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अभ्यास
प्रश्न 1.
सही उत्तर पर सही का (✓) निशान लगाइए –
(i) जैविक खाद है –
(क) नाइट्रोजनी उर्वरक
(ख) फास्फेटी उर्वरक
(ग) पोटाश उर्वरक
(घ) गोबर की खाद ✓
(ii) उर्वरक तैयार किया जाता है –
(क) गड्ढे में
(ख) जमीन में
(ग) कारखाने में ✓
(घ) गाँव में s
(iii) मुख्य पोषक तत्त्व है –
(क) आयरन
(ख) मैग्नीज
(ग) कॉपर
(घ) नाइट्रोजन ✓
(iv) सूक्ष्म पोषक तत्त्व है –
(क) नाइट्रोजन
(ख) फॉस्फोरस
(ग) पोटाश।
(घ) जिंक ✓
(v) उर्वरक है –
(क) गोबर की खाद
(ख) कम्पोस्ट ।
(ग) हरी खाद
(घ) रासायनिक खाद ✓
प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कोष्ठक में दिए गए शब्दों से कीजिए।
(क) कार्बनिक पदार्थ की मात्रा खाद में अधिक पाई जाती है। (खाद, उर्वरक)
(ख) जैविक खाद को गड्ढे में तैयार किया जाता है। (गड्ढे, कारखाने)
(ग) जैविक खाद का प्रयोग बुआई से पूर्व किया जाता है। (से पूर्व, बाद में)
(घ) पशुओं के नीचे बिछायी जाने वाली वनस्पतिक सामग्री को बिछाली कहते हैं। (कूड़ा कचरा, बिछाली)
(ङ) तिलहनी फसलों के बीजों से तेल निकालने के बाद शेष भाग को खली कहते हैं। (छिलका, खली)
प्रश्न 3.
निम्नलिखित कथनों में सही कथन पर सही (✓) तथा गलत कथन पर गलत (✗) का चिह्न लगाएँ –
(क) उर्वरक प्रायः गड्ढे में तैयार किए जाते हैं। (✗)
(ख) जैविक खाद में पोषक तत्वों की मात्रा निश्चित होती है। (✗)
(ग) ऐसे तत्त्वं जिनकी पौधों को बहुत कम मात्रा में आवश्यकता होती है, सूक्ष्म पोषक तत्त्व कहलाते हैं। (✓)
(घ) हरी खाद, पौधों को मिट्टी में दबाकर तैयार की जाती है। (✓)
(ङ) कैल्सियम को पोषक तत्वों का राजा कहा जाता है। (✗)
प्रश्न 4.
निम्नलिखित में स्तम्भ ‘क’ को स्तम्भ ‘ख’ से सुमेल कीजिए। (सुमेल करके)
उत्तर :
प्रश्न 5.
(क) सूक्ष्म पोषक तत्त्व क्या हैं? उनके नाम लिखिए।
(ख) पौधों में नाइट्रोजन के महत्त्व को लिखिए।
(ग) हरी खाद को परिभाषित कीजिए।
(घ) कार्बनिक पदार्थ का मृदा पर क्या प्रभाव पड़ता है?
(ङ) खाद के रूप में प्रयोग की जाने वाली तीन खलियों के नाम लिखिए।
उत्तर :
(क) जिन तत्त्वों की पौधों को बहुत कम जरूरत होती है, उन्हें सूक्ष्म पोषक तत्त्व कहते हैं। सूक्ष्म पोषक तत्वों में आयरन, मैग्नीज, कॉपर, जिंक, बोरॉन आदि हैं।
(ख) नाइट्रोजन को पोषक तत्त्वों का राजा कहते हैं। यह एक संरचनात्मक तत्त्वं है। नाइट्रोजन पौधों में हरा रंग क्लारोफिल उत्पन्न करता है। यह पौधों की तीव्र वृद्धि में सहायक होता है।
(ग) सनई, ढेचा, लोबिया आदि के हरे पौधों को मृदा उर्वरता बढ़ाने के लिए भूमि में दबाने से जो खाद प्राप्त होती है, उसे हरी खाद कहते हैं।
(घ) कार्बनिक पदार्थ का मृदा पर बहुत प्रभाव पड़ता है। इससे मृदा का उपजाऊपन बढ़ जाता है।
(ङ) खाद के रूप में प्रयुक्त होने वाली तीन खलियों के नाम हैं – नीम, महुआ और अलसी।
प्रश्न 6.
