डॉ. भीम राव अंबेडकर की जीवनी – Dr. Bhim Rao Ambedkar Biography

Dr. Bhim Rao Ambedkar Biography डॉ. भीमराव अंबेडकर (Dr. B. R. Ambedkar) को बाबा साहेब अंबेडकर के नाम से भी जाना जाता है। वह एक अद्वितीय प्रतिभासंपन्न व्यक्ति थे। वह एक मनीषी, विद्वान, कर्मठ  नायक, दार्शनिक, समाजसेवी एवं बहुत ही धैर्यवान व्यक्ति थे।

Dr. Bhim Rao Ambedkar Biography

वे सही मायनों में एक अच्छे नेता थे जिन्होंने अपना समस्त जीवन भारत की दबी कुचली दलित जनता के कल्याण कामना में उत्सर्ग कर दिया। जिस समय भारत के 80 फीसदी दलित सामाजिक व आर्थिक तौर से अभिशप्त थे, और बहुत ही दयनीय जीवन जीने को विवश थे उस समय भीमराव अंबेडकर ने  उन्हें अभिशाप से मुक्ति दिलाने का प्रयास किया और इसे ही अपने जीवन का मकसद बनाया। डॉ. भीमराव अंबेडकर को संविधान निर्माता के तौर पर भी याद किया जाता है।

जन्म परिचय

भारत को संविधान दिलाने वाले इस महान नेता डॉ. भीमराव अंबेडकर (Dr. Bhim Rao Ambedkar) का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव महू में हुआ था। डॉ. भीमराव अंबेडकर के पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल और माता का नाम भीमाबाई था। भीमराव अंबेडकर के बचपन का नाम भीमराव सकपाल था।

डॉ. अंबेडकर के पूर्वज लंबे समय से ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में कार्य करते थे और उनके पिता ब्रिटिश भारतीय सेना की महू छावनी में सेवा में थे। डॉ. भीमराव अम्बेडकर अपने माता-पिता की चौदहवीं संतान थे। बचपन से ही इनके व्यक्तित्व में स्मरण शक्ति की प्रखरता, बुद्धिमत्ता, ईमानदारी, सच्चाई, नियमितता, दृढ़ता, इत्यादि गुण विद्यमान थे। ये जन्मजात प्रतिभा संपन्न थे।

बचपन और अस्पृश्यता से परिचय 

भीमराव अंबेडकर का जन्म महार जाति में हुआ था जिसे लोग अछूत और बेहद निचला वर्ग मानते थे। बचपन में भीमराव अंबेडकर के परिवार के साथ सामाजिक और आर्थिक रूप से गहरा भेदभाव किया जाता था। 1894 में भीमराव अंबेडकर (Dr. Bhim Rao Ambedkar) जी के पिता सेवानिवृत्त हो गए और इसके दो साल बाद, अंबेडकर की मां की भी मृत्यु हो गई।

बच्चों की देखभाल उनकी चाची ने कठिन परिस्थितियों में रहते हुये की। रामजी सकपाल के केवल तीन बेटे, बलराम, आनंदराव और भीमराव और दो बेटियाँ मंजुला और तुलासा ही इन कठिन हालातों मे जीवित बच पाए बाकि बच्चे अकाल मृत्यु के शिकार हो गए।

शिक्षा

भीमराव (Dr. Bhim Rao Ambedkar) के पिता हमेशा ही अपने बच्चों की शिक्षा पर जोर देते थे लेकिन अपने भाइयों और बहनों मे केवल भीमराव अंबेडकर ही स्कूल की परीक्षा में सफल हुए और इसके बाद बड़े स्कूल में जाने में सफल हुये। संयोग से भीमराव सातारा गांव के एक ब्राह्मण शिक्षक को बेहद पसंद आए।

ब्राह्मण शिक्षक महादेव अंबेडकर उनसे विशेष स्नेह रखते थे और उनके कहने पर अंबेडकर ने अपने नाम से सकपाल हटाकर अंबेडकर जोड़ लिया जो उनके गांव के नाम “अंबावडे” पर आधारित था।

