Essay on Postman in hindi हेलो स्टूडेंट, हम आपको इस आर्टिकल मे डाकिया पर निबंध बताया गया है | पोस्ट अंत तक पढ़े |
Essay on Postman in hindi
डाकिया क्या होता है
डाकिया एक बहुत ही परिश्रमी व्यक्ति होता है, जो सर्दी बरसात, गर्मी सभी ऋतुओं में अपना काम बड़ी ही मेहनत और ईमानदारी से करता है।
डाकिया जैसा परिश्रमशील कोई व्यक्ति हो ही नहीं सकता जो बहुत ही कम तनख्वाह पर अपना काम पूरी निष्ठा तथा ईमानदारी के साथ समय पर करता है।
डाकिया आमतौर पर एक व्यक्ति ही होता है लेकिन अब डाकिया का काम महिलाएँ भी करने लगी है। डाकिया खाकी वर्दी पहनते हैं तथा कभी-कभी वे टोपी भी लगा लेते है।
यह खाकी की ड्रेस ही डाकिया की पहचान होती है। डाकिया पूरे गाँव को जानता है, वह गांव की हर गली मोहल्ला तथा गांव के सभी लोगों से परिचित होता है।
क्योंकि उसका काम ही चिट्ठी मनीआर्डर और पर्सलों को सही पतों पर पहुंचाना होता है। डाकिया के पास एक थैला होता है, जिसमें वह सभी प्रकार की सामग्री रखता है
तथा साइकिल पर या फिर पैदल ही उन चिट्ठीयो को मनीआर्डर को और पर्सलों को सही समय पर और सही पते पर पहुंचाने का कार्य करता है।
डाकिया का क्या काम है
डाकिया डाक विभाग के अंतर्गत काम करने वाला एक कर्मचारी होता है। जिसका कार्य विभिन्न प्रकार की सूचनाओं तथा सामग्रियों को उनके दिए गए पते पर समय सीमा के अंदर पहुँचाना होता है।
डाकिया एक बहुत ही परिश्रमी, ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति होता है। जो अपने कार्य को पूरी ईमानदारी लगन और मेहनत के के साथ बिना किसी लालच के सही समय पर पूर्ण करता है।
डाकिए का काम रोज सुबह डाकघर पहुँचना होता है। तथा वहाँ पर आयी हुई डाक सामग्री जैसे – चिट्ठी, मनीऑर्डर, पार्सल आदि को वह अपने क्षेत्र के मुताबिक उन पर दिए गए पतों पर पहुंचाने का कार्य करता है।
इसीलिए डाकिया सभी का चहेता भी होता है। बहुत से लोग अच्छी खबर पाकर उसे कुछ पैसे भी देते हैं, लेकिन कभी-कभी डाकिया कुछ बुरी खबरें भी लेकर जाता है।
डाकिया को तनख्वाह बहुत कम मिलती है। इसलिए वह अपना गुजारा बड़ी मुश्किल में कर पाता है। लेकिन फिर भी वह अपने काम के प्रति पूरी तरह से ईमानदार तथा परिश्रमशील रहता है.
चाहे तिलमिलाती हुई धूप हो या फिर कड़कती हुई ठंड इन सब की बिना परवाह किये हुए वह अपना कार्य भली-भांति करता है।
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डाकिया का इतिहास
डाकिया का इतिहास बहुत पुराना है, प्राचीन काल में लोग एक स्थान से दूसरे स्थान पर खबर तथा कुछ सामग्री पहुंचाने के लिए स्वयं जाया करते थे।
क्योंकि उस समय डाकिया जैसी कोई भी ऐसी युक्ति नहीं थी, जो यह कार्य कर सकें। इसके कुछ समय बाद चिट्ठी तथा जरूरी सूचनाओं के आदान-प्रदान करने के लिए डाकिए के तौर पर
कबूतरों का उपयोग किया जाने लगा। कबूतरों के गले में चिट्ठी बांध दिया करते थे और कबूतर उड़कर गंतव्य स्थान पर पहुंच जाते थे।
क्योंकि कबूतर एक बार जो रास्ता देख लेते हैं वह उन्हें अच्छी तरह से याद हो जाता था। इसलिए प्राचीन काल में डाकिया का काम कबूतर किया करते थे।
कुछ समय और बीतने के बाद राजा महाराजाओं का काल आया जिसमें डाकिए का काम राजदूत किया करते थे। राजदूत चिट्ठी या संदेश लेकर एक राजा से दूसरे राजा के पास जाया करते।
तथा अन्य साधारण जन के लिए डाकिये का काम नाई जाति के बहुत से लोग करने लगे लोगों की सूचनाएं एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचाते थे।
इसके बदले उन्हें कुछ पैसा या खाद्य सामग्री मिल जाती थी। किंतु डाक क्षेत्र में क्रांति उस समय आई जब अंग्रेज भारत में आए और अंग्रेजो के द्वारा ही भारत में सबसे पहले डाक विभाग की स्थापना की गई।
1766 में लॉर्ड क्लाइव ने सबसे पहले डाक व्यवस्था लागू की तथा 1774 में वारेन होस्टिंग के समय डाक व्यवस्था अत्यंत दुरुस्त हो गई। तथा 1 अक्टूबर 1884 से भारत को डाकघर युक्त देश घोषित कर दिया गया।
इसके बाद डाक क्षेत्र में निरंतर प्रयास और क्रांति के कारण विभिन्न सुधार होते गए। और आज के समय में डाकघर एक विकसित विभाग के अंतर्गत आता है।
