Jal Hi Jeevan Hai Essay In Hindiजल को हमारे जीवन का मूल्यवान धरोहर कहे या ये कहे की इसके बिना जीवन के बारे में सोच भी नही सकते, तो ये गलत भी नहीं होगा। क्योंकि जल है तो जीवन है। जल हमारी पृथ्वी में लगभग 71 प्रतिशत है।
Jal Hi Jeevan Hai Essay In Hindi
इसमें से हमारे पीने योग्य केवल 3 प्रतिशत ही पानी है। जिसे अलवणीय जल कहा जाता है और इसका बहुत छोटा भाग ही मानव उपयोग के लिए उपलब्ध है। अलवणीय जल की उपलब्धता समय और स्थान के अनुसार भिन्न-भिन्न होती है। इस प्रकार जल के विकास के लिए जल का मूल्यांकन और संरक्षण आवश्यक हो गया है।
प्रस्तावना
हमारे देश भारत के जल संसाधन
भारत में विशव के धरातलीय क्षेत्र का लगभग 2.45 प्रतिशत, जल संसाधनों का 4 प्रतिशत और जनसंख्या का लगभग 16 प्रतिशत भाग पाया जाता है। देश में एक वर्ष में वर्णन से प्राप्त कुल जल की मात्रा लगभग 4,000 घन की. मि. है।
धरातलीय जल और पुनः पूर्तियोग जल से 1,869 घन की. मि. जल उपलब्ध है। इसमे से केवल 60 प्रतिशत जल का लाभदायक उपयोग किया जा सकता है। इस प्रकार हमारे देश में जल संसाधन 1,122 घन की. मि. है।
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जल के स्त्रोत
पृथ्वी पर जल के चार मुख्य स्त्रोत है। जो की है नदियाँ, झीलें, तलैया, तलाब। देश में कुल नदिया तथा सहायक नदिया जिनकी लम्बाई 1.6 की. मि.से अधिक है, ऐसी नदियों को मिलाकर 10,360 नदियां है। भारत में सभी नदी बेसिनों में औसत वार्षिक प्रवाह 1,869 घन की. मि.होने का अनुमान किया गया है।
फिर भी स्थलाकृतिक, जलीय और अन्य दबावों के कारण प्राप्त धरातलीय जल का केवल लगभग 690 घन की. मि (32%) जल का ही उपयोग किया जा सकता है। कुछ नदिया जैसे गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु के जल ग्रहण क्षेत्र बहुत बड़े है। गंगा, ब्रह्मपुत्र और बराक नदियों के जल ग्रहण क्षेत्र में वर्षा अपेक्षाकृत अधिक होती है।
ये नदिया यधापि देश के कुल क्षेत्र के लगभग एक तिहाई भाग पर पाई जाती है, जिनमे कुल धरातलीय जल संसाधनों का 60 प्रतिशत जल पाया जाता है। दक्षिण भारतीय नदिया जैसे गोदावरी, कृष्णा और कावेरी में वार्षिक जल प्रवाह का अधिकतर भाग काम में लाया जाता है। लेकिन ऐसा ब्रह्मपुत्र और गंगा बेसिनों में अभी भी सम्भव नहीँ हो सका है।
जल का महत्व
पृथ्वी के जीव-जंतुओं ,पशु-पक्षियों ,फसलों ,वनस्पतियों पेड़-पौधों आदि सभी के लिए जल अनिवार्य है। बिना जल के इन सभी का रह पाना संभव नहीं है। जल से संसार में जीवन है चारों ओर फैली हरियाली, फसलें ,फल-फूल आदि सभी जल के कारण ही जीवित है मानव जल के बिना जीवित रह ही नहीं सकता ।
जल के बिना पृथ्वी पर कोई भी मनुष्य जीव जंतु जीवित नहीं रह सकता।
फसलों के उत्पादन और कृषि के लिए जल का इस्तेमाल किया जाता है।
जल पीने से पाचन ,शरीर का तापमान ,परिसंचरण और अन्य गतिविधियां बेहतर होती है।
पौधे अपना भोजन बनाने के लिए जल का उपयोग करते हैं।
पानी का उपयोग सिर्फ पीने के लिए ही नहीं बल्कि कपड़े साफ करने के लिए, घर की सफाई के लिए, बर्तन धोने के लिए, खाना पकाने के लिए भी किया जाता है।
जल से बिजली तैयार की जाती है जो मनुष्य के लिए काफी उपयोगी है।
