रोकने में सहायक यह एक ज्ञात तथ्य है कि अधिकांश रोगों के कीटाणु गन्दगी, सीलन तथा धूल-मिट्टी में ही पनपते हैं। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कहा जा घर की सफाई 39 सकता है कि यदि घर में सफाई हो तो रोगों के कीटाणु नहीं पनपने पाते। इस दृष्टिकोण से भी घर की सफाई आवश्यक एवं महत्त्वपूर्ण है।
(3) स्वास्थ्य एवं चुस्ती में सहायक-सफाईयुक्त घर-परिवार के सदस्यों के सामान्य स्वास्थ्य में वृद्धि करता है तथा परिवार के सभी सदस्यों में चुस्ती एवं फुर्ती बनी रहती है। साफ घर में परिवार के सदस्य प्रसन्न तथा उत्साहित रहते हैं तथा वे अधिक कार्य करने के लिए प्रेरित होते हैं। इसके विपरीत गन्दे घर में निराशा, उदासी तथा आलस्य जैसे विकार उत्पन्न होने लगते हैं। इसके अतिरिक्त यह भी एक सत्यापित तथ्य है कि सभी संक्रामक रोगों के कीटाणु गन्दगी में अधिक पनपते हैं। इस दृष्टिकोण से भी घर की सफाई का विशेष महत्त्व है। साफ-सुथरे घर में रोगों के कीटाणुओ के पनपने की आशंका कम होती है। इस प्रकार स्पष्ट है कि घर की सफाई परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य में धी सहायक होती है।
(4) घर को आकर्षक बनाने में सहायक–घर की नियमित सफाई से घर आकर्षक बनता है। साफ एवं गन्दगी रहित घर आकर्षण का केन्द्र बन जाता है।
(5) घर की सफाई गृह-व्यवस्था में सहायक–साफ घर में प्रत्येक वस्तु अपने निर्धारित स्थान पर रहती है तथा घर की वस्तुएँ जहाँ-तहाँ बिखरी नहीं रहतीं। इस स्थिति में घर भी सुव्यवस्थित रहता है। सुव्यवस्थित एवं स्वच्छ घर में कार्य करना भी सुविधाजनक होता है। सफाई के अभाव में गृह-कार्यों को अच्छे ढंग से करना प्रायः कठिन ही होता है।
(6) जीवन-स्तर को उच्च बनाने में सहायक-उच्च जीवन-स्तर के लिए घर का साफ-सुथरा होना अति आवश्यक माना जाता है। गन्दगी युक्त घर वाले परिवार के जीवन-स्तर को किसी भी स्थिति में उच्च नहीं माना जा सकता। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कहा जा सकता है कि ‘घर की सफाई परिवार के जीवन-स्तर को उच्च बनाने में सहायक होती है।
(7) आगन्तुकों द्वारा प्रशंसा–घर की सफाई प्रत्येक आगन्तुक को स्पष्ट दिखाई दे जाती है। घर को साफ रखना गृहिणी का एक आवश्यक गुण माना जाता है; अत: यदि घर अच्छे ढंग से साफ रहता है तो घर पर आने वाले व्यक्ति (आगन्तुक) गृहिणी की प्रशंसा ही करते हैं।
(8) व्यावसायिक सफलता में सहायक--साफ-सुथरे घर में परिवार के सभी सदस्य शारीरिक तथा मानसिक रूप से स्वस्थ रहते हैं। स्वस्थ व्यक्ति अपने सभी कार्य अधिक श्रम एवं अधिक कुशलतापवूक कर सकता है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कहा जा सकता है कि साफ घर परिवार के कार्यरत सदस्यों की व्यावसायिक सफलता में भी सहायक होता है।
प्रश्न 2.
घर की सफाई के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए। [2007, 08, 09, 10, 12, 18]
घर की दैनिक, साप्ताहिक, मासिक तथा वार्षिक सफाई का विस्तृत वर्णन कीजिए। घर की दैनिक और साप्ताहिक सफाई क्यों और कैसे करेंगी? घर की सफाई को कितने भागों में बाँटा जा सकता है? किसी एक भाग की सफाई का वर्णन सविस्तार कीजिए। [2009, 10, 12]
वार्षिक सफाई का क्या अर्थ है? [2013]
उत्तर:
घर की सफाई के प्रकार
घर पर अनेक प्रकार की सफाई की निरन्तर आवश्यकता होती है, परन्तु सभी प्रकार की सफाई व्यस्त जीवन में न तो नित्य सम्भव ही होती है और न ही उसकी नित्य आवश्यकता होती है। अतः भिन्न-भिन्न महत्त्व की सफाई को क्रमश: इन पाँच भागों या पाँच प्रकारों में विभक्त कर लिया जाता है, अर्थात्
- दैनिक सफाई (Daily Cleaning),
- साप्ताहिक सफाई (Weekly Cleaning),
- मासिक सफाई (Monthly Cleaning),
- वार्षिक सफाई (Annual Cleaning) तथा
- आकस्मिक सफाई (Sudden Cleaning)
इन पाँचों प्रकार की सफाई का विस्तृत विवरण एवं महत्त्व निम्नवर्णित है
(1) दैनिक सफाई—जिस प्रकार नित्य-प्रति भोजन पकाया जाता है तथा शारीरिक सफाई के लिए स्नान किया जाता है, उसी प्रकार घर की कुछ सफाई भी नित्य ही की जाती है। घर की जो सफाई नित्य करनी अनिवार्य होती है, उसका विवरण इस प्रकार है
(i) विभिन्न कमरों की दैनिक सफाई–हवा से उड़कर अनेक प्रकार की गन्दगी एवं धूल नित्य ही हमारे कमरों में आती है। इसके अतिरिक्त जूतों के साथ भी मिट्टी आदि कमरे में जाती है। बच्चों वाले घर में भी बच्चे कागज के टुकड़े, पेन्सिल की छीलन आदि गन्दगी बिखेर देते हैं। अत: इन सब गन्दगियो की सफाई नित्य ही होनी अनिवार्य है। इसलिए रोज ही कमरों में झाडू लगाना तथा फर्नीचर को कपड़े से पोंछना व झाड़ना अनिवार्य रूप से आवश्यक होता है। कमरे के फर्श पर पोंछा लगाना भी अच्छा रहता है।
पोंछे के पानी में फिनाइल या किसी अन्य नि:संक्रामक घोल को अवश्य डाल लेना चाहिए। दरवाजे के पास रखे गए पायदान को अवश्य झाड़ना चाहिए। इसके अतिरिक्त कमरों में अस्त-व्यस्त फैले हुए सामान एवं कपड़ों को भी समेट्ना एवं यथास्थान रखना अनिवार्य है। बिस्तर को ठीक करना तथा यदि आवश्यक हो तो उठाकर निर्धारित स्थान पर रखना चाहिए। यदि धर में फूलदानों में फूल रखे जाते हों तो उनकी भी रोज देखभाल करनी चाहिए।
(ii) रसोईघर को साफ करना–रसोईघर या पाकशाला को भी नित्य ही साफ करना अत्यन्त आवश्यक है। रसोईघर में जूठे बर्तन रखे रहते हैं तथा भोजन के कण बिखर जाते हैं। इन सबकी सफाई रोज ही होनी चाहिए। जूठे बर्तन भी रोज ही माँजे जाने चाहिए। रसोईघर को साफ रखना गृहिणी का मुख्य कर्तव्य है।