डाकिया एक लोकप्रिय व्यक्ति
उनका मुख्य कार्य होता है, डाकघर में आए लोगों के महत्वपूर्ण पत्र या अन्य दस्तावेज को लोगों तक पहुंचाना। इसमें कई प्रकार के दस्तावेज होते है, जैसी की पत्र,ग्रीटिंग कार्ड,पार्सल और सरकारी दस्तावेज। ऐसी ही बहुत सी चीजें है, जो डाकिया एक जगह से दूसरी जगह पर ले जाता है।
लोगों के आए हुए दस्तावेज को उन तक पहुंचाने के लिए वो हर गली, सड़क इत्यादि से होकर जाता है और लोगों के दस्तावेज को सुरक्षित पहुंचता है, इसलिए डाकिया समाज का एक बहुत ही महत्वपूर्ण और ईमानदार व्यक्ति है। डाकिया का मुख्य उद्देश्य लोगों की सेवा करना होता है।
डाकिया का वर्णन
डाकिया हमेशा एक वर्दी पहनता है, जो उसे भीड़ से अलग खड़ा करता है। भारत में डाकिया खाकी कपड़े रंग की वर्दी पहनता है। जिससे सभी लोग आसानी से डाकिया को पहचान सकते हैं। एक डाकिए की सबसे महत्वपूर्ण चीज़ होती है उसका थैला। थैले में लोगों द्वारा लिखी गई अक्षर की भावनाएं होती हैं। थैले के अंदर अच्छी और बुरी दोनों ख़बर होती है।
लोगों की यह भावनाएं पहुंचाने के लिए वह प्रत्येक गली और सड़क से होते हुए लोगों के घरों में पत्र को पहुंचाता है। डाकिया को लोगों के जल्दी से जल्दी दस्तावेज को पहुचानें के लिए रोज सुबह जल्दी उठना पड़ता है। वो सर्दी या बरसात का इंतज़ार नहीं करता, बस अपने कार्य करता है।
चुनौतीपूर्ण नौकरी
सुबह उठकर सबसे पहले डाक घर पहुंचना तथा अलग-अलग क्षेत्र के पत्रों को छांटना और उनको विशिष्ट क्षेत्रों में पहुंचाना आसान हो सके। डाकघर में आए हुए सभी पत्रों को सत्यापित करने के लिए उसमें मोहर लगाना पड़ता है।
एक डाकिया को यह सुनिश्चित करना पड़ता है कि उनकी महत्वपूर्ण जानकारी सही हाथों में है। इसलिए यह एक बहुत ही विश्वास पात्र व्यक्ति है, जिस पर लोग अधिक भरोसा भी करते हैं। यह लोगों के आए हुए पत्र या अन्य दस्तावेजों को पहुंचाने के लिए दिन रात काम करता है।
डाकिया की नौकरी अपने देश में एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण है। अन्य नौकरियों की अपेक्षा इसकी सराहना नहीं की जाती है। डाकघर से दस्तावेज को लेकर लोगों तक पहुंचाने के लिए इससे थोड़ा सा भी आराम करने का वक्त नहीं मिलता है।
डाकिया का पहनावा
उनका बहुत ही साधारण पहनावा होता है सरकार की तरफ से उसे एक खाकी वर्दी और एक टोपी दी जाती है। डाकिया अपनी इच्छा अनुसार जूते या चप्पल को पहन सकता है। डाकिया को पत्र या दस्तावेज को बांटने के लिए साइकिल अनिवार्य रूप से होनी चाहीए।
डाकिया का कार्य
उनका मुख्य कार्य लोगों के पत्र और दस्तावेज को उन तक पहुंचाना। सुबह सबसे पहले डाकघर पहुंचता है और देर शाम तक अपने घर को वापिस आता है। सारा दिन साइकिल के माध्यम से इस गली उस गली का चक्कर काटना। अपने देश के सभी राज्यों में डाकिया होता है। सरकार और लोगों के दस्तावेज को उन तक पहुचानें का कार्य करता है।
डाकिया का जीवन
डाकिया को हम लोग पोस्टमैन के नाम से जानते है। डाकिया की नौकरी एक सरकारी नौकरी होती है, लेकिन बहुत ही चुनौतीपूर्ण होती है। डाकिया का जीवन बहुत ही कठिन होता है। सुबह डाक घर से निकलकर पूरे दिन सभी इलाके में लोगों के पते तलाशते हुए इधर उधर घूमना पड़ता है।
कभी कभी तक तो उसे रात्रि तक कार्य करना पड़ता है। चाहे जितनी भी बारिश हो या कड़ाकेदार सर्दी का मौसम हो डाकिया हमेशा अपना कार्य ईमानदारी से करता है। डाकिया बिना किसी चीज की परवाह किए हुए पत्र और दस्तावेजों को सही व्यक्ति तक पहुंचाता है। डाकिया अपने काम के प्रति मेहनती व्यक्ति है। बहुत सारे जोखिम को उठाता हुआ तथा बिना किसी चीज की परवाह किए बगैर वो अपना कार्य पूर्ण करता है।
निष्कर्ष
डाकिया हम सभी लोगों के जीवन में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति है। यह हमारे सभी कीमती दस्तावेजों को एक जगह से दूसरी जगह तक पहुंचाने का कार्य करता है। यह अपना कार्य पूरी ईमानदारी से करता है तथा यह सबसे भरोसेमंद व्यक्ति है।