Essay On Flood In Hindi:भारी बारिश के कारण होने वाली बाढ़ के पानी की वजह से बीमारियों से होने के घातक परिणाम सामने आए हैं। इससे जीवन का नुकसान, बीमारियों में वृद्धि, मूल्य वृद्धि, आर्थिक नुकसान और अन्य मुद्दों के अलावा पर्यावरण का विनाश होता है।
Essay On Flood In Hindi
बाढ़ उनके प्रकार और गंभीरता पर निर्भर करती है।
प्रस्तावना
बाढ़ के प्रकार
कई बार बाढ़ पर कुछ दिनों में काबू पाया जा सकता है जबकि कई बार इस पर हफ़्तों में काबू पाया जाता है जिससे उस क्षेत्र में रहने वाले लोगों के जीवन पर एक बुरा प्रभाव पड़ता है। यहां विभिन्न प्रकार की बाढ़ों पर एक नजर डाली गई है:
धीमी गति से स्थापित बाढ़
इस तरह की बाढ़ तब होती है जब नदियों के पानी की मात्रा अत्यधिक हो जाती है और आसपास के इलाकें इससे प्रभावित होते हैं। इस तरह की बाढ़ धीरे-धीरे विकसित होती है और कुछ दिनों से लेकर कुछ सप्ताह तक रह सकती है। यह कई किलोमीटर तक फैल जाती है और इससे अधिकतर निचले इलाकों पर प्रभाव पड़ता है। ऐसे क्षेत्रों में बाढ़ के कारण इक्कठे पानी से जान-माल की संपत्ति का नुकसान हो सकता है और विभिन्न रोग भी पनप सकते हैं।
तेज़ गति से स्थापित बाढ़
इनका निर्माण होने में थोड़ा समय लगता है और ऐसी बाढ़ एक या दो दिन तक रह सकती है। इस तरह की बाढ़ बेहद विनाशकारी भी हैं। हालांकि ज्यादातर लोगों को इन के बारे में चेतावनी भी दी जाती है
और इससे पहले कि स्थिति बदतर हो जाए इनसे बचने की कोशिश करनी चाहिए। ऐसी जगहों पर छुट्टी की योजना बनाने वाले पर्यटकों को अपनी योजना रद्द करनी चाहिए और अगर समय हो तो इस स्थिति से बचने की कोशिश करनी चाहिए।
अचानक बनती बाढ़
इस तरह की बाढ़ ज्यादातर समय की एक छोटी अवधि के भीतर उत्पन्न होती है जैसे कुछ घंटे या मिनट। यह ज्यादातर भारी बारिश के कारण, बर्फ या बांध के टूटने के कारण होती है। इस तरह की बाढ़ को सबसे ज्यादा घातक माना जाता है और इससे बड़े पैमाने पर विनाश भी हो सकता है क्योंकि यह लगभग अचानक होती है और लोगों को सावधानी बरतने के लिए कोई समय नहीं मिलता है।
बाढ़ के कारण उत्पन्न समस्या को कैसे नियंत्रित करें?
मानव जीवन को बाधित करने से लेकर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने तक – बाढ़ के कई नकारात्मक नतीजे हैं जिनसे निपटना मुश्किल है। इस प्रकार बाढ़ को नियंत्रित करना बहुत महत्वपूर्ण हैं। इस समस्या को नियंत्रित करने के कुछ तरीके यहां दिए गए हैं:
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बाढ़ चेतावनी सिस्टम
बेहतर बाढ़ चेतावनी प्रणालियों को स्थापित करना यह समय की आवश्यकता है ताकि लोगों को आगामी समस्या के बारे में सही समय पर चेतावनी दी जा सके और उनके पास अपने और अपने सामान की रक्षा करने के लिए पर्याप्त समय हो।
बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में भवनों का निर्माण
बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में इमारतों का बाढ़ के पानी के स्तर से ऊपर निर्माण किया जाना चाहिए ताकि संपत्ति के नुकसान के साथ-साथ वहां रहने वाले लोगों को भी नुकसान से बचाया जा सके।
जल भंडारण प्रणाली की शुरुआत
बारिश के पानी को पुन: उपयोग करने के लिए सरकार को जल भंडारण प्रणालियों के निर्माण में निवेश करना चाहिए। इस तरह से मैदानी इलाकों में पानी के अतिप्रवाह होने और बाढ़ का कारण बनने की बजाए पानी का अत्यधिक इस्तेमाल किया जा सकता है।
ड्रेनेज सिस्टम को मजबूत बनाएं
बाढ़ के मुख्य कारणों में से एक ख़राब जल निकासी व्यवस्था है। जल निकासी से बचने के लिए अच्छी जल निकासी प्रणाली होना जरूरी है जिससे बाढ़ की स्थिति ना उत्पन्न हो।
बाढ़ बैरियर स्थापित करें
उन क्षेत्रों में बाढ़ बैरियर स्थापित किए जाने चाहिए जो बाढ़ से प्रभावित हैं। पानी निकल जाने के बाद इन्हें हटाया जा सकता है।
अप्राकृतिक बाढ़ –
अप्राकृतिक बाढ़ इंसानों द्वारा किए गए कार्य के कारण आती है इसके कारण निम्नलिखित है-
(1) बांध का टूटना –
इंसानों द्वारा जल संग्रह के लिए बड़े-बड़े बांध बनाए जाते हैं लेकिन भ्रष्टाचार और खराब निर्माण के कारण बांध मजबूत नहीं बनाया जाता है जिससे कुछ ही सालों में हजारों लीटर पानी से भरा हुआ बांध टूट जाता है.