(iii) स्नानगृह एवं शौचालय की सफाई-स्नानगृह एवं शौचालय की सफाई नित्य ही करनी चाहिए। स्नानगृह में साबुन आदि के कारण काफी गन्दगी हो जाती है। स्नानगृह में कपड़े भी धोए जाते हैं जिनकी मैल फर्श पर रुक जाती है; अतः नित्य ही स्नानगृह के फर्श को झाड़ से साफ करना चाहिए। स्नानगृह में इस्तेमाल होने वाली बाल्टी, लोटा आदि भी साफ करके औंधे कर देने चाहिए ताकि उनमें पानी पड़ी न रहे। इसी प्रकार शौचालय की सफाई भी नित्य ही होनी चाहिए। शौचालय में फिनाइल आदि भी अवश्य डालना चाहिए।
(iv) घर की नालियों एवं अन्य स्थानों की सफाई-घर के अन्दर बहने वाली नालियों: जैसे- रसोईघर से पानी निकालने वाली नाली आदि; की सफाई नित्य होनी चाहिए।
(v) बाहर की सफाई–घर के आन्तरिक भागों के अतिरिक्त घर के बाहरी भागों की सफाई भी आवश्यक होती है। घर के आँगन अथवा लॉन की सफाई अति आवश्यक होती है। यदि दरवाजा बाहर को खुलता हो तो उस दरवाजे तथा उसके आस-पास या सीढ़ी आदि की भी प्रतिदिन सफाई अनिवार्य रूप से की जाती हैं।
(2) साप्ताहिक सफाई-घर के सभी स्थानों की सफाई प्रतिदिन की जानी सम्भव नहीं होती; अत: कुछ स्थानों एवं वस्तुओं की सफाई सप्ताह में एक बार ही की जाती हैं। यह सफाई सामान्य रूप से छुट्टी के दिन ही की जाती है। साप्ताहिक सफाई के अन्तर्गत घर की दरियो एवं कालीनों को झाड़ा जाता है। फर्नीचर को भी पूरी तरह झाड़कर उनकी गद्दियों आदि को ठीक किया जाता है। दरवाजों तथा खिड़कियों के पास लग गए मकड़ी आदि के जालों को भी साफ करना चाहिए। कमरे में लटकने वाली तस्वीरों एवं सजावट की अन्य वस्तुओं को भी साप्ताहिक सफाई के दिन साफ करना चाहिए।
यदि आवश्यकता समझी जाए तो कमरों के फर्श को भी धोया जा सकता है। घर के बिस्तर एवं चादरो को भी इस दिन धूप में कुछ समय के लिए अवश्य डालना चाहिए। सर्दियों में तो यह अति आवश्यक होता है। यदि पलंग अथवा चारपाइयों में खटमल हों तो इस दिन उन्हें मारने के लिए कोई कीटनाशक दवा अवश्य छिड़कनी चाहिए। साप्ताहिक सफाई के अन्तर्गत रसोईघर में भी कुछ वस्तुओं को विशेष रूप से साफ करना चाहिए। रसोई की वस्तुएँ अर्थात् दाल-मसाले आदि रखने वाले प्लास्टिक के डिब्बों को भी साबुन अथवा सर्फ से धो और मुखाकर यथास्थान रख देना चाहिए।
इसी दिन स्नानगृह में लगी वाश-बेसिन एवं अन्य वस्तुओं को भी विशेष रूप से साफ करना चाहिए और घर के मैले कपड़े एवं चादरें आदि भी गिनकर धोबी के पास भेज देने चाहिए। संक्षेप में कहा जा सकता है कि साप्ताहिक सफाई के अन्तर्गत घर के सभी स्थानों की कुछ अधिक मेहनत से सफाई की जाती है।
(3) मासिक सफाई--कुछ वस्तुएँ एवं स्थान ऐसे होते हैं जिनकी सफाई साप्ताहिक सफाई में भी नहीं हो पाती तथा यह सफाई हर सप्ताह आवश्यक भी नहीं होती। ऐसी सफाई महीने में एक बार अवश्य हो जानी चाहिए। इसलिए इस सफाई को मासिक सफाई कहा जाता है। मासिक सफाई के अन्तर्गत मुख्य रूप से भण्डार-गृह अथवा स्टोर-रूम की सफाई आती है। भण्डार-गृह में रखी सभी वस्तुओं को झाड़-पोंछकर साफ किया जाता है तथा उन्हें धूप में रखा जाता है। इसी प्रकार रसोईघर में रखी हुई वस्तुओं को भी महीने में एक बार अवश्य धूप में रखना चाहिए। इससे दाल-चावल आदि खाद्यान्नों में घुन या कीड़ा नहीं लगने पाता। अचार, चटनी आदि को भी महीने में एक बार धूप में रखना अच्छा होता है। मासिक सफाई का भी विशेष महत्त्व होता है। |
(4) वार्षिक सफाई–दैनिक, साप्ताहिक एवं मासिक सफाई के अतिरिक्त वार्षिक सफाई भी अपना विशेष महत्त्व रखती है। वार्षिक सफाई, जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, वर्ष में केवल एक ही बार की जाती है। हमारे देश में इस प्रकार की सफाई करने की परम्परा दीपावली के अवसर पर होती है। दीपावली सामान्य रूप से वर्षा के बाद सर्दियों के प्रारम्भ में होती है। इस अवसर पर घर की पूर्ण सफाई करना या करवाना नितान्त आवश्यक होता है।
वार्षिक सफाई के समय सम्पूर्ण घर की विस्तृत रूप से सफाई की जाती है। इस सफाई के अन्तर्गत घर के समस्त सामान को बाहर निकाला जाता है तथा उसे झाड़-पोंछकर एवं साफ करके रखा जाता है। इसी अवसर पर घर की पुताई भी करवाई जाती है। पुताई के साथ-साथ छोटी-छोटी टूट-फूट की मरम्मत भी करवा ली जाती है। दरवाजों एवं खिड़कियों पर रंग-रोगन तथा फर्नीचर पर पॉलिश भी करवाई जाती है। वार्षिक सफाई के अवसर पर घर के सामान को छाँटा भी जाता है। फालतू एवं व्यर्थ के सामान को या तो फेंक दिया जाता है अथवा कबाड़ी को बेच दिया जाता है।
(5) आकस्मिक सफाई-घर की सफाई के उपर्युक्त चार नियमित प्रकारों के अतिरिक्त एक अन्य प्रकार का भी विशेष महत्त्व है। घरेलू सफाई के इस प्रकार को आकस्मिक सफाई कहा जाता है। घरेलू सफाई के इस प्रकार का कोई निर्धारित समय नहीं होता तथा कभी भी इस प्रकार की सफाई की आवश्यकता हो सकती है। उदाहरण के लिए-तेज धूल भरी आँधी आ जाने की स्थिति में घर की विस्तृत सफाई अति आवश्यक हो जाती है, भले ही उसके पूर्व साप्ताहिक या मासिक सफाई ही क्यों न की गई हो।
इसी प्रकार घर में किसी उत्सव या भोज के आयोजन से पहले तथा उपरान्त घर की व्यापक सफाई आवश्यक हो जाती है। इस प्रकार की घरेलू सफाइयों को ही आकस्मिक सफाई की श्रेणी में रखा जाता है। आकस्मिक सफाई के कार्य को करने के लिए गृहिणी तथा परिवार के अन्य सदस्यों को कुछ अधिक कार्य करना पड़ता है तथा कुछ कम महत्त्वपूर्ण कार्यों को छोड़ना या आगे के लिए टालना भी पड़ता है।
प्रश्न 3.
