Essay On Parrot In Hindi

Essay On Parrot In Hindi:धरती पर कई प्रकार के जीव-जन्तु रहते है जिनमें सभी की अलग-अलग विशेषताएं होती है। इन्हीं विशेषताओं के कारण इनकी पहचान भी की जाती है, इन्हीं में तोता भी एक प्रकार का पक्षी है। तोता दिखने में सुंदर और मनमोहक होता है इसी के कारण ही तोता बाकि के पक्षिओं से भिन्न होता है। तोता विश्व के लगभग सभी देशों में पाया जाता है और सभी जगह पर अलग-अलग रंगों में पाया जाता है।

Essay On Parrot In Hindi

इन रंगों में अधिकतर हरा होता है। हरे रंग के अलावा लाल, सतरंगी, पीला, नीला आदि में भी पाया जाता है।

प्रस्तावना

यह समझदार और बुद्धिमान पक्षियों में से एक है। यदि तोता लोगों के सम्पर्क में अधिक रहता है तो वह उनकी नकल करना सीख जाता है। इसके साथ ही बोला भी सीख लेता है। तोते को प्रशिक्षण देकर कई भाषाएँ सिखाई भी जा सकती है।

तोता की शारीरिक संरचना

तोता अपनी चोंच के कारण सभी पक्षियों से भिन्न होता है, इसकी चोंच अद्वितीय होती है। भारत में तोते हरे रंग के अधिक पाए जाते हैं। तोते की चोंच का रंग लाल होता है और पूरा शरीर हरे रंग का होता है। इसकी आंखे काले रंग की चमकदार होती है। इसकी आँखों के चारों ओर भूरे रंग की वलय होती है जो तोते को सबसे अलग बनाती है। तोते की चोंच का उपरी भाग मुड़ा हुआ होता है। तोते के गले भी एक वलय होती है, जिसका रंग काला होता है, जिसे तोते की कंठी कहा जाता है।

तोते का पंजा बहुत मजबूत और छोटा होता है। तोते की आवाज कर्कश भरी होती है जो हमें 1 किलोमीटर की दूरी से भी सुनाई दे जाती है। तोता वजन में एक किलो तक हो सकता है और इसकी लम्बाई 12 इंच तक हो सकती है। इसके छोटे-छोटे पंख होते हैं जिसकी मदद से तोता एक दिन में 1000 किलोमीटर तक उड़ सकता है। एक तोता 10 से 15 वर्ष तक जीवित रहता है।

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तोता की प्रजाति

पृथ्वी पर तोते की प्रजाति सबसे अधिक पाई जाती है। पृथ्वी पर तोते की प्रजाति लगभग 350 से भी अधिक खोजी जा चुकी है। इनमें से blue and gold macaw, sun conure, cilac-crowned amazon, eclectus, scarlet macaw आदि मुख्य है। Pygmy Parrot प्रजाति का तोता सबसे छोटा तोता है, जिसकी लम्बाई हमारी एक ऊँगली के समान होती है।

तोते की कुछ प्रजातियाँ ऐसी है, जिनका वजन बिल्ली के वजन के जितना होता है जिसके कारण वे उड़ नहीं पाते। इन्हीं वजनदार तोतो में Kakapo प्रजाति के तोते भी आते है।

तोता का भोजन

शाकाहारी पक्षियों में से एक तोता भी है। यह अपने भोजन में फूल, पते, बीज, सब्जी और दाना आदि लेता है। तोता फलों में आम और अमरुद सबसे अधिक पसंद करता है। तोता अपना भोजन झुण्ड में खोजने के लिए निकलते हैं।

तोता का निवास स्थान

यह एक ऐसा पक्षी है, जिसे लोग अपने घरों में पालना पसंद करते हैं। लोग अपने घरों में तोते को पिंजरे में बंद करके रखते हैं। जंगलों में तोता अपना घर पेड़ों के तनों में छेद बनाकर बनाता है, जिसे हम कोटर कहते हैं तोता नीम, जामुन, अमरूद आदि के पेड़ो पर रहना अधिक पसंद करता है।

तोता गर्म स्थानों में रहना अधिक पसंद करता है। तोता दुनिया के हर देश में पाया जाता है। लेकिन सबसे अधिक ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में पाया जाता है। तोते को ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड देशों से अन्य देशों में निर्यात भी किया जाता है।

तोता की विशेषता

नर और मादा तोते में अंतर आसानी से नहीं किया जा सकता, इनके बीच अंतर करने के लिए इनका ब्लड टेस्ट किया जाता है। इसके बाद ही पता लगाया जा सकता है कि तोता नर है या मादा। एक मादा तोता 25 से 29 दिनों में अंडे देती है। तोता एक साल में 10 से 15 तक अंडे देती है।

एक तोते के गुण

तोता एक मजबूत और घुमावदार चोंच, छोटे शरीर और 8 पंजे वाले पैरों वाला जीव है, जिसके प्रत्येक पैर में दो अंगूठे सामने और दो पीछे की तरफ होते हैं। अलग-अलग शरीर के रंगों और विशेषताओं के साथ इनकी कई प्रजातियां होती हैं। नर और मादा को केवल देखकर उनमे अंतर नहीं किया जा सकता। वे आमतौर पर समूहों में रहते हैं और झुंड में उड़ते हैं।

वे विभिन्न बीजों, फलों,  सूखे मेवों, सब्जियों और छोटे कीड़ों को अपना आहार बनाते हैं। जब इन पक्षियों को पालतू बनाया जाता है तो उनकी देखभाल के लिए उन्हें हमेशा साथ रखना चाहिए और साफ-सफाई के रखरखाव के साथ उचित आहार भी दिया जाना चाहिए। वे आमतौर पर उस वातावरण से बहुत कुछ सीखते हैं जिसमें वे निवास करते हैं और साथ ही मनुष्यों से भी। तोते की कुछ प्रजातियों की उम्र 70 वर्ष तक होती है। लेकिन औसतन, उनका जीवनकाल 30-50 वर्षों तक का होता है।

