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UP Board Solutions for Class 5 Hindi Kalrav Chapter 19 अन्धेर नगरी
अन्धेर नगरी शब्दार्थ
टका = ताँबे का पुराना सिक्का
कसूर = अपराध, दोष, गलती
हुज्जत = विवाद, बहस, झगड़ा
गुलाम = दास, नौकर
भाजी = साग-सब्जी
सबब = कारण
अन्धेर नगरी पाठ का सारांश
महन्त जी अपने शिष्य गोबर्धनदास और नारायणदास के साथ एक सुन्दर नगरी में आते हैं। नारायणदास गुरु जी से कहता है कि नगरी सुन्दर तभी होगी, जब हमें सुन्दर भिक्षा मिले। गुरुजी के आदेश से नारायणदास पूर्व की ओर तथा गोबर्धनदास पश्चिम की ओर भिक्षा माँगने जाते हैं।
गोवर्धनदास कुंजड़िन से भाजी का भाव पूछता है। वह टके सेर भाजी का भाव बताती है। फिर गोबर्धनदास हलवाई से मिठाई का भाव पूछता है। मिठाई भी टके सेर ही बिकती है। गोबर्धनदास हलवाई से नगरी और राजा का नाम पूछता है। यह बताता है- अन्धेर नगरी, अनबूझ राजा।
गोबर्धनदास वाह वाह करते हुए दोहराता है-अन्धेर नगरी, अनबूझ राजा।
टके सेर भाजी, टके सेर खाजा।
गोबर्धनदास सात पैसे भिक्षा में लाकर साढ़े तीन सेर मिठाई लाता है। गोबर्धनदास गुरु जी को नगरी और राजा के विषय में बताता है। गुरु जी नगरी छोड़कर चले जाते हैं। गोबर्धनदास नहीं जाता। गुरु जी गोबर्धनदास से मुसीबत में याद कर लेने को कहते हैं।
एक दिन एक फरियादी राजा के पास आता है। उसकी बकरी बनिए की दीवार के नीचे दबकर मर गई। बनिया राजा के सामने आकर दीवार बनानेवाले कारीगर का दोष बताता है।
कारीगर आकर, चूनेवाले का दोष बताता है। चूनेवाला ज्यादा पानी डाल देने के कारण भिश्ती का दोष बताता है। भिश्ती ने कसाई का दोष बताया कि उसने बड़ी मसक बना दी। कसाई ने गड़रिए का दोष बताया कि उसने बड़ी भेड़ बेच दी। गड़रिए ने कहा कि कोतवाल का कसूर है। आपकी सवारी निकली। अधिक भीड़ होने से छोटी-बड़ी भेड़ की पहचान नहीं हो सकी। राजा ने कोतवाल को फाँसी लगाने का हुक्म दिया। कोतवाल पतला था। फाँसी का फंदा बड़ा था; अतः राजा ने किसी भी मोटे आदमी को फाँसी का हुक्म दे दिया। सिपाही गोबर्धनदास को पकड़ लाए। वह मिठाई खा-खाकर मोटा हो गया था। उसने फाँसी से बचने के लिए गुरु जी को याद किया। गुरु जी ने आकर उसके कान में कुछ कहा। गोबर्धनदास ने फौरन फाँसी चढ़ने की तैयारी की। गुरु जी ने भी स्वयं को फाँसी लगवानी चाही। पूछताछ के बाद पता चला कि यह घड़ी बहुत शुभ है। इस समय फाँसी चढ़ने वाला सीधा स्वर्ग जाएगा। अंत में राजा ने स्वयं को ही फाँसी लगवाना उचित समझा। राजा को फाँसी लगा दी गई।
अन्धेर नगरी अभ्यास प्रश्न
शब्दों का खेल
प्रश्न १.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कोष्ठक से उपयुक्त शब्द चुन कर करो (चुनकर)
(क) नगर तो बहुत सुन्दर है पर भिक्षा भी सुन्दर मिले तो बहुत आनंद हो। (भोग, रुपये, कपड़े, भिक्षा)
(ख) सात पैसे भीख में मिले थे, उसी से साढ़े तीन सेर मिठाई मोल ली है। (तीन सेर, साढ़े तीन किलो, साढ़े तीन सेर)
(ग) अन्धेर नगरी अनबूझ राजा, टके सेर भाजी, टके सेर खाजा। (मंत्री, मिठाई, खाजा, सिपाही, अनबूझ राजा)
(घ) इस समय ऐसी शुभ घड़ी में जो मरेगा, सीधा स्वर्ग जाएगा। (नरक, सीधा शहर, सीधा स्वर्ग, सीधे अपने घर)
प्रश्न २.