घर की सफाई के लिए कौन-कौन से साधन एवं सामग्रियाँ प्रयुक्त की जाती हैं? विस्तारपूर्वक समझाइए। ||2018, 12
सफाई के विभिन्न साधनों का वर्णन कीजिए। [2008, 12, 153
घर की सफाई में प्रयुक्त की जाने वाली वस्तुओं और उपकरणों के बारे में लिखिए। | 2017
घर की सफाई से आप क्या समझती हैं? सफाई में प्रयुक्त होने वाले आधुनिक यन्त्रों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। [2011, 16, 17]
उत्तर:
घर की सफाई का अर्थ है-घर में गन्दगी का पूर्ण अभाव होना। स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से घर को पूर्ण रूप से स्वच्छ रखना अति आवश्यक है, परन्तु गृहिणी के लिए यह कार्य कठिन एवं कष्टप्रद है। अत: एक कुशल गृहिणी इस महत्त्वपूर्ण एवं आवश्यक कार्य को विभिन्न उपकरणों एवं साधनों की सहायता से सम्पन्न करती है।
घर की सफाई के साधन घर की सफाई में काम आने वाले साधन व सामग्री को निम्नलिखित वर्गों में विभाजित किया जा सकता है-
(1) कपड़े व चिथड़े-घर की सफाई में कपड़ों तथा चिथड़ों का विशेष महत्त्व है। साधारण सफाई के लिए प्रायः मोटे कपड़े के झाड़न, रसोई में बर्तन पोंछने के लिए, सूती कपड़े के झाड़न, स्नानागार व वाश-बेसिन की सफाई के लिए पुराने व व्यर्थ कपड़ों के बनाए पोंछे प्रयोग में लाए जाते हैं। गीली अथवा नम सफाई के लिए स्पंज और सूती पोंछे का प्रयोग किया जाता है। चाँदी व शीशे की वस्तुएँ तथा फर्नीचर आदि को चमकाने के लिए फलालेन के झाड़न व नरम चमड़े के टुकड़े काम में लाए जाते हैं।
(2) झाड़ एवं ब्रश--विभिन्न प्रकार की झाड़ एवं ब्रश घर को स्वच्छ रखने में विशेष महत्त्व रखते हैं। इनके उदाहरण निम्नलिखित हैं
(क) झाड़-घर की सफाई के लिए सर्वाधिक उपयोग झाड़ का होता हैं। ये कई प्रकार की होती हैं-
- फर्श व आँगन धोकर साफ करने के लिए सख्त सींकों की झाड़,
- साधारण सफाई के लिए नरम झाडू; जैसे—खजूर या झाऊ की झाडू,
- छत एवं दीवार की धूल झाड़ने के लिए लम्बे बाँस वाली नरम झाड़।
(ख) ब्रश-सफाई में प्रयुक्त होने वाले ब्रश प्रायः निम्न प्रकार के होते हैं-
- दरी व कालीन की धूल साफ करने के लिए सख्त तिनकों का ब्रश,
- फर्श साफ करने का नरम ब्रश,
- स्नानगृह व रसोईघर के फर्श को रगड़कर साफ करने के लिए सख्त तिनकों अथवा तार का ब्रश,
- छत एवं दीवार के जाले छुड़ाने के लिए लम्बे बाँस वाला ब्रश,
- बर्तन साफ करने के लिए नाइलॉन व तार के जूने,
- बोतलों एवं शीशियों को साफ करने का नाइलॉन का ब्रश,
- जूते पॉलिश करने का ब्रश,
- पुताई करने के लिए मुंज की कैंची,
- पेन्ट करने के लिए विभिन्न आकार एवं प्रकार के ब्रश।
(3) सफाई के आधुनिक यन्त्र--घर की विभिन्न प्रकार की सफाई के लिए अब कुछ अति आधुनिक उपकरण तैयार कर लिए गए हैं। ये उपकरण विद्युत शक्ति द्वारा चलते हैं तथा इनके प्रयोग से समय एवं श्रम की भी काफी बचत होती है। इस प्रकार के कुछ मुख्य उपकरणों का सामान्य परिचय निम्नवर्णित है
(i) वैक्यूम क्लीनर-यह एक आधुनिक यन्त्र है। इसमें वायु का दबाव बनने के कारण यह धूल एवं गर्द को अन्दर की ओर खींचता है, जो कि एक डिब्बे या थैले में एकत्रित हो जाती है। डिब्बे को बाहर झाड़ दिया जाता है।
(ii) कारपेट स्वीपर—यह भी वैक्यूम क्लीनर के समान कार्य करता है। इसमें एक सख्त ब्रश द्वारा कारपेट व सोफा इत्यादि की धूल एवं गर्द साफ की जाती है, जो कि कारपेट स्वीपर के ‘डस्ट पैन’ में एकत्रित हो जाती है तथा ‘डस्ट पैन’ को बाहर झाड़ दिया जाता है।
(iii) बर्तन साफ करने की मशीन–इस मशीन के एक भाग में, जो ढोल के आकार का होता है, जूठे बर्तन रखकर सोडा अथवा विम डाल दिया जाता है। तत्पश्चात् मशीन को चालू कर दिया जाता है और बर्तन स्वतः ही साफ हो जाते हैं।
(4) कूड़े-कचरे के बर्तन–इनमें मुख्य हैं–कूड़ेदान अथवा डस्टबिन, बाल्टी, मग और तसला इत्यादि। इन्हें कूड़ा-कचरा एकत्रित कर उसे बाहर नियत स्थान पर फेंकने के काम में लाते हैं।
(5) सफाई की सामग्रियाँ-घरेलू सफाई के लिए जहाँ एक ओर कुछ उपकरण या साधन आवश्यक होते हैं, वहीं इस कार्य के लिए कुछ सामग्री भी आवश्यक होती है। घरेलू सफाई के लिए आवश्यक मुख्य सामग्रियों का सामान्य विवरण निम्नलिखित है”
- बर्तनों को साफ करने के लिए राख, विम, निरमा आदि पाउडर, खटाई, नमक, चूना और स्प्रिट इत्यादि उपयोग में लाए जाते हैं।
- धातु एवं शीशे के बर्तन एवं अन्य वस्तुओं को साफ करने व चमकाने के लिए अनेक प्रकार के क्रीम व पाउडर बाजार से खरीदे जा सकते हैं।
- फर्नीचर पर पॉलिश करने के लिए प्रायः वार्निश प्रयोग में लाई जाती है।
- दाग छुड़ाने के लिए बेन्जीन, तारपीन का तेल, ब्लीचिंग पाउडर, सिरका, नींबू व क्लोरीन इत्यादि काम में लाई जाती हैं।
- लोहे के बने दरवाजों, खिड़कियों, रेलिंग व अलमारियों आदि पर मोरचा लगने से बचाने के लिए उन पर विभिन्न पेन्ट किए जाते हैं।
- कीटनाशकों; जैसे-फिनिट, डी० डी० टी०, गैमेक्सीन, फिनाइल, चूना इत्यादि के प्रयोग द्वारा मक्खी, मच्छर आदि हानिकारक कीड़ों की सफाई की जाती है।
प्रश्न 4.
घर में प्रयुक्त होने वाली विभिन्न प्रकार की वस्तुओं एवं बर्तनों की सफाई आप किस
प्रकार करेंगी? समझाइए। घर में प्रयुक्त विविध धातुओं से बनी वस्तुओं की सफाई का वर्णन कीजिए। निम्नलिखित वस्तुओं एवं बर्तनों की सफाई आप कैसे करेंगी-
(क) चीनी-मिट्टी व इनैसल की वस्तुएँ,
(ख) प्लास्टिक की वस्तुएँ तथा
(ग) पत्थर की वस्तुएँ। 2010, 15, 17 या स्टील एवं पीतल के बर्तनों (वस्तुओं) की सफाई की विधि लिखिए। 2017
उत्तर:
घर में प्रयुक्त होने वाली वस्तुओं की सफाई घर में प्रयुक्त होने वाली विभिन्न वस्तुएँ एवं बर्तन प्राय तक डी, ध, शे त क , चीनी मिट्टी की बनी होती हैं। इनकी सफाई एवं सुरक्षा निम्न प्रकार से की जाती है –
(1) लकड़ी की वस्तुएँ-इनैमल की हुई लकी गर्रा फ़री व एडे ते ‘T : ‘नाती है। इसे गुनगुने पानी में साबुन का घोल बनाकर धोते हैं। अब साफ पानी में थोड़ा सिर मिलाकर दोबारा धोते हैं तथा मुलायम कपड़े से सफाई करते हैं। इस प्रकार की सफाई के तुरन्त बाद इन्हें मुलायम सूखे कपड़े से पोंछकर सुखा देना चाहिए।
पॉलिश की हुई लकड़ी को गुनगुने पानी में एक चम्मच सिरका मिलाकर कपडा भिगोकर धोते हैं। सूख जाने पर पॉलिश लगाकर चमकाते हैं। वार्निश की हुई लकड़ी को साफ करने के लिए आधा लीटर पानी में आधा चम्मच पैराफीन डालकर इसे धोया जाता है। सूखने पर इसमें प्राकृतिक चमक आ जाती है। आवश्यकता पड़ने पर दोबारा वार्निश भी की जाती है।