जल का उपयोग मशीनों को ठंडा रखने के लिए किया जाता है।
बिना जल के कोई पौधे विकसित नहीं हो सकते हैं।
वर्षा के रूप में जल का बहुत महत्व है वर्षा होने पर सभी पेड़-पौधे हरे हो जाते हैं। और उन्हें नया जीवन प्राप्त होता है।
रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून।
पानी गए न ऊबरे, मोती मानुष चून।
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जल का उपयोग
कृषि कार्य में
कृषि का आधार जल ही है जल के बिना कृषि नहीं की जा सकती है। भारत जैसे कृषि प्रधान देश में जहां कृषि का महत्व इस बात से स्पष्ट हो जाता है कि भारतीय कृषि विश्व की 17.5% जनसंख्या का पालन-पोषण करती है इसलिए भारत में कृषि का विशेष महत्व है। कृषि का आधार चल ही है।
घरेलू कार्यों में
घरों में खाना बनाने, बर्तन साफ करने आदि के लिए जल का उपयोग किया जाता है।
“जल है तो कल है”
उद्योगों में
विभिन्न उद्योगों जैसे सूती वस्त्र उद्योग में जल का उपयोग रेशों को साफ करने के लिए किया जाता है। बिना जलके यह उद्योग स्थापित नहीं हो सकता है इसके अतिरिक्त जल विद्युत प्रणाली उद्योगों को सस्ती जल विद्युत उपलब्ध कराती है।
जल का अभाव
विगत वर्षों में जल की निरंतर कमी हो रही है वर्षा कम हो रही है। धरती का जल स्तर लगातार गिर रहा है जल की समस्या भारत में ही नहीं संसार भर में हो रही है कुछ स्थानों पर तो जल के लिए त्राहि-त्राहि मची हुई है। क्या आपको पता है संसार का तीसरा विश्व युद्ध जल के लिए होगा।
जल की कमी
जहां कई सारे शहरों में जल की अपार सुविधा है तो वहीं कई शहर व गावों में जल की कमी देखने को मिलती है। मुंबई जैसे पापुलेटेड सिटी में जल की इतनी कमी है कि लोगों को पानी खरीदकर पीना पड़ता है। लेकिन वही बंगाल और बिहार जैसे जगहों पर जहां जल की सुविधाएं हैंवहां लोग जल की बर्बादी करते हैं।
आने वाले समय में ऐसी स्थिति उत्पन्न होने की संभावना पैदा हो रही है, जहां हमारे वंशज जल के लिए तड़पेंगे। बहुत से शहरों में तो अभी से ही यह स्थिति देखने को मिलती है।
जल को बर्बाद करने के साथ-साथ लोग भारी मात्रा में जल प्रदूषित भी करते हैं। जिसके कारण जलीय प्राणियों को भी अपने जीवन के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
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जल प्रदूषण को रोकने के उपाय
जल प्रदूषण को रोकने और जल की बर्बादी को कम करने के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है, लोग इस बारे में सतर्क भी हो रहे हैं। लोगों को जल प्रदूषण के प्रति जागरूक करने के लिए अलग-अलग एनजीओ/संस्थाओं के द्वारा कई अभियान चलाए जाते हैं।
इन अभियानों में लोगों को जल का महत्व समझाया जाता है। इतना ही नहीं लोगों को यह भी बताया जाता है कि वह किस तरह जल की बर्बादी को रोक सकते हैं और जल संरक्षण करने में सरकार की सहायता कर सकते हैं।
सरकार भी देश की समस्या को लेकर नई नई योजनाएं जैसे जल संरक्षण योजना, जल जीवन योजना लागू कर रही है। ताकि जल की कमी होने से रोका जा सके।
उपसंहार
जल के महत्व को समझना बहुत ही ज्यादा जरूरी है। वरना आने वाले समय में शायद हम भी जल की कमी के कारण अपने जीवन में संघर्ष करने पर मजबूर हो जाएंगे।