नीचे लिखे शब्दों की वर्तनी शुद्ध करो (वर्तनी शुद्ध करके)
दिवार – दीवार
गणेरिया – गड़रिया
फाँसी – फाँसी
महन्थ – महन्त
गोबर्धनदास – गोबर्धनदास
भिस्ती – भिश्ती
हूज्जत – हुज्जत
प्रश्न ३.
नीचे कुछ विशेषण दिए गए हैं। उन्हें उनके आगे दिए गए उचित विशेष्य से जोड़ो (जोड़कर)
विशेषण – विशेष्य
सुन्दर – नगर
चौपट – राजा
बड़ी – भेड़
टका सेर – भाजी
अन्धेर – नगरी
शुभ – घड़ी
बोधप्रश्न
प्रश्न १
उत्तर दो
(क) नगर को अन्धेर नगरी क्यों कहा गया है?
उत्तर:
नगर को अन्धेर नगरी कहा गया; क्योंकि वहाँ का राजा अनबूझ था। वहाँ सब चीजों का एक ही भाव था। वहाँ न्याय और अन्याय में कुछ भी अन्तर नहीं था।
(ख) महन्त अन्धेर नगरी को क्यों छोड़कर चला गया?
उत्तर:
महन्त नगरी के अन्धेर से बचने के लिए वहाँ से चला गया।
(ग) शिष्य अपने गुरु के साथ क्यों नहीं लौटा?
उत्तर:
शिष्य को सस्ते में खूब मिठाई खाने का चाव था। इस कारण वह नहीं लौटा।
(घ) सिपाही गोबर्धनदास को क्यों फाँसी देना चाहते थे?
उत्तर:
गोबर्धनदास की गर्दन मोटी थी, जिसमें फाँसी का फंदा ठीक तरह आ सकता था; इसलिए सिपाही गोबर्धनदास को फाँसी देना चाहते थे।
(ङ) गोबर्धनदास की जान कैसे बची?
उत्तर:
गुरु जी की बताई तरकीब से गोवर्धनदास की जान बची।
(च) इस एकांकी में किन-किन बातों पर व्यंग्य किया गया है?
उत्तर:
इस एकांकी में मूल् की शासन व्यवस्था पर व्यंग्य किया गया है।,
प्रश्न २.
तुम्हारी समझ से बकरी के मरने का वास्तविक दोषी कौन था? छाँटकर लिखो और कारण भी दो
(दीवार, बनिया, गड़रिया, कोतवाल, भिश्ती, चूने वाला, कारीगर, कोई नहीं)
उत्तर:
बकरी मरने का कोई दोषी नहीं था और यदि कोई था, तो बकरीवाला स्वयं था। उसने ध्यान से अपनी बकरी को बाँधकर सुरक्षित क्यों नहीं रखा? उसने बकरी को दीवार के पास जाने ही क्यों दिया?
अब करने की बारी
नोट – विद्यार्थी पाठ का सारांश पढ़कर लिखें।
प्रश्न १.
इस कहानी का जो तुम्हें उचित शीर्षक लगे लिखो।
उत्तर:
शीर्षक – लालची व्यक्ति।
प्रश्न २.
आदमी ने देवता से अंगुली माँगी; क्योंकि- (सही विकल्प ( ✓ ) निशान लगाओ)
(क) उस आदमी के अंगुली न थी।
(ख) उस आदमी को संतोष न था। (✓)
(ग) वह अंगुली सोने की थी।
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