उच्च शिक्षा

भारत में अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ ने भीमराव आंबेडकर को मेधावी छात्र होने के नाते छात्रवृत्ति देकर 1913 में विदेश में उच्च शिक्षा के लिए भेज दिया।

अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय में भीमराव आंबेडकर ने राजनीति विज्ञान, समाजशास्त्र, मानव विज्ञान, दर्शन और अर्थ नीति का गहन अध्ययन किया। अमेरिका में अध्ययन के दौरान इन्होने एक नई दुनिया का दर्शन किया जिसमे भारतीय समाज का अभिशाप और जन्मसूत्र से प्राप्त अस्पृश्यता की कालिख नहीं थी।

डॉ. अम्बेडकर ने अमेरिका में एक सेमिनार में ‘भारतीय जाति विभाजन’ पर अपना मशहूर शोध-पत्र पढ़ा, जिसमें उनके व्यक्तित्व की सर्वत्र प्रशंसा हुई।

भारतीय संविधान का निर्माण

लम्बे समय के संघर्ष के बाद अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति के बाद भारत को अपना संविधान प्रस्तुत करना था। उस समय डॉ. अम्बेडकर के अतिरिक्त भारतीय संविधान की रचना हेतु कोई अन्य विशेषज्ञ उपयुक्त नहीं था। अतः सर्वसम्मति से डॉ. अम्बेडकर को संविधान सभा की प्रारूप समिति का अध्यक्ष चुना गया। 26 नवंबर 1949 को डॉ. अम्बेडकर द्वारा रचित (315 अनुच्छेद का) संविधान पारित किया गया।

उन्होंने समता, समानता, बन्धुता एवं मानवता आधारित भारतीय संविधान को 02 साल 11 महीने और 17 दिन में तैयार करने का अहम कार्य किया।

साल 1951 में महिला सशक्तिकरण का हिन्दू संहिता विधेयक पारित करवाने में प्रयास किया और पारित न होने पर स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया।

डॉ. आंबेडकर ने निर्वाचन आयोग, योजना आयोग, वित्त आयोग, महिला पुरुष के लिये समान नागरिक हिन्दू संहिता, राज्य पुनर्गठन, राज्य के नीति निर्देशक तत्व, मौलिक अधिकार, मानवाधिकार, निर्वाचन आयुक्त और सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक एवं विदेश नीति बनाई। उन्होंने विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका में एसी-एसटी के लोगों की सहभागिता सुनिश्चित की।

राजनीतिक जीवन

8 अगस्त, 1930 को एक शोषित वर्ग के सम्मेलन के दौरान अंबेडकर ने अपनी राजनीतिक दृष्टि को दुनिया के सामने रखा, जिसके अनुसार शोषित वर्ग की सुरक्षा उसकी सरकार और कांग्रेस दोनों से स्वतंत्र होने में है।

अपने विवादास्पद विचारों, और गांधी और कांग्रेस की कटु आलोचना के बावजूद अंबेडकर की प्रतिष्ठा एक अद्वितीय विद्वान और विधिवेत्ता की थी जिसके कारण जब, 15 अगस्त, 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, कांग्रेस के नेतृत्व वाली नई सरकार अस्तित्व में आई तो उसने अंबेडकर को देश का पहले कानून मंत्री के रूप में सेवा करने के लिए आमंत्रित किया, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया।

29 अगस्त 1947 को अंबेडकर को स्वतंत्र भारत के नए संविधान की रचना के लिए बनी संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया। 26 नवंबर, 1949 को संविधान सभा ने संविधान को अपना लिया। 14 अक्टूबर, 1956 को नागपुर में अंबेडकर ने खुद और उनके समर्थकों के लिए एक औपचारिक सार्वजनिक समारोह का आयोजन किया। अंबेडकर ने एक बौद्ध भिक्षु से पारंपरिक तरीके से तीन रत्न और पंचशील को अपनाते हुये बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया।