इसके कारण एक साथ तेज गति से जल प्रवाह होता है और बांध के आसपास के इलाके पानी में डूब जाते है. यह वार्ड अचानक आती है जिससे लोगों को संभलने का मौका भी नहीं मिलता और इसमें जान माल की हानि अधिक होती है.
(2) ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण बाढ़ आना –
ग्लोबल वॉर्मिंग यह स्थिति इंसानों द्वारा ही पैदा की गई है क्योंकि इंसानों द्वारा अंधाधुन पेड़ों की कटाई की जा रही है साथ ही इतनी अधिक मात्रा में प्रदूषण फैलाया जा रहा है.
जिसके कारण पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है और साथ ही पृथ्वी का वातावरण भी बदल रहा है जिसके कारण कहीं पर अधिक मात्रा में सूखा पड़ता है तो कहीं पर बहुत अधिक मात्रा में वर्षा हो जाती है और पृथ्वी का तापमान बढ़ने के कारण ग्लेशियरों पर बर्फ के रूप में जमा हुआ लाखो लीटर पानी पिघलने लगता है जिसके कारण बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है.
(3) प्लास्टिक प्रदूषण –
भारत में अधिक मात्रा में प्लास्टिक को काम में लिया जाता है और फिर इस प्लास्टिक को ऐसे ही खुले स्थानों पर फेंक दिया जाता है पर यह प्लास्टिक पानी के निकास के लिए बने हुए बालों में जाकर फंस जाता है जिसके कारण जब भी बरसात होती है तब बालों से पानी निकल नहीं पाता है और बाढ़ के हालात बन जाते है.
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बाढ़ के दुष्परिणाम –
बाढ़ आने से भयंकर तबाही होती है इसका लेखा-जोखा करना इतना आसान नहीं होता है क्योंकि यह बहुत दिनों तक तबाही मचाती है. इस में बाढ़ आने पर भी नुकसान होता है और बाढ़ के पानी सूख जाने पर भी नुकसान होता है.
जन हानि –
बाढ़ आने के कारण एक क्षेत्र विशेष पूरा पानी में डूब जाता है जिसके कारण वहां रहने वाले कई लोगों और पशुओं की मृत्यु हो जाती है.
धन हानि –
बाढ़ के प्रभाव के कारण चारों तरफ जल ही जल होता है जिससे वहां पर होने वाले उद्योग धंधे ठप पड़ जाते है साथ ही लोगों की जिंदगी भर की पूंजी द्वारा बनाए गए मकान और इमारतें भी ढह जाती है. और भी कई मूल्यवान वस्तुएं खराब हो जाती है जिससे धन की हानि होती है.
फसल का खराब होना –
बाढ़ आने के कारण किसानों द्वारा बोली गई पूरी फसल खराब हो जाती है. जिसके कारण खाने पीने की वस्तुओं के दाम बढ़ जाते है. किसानों की फसल नष्ट होने के कारण वे और भी गरीब हो जाते है उनके खाने पीने के लाले भी बढ़ जाते है.
जल का प्रदूषित होना –
बाढ़ आने के कारण पानी में तरह-तरह के रसायन और नालों का पानी मिल जाता है जिसके कारण स्वच्छ जल की आपूर्ति नहीं हो पाती है और वहां रहने वाले लोगों की दूषित जल के कारण मृत्यु भी हो जाती है.
बिजली कटौती –
बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में चारों तरफ जल भरे होने के कारण बिजली आपूर्ति पहुंचाने वाले खंभे गिर जाते है या फिर वह डूब जाते है और बिजली के कारण इलाके में करंट प्रवाहित होने का खतरा रहता है. जिसके कारण बाढ़ प्रभावित इलाके में बिजली पहुंचाना नामुमकिन होता है जिससे रात में चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा छा जाता है जो कि बाढ़ प्रभावित इलाके में मुसीबतें और भी बढ़ा देता है.
मिट्टी का कटाव –
बाढ़ आने से खेतों की उपजाऊ मिट्टी बह जाती है जिसके कारण बाढ़ के पश्चात वहां पर अच्छी फसल नहीं हो पाती है साथ ही कई जगहों पर बड़े-बड़े गड्ढे पड़ जाते है.
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बाढ़ नियंत्रण हेतु सरकार द्वारा किए गए उपाय –
जलाशयों का निर्माण –
भारत सरकार द्वारा बाढ़ को नियंत्रण करने के लिए बड़े बड़े जलाशयों और बांधों का निर्माण किया गया है जिसे विनाशकारी बाढ़ से बचा जा सकता है इस क्षेत्र में सरकार ने बांध दामोदर नदी घाटी परियोजनाओं सतलुज पर भाखड़ा बाँध, हीराकुंड बाँध, व्यास पर पोंग जैसे बड़े बांधों का निर्माण किया है.
राष्ट्रीय बाढ़ प्रबंधन कार्यक्रम –
भारत में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों को बचाने के लिए भारत सरकार ने राष्ट्रीय बाढ़ प्रबंधन कार्यक्रम की घोषणा की है जिसके अंतर्गत इस योजना को तात्कालिक, अल्पकालिक एवं दीर्घकालिक तीन भागों में बांटा गया है. इस योजना के तहत अधिक से अधिक पेड़ लगाए जाएंगे और निचले इलाकों में बसे लोगों को ऊंचे स्थानों पर बताया जाएगा.
उपसंहार :
जल निकास के लिए उचित व्यवस्था की जाएगी. इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए सरकार हर पंचवर्षीय योजना में बाढ़ के लिए अलग से बजट रखती है.