Kalpana Chawla Essay In Hindi:कल्पना चावला का नाम महान शख्सियत में से एक माना जाता है। जिन्हें अंतरिक्ष में जाने वाली प्रथम भारतीय महिला के रूप में जाना जाता है। वैसे तो कल्पना चावला मूल रूप से भारतीय थी, लेकिन उनका नाम देश और विदेश में प्रसिद्ध हुआ और साथ ही साथ उन्होंने भारत का नाम रोशन किया।
Kalpana Chawla Essay In Hindi
कल्पना चावला ने देश के तमाम छात्र छात्राओं के लिए एक नया उदाहरण पेश किया, जिसमें उन्होंने कभी पीछे न हटने की बात की थी। कल्पना चावला ने हमेशा अपने देश का गौरव बढ़ाया और लोगों को गौरवान्वित महसूस कराया।
प्रस्तावना
कल्पना चावला का जन्म
कल्पना चावला का जन्म 17 मार्च 1965 को करनाल हरियाणा में हुआ था। उन्हें हमेशा भारत की महान व्यक्तित्व के रूप में देखा जाता है। उनके पिता का नाम श्री बनारसी लाल चावला और माता का नाम सज्योति देवी था।
वह कुल मिलाकर चार भाई बहन थे, जिसमें से वह सबसे छोटी थी। घर के लोग उनसे बहुत प्यार करते थे और प्यार से उन्हें मोंटू कह कर बुलाया जाता था। बचपन से ही कल्पना चावला को अच्छी पढ़ाई करके अंतरिक्ष में जाने की इच्छा थी, जिसमें उनके माता-पिता ने उनका साथ दिया और उन्हें एक अच्छे रास्ते पर आगे बढ़ाया।
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कल्पना चावला की शिक्षा
कल्पना चावला ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा करनाल के ही टैगोर पब्लिक स्कूल से पूरी की। इसके बाद उन्होंने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज चंडीगढ़ से वैमानिक अभियांत्रिकी में शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद 1982 में उन्होंने टेक्सास विश्वविद्यालय मैं आगे की शिक्षा पूरी की।
तत्पश्चात 1988 में उन्हें कोलोराडो विश्वविद्यालय बोल्डर से विमान की अभियांत्रिकी में विद्यावाचस्पति की उपाधि प्राप्त हुई। जो उनके लिए एक विशेष उपलब्धि के रूप में जानी गई। इसके बाद उन्होंने धीरे-धीरे नासा में काम करना शुरू किया और फिर अंतरिक्ष यात्री के रूप में खुद को स्थापित किया।
कल्पना चावला की उड़ान
कल्पना चावला ने शिक्षा प्राप्त करने के बाद धीरे-धीरे अपनी उड़ान जारी रखी और देश का नाम रोशन करते हुए आगे बढ़ती चली गई। वह मार्च 1995 में नासा के अंतरिक्ष यात्री कोर में शामिल होकर अपनी पहली उड़ान के लिए चुनी गई।
उनका पहला अंतरिक्ष मिशन 19 नवंबर 1997 को छह अंतरिक्ष यात्रियों के दल के साथ शुरू हुआ और इस दिन उन्होंने अंतरिक्ष में उड़ान भरी। कल्पना चावला देश की पहली अंतरिक्ष महिला यात्री थी, जिनका नाम सुनकर ही देशवासियों को गर्व होने लगता है।
कल्पना चावला ने अपने सबसे पहले मिशन में 1.04 करोड़ किलोमीटर का सफर तय करके 356 घंटों में पृथ्वी की 252 परिक्रमा पूरी कर ली थी।
कल्पना चावला को मिलने वाले सम्मान
कल्पना चावला का नाम हमेशा बहादुर महिलाओं की लिस्ट में शामिल किया जाता है, जहां उन्हें कई प्रकार के सम्मान भी दिए गए हैं। जो की कुछ इस प्रकार है।
नासा अंतरिक्ष उड़ान पदक
नासा विशिष्ट सेवा पदक
कांग्रेसनल अंतरिक्ष पदक के सम्मान
कल्पना चावला का व्यक्तिगत जीवन
जिस प्रकार कल्पना चावला अपने काम के प्रति लगन से आगे बढ़ती जा रही थी। उसी प्रकार उन्होंने अपने व्यक्तिगत जीवन में भी कई प्रकार के अच्छे कार्य किए। जब उन्होंने अपने आप को स्थापित कर लिया, तब 1983 में वह एक उड़ान प्रशिक्षक और विमानन लेखक जीन पियरे हैरिसन से मिली।
उसके कुछ दिनों बाद ही उन्होंने शादी कर ली। इसके बाद 1990 में उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका की नागरिकता स्वीकार की।
कल्पना चावला की भारत के लिए अंतिम यात्रा