यह अपनी आकर्षक विशेषता और खुशनुमा प्रकृति के कारण है, यह कई लोगों द्वारा पाला जाता है।

सिटैकोसिस – तोते और अन्य पक्षी परिवार में होने वाली बीमारी

यह एक जीवाणु रोग है जो कई पक्षियों में पाया जाता है, इसकी वजह से पक्षी बीमार होते हैं और फिर मर भी जाते है। यह तोते की आबादी में गिरावट का एक बड़ा कारण भी है। यह रोग पक्षियों में बहुत संक्रामक होता है और पक्षियों द्वारा मानव को भी संक्रमित करता है।

यह बैक्टीरिया पक्षी के पाचन तंत्र या श्वसन नली में प्रवेश कर जाते हैं। जब कोई स्वस्थ पक्षी संक्रमित सूखे लीद से युक्त धूल या वायु कणों का सेवन करता है तो यह उससे संक्रमित हो जाते हैं। यह जीवाणु दूषित भोजन और पानी का सेवन करने से भी उनके शरीर में प्रवेश कर सकता है। इसकी वजह से पक्षी धीमी गति से बीमार होते जाते है। बहुत से पक्षी इस बीमारी के वाहक भी होते हैं।

इसलिए हमेशा यह सलाह दी जाती है कि पालतू पक्षियों की देखभाल करनी चाहिए। अगर हम पक्षियों को पालतू जानवर के रूप में रख रहे हैं, तो हमें उनकी स्वच्छता और उनके रहने की उचित देखभाल अवश्य करनी चाहिए।

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तोते की बुद्धिमता

तोते मूल रूप से बीज खाते हैं, लेकिन कई बीजों में कुछ रसायनों वाली एक कठिन आवरण या खोल होता है ताकि वह आसानी से नष्ट न हो। ऐसे में जब यह पक्षी उस बीज को अपना आहार बनाता है, तो यह बहुत ही समझदारी से बीज के आवरण को हटा देता है ताकि उक्त रसायन पक्षी को प्रभावित न करें।

तोते आवाज के सबसे अच्छे नकलची होते हैं। वे मानव आवाज की बहुत अच्छी तरह से नकल कर सकते हैं। वे बहुत सामाजिक प्राणी होते हैं और स्थिति को समझने की कोशिश करते हैं।

सर्कस में तोते मनोरंजन के उद्देश्य से काम करने के लिए रखे जाते हैं, क्योंकि उनमें अच्छी समझ होती है और वे लोगों को आकर्षित करने में भी सक्षम होते हैं।

तोते का उपयोग भाग्य बताने वालों द्वारा कार्ड का चयन कराने के लिए भी किया जाता है।

पालतू के रूप में तोता

प्राचीन काल से एक तोते को पालतू पक्षी के रूप में रखने का प्रावधान रहा है। उनकी खासियत ने इंसानों को लंबे समय तक आकर्षित किया है। वे इंसान के साथ तालमेल बिठाने की क्षमता रखते हैं और साथ ही बेहद समझदार भी हैं।

पक्षी को एक पिंजरे में रखना मेरे अनुसार उचित कार्य नहीं है, क्योंकि एक छोटे से पिंजरे में वो अपने जीवन की स्वतंत्रता का आनंद नहीं ले सकते। लेकिन अगर उन्हें पालतू जानवर के रूप में रखा जाता है, तो उनकी उचित तरीके से देखभाल करना आवश्यक है।

पक्षियों के पिंजरों को दैनिक आधार पर साफ किया जाना चाहिए, क्योंकि गंदे पिंजरे संक्रमण के अधीन होते हैं।

पिंजरे बड़े होने चाहिए ताकि पक्षी एक स्थान से दूसरे स्थान पर मुड़ने या जाने में सहज रहे। उन्हें पौष्टिक आहार के साथ समय से खिलाया जाना चाहिए।

नियमित जांच के लिए पक्षी को पशु चिकित्सक के पास ले जाना चाहिए। पक्षी को चोंच, नाखून और पंख की नियमित ट्रिमिंग की आवश्यकता होती है।

यदि कोई भी एक तोते को पालतू जानवर के रूप में रखने का निर्णय ले रहा है, तो उन्हें इसकी देखभाल करने की ज़िम्मेदारी अधिक समय तक लेनी चाहिए, क्योंकि उनका जीवनकाल लंबा होता है।

तोते वह पक्षी हैं जिन्हें मालिक के ध्यान और देखभाल की आवश्यकता होती है। यदि यह प्रदान नहीं की जाती है, तो पक्षी आक्रामक हो सकता है और फिर फड़फड़ाहट में टूटटूकर इसके पंखों को नुकसान पहुंच सकता है और वो घायल भी हो सकते है।

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credit:Shiksha target

उपसंहार

तोते हमारी जैव विविधता में खूबसूरती जोड़ते हैं। युवा तोते दिखने में बहुत रंगीन और प्यारे होते हैं। हमें अपनी तरफ से प्रयास करना चाहिए कि पक्षियों को पिंजरों में बंद नहीं करना चाहिए। उन्हें भी स्वतंत्रता का आनंद लेने देना चाहिए। इसके अलावा यदि कोई एक पक्षी को पालतू जानवर के रूप में रख रहा है, तो उन्हें इसकी देखभाल और स्वतंत्रता भी सुनिश्चित करनी चाहिए।

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