Essay On Book In Hindi

Essay On Book In Hindi:पुस्तक हमारे जीवन के आधार होते हैं और हर व्यक्ति को जीवन के किसी न किसी मोड़ पर इनको साथी आवश्य बनाना पड़ता है। पुस्तक हमारे सच्चे दोस्त होते हैं जिनके रहते जीवन को एक सही दिशा मिलती है।

Essay On Book In Hindi

कभी-कभी तो ये हमारे पक्के दोस्त भी होते हैं, जो हमे वर्णमाला से लेक कर जीवन के कठिन सवालों तक के जवाब बड़े आसानी से दे देते हैं।

प्रस्तावना

पुस्तकों का जीवन पर पड़ने वाला प्रभाव

पुस्तकें ज्ञान का भंडार होते हैं और इनका साथ आपे जीवन में कई परिवर्तन ला सकता है। बच्चों के लिये उनसे संबंधित, बड़ो के लिये उनसे संबंधित। एक पुस्तक कभी आपको धोका नहीं देता और सदैव आपके ज्ञान को बढाता ही है।

आप इसमें रोचक कहानियां, देश दुनिया में होने वाली गतिविधियाँ, कुछ नया सीखने का तरीका, आदि आसानी से सीख सकते हैं। पुस्तक पढ़ना एक अच्छी आदत है और हम सबको इन्हें अवश्य पढ़ना चाहिए।

हमारे इतिहास में कई महापुरुष रहे हैं और उनके वक्तव्य और ज्ञान भरी बातों को हम आसानी से पुस्तकों में पढ़ सकते हैं। जैसे की गांधीजी, जो भले आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनकी विचार धारा अभी भी जिन्दा है।

पुस्तक का इतिहास

एक बार पन्नों का आविष्कार हो जाने के बाद, लोगों ने लिखना शुरू कर दिया और पहले पुस्तक हस्तलिखित ही हुआ करते थे। सन् 1440 में फ़्रांस में प्रिंटिंग प्रेस की शुरुआत हुई और धीरे-धीरे पूरे विश्व में इसका प्रचलन हो गया। इसके बाद पुस्तकों का मुद्रित माध्यम समाज में उपलब्ध होने लगा। 1455 में पहला पुस्तक छपी जो की बाइबिल थी।

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पुस्तकों का उपयोग

पुस्तक बच्चों से लेकर बड़ो तक सब के लिये महत्त्वपूर्ण होते हैं। बच्चे अपनी प्रारंभिक शिक्षा पुस्तकों के माध्यम से लेते हैं, तो वही बुजुर्ग उसे अपने मनोरंजन के साधन के रूप में या धार्मिक कार्यों की पूर्ती हेतु करते हैं। अर्थात वे हर क्षेत्र और उम्र में जरुरी होते हैं।

आज कल पुस्तक कई प्रकार के मिलने लगे हैं, जैसे की ऑनलाइन और ऑफ़लाइन। वे पुस्तक जिन्हें आप अपने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर पढ़ सकते हैं, वे ऑनलाइन वाले होते हैं। ये बहुत ही बेहतरीन होते हैं और इनको आप आराम से अपने फोन या लैपटॉप में पढ़ सकते हैं। इनके कही भी ले जाना बड़ा आसान होता है और फटने और कीड़े लगने से सुरक्षित भी रखा जा सकता है।

दुसरे होते है मुद्रीत यानी ऑफलाइन, ऐसे पुस्तक जो हम अपने स्कूलों और घरों में अक्सर देखते हैं। जो कागज के बने होते हैं। इनके भी अपने फायदे हैं जैसे की कभी कोई निशान लगाना हुआ तो लोग पढ़ते-पढ़ते इनपर निशान भी लगा लेते हैं और कुछ लिख भी सकते हैं। कई लोग इसे पढ़ना पसंद करते हैं तो कुछ ऑनलाइन पुस्तकों को।

पुस्तकों का महत्त्व और विकास

पुस्तक ज्ञान के साधन के साथ-साथ मनोरंजन का भी माध्यम होते हैं। कुछ पुस्तकें आपको हँसा सकती हैं, तो वहीँ कुछ अपनी रोचक कहानियों के साथ आपको रुला भी सकती हैं। जैसे की दुनिया में अलग-अलग क्षेत्र होते हैं वैसे ही पुस्तकें भी होती हैं। जैसे की डॉक्टरों के लिये अलग किताबें होती हैं और इंजीनियरिंग के लिये अलग।