(2) शीशे की वस्तुएँ-खिड़कियों व दरवाजों के शीशों को साबुन के घोल में कपड़ा भिगोकर साफ करना चाहिए। शीशों में चमक लाने के लिए महीन कागज में मेथिलेटिड स्प्रिट लगाकर रगड़ा जाता है। साफ पानी में सिरका मिलाकर धोने से भी शीशे चमक जाते हैं। दर्पण एवं तस्वीरों के शीशे भी उपर्युक्त विधियों से चमकाए जाते हैं, परन्तु इनकी सफाई करते समय पानी अन्दर नहीं जाना चाहिए, वरना तस्वीरों व दर्पण की पॉलिश खराब हो जाती है। बोतलों व शीशियों की सफाई साबुन मिले गर्म पानी से ब्रश द्वारा की जाती है।
काँच के बर्तनों को साफ करने के लिए उन्हें गुनगुने पानी में अमोनिया की कुछ बूंदे डालकर भिगो देना चाहिए और कुछ समय पश्चात् इन्हें कपड़े से पोंछकर सुखा देना चाहिए। कॉफी या चाय के धब्बे छुड़ाने के लिए इन पर सिरका लगाकर नमक लगें गीले कपड़े से रगड़ने पर ये साफ हो जाते हैं। बिजली के बल्ब व ट्यूब को गीले व मुलायम कपड़े से साफ करना चाहिए। थर्मस की बोतल को सोडे के घोल में थोड़ी अमोनिया की बूंदें मिलाकर साफ करना चाहिए।
(3) चीनी-मिट्टी व इनैमल की वस्तुएँ-इस प्रकार की वस्तुओं एवं बर्तनों की सफाई पानी और साबुन से करनी चाहिए। यदि बर्तन पीले हो गए हों तो उन्हें पानी में सिरका मिलाकर साफ किया जा सकता है। चाय, कॉफी या हल्दी के धब्बों की सफाई के लिए विम आदि किसी अच्छे पाउडर को प्रयोग करना चाहिए।
(4) प्लास्टिक की वस्तुएँ–तेज गर्म पानी से इनकी चमक नष्ट हो जाती है तथा रगड़ने एवं खरोंचने वाली वस्तुओं के प्रयोग से प्लास्टिक की चीजें खराब हो जाती हैं। इन्हें गीले कपड़े में साबुन लगाकर पोंछना चाहिए तथा फिर साफ, ठण्डे अथवा गुनगुने पानी में धोकर सूखे कपड़े से पोंछ देना चाहिए।
(5) पत्थर की वस्तुएँ-सफेद अथवा रंगीन पत्थर की वाश-बेसिन, सिल तथा मेजों को गीले कपड़े से साबुन लगाकर पोंछना चाहिए तथा फिर साफ पानी से धोकर सूखे कपड़े से पोंछ देना चाहिए। संगमरमर को चमकाने वाली क्रीम लगाकर 20-22 घण्टों तक छोड़ देना चाहिए। इसके बाद साफ कपड़े द्वारा पोंछने पर संगमरमर में चमक आ जाती है। सीमेण्ट, पत्थर व टाइल्स के फर्श को सप्ताह में एक बार पानी व साबुन से अवश्य धोना चाहिए।
(6) धातु की वस्तुएँ–विभिन्न धातु निर्मित वस्तुएँ एवं बर्तन अग्रलिखित विधियों द्वारा साफ किए जाते हैं-
(क) चाँदी की वस्तुएँ साफ करने के लिए एक भगोने में एक लीटर साफ पानी लेकर इसमें एक छोटी चम्मच नमक व सोडा डालकर उबालिए। अब चाँदी की वस्तुएँ इसमें डाल दीजिए। चार-पाँच मिनट तक पानी उबलने दीजिए। अब वस्तुओं को निकालकर साबुन व साफ पानी से धोइए। अब नरम साफ कपड़े से इन्हें पोंछकर इन पर पॉलिश कर दीजिए। नक्काशी के काम की सफाई नरम ब्रश से करनी चाहिए।
(ख) पीतल की वस्तुएँ शीघ्र ही काली पड़ जाती हैं। इनको खटाई और नींबू से साफ करना चाहिए। इमली व अमचूर के प्रयोग से पीतल बहुत चमकता है। बाजार में मिलने वाली ब्रासो नामक पॉलिश पीतल की वस्तुओं को बहुत चमकाती है। पीतल की वस्तुओं को अधिक दिन तक साफ रखने के लिए उन्हें नमी से बचाना आवश्यक होता है।
(ग) ताँबे की वस्तुएँ चूने की सफेदी का प्रयोग करने से चमक जाती हैं। चूना, सोडा व सिरका मिलाकर प्रयोग करने से बहुत गन्दी ताँबे की वस्तुएँ भी चमक जाती हैं।
(घ) ऐलुमिनियम की वस्तुएँ–प्राय: साबुन के घोल से ही साफ हो जाती हैं। अधिक गन्दी होने पर इन्हें उबलते पानी में थोड़ा-सा सिरका अथवा नींबू का रस मिलाकर साफ करना चाहिए।
(ङ) कलई की वस्तुओं पर रगड़ने व खरोंचने वाले पदार्थों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। नरम कपड़े से साबुन व तलछट की सफेदी लगाकर धोने व पोंछने से ये साफ हो जाती हैं।
(च) स्टेनलेस स्टील की वस्तुओं को विम अथवा निरमा से धोकर साफ कपड़े से पोंछना चाहिए। सिरके का प्रयोग करने से इनमें चमक आ जाती है।
(छ) टिन की वस्तुओं को साबुन व पानी से धोकर साफ करना चाहिए।
(ज) लोहे की वस्तुओं पर नमी के कारण जंग लग जाती है।
जंग अथवा मोरचा लगने से बचाने के लिए इन वस्तुओं को तिल का तेल अथवा मिट्टी का तेल लगाकर रखना चाहिए। जंग को प्रायः चिकनाई के प्रयोग से साफ किया जाता है। लोहे के दरवाजों, खिड़कियों व रेलिंग इत्यादि पर वर्ष में एक बार पेन्ट करना चाहिए। पेन्ट करने से ये जंग लगने से सुरक्षित रहते हैं।
प्रश्न 5.
घर की पूर्ण सफाई के उद्देश्य से घर के कूड़े-करकट, गन्दे पानी तथा मल-मूत्र के विसर्जन की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए। या घर के कूड़े-करकट को हटाने और नष्ट करने के उपायों पर प्रकाश डालिए।[2011] या कूड़े-करकट को ठिकाने लगाने की मुख्य विधियों का उल्लेख कीजिए। [2011, 12, 13, 14, 16]
उत्तर:
गन्दगी के सामान्य कारण एवं उनका निवारण
घर एवं घर के आस-पास की स्वच्छता को विपरीत रूप से प्रभावित करने वाले कारक प्रायः कूड़ा-करकट, गन्दा पानी व मल-मूत्र इत्यादि होते हैं। स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से इनके निष्कासन की उचित व्यवस्था करना आवश्यक है।
(1) कूड़े-करकट का निकास-फलों व सब्जी के छिलके, कोयले की राख, भूसी-चोकर, खाद्य पदार्थों की पैकिंग के कागज, दवाइयों के रैपर एवं पॉलीथीन के खाली व गन्दे रैपर तथा थैले इत्यादि प्रायः प्रत्येक घर के दैनिक कूड़ा-करकट होते हैं। इसके अतिरिक्त घरेलू पेड़-पौधों के गिरे हुए कच्चे फल, पत्तियाँ व शाखाएँ भी प्रतिदिन के कूड़े-करकट में वृद्धि करते हैं। कूड़ा-करकट की दैनिक सफाई अति आवश्यक है, क्योंकि यह
- मक्खियों, मच्छरों, कॉकरोचों तथा अन्य कीड़े-मकोड़ों को पनपने देता है।
- नालियों में एकत्रित होने पर गन्दे पानी के निकास को रोकता है।
- नम होने पर सड़कर दुर्गन्ध उत्पन्न करता है।
- अनेक रोगाणुओं की उत्पत्ति एवं वृद्धि का कारण बनकर पारिवारिक सदस्यों के स्वास्थ्य को कुप्रभावित करता है।
घर के कूड़े-करकट को नष्ट करने या हटाने के लिए अग्रलिखित उपाय किए जा सकते हैं
(अ) कूड़े को जलाना-कूड़े को नष्ट करने का एक सरल उपाय हे-कूड़े को जलाना। परन्तु वर्तमान समय में घरेलू कूड़े में प्लास्टिक, रबड़ तथा पी०वी०सी० की अनेक वस्तुएँ होती हैं। इन वस्तुओं को जलाने से बहुत अधिक प्रदूषण होता है। अतः इस प्रकार के कूड़े को जलाना उचित नहीं माना जाता।
(ब) कूड़े से गड्ढों को पाटना-इस उपाय के अन्तर्गत नीची जमीन या दलदल को समाप्त करने के लिए वहाँ कूड़ा डाला जाता है। इस विधि के अन्तर्गत काफी समय तक कूड़ा खुला पड़ा रहता है, जिसमें मक्खी, मच्छर, विभिन्न रोगाणु तथा दुर्गन्ध व्याप्त होने लगती है। इन कारणों से कूड़े को हटाने के इस उपाय को भी उपयुक्त नहीं माना जाता।