उन्हें अपने देश भारत से बहुत ही प्यार और लगाव था। वह समय रहते हुए अपने देश, अपने लोगों से मिलने आती थी। उन्होंने भारत के लिए अपनी अंतिम यात्रा 1991-92 के समय में की र्थी।
जब वे छुट्टियां मनाने आई हुई थी, उस वक़्त उनके पति भी उनके साथ ही आए थे। वह उनकी जिंदगी के महत्वपूर्ण समय में से एक था, जब उन्होंने अपने देश में आकर अच्छा समय व्यतीत किया।
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कल्पना जी के दूसरी अंतरिक्ष मिशन: (Kalpana Chawla’s Second Space Mission)
सन २००० में, कल्पना जी को दुसरे अंतरिक्ष अभियान के लिए चुना गया था| इस सफ़र में वह STS- 107 की दल की हिस्सा बनी थीं| लेकिन इस मिशन में अंतरिक्ष यान में कुछ तकनिकी चुक के कारण लगातार देर हो रही थी|
चावला की दूसरी अंतरिक्ष मिशन ही उनकी जीवन की आखरी अंतरिक्ष मिशन साबित हुई| काफी विचार- विमर्श और तकनिकी जांच के बावजूद इस मिशन क लिए इस्वर को कुछ और ही मंजूर था| इस मिशन में चावला के दल ने अंतरिक्ष में लगभग ८० से ज्यादा परिक्षा कर सफल हुए थे|
1 फरवरी २००३ को, इस अभियान में लौटते वक़्त अंतरिक्ष यान में तकनिकी चुक के कारण पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते समय एक भयंकर और अनचाहा घटणा ने स्थान लिया जो की पुरे विश्व को झकझोर के रख दिया| इस हादसे में कल्पना जी के साथ अन्य छह जण की पूरी दल का अचानक निधन हो गया| और देखते ही देखते पुरे विश्व ने सात मेहनती और सफल अंतरिक्ष यात्री को एक ही पल में खो दिया|
कल्पना चावला का करियर – Kalpana Chawla Career
कल्पना चावला एक प्रमाणित उड़ान प्रशिक्षक (flight instructor) थी। कल्पना चावला – Kalpana Chawla को हवाई जहाजों, ग्लाइडरो और व्यावसायिक विमानचालन के लाइसेंसों के लिए प्रमाणित उड़न प्रशिक्षक का दर्जा हासिल था। उन्हें एकल, बहु इंजन वयुयानो के लिए व्यावसायिक विमानचालक के लाइसेंस भी प्राप्त थे।
कल्पना एक लाइसेंस प्राप्त तकनीशियन वर्ग की एमेच्योर रेडियो पर्सन थी जो कि संघीय संचार आयोग द्धारा प्रमाणित किया गया था।
एयरोस्पेस में अपनी कई डिग्री होने के वजह से, कल्पना चावला – Kalpana Chawla को नासा में 1993 में ‘अमेस रिसर्च सेण्टर’ में ‘ओवरसेट मेथड्स इंक’ के उपाध्यक्ष के रूप में नौकरी मिली। वहां उन्होंने वी/एसटीओएल में सीएफ़डी पर रिसर्च की।
कल्पना चावला – Kalpana Chawla वर्टिकल / शॉर्ट टेकऑफ और लैंडिंग पर कम्प्यूटेशनल तरल गतिशीलता अनुसंधान में व्यापक रूप से शामिल थीं। 1995 तक वह नासा ‘अंतरिक्ष यात्री कोर’ (एस्ट्रोनोट कॉर्प) का हिस्सा बन गई थी।
3 साल बाद, उसे अंतरिक्ष के शटल में पृथ्वी के चारों ओर यात्रा करने के लिए अपने पहले मिशन के लिए चुना गया था। इस ऑपरेशन में 6 अन्य सदस्य भी शामिल थे। इसमें कल्पना चावला – Kalpana Chawla स्पार्टन सैटेलाइट (Spartan Sarellite) के आयोजन करने के लिए ज़िम्मेदार सौंपी गई थी लेकिन खराब स्थिति के कारण वह अपनी भूमिका में असफल रही थी।
तकनीकी त्रुटियों के कारण, सैलेलाइट ने ग्राउंड स्टाफ और फ्लाइट क्रू सदस्यों के नियंत्रण को रोक दिया। लेकिन कल्पना चावला – Kalpana Chawla ने इसे सही साबित कर दिखाया।
दूसरी तरफ, कल्पना चावला – Kalpana Chawla अंतरिक्ष में यात्रा करने वाली पहली भारतीय महिला और दूसरे भारतीय बन गईं। इससे पहले भारत के राकेश शर्मा ने साल 1984 में अंतरिक्ष की यात्रा की थी।
आपको बता दें कि कल्पना चावला – Kalpana Chawla ने 10.4 मिलियन किमी (1 करोड़ मील) की अंतरिक्ष यात्रा की। यह लगभग पृथ्वी के चारों ओर 252 चक्कर लगाने के बराबर था। उन्होनें कुल 372 घंटे अंतरिक्ष में व्यतीत किए।
कल्पना चावला – Kalpana Chawla की पहली अंतरिक्ष यात्रा (एसटीएस-87) के बाद इससे जुड़ी गतिविधियां पूरी करने के बाद कल्पना चावला – Kalpana Chawla को एस्ट्रोनॉट कार्यालय में ‘स्पेस स्टेशन’ पर कार्य करने की तकनीकी जिम्मेदारी सौंप दी गईं थी।