डॉ.अम्बेडकर का राष्ट्र निर्माण में योगदान

सामाजिक एवं धार्मिक योगदान

  • मानवाधिकार जैसे दलितों एवं दलित आदिवासियों के मंदिर प्रवेश, पानी पीने, छुआछूत, जातिपाति, ऊंच-नीच जैसी सामाजिक कुरीतियों को मिटाने के लिए कार्य किए।
  • इन्होंने मनुस्मृति दहन (1927), महाड सत्याग्रह (1928), नासिक सत्याग्रह (1930), येवला की गर्जना (1935) जैसे आंदोलन चलाएं।
  • बेजुबान, शोषित और अशिक्षित लोगों को जागरुक करने के लिए साल 1927 से 1956 के दौरान मूक नायक, बहिष्कृत भारत, समता, जनता और प्रबुद्ध भारत नामक पांच साप्ताहिक और पाक्षिक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया।
  • इन्होंने छात्रावास, नाइट स्कूल, ग्रंथालयों और शैक्षणिक गतिविधियों के माध्यम से कमजोर वर्गों के छात्रों को अध्ययन करने और साथ ही आय अर्जित करने के लिए उनको सक्षम बनाया। सन् 1945 में उन्होंने अपनी पीपुल्स एजुकेशन सोसायटी के जरिए मुम्बई में सिद्वार्थ महाविद्यालय तथा औरंगाबाद में मिलिन्द महाविद्यालय की स्थापना की।
  • हिन्दू विधेयक संहिता के जरिए महिलाओं को तलाक, संपत्ति में उत्तराधिकार आदि का प्रावधान कर उसके कार्यान्वयन के लिए संघर्ष किया।

आर्थिक, वित्तीय और प्रशासनिक योगदान

  • भारत में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की स्थापना डॉ. अम्बेडकर की रचना ‘रुपये की समस्या-उसका उद्भव और प्रभाव’ और ‘भारतीय चलन व बैकिंग का इतिहास’ और ‘हिल्टन यंग कमीशन के समक्ष उनकी साक्ष्य’ के आधार पर 1935 में की गयी।
  • उनके दूसरे शोध ‘ब्रिटिश भारत में प्रांतीय वित्त का विकास’ के आधार पर देश में वित्त आयोग की स्थापना हुई।
  • साल 1945 में उन्होंने देश के लिए जलनीति और औद्योगिकरण की आर्थिक नीतियां जैसे नदी-नालों को जोडना, हीराकुंड बांध, दामोदर घाटी बांध, सोन नदी घाटी परियोजना, राष्ट्रीय जलमार्ग, केंद्रीय जल और विद्युत प्राधिकरण बनाने के मार्ग प्रशस्त किए।
  • साल 1944 में प्रस्तावित केंद्रीय जल मार्ग और सिंचाई आयोग के प्रस्ताव को 4 अप्रैल 1945 को वाइसराय की ओर से अनुमोदित किया गया और बड़े बांधों वाली तकनीकों को भारत में लागू करने हेतु प्रस्तावित किया।

मृत्यु

1948 से भीमराव अम्बेडकर (Dr. Bhim Rao Ambedkar) मधुमेह से पीड़ित थे। जून से अक्टूबर 1954 तक वो बहुत बीमार रहे इस दौरान वो नैदानिक अवसाद और कमजोर होती दृष्टि से ग्रस्त थे। 6 दिसंबर 1956 को दिल्ली में नींद के दौरान उनकी मृत्यु उनके घर में हो गई। 1990 में उनको मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।  

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FAQs

भीमराव अंबेडकर के गुरु कौन थे?

डॉ. आंबेडकर ने गौतम बुद्ध और कबीर के साथ ज्योतिबा फुले को अपना तीसरा गुरु माना है. अपनी किताब ‘शूद्र कौन थे?

भीमराव अंबेडकर का पूरा नाम क्या है?

भीमराव रामजी आंबेडकर

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के पास कौन कौन सी डिग्री थी?

उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में सिर्फ 2 साल 3 महीने में 8 साल की पढ़ाई पूरी की। वह लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से “डॉक्टर ऑफ साइंस” नामक एक मूल्यवान डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त करने वाले दुनिया के पहले और एकमात्र व्यक्ति हैं।

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की कितनी पत्नियां थी?

आम्बेडकर ने दो शादियाँ की, उनकी पहली पत्नी रमाबाई आम्बेडकर तथा दुसरी पत्नी डॉ॰ सविता आम्बेडकर थी

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