आप चाहे जिस क्षेत्र में भी जाएँ वे पुस्तकें ही हैं जो आपके सच्चे साथी के रूप में हर जगह काम आयंगे। आज हम अपने इतिहास को पुस्तकों की वजह से ही जानते हैं। हम विकास कैसे करते हैं? इन पुस्तकों के माध्यम से, क्यों की जब हमे पता होगा की ‘अ’ और ‘ब’ को मिलाने से ‘अब’ बनता है तभी न हम आगे के वाक्य पर ध्यान देंगे। नहीं तो हर नए युग के साथ नयी भाषा की ही खोज करते रह जाते।

पुराने काल में लोग मौखिक ज्ञान लिया करते थे और सबसे पहले पत्तों पर लिखा गया जो धीरे-धीरे कागज में परिवर्तित हो गया। और उसी का परिवर्तित रूप का उपयोग आज हम पन्नों के रूप में लिखने एवं पढ़ने दोनों के लिये करते हैं। जो की पहले हस्तलिखित रूप में उपलब्ध थे, और धीरे-धीरे प्रिंटिंग प्रेस के आविष्कार के बाद पुस्तकों का मुद्रण किया जाने लगा।

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पुस्तक आपके सच्चे साथी

पुस्तक आपका साथ कभी नहीं छोड़ते, कई बार आपने स्वयं को अकेला पाया होगा और कभी-कभी ऐसे स्थिति में हमारे परम मित्र भी साथ नहीं होते, लेकिन पुस्तक सदैव आपके साथ होते हैं। उनके रहते न तो आपको अकेलापन महसूस होता है और न तो वे कभी आपको धोका देते हैं। कभी वे अपने मजेदार कहानियों के माध्यम से आपको गुदगुदाते हैं तो कभी कथानायक की पीड़ा आपके आँखों में आसूं ला देती है। एक बार अगर आपने पुस्तकों को अपने साथी के रूप में चुन लिया तो उसके बाद न तो कभी आपको अकेलापन सताता है और न ही किसी के समय अनुसार आपको समायोजित करना पड़ता है।

पुस्तकें -विकास का स्त्रोत :

पुस्तकों में संग्रह किया हुवा ज्ञान पीढ़ियो तक अक़बंध रहता है। पूर्वजो के अनुभव द्वारा लिखे गए स्तय पुस्तके वर्तमान पीढ़ियो को प्राप्त हुई है। और वे अपने अनुभव को सत्य पुस्तको के द्वारा ही अगली पीढ़ियो तक पहुचाते है। हमें आभ्यता का विकास इस पर ही निर्भर करता है।

पुस्तकें -प्रचार का साधन :

पुस्तकें विचारो के प्रचार और प्रकार का श्रेष्ठ साधन है। रामायण, महाभारत और भगवत गीता जैसे ग्रंथो में संग्रहित ज्ञान का प्रचार आज भी हो रहा है और हजारों वर्षों तक होता रहेगा। हमारी सभ्यता और संस्कृति पर इन ग्रंथों की अमिट छाप है। नई पीढ़ियो में ज्ञान का प्रचार पुस्तकों के द्वारा ही संभव है। ऋषि-मुनिओ ने ग्रंथो की रचना कर, अपने आदर्श विचारो को लोगो तक पहुचाया है और इसी की वजह से हम इनका लाभ उठा सके।

पुस्तकें -मनोरंजन का खजाना :

पुस्तके मानव के मनोरंजन में भी सहायक सिद्ध होती है। मनुष्य अपने एकांत को मंनोरंजन की पुस्तकों के साथ गुजार सकता है। पुस्तको के मनोरंजन में हम अकेले हो फिर भी आंनद उठा सकते है। इसिलए किसी ने कहा है कि “पुस्तकें जगत देवता है।” उनसे प्रेरणा प्राप्त कर के हम वरदान पा सकते है और अपने ज्ञान को भी बढ़ा सकते है।

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credit:Silent Course

उपसंहार :

पुस्तकों के अध्ययन में यह सावधानी बरतनी चाहिए कि पुस्तकों का स्तर घटिया न हो । निम्नकोटि की पुस्तकों से मन आनंदित होने की बजाय दुर्भावनाओं से भर जाता है। उत्तम पुस्तको का चुनाव सोच समजकर करना चाहिए। महान लेखकों की पुस्तकें कभी निम्न स्तर की नही होती । अतः उनका अध्ययन ही करना चाहिए।

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