(स) छंटाई द्वारा कूड़े को उपयोग में लाना–कूड़े को हटाने के इस उपाय के अन्तर्गत कूड़े की छंटाई की जाती है। कार्बनिक कूड़े से खाद बना ली जाती है, कठोर कूड़े से ईंट बनाने का कार्य किया जाता है तथा प्लास्टिक आदि से पुनः विभिन्न वस्तुएँ बना ली जाती हैं। कूड़े-करकट को हटाने का यह उपाय ही सर्वोत्तम है।
(2) गन्दे पानी का निकास–घरों में आँगन, स्नानागार, रसोईघर इत्यादि के गन्दे पानी के निकास के लिए इनका ढाल मुख्य नाली की ओर होना चाहिए। सभी नालियाँ पक्की व यथासम्भव सीमेण्ट की बनी होनी चाहिए। इनका सम्बन्ध मुख्य नाली से तथा मुख्य नाली का सम्बन्ध नगरपालिका द्वारा निर्मित नालियों से होना चाहिए। घर की सभी नालियों की सफाई का दायित्व गृहिणी का होता है। अतः इनकी धुलाई प्रतिदिन होनी चाहिए। नालियों में कूड़ा-करकट कभी नहीं डालना चाहिए। इससे गन्दे पानी के निकास में अवरोध उत्पन्न होता है। नालियों में जमा कीचड़ व काई की सफाई सख्त तारों के ब्रश से करनी चाहिए। समय-समय पर नालियों को फिनाइल से अवश्य धोना चाहिए। आधुनिक गृह-निर्माण में नालियाँ फर्श के नीचे बनाई जाती हैं। स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से ये अधिक लाभकारी हैं, | परन्तु इनकी दैनिक सफाई अति आवश्यक है।
(3) मल-मूत्र का निकासमल-मूत्र के निकास की प्रायः दो विधियाँ प्रचलित हैं-
(क) शुष्क विधि-इस विधि में शौचालय में एक खोखला मंच बनाया जाता है। इसके नीचे सरलता से हटाया जा सकने वाला डिब्बा अथवा तसला होता है जिसमें मल एकत्रित होता रहता है। सफाई कर्मचारी अथवा मेहतर प्रतिदिन एकत्रित मल को ले जाकर एक निश्चित स्थान पर डाल देते हैं। जहाँ से नगरपालिका कर्मचारी इसे ले जाते हैं। एकत्रित मल को नगर से दूर ले जाकर धरती में बनी खन्दकों में डालकर मिट्टी से ढक दिया जाता है। जहाँ यह सड़कर खाद बन जाता है। विदेशों में इसे जलाकर नष्ट कर दिया जाता है।
ध्यान देने योग्य बातें–स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से यह विधि अधिक सन्तोषजनक नहीं है। इसमें शौचालय की दुर्गन्ध से घर का वातावरण अप्रिय रहता है तथा रोगाणुओं के पनपने की पूर्ण सम्भावना रहती है। इसके अतिरिक्त मनुष्य द्वारा मनुष्य के ही मल को ढोना एक अमानवीय कार्य भी है। अत: जहाँ तक सम्भव हो सके मल-विसर्जन की इस विधि को त्याग देना ही उचित है। यदि किसी बाध्यता के कारण इस विधि को अपनाना आवश्यक हो तो निम्नलिखित बातों को अनिवार्य रूप से ध्यान में रखना चाहिए|
- शौच-निवृत्ति के पश्चात् मल पर राख, मिट्टी अथवा चूना डाल देना चाहिए।
- मेहतर द्वारा सफाई किए जाने के बाद शौचालय को फिनाइल के घोल से स्वच्छ किया जाना चाहिए।
(ख) जल-संवहन (फ्लश) विधि—यह मल-मूत्र विसर्जन की सर्वोत्तम विधि है। इस विधि में शौचालय में मल निष्कासन के लिए एक कमोड होता है, जिसका सम्बन्ध नीचे की ओर सीवर-लाइन से तथा ऊपर की ओर पानी की एक जंजीर लगी टंकी से होता है। मल त्याग के बाद जंजीर खींची जाती है जिससे टंकी का पानी तेजी से निकल कर निष्कासित मल को सीवर-लाइन में पहुँचा देता है। जहाँ से यह मुख्य सीवर-लाइन द्वारा नगर से दूर निर्धारित स्थल तक पहुँचा दिया जाता है। हमारे देश में यह विधि सीवर-लाइन न बन पाने के कारण केवल बड़े नगरों तक ही सीमित है।
सीवर-लाइन न होने की दशा में एक दूसरे प्रकार की जल-संवहन विधि अपनाई जाती है। इसमें । प्रत्येक घर में शौचालय के निकट एक बन्द हौज अथवा सेप्टिक टैंक बनवाया जाता है। निष्कासित मल जल संवहन विधि द्वारा भूमिगत पाइप लाइन में से होकर सेप्टिक टैंक में एकत्रित होता रहता है। गन्दा . पानी सेप्टिक टैंक की मिट्टी द्वारा सोख लिया जाता है तथा एकत्रित मल सुड़कर नष्ट होता रहता है। कुछ वर्षों उपरान्त एक बार सेप्टिक टैंक को खुलवाकर इसकी सफाई कराई जाती है।।
नत संवहन विधि : दो प्रकार के कमोड प्रयोग में लाए जाते है। भारतीय विधि के कोड में पैरों के बल बैठकर मल त्याग किया जाता है, जबकि यूरोपियन शैली के कमोड में कुर्सी की भाँति बैठकर मल निष्कासन किया जाता है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
घर की सफाई में ध्यान रखने योग्य मुख्य बातों का वर्णन कीजिए।
या
घर की सफाई करते समय आप किन-किन बातों को ध्यान में रखेंगी? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
घर की सफाई एक ऐसा कार्य है जो विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण है। इस कार्य को करने में पर्याप्त समय एवं श्रम की आवश्यकता होती है। घर की सफाई की उत्तम, सरल एवं कम श्रम-साध्य तथा कम समय-साध्य बनाने के लिए मुख्य रूप से निम्नलिखित बातों को अनिवार्य रूप से ध्यान में रखना चाहिए
(1) सफाई का कार्य क्रम से करना चाहिए—घर की सफाई के सन्दर्भ में यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि कौन-सी वस्तु की पहले और कौन-सी की बाद में सफाई की जाए। हर प्रकार की झाड़-पोंछ पहले करनी चाहिए, इसके उपरान्त फर्श पर झाड़ लगानी चाहिए। इस प्रकार की सफाई करने के उपरान्त ही गीला पोंछा लगाया जाना चाहिए। घर के विभिन्न भागों की सफाई का क्रम भी सुविधा तथा स्थिति के अनुसार निर्धारित कर लेना चाहिए।
(2) सफाई के लिए उचित साधन ही अपनाए जाने चाहिए-घर में भिन्न-भिन्न प्रकार की सफाई की जाती है। प्रत्येक प्रकार की सफाई के लिए उचित साधन सामग्री तथा विधि को अपनाया जाना चाहिए। इससे समय एवं श्रम की समुचित बचत होती है।
(3) सफाई के स्तर का ध्यान रखना चाहिए-घर की सफाई का उच्च स्तर बनाए रखा जाना चाहिए, परन्तु इसके लिए आवश्यकता से अधिक समय नष्ट नहीं करना चाहिए।
(4) परिवार के सभी सदस्यों का सहयोग करना चाहिए-घर की सफाई के कार्य का दायित्व केवल गृहिणी का ही नहीं होना चाहिए, बल्कि परिवार के सभी सदस्यों को यथा-सम्भव तथा यथा-शक्ति इस कार्य में प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग प्रदान करना चाहिए।
(5) कम-से-कम गन्दगी फैलने देनी चाहिए-घर की सफाई-व्यवस्था को सुचारु बनाए रखने के लिए इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि घर में कम-से-कम गन्दगी एवं कूड़ा ही फैले। इसके लिए जहाँ-जहाँ आवश्यक हो कूड़ेदान एवं कूड़े की टोकरियाँ रखी जानी चाहिए।
(6) सफाई-सामग्री एवं साधनों की देखभाल करनी चाहिए-घर की सफाई-व्यवस्था को सुचारु बनाए रखने के लिए सफाई की सामग्री एवं साधनों की भी नियमित रूप से देखभाल की जानी चाहिए। यदि साधन ठीक दशा में हों तो कार्य भी सुचारु रूप से होता है।
प्रश्न 2.