आवश्यक पोषक तत्वों का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर :
पोषक तत्वों को आवश्यकता के आधार पर तीन वर्गों में बाँटा गया है –
- मुख्य पोषक तत्त्व जैसे- कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम।
- गौण पोषक तत्त्व जैसे- कैल्सियम, मैग्नीशियम, सल्फर।
- सूक्ष्म पोषक तत्त्व जैसे- आयरन, मैग्नीज, कॉपर, जिंक।
प्रश्न 7.
खाद किसे कहते हैं? समझाकर लिखिए।
उत्तर :
जीव-जन्तुओं एवं पेड़-पौधों के अवशेषों के विघटित अंश को ‘खाद’ कहते हैं। गोबर और घर का कचरा सड़ने के बाद खाद बन जाता है।
प्रश्न 8.
मुख्य पोषक तत्वों को पौधों की वृद्धि में क्या महत्त्व है?
उत्तर :
मुख्य पोषक तत्वों का पौधों की वृद्धि में महत्त्वपूर्ण स्थान हैं क्योंकि कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन पौधों के लगभग 95% भाग का निर्माण करते हैं। पौधों के शुष्क भाग का लगभग 44% कार्बन, 40% ऑक्सीजन एवं 8% हाइड्रोजन होता है। प्रकाश संश्लेषण क्रिया द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड व जल के संयोग से पौधों में शर्करा और स्टार्च का निर्माण होता है। हरे पौधों में यही जीवन का आधार है।
प्रश्न 9.
खाद को वर्गीकृत करते हुए हरी खाद बनाने की विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
खाद के प्रकार – यह मुख्यतः दो प्रकार की होती है –
हरी खाद बनाने की विधि – इस विधि से जिस खेत में खाद देनी होती है, उसी में हरी खाद की फसल को लगभग एक माह पश्चातू खेत में ही पाटा लगाकर गिरा देते हैं। इसके बाद मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई कर देते हैं। जिससे सभी हरे पौधे मिट्टी में दब जाते हैं। कुछ दिन में पौधे सड़-गलकर खाद बन जाते हैं।
प्रश्न 10.
गोबर गैस संयंत्र से होने वाले लाभों का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
गोबर गैस संयंत्र से लाभ –
- भोजन पकाने के लिए ईंधन के रूप में गैस प्राप्त होती है।
- गैस का उपयोग’ गैस लैंप में प्रकाश के लिए भी किया जाता है।
- संयंत्र से गोबर की खाद (गाद) प्राप्त होती है।
- इस खाद (गाद) में सामान्य गोबर की खाद से कई गुना अधिक पोषक तत्त्व पाए जाते हैं।
प्रश्न 11.
पौधों में नत्रजन की कमी के लक्षण लिखिए।
उत्तर :
पौधों में नत्रजन की कमी के लक्षण निम्नलिखित हैं
- लक्षण सर्वप्रथम पुरानी पत्तियों पर प्रकट होते हैं।
- पूरी पत्ती नसों सहित पीली पड़ जाती हैं।
- पत्ती पर सी भी रंग के धब्बे नहीं पड़ते।
- पत्तियाँ भंगुर हो जाती हैं और मोड़ने पर चटक कर टूटती हैं।
- पौधा बौना रह जाता है।
प्रश्न 12.
निम्नलिखित में संकेतों के अनुसार शब्द पूराँ करें –
उत्तर :
- कारखाना
- हाइड्रोजन
- विष्टाचूर्ण
- फर्टिलाइजर
- नाइट्रोजन
- सल्फर
- बिछाली
प्रोजेक्ट कार्य
नोट – छात्र स्वयं करें।
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