इसके बाद कल्पना चावला – Kalpana Chawla के उत्कृष्ट काम के लिए उन्हें सम्मानित किया गया था। साल 2000 में, कल्पना को उनके दूसरे अंतरिक्ष उड़ान के लिए चुना गया। उन्हें कोलंबिया अंतरिक्ष यान के एसटीएस-107 उड़ान के दल में शामिल किया गया।
इस मिशन में कल्पना को दी गई ज़िम्मेदारी में माइक्रोग्राइटी प्रयोग शामिल थे। अपने टीम के सदस्यों के साथ, उन्होंने उन्नत प्रौद्योगिकी विकास, अंतरिक्ष यात्री स्वास्थ्य और सुरक्षा, पृथ्वी और अंतरिक्ष विज्ञान के अध्ययन पर विस्तृत शोध किया।
इस मिशन के दौरान, शटल इंजन प्रवाह लाइनर में कई तकनीकी खराबी और अन्य कारण पा गए थे। जिसकी वजह से ये अभियान में लगातार देरी की गई लेकिन इसके बाद इस मिशन को फिर से शुरु किया गया।
6 जनवरी 2003 को कल्पना ने कोलंबिया पर चढ़ कर एसटीएस-107 मिशन की शुरुआत की। उन्हें इस मिशन में उन्हें लघुगुरुत्व (माइक्रोग्राइटी) प्रयोग करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी जिसके लिए उन्होनें अपनी टीम के साथ 80 प्रयोग किए।
इन प्रयोगों के जरिए पृथ्वी व अंतरिक्ष विज्ञान, उन्नत तकनीक विकास व अंतरिक्ष यात्री स्वास्थ्य व सुरक्षा का भी अध्ययन किया गया। आपको बता दें कि कोलंबिया अन्तरिक्ष यान के इस अभियान में कल्पना चावला – Kalpana Chawla के साथ अन्य यात्री भी शामिल थे।
कल्पना चावला की जानकारी – Kalpana Chawla Life History
1961: 1 जुलाई को हरियाणा के करनाल में पैदा हुईं।
1982: पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज चंडीगढ़ से एरोनौटिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की।
1982: आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका गयीं।
1983: उड़ान प्रशिक्षक जीन पिएर्र हैरिसन से विवाह किया।
1984: टेक्सास विश्वविद्यलय से ‘एयरोस्पेस इंजीनियरिंग’ में मास्टर ऑफ़ साइंस किया।
1988: ‘एयरोस्पेस इंजीनियरिंग’ विषय में शोध किया और पी.एच.डी. प्राप्त किया और नासा के लिए कार्य करने लगीं।
1993: ओवरसेट मेथड्स इंक में बतौर उपाध्यक्ष तथा अनुसन्धान वैज्ञानिक शामिल हुई।
1995: नासा के एस्ट्रोनॉट कोर्प में शामिल हुई।
1996: कोलंबिया अंतरिक्ष यान के एसटीएस-87 पर वे मिस्सिओना स्पेशलिस्ट के तौर पर गयीं थी।
1997: कोलंबिया अंतरिक्ष यान के एसटीएस-87 के द्वारा उन्होंने अंतरिक्ष में अपनी पहली उड़ान भरी।
2000: कल्पना को उनकी दूसरी अंतरिक्ष यात्रा यानि कोलंबिया अंतरिक्ष यान के एसटीएस-107 यात्रा के लिए चुना गया।
2003: 1 फरवरी को कोलंबिया अंतरिक्ष यान पृथ्वी के परिमंडल में प्रवेश करते समय टेक्सास के ऊपर दुर्घटनाग्रस्त हो गया जिसके फलस्वरूप यान पर सवार सभी 6 अंतरिक्ष यात्री मारे गए।
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उपसंहार
कल्पना चावला – Kalpana Chawla ने भारत की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री हैं और उन्होनें यहां तक पहुंचने के लिए काफी संघर्ष किया है उनकी ईमानदारी, कठोर दृढ़संकल्प, और मजबूत इरादों के दम पर वे इस मुकाम तक पहुंची और बाकी लड़कियों के लिए आदर्श बनी।
मध्यम वर्गीय परिवार से होने के बावजूद कल्पना ने अपने सपने को पूरा करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी यहां तक कि जब वे अंतरिक्ष यात्रा पर गईं थी तब भारत का तंत्रज्ञान ज्यादा मजबूत नहीं था, साथ ही लोगों को अन्तरिक्ष की समझ भी नहीं थी। उस समय कल्पना चावला – Kalpana Chawla ने अन्तरिक्ष में जाकर पूरी दुनिया में अपनी सफलता का परचम लहराया। कल्पना चावला की प्रतिभा, लगन और उनका योगदान हमेशा याद किया जाएगा।