घर की सफाई के आधुनिक उपकरण कौन-कौन से हैं? किसी एक का वर्णन कीजिए। [2010, 11, 12, 13, 14, 17] |
वैक्यूम क्लीनर से आप क्या समझती हैं? इससे क्या लाभ हैं? [2008, 14, 15, 161
या
घर की सफाई में प्रयुक्त होने वाले आधुनिक यन्त्रों के बारे में संक्षेप में लिखिए। [2008]
उत्तर:
घर की सफाई के आधुनिक उपकरण
वर्तमान युग में पारिवारिक परिस्थितियाँ बड़ी तेजी से बदल रही हैं। परिवार की महिलाओं को भी पारिवारिक आय में वृद्धि करने के लिए कुछ-न-कुछ व्यवसाय अथवा नौकरी करनी पड़ती है। इस स्थिति में घरेलू कार्यों को सीमित समय में पूरा करने के लिए कुछ अतिरिक्त उपकरणों की वर आवश्यकता होती है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए घर की सफाई के भी कुछ आधुनिक उपकरण बनाए गए हैं।
ये उपकरण समय एवं श्रम की बचत में सहायक होते हैं। घर की सफाई के मुख्य आधुनिक उपकरण हैं-वैक्यूम क्लीनर (Vacuum cleaner) तथा कारपेट स्वीपर (Carpet sweeper) इन उपकरणों का सामान्य परिचय निम्नवर्णित हैवैक्यूम क्लीनर यह घर की सफाई का मुख्य आधुनिक उपकरण है। पाश्चात्य देशों में तो इस उपकरण का बहुत अधिक उपयोग होता है, परन्तु हमारे देश में इसका प्रयोग केवल धनी परिवारों द्वारा ही किया जाता है। इसका मुख्य कारण यह है कि यह एक महँगा उपकरण है।
वैक्यूम क्लीनर एक विद्युत चालित उपकरण है। इस उपकरण में ऐसी व्यवस्था होती है कि यह सम्बन्धित क्षेत्र से धूल-मिट्टी, मकड़ी के जालों तथा छोटे-छोटे तिनकों आदि सभी को खींचकर संलग्न थैले में एकत्रित कर लेता है। इसके अतिरिक्त, द्वितीय व्यवस्था के अनुसार यह उपकरण तेज वायु फेंककर सम्बन्धित क्षेत्र की धूल को उड़ाकर दूर भी कर सकता है। आप जिस ढंग से भी चाहें, अपने घर के सभी भागों की सफाई इस उपकरण द्वारा कर सकते हैं। जब वैक्यूम क्लीनर का धूल-मिट्टी वाला थैला भर जाता है, तब उसे घर के कूड़ादान में डाल दिया जाता है।
वैक्यूम क्लीनर घर की तथा घर के हर प्रकार के फर्नीचर, उपकरणों (टी० वी०, कम्प्यूटर आदि) तथा अन्य वस्तुओं की सफाई का उत्तम तथा सुविधाजनक उपकरण है। इसके प्रयोग में न तो प्रयोगकर्ता के वस्त्र ही गन्दे होते हैं और न किसी प्रकार की थकान ही होती है। इसके प्रयोग द्वारा सीमित समय में पूरे घर तथा घर की वस्तुओं की सफाई की जा सकती है। घर की सफाई के अतिरिक्त इस उपकरण द्वारा कुछ अन्य कार्य भी किए जा सकते हैं; जैसे कि कीटनाशक दवा का छिड़काव करना तथा स्प्रे पेन्ट करना।
वैक्यूम क्लीनर का प्रयोग करते समय निम्नलिखित बातों को सदैव ध्यान में रखना चाहिए
- बहुत भारी वजन का वैक्यूम क्लीनर नहीं खरीदना चाहिए, क्योंकि इसे उठाना अत्यधिक श्रम-साध्य है। अत: शारीरिक थकान से बचाव के लिए सदैव हल्का वैक्यूम क्लीनर ही लेना चाहिए।
- वैक्यूम क्लीनर का प्रयोग करने के पश्चात् धूल के थैले से धूल निकालकर उसे अच्छी तरह से साफ कर देना चाहिए।
- प्रयोग के बाद वैक्यूम क्लीनर के प्लग को तुरन्त निकाल देना चाहिए। कारपेट स्वीपर
घर की सफाई का एक अन्य उपकरण कारपेट स्वीपर है। इस उपकरण को प्रायः दरी एवं कालीन की सफाई के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इस उपकरण के नीचे पहिए लगे होते हैं। अत: इसे जहाँ चाहे सुविधापूर्वक ले जाया जा सकता है। इस उपकरण की कार्यविधि वैक्यूम क्लीनर के ही समान होती है। इसमें एक ब्रश की भी व्यवस्था होती है, जिसके द्वारा दरी एवं कालीन की सफाई अच्छे ढंग से की जाती है।
प्रश्न 3.
घर की साप्ताहिक सफाई आवश्यक क्यों होती है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
समय के अभाव के कारण घर के जो भाग प्रतिदिन साफ नहीं किए जा सकते तथा घर की जो वस्तुएँ प्रतिदिन साफ नहीं हो पातीं, उन्हें सप्ताह में एक बार अवश्य साफ किया जाना चाहिए। इसमें दरवाजों व खिड़कियों के शीशों, फर्नीचर, दरी-कालीन आदि की सफाई, फर्श का धोना तथा दीवारों व छत की सफाई सम्मिलित है। यदि साप्ताहिक सफाई न की जाए, तो दीवारों व छत पर मकड़ी के जाले भर जाएँगे, दरी-कालीन आदि पर दाग-धब्बे पड़ जाएँगे, दरवाजों व खिड़कियों के शीशे अत्यधिक गन्दे हो जाएँगे तथा फर्नीचर व अन्य लकड़ी की वस्तुओं पर दीमक लग जाएगी। इस प्रकार साप्ताहिक सफाई न होने पर घर की सुन्दरता व आकर्षण तो प्रभावित होते ही हैं, साथ-साथ आर्थिक हानि भी होती है।
प्रश्न 4.
पीतल के फूलदान की सफाई आप कैसे करोगी? या पीतल की बनी सज्जा की वस्तुओं को कैसे साफ करोगी? या पीतल के बर्तनों की सफाई आप कैसे करेंगी? [13, 14, 17, 18]
उत्तर:
पीतल के वे बर्तन, जो रसोईघर में काम आते हैं अथवा प्रतिदिन जिनका प्रयोग किया जाता है, को राख या पीली मिट्टी से रगड़कर साफ किया जा सकता है। इस कार्य के लिए नारियल की जटा अथवा मुंज के रेशे लिए जा सकते हैं जिनसे बर्तन को भली-भाँति रगड़ा जा सकता है। राख या मिट्टी के स्थान पर रेत प्रयोग में लाने से रगड़ ज्यादा हो जाती है। इन बर्तनों पर से दाग-धब्बे आदि छुड़ाने के लिए नींबू के रस में नमक मिलाकर प्रयोग करना चाहिए। इमली की खटाई से भी यही कार्य लिया जा सकता है।
सजावटी सामान (पीतल का) की सफाई के लिए आवश्यकतानुसार या वस्तु की बनावट के अनुसार (जैसे—उसके साथ अन्य धातु या लकड़ी इत्यादि का भाग जुड़ा हो तो पानी का प्रयोग नहीं करना चाहिए) नींबू या इमली के पानी से साफ करके सुखा लिया जाता है। सूखी हुई पीतले की सतह पर ब्रासो पेस्ट या पीताम्बरी जैसे अन्य इसी प्रकार के पाउडर को कपड़े की सहायता से रगड़ा जाता है। बाद में, साफ कपड़े से रगड़कर चमका दिया जाता है।
प्रश्न 5.
चाँदी व ताँबे के बर्तनों की सफाई किस प्रकार करेंगी? संक्षिप्त वर्णन कीजिए। [2009, 17, 18]
उत्तर:
(1) चाँदी के बर्तनों एवं अन्य सजावटी वस्तुओं की सफाई के पानी में नमक तथा सोडा मिलाकर उसे उबाल लिया जाता है। इस पानी में चाँदी की वस्तुओं को डालकर लगभग 4-5 मिनट तक उबालें। इसके बाद उन्हें पानी से बाहर निकाल लें तथा साबुन व साफ पानी से अच्छी तरह धो लें। इसके बाद सिल्वो नामक क्रीम लगाकर साफ सूखे कपड़े से रगड़करे चमका लें।
(2) ताँबे के बर्तनों को साफ करने के लिए मुख्य रूप से चूने की सफेदी को इस्तेमाल किया जाता है। यदि ताँबे के बर्तन अधिक गन्दे हों तो चूना, सोडा व सिरका मिलाकर रगड़ने से बर्तन साफ हो जाते हैं।
प्रश्न 6.
कालीनों अथवा गलीचों की सफाई किस प्रकार की जाती है?
उत्तर:
सबसे पहले कालीन की धूल सख्त तारों वाले ब्रश से साफ की जाती है। यह कार्य ‘कारपेट स्वीपर’ उपकरण से अधिक प्रभावशाली ढंग से किया जा सकता है। अब सिरका मिले पानी में कपड़ा भिगोकर कालीन को साफ किया जाता है। चिकनाई के धब्बे छुड़ाने के लिए पेट्रोल अथवा खाने के सोडे का प्रयोग कर कालीन को हल्के हाथ से साफ करना चाहिए।
प्रश्न 7.
घर के फर्नीचर की देखभाल और सफाई आप किस प्रकार करेंगी? 2010, 14} या लकड़ी के फर्नीचर की देखभाल आप किस प्रकार करेंगी? । 2007, 16
उतर:
घर का फर्नीचर प्रायः लकड़ी, लोहे अथवा ऐलुमिनियम का बना होता है। इसकी देखभाल व सफाई निम्न प्रकार से की जा सकती है
(1) लोहे का फर्नीचर-इसे नरम कपड़े से झाड़ा जाता है और गीले कपड़े व साबुन से साफ किया जा सकता है। वर्ष में एक बार इस पर पेन्ट अवश्य किया जाना चाहिए।
(2) ऐलुमिनियम का फर्नीचर-इसे गीले कपड़े व साबुन से साफ किया जा सकता है। बहुत गन्दा होने पर उबलते पानी में थोड़ा सिरका या नींबू का रस मिलाकर इसे साफ करना चाहिए। रगड़ने एवं खरोंचने वाली वस्तुओं का ऐलुमिनियम के फर्नीचर परे प्रयोग नहीं करना चाहिए।
(3) लकड़ी का फर्नीचर-पॉलिश की हुई लकड़ी को आधा लीटर गुनगुने पानी में एक चम्मच सिरका मिलाकर कपड़ा भिगोकर साफ करना चाहिए।
सूखने पर फर्नीचर क्रीम का प्रयोग कर इसे चमकाया जा सकता है। वार्निश की हुई लकड़ी, एक लीटर पानी में एक बड़ी चम्मच पैराफीन डालकर, इसमें कपड़ा भिगोकर साफ की जा सकती है। सूखने पर आवश्यकता होने पर दोबारा इस पर वार्निश की जा सकती है। इनैमल पेन्ट की हुई लकड़ी प्रायः गीले कपड़े से पोंछने से साफ हो जाती है। चमक लाने के लिए साफ पानी में थोड़ा-सा सिरका मिलाकर धोना चाहिए तथा फिर सूखे कपड़े से पोंछ देना चाहिए।
प्रश्न 8.
अपने घर को मक्खियों से मुक्त रखने के उपाय बताइए।
उत्तर:
घर की सफाई तथा परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य के लिए अति आवश्यक है कि पूरा घर मक्खियों से मुक्त रहे। मक्खियाँ जहाँ एक ओर विभिन्न संक्रामक रोगों के कीटाणुओं की वाहक होती हैं वहीं दूसरी ओर ये घर की सभी वस्तुओं पर बार-बार मल-त्याग कर उन्हें दूषित करती रहती हैं। इससे भी गन्दगी फैलती है। घर को मक्खियों से मुक्त रखने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जाने चाहिए
- मक्खियाँ गन्दगी पर अधिक पनपती तथा भिनभिनाती हैं। अत: घर में अधिक-से-अधिक सफाई रखनी चाहिए। घर में किसी प्रकार का कूड़ा-करकट नहीं बिखरने देना चाहिए। सफाई से मक्खियाँ दूर भागती हैं।
- घर में सूर्य के प्रकाश एवं वायु के आवागमन की समुचित व्यवस्था रखें। कमरों में बिजली के पंखे चलाकर भी मक्खियों को भगाया जा सकता है।
- मक्खियों को घर में आकर्षित करने वाला कोई साधन न रखें। खाने-पीने की वस्तुएँ सदैव ढककर तथा बन्द जाली में ही रखें।
- घर को मक्खियों से मुक्त रखने के लिए मक्खियों को मारने की भी समुचित व्यवस्था की जानी चाहिए। मक्खियों को मारने के लिए विभिन्न उपाय किए जा सकते हैं। इनमें मुख्य उपाय। हैं–मक्खियों के अण्डे देने के स्थानों को नष्ट करना, मक्खीमार कागज (एक कागज पर अरण्डी का तेल तथा रेजिन पाउडर लगाकर) के इस्तेमाल द्वारा, फार्मलिन के घोल द्वारा, जाल द्वारा तथा फिनिट या कोई अन्य कीटनाशक दवा के छिड़काव द्वारा मक्खियों को नष्ट किया जा सकता है।
प्रश्न 9.
टिप्पणी लिखिए-सुलभ शौचालय।
उत्तर:
घरेलू मल-मूत्र विसर्जन की केन्द्र सरकार ने एक योजना प्रारम्भ की है, जिसे ‘सुलभ शौचालय’ कहा जाता है। यह शौचालय सैद्धान्तिक रूप से सेप्टिक टैंक वाले शौचालय के ही समान होता है, परन्तु इस टैंक को नीचे से पक्का नहीं बनाया जाता; अतः न तो इस टैंक की गैस या दुर्गन्ध निकलती है और न गन्दा पानी ही बाहर निकलता है। इस स्थिति में इसे मल-मूत्र विसर्जन की एक उत्तम प्रणाली माना जाता है। इस प्रकार के शौचालय बनाने का कार्य जिस संस्था द्वारा किया जा रहा है, उसे भी सुलभ कहते हैं।
यह संस्था प्राय: सभी नगरों एवं कस्बों की मलिन बस्तियों में स्वच्छ शौचालय बनाने में सहयोग दे रही है। सुलभ शौचालय सस्ता होने के साथ-साथ वातावरण को भी प्रदूषण रहित रखता है। यही कारण है कि इस संस्था को सरकार एवं विश्व बैंक की ओर से पर्याप्त अनुदान भी प्राप्त होता है। वर्तमान समय में भारत सरकार खुले में शौच की परम्परा का पूर्णरूप से उन्मूलन कर रही है। इसके लिए इसी पद्धति के शौचालय बनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
प्रश्न 10.
घर के गन्दे पानी के निस्तारण की विधि लिखिए। [2015]
उत्तर:
घर की उचित सफाई के लिए घर के गन्दे पानी के निस्तारण की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए। इसके लिए मुख्य रूप से निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है।
- घर के गन्दे पानी के निस्तारण के लिए घर वालों तथा नगरपालिका आदि स्थानीय निकायों में सहयोग आवश्यक है।
- घर में पक्की नालियों की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। वर्तमान समय में ढकी हुई नालियाँ ही उत्तम मानी जाती हैं।
- सभी नालियों का ढाल ठीक होना चाहिए तथा उन्हें मुख्य नाली से जोड़कर घर से बाहर पहुँचानी चाहिए।
- यदि पानी की नालियाँ खुली हों तो उनकी सफाई की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए।
- घर के पानी की नाली को घर से बाहर की सार्वजनिक नाली से जोड़ देना चाहिए।
- यदि क्षेत्र में सार्वजनिक नालियाँ न हों तो पक्का गड्ढा या सोकिंग पिट्स बनवाकर उनमें घर के पानी को डालना चाहिए। ये सोकिंग पिट्स ढके हुए होने चाहिए।
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
घर की सफाई से क्या आशय है?
उत्तर:
घर में किसी प्रकार की गन्दगी न होना ही घर की सफाई है।
प्रश्न 2.
घर की सफाई के चार लाभ लिखिए।[2015
उत्तर:
घर की सफाई के लाभ हैं
- घर की सुन्दरता में सहायक,
- कीटाणु नियन्त्रण में सहायक,
- स्वास्थ्य एवं चुस्ती में सहायक तथा
- उत्तम गृह-व्यवस्था में सहायक।।
प्रश्न 3.
घर की सफाई क्यों आवश्यक है? घर की सफाई के विभिन्न साधनों का भी उल्लेख कीजिए। 2017
या
घर की सफाई के चार उपकरणों के नाम लिखिए।2008
उत्तर:
घर को गन्दगी रहित बनाने के लिए, आकर्षक एवं स्वास्थ्य में सहायक बनाने के लिए घर की सफाई आवश्यक है। घर की सफाई के मुख्य साधन हैं-झाड़, झाड़न, ब्रश, कपड़े, कीटनाशक दवाएँ तथा वैक्यूम क्लीनर आदि।
प्रश्न 4.
घर की सफाई कितने प्रकार की होती है? [2007, 08, 09, 10, 12, 13, 14, 17, 18]
उत्तर:
घर की सफाई के पाँच मुख्य प्रकार हैं-
- दैनिक,
- साप्ताहिक,
- मासिक,
- वार्षिक तथा
- आकस्मिक सफाई।।
प्रश्न 5.
दैनिक सफाई से आप क्या समझती हैं?
उत्तर:
घर की प्रतिदिन नियमपूर्वक अनिवार्य रूप से की जाने वाली सफाई को दैनिक सफाई कहा जाता है।
प्रश्न 6.
हमारे देश में वार्षिक सफाई कब की जाती है?
उत्तर:
हमारे देश में दशहरा व दीपावली के बीच के दिनों में प्राय: वार्षिक सफाई की जाती है।
प्रश्न 7.
फर्श की धूल साफ करने वाले आधुनिक यन्त्र को क्या कहते हैं?
उत्तर:
वैक्यूम क्लीनर।
प्रश्न 8.
वैक्यूम क्लीनर का क्या कार्य है? [2007, 08 ]
उत्तर:
वैक्यूम क्लीनर का कार्य है-धूल आदि को एकत्र करके घरेलू वस्तुओं को साफ करना।
प्रश्न 9.
बिस्तर, कपड़ों व कालीन आदि को धूप में डालने के क्या लाभ हैं? [2014]
उत्तर:
इससे इनके कीटाणु नष्ट हो जाते हैं तथा नमी एवं साधारण दुर्गन्ध समाप्त हो जाती है।
प्रश्न 10.
शीशे की वस्तुओं की सफाई किस प्रकार की जाती है? ।
उत्तर:
यह चूना, साबुन का घोल तथा समुद्र-फेन इत्यादि से की जाती है।
प्रश्न 11 .
लकड़ी के फर्नीचर की देख-रेख आप किस प्रकार करेंगी? [2011]
उत्तर:
इसकी वर्ष में एक बार मरम्मत होनी चाहिए। आवश्यकतानुसार पेन्ट, पॉलिश एवं वार्निश करने से लकड़ी के फर्नीचर पर चमक आती है तथा इसकी आयु बढ़ती है।
प्रश्न 12.
सर्वोत्तम शौच-गृह कौन-सा होता है ?
उत्तर:
जल-संवहन अथवा फ्लश विधि द्वारा संचालित शौच-गृह सर्वोत्तम होता है।
प्रश्न 13.
मल-मूत्र निकास की जल-संवहन विधि क्या है?
उत्तर:
गन्दगी व मल-मूत्र को जल की सहायता से सीवर-लाइन तक बहा देने को जल-संवहन विधि कहते हैं।
प्रश्न 14 .
चीनी-मिट्टी से निर्मित बर्तन की सफाई किस प्रकार होगी? [2013]
उत्तर:
इस प्रकार की वस्तुओं की सफाई पानी और साबुन से करनी चाहिए। यदि बर्तन पीले हो गए हों तो उन्हें पानी में सिरका मिलाकर साफ किया जा सकता है।
प्रश्न 15.
स्टील के बर्तनों की सफाई आप कैसे करेंगी?[2011, 12, 13, 15]
उत्तर:
स्टील के बर्तनों की सफाई गर्म पानी तथा विम आदि अच्छे पाउडर द्वारा की जाती है। इसके लिए गरम कपड़ा या फोम का टुकड़ा इस्तेमाल किया जाता है।
प्रश्न 16.
प्लास्टिक के फर्नीचर की सफाई किस प्रकार की जाती है?
उत्तर:
तेज गर्म पानी से प्लास्टिक के फर्नीचर की प्राकृतिक चमक नष्ट हो सकती है तथा रगड़ने या खुरचने से इन पर निशान भी पड़ जाते हैं। इन्हें गीले कपड़े में साबुन लगाकर पोंछना चाहिए तथा बाद में साफ ठण्डे पानी में धोकर सूखे कपड़े से पोंछ देना चाहिए।
प्रश्न 17.
कूड़ेदान को ढककर क्यों रखा जाता है? [2008, 10, 13]
उत्तर:
कूड़ेदान को ढककर रखने से उसमें संगृहीत गन्दे तत्त्वों या कूड़े के दुर्गन्ध फैलाने वाले तत्त्वों तथा रोगाणुओं को फैलने से रोका जा सकता है।
प्रश्न 18.
कूड़ेदान का प्रयोग क्यों करते हैं? [2009]
उत्तर:
कूड़ेदान का प्रयोग इसलिए किया जाता है जिससे घर में कूड़ा न फैले, क्योंकि कूड़ा फैलने से घर में गन्दगी होती है और उस गन्दगी से रोगाणु उत्पन्न होते हैं।
प्रश्न 19.
कूड़ा-करकट को ठिकाने लगाने की सर्वोत्तम विधि कौन-सी है? [2010]
उत्तर:
छंटाई द्वारा कूड़े-करकट को विभिन्न प्रकार के उपयोग में लाना कूड़े-करकट को ठिकाने लगाने की सर्वोत्तम विधि है।
प्रश्न 20.
ताँबे के बर्तनों की सफाई किस प्रकार करेंगी? [2016]
उत्तर:
तांबे के बर्तनों की सफाई के लिए चुने की सफेदी का प्रयोग करना चाहिए। चूना, सोडा व सिरका मिलाकर प्रयोग करने से अत्यधिक गन्दी वस्तुएँ भी चमक जाती हैं। ।
बहुविकल्पीय प्रश्न
प्रश्न-निम्नलिखित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सही विकल्पों का चुनाव कीजिए
प्रश्न 1.
घर की सफाई से आशय है
(क) घर में गन्दगी का न होना
(ख) घर में सामान को बाहर दिखाई न देना
(ग) घर का सुसज्जित होना
(घ) नित्य झाडू एवं पोंछा लगाना
प्रश्न 2.
घर की सफाई के लिए आवश्यक है
(क) कूड़ा-करकट फैलने देना
(ख) नियमित सफाई करना
(ग) कुछ न करना।
(घ) ये सभी
प्रश्न 3.
आँगन की नाली को प्रतिदिन धोना चाहिए
(क) डी० डी० टी० पाउडर से
(ख) चूने से
(ग) फिनाइल से
(घ) गर्म पानी से
प्रश्न 4.
गन्दगी में सबसे अधिक पनपते हैं-
(क) मच्छर
(ख) मक्खियाँ
(ग) कॉकरोच
(घ) रोगाणु
प्रश्न 5.
धूल भरी आँधी आ जाने के उपरान्त की जाने वाली सफाई को कहते हैं
(क) दैनिक सफाई
(ख) वार्षिक सफाई
(ग) आकस्मिक सफाई
(घ) अनावश्यक सफाई
प्रश्न 6.
चाँदी की वस्तुएँ साफ की जाती हैं
(क) सर्फ से
(ख) सिल्वो से
(ग) ब्रासो से
(घ) राख से
प्रश्न 7.
पीतल के फूलदान की सफाई किसके द्वारा की जाती है?
(क) चूना
(ख) ब्रासो
(ग) रेत
(घ) साबुन
प्रश्न 8.
स्टेनलेस स्टील के बर्तनों को किस चीज से साफ करना चाहिए? 2018
(क) सिरका
(ख) विम
(ग) सोडा
(घ) राख
प्रश्न 9.
दर्पण को साफ किया जा सकता है
(क) समुद्र-फेन से ।
(ख) ब्रश से
(ग) ब्रासो से
(घ) रेत से
प्रश्न 10.
प्लास्टिक की वस्तुओं को साफ किया जाता है
(क) सिरके से
(ख) साबुन के घोल से
(ग) खौलते पानी से
(घ) रेत से ।
प्रश्न 11.
घर का कूड़ा-करकट डालना चाहिए [2012, 15, 17]
(क) घर के किसी भी कोने में
(ख) कूड़ेदान में (ग) गली में
(घ) पड़ोसियों के घर के सामने
प्रश्न 12.
घर से मक्खियों को भगाने के लिए प्रयोग किया जाता है
(क) डी० डी० टी०
(ख) गन्धक
(ग) फिनिट
(घ) ऐल्ड्रीन
प्रश्न 13.
कूड़ा-करकट नष्ट करने के उपाय हैं। [2014)
(क) जलाकर
(ख) खाद बनाकर
(ग) छाँटकर उसका प्रयोग
(घ) ये सभी
प्रश्न 14.
सफाई का आधुनिक उपकरण क्या है? [2013]
(क) वैक्यूम क्लीनर
(ख) गीजर
(ग) अवन
(घ) ये सभी
प्रश्न 15.
वैक्यूम क्लीनर का प्रयोग किया जाता है। (2014, 16, 18)
(क) बर्तन की सफाई के लिए
(ख) फर्नीचर की पॉलिश करने के लिए
(ग) धातुओं को चमकाने के लिए।
(घ) घर की सफाई के लिए
उत्तर:
- (क) घर में गन्दगी का न होना,
- (ख) नियमित सफाई करना,
- (ग) फिनाइल से,
- (घ) रोगाणु,
- आकस्मिक सफाई,
- (ख) सिल्वो से,
- (ख) बासो,
- (ख) विम,
- (क) समुद्र-फेन से,
- (ख) साबुन के घोल से,
- (ख) कूड़ेदान में,
- (ग) फिनिट,
- (घ) ये सभी,
- (क) वैक्यूम क्लीनर,
- (घ) घर की सफाई के लिए।
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