Kar Kise Kahate Hain:हेलो स्टूडेंट्स, आज हमने यहां पर कर की परिभाषा, प्रकार और उदाहरण के बारे में विस्तार से बताया है।Kar Kise Kahate Hain यह हर कक्षा की परीक्षा में पूछा जाने वाले यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है।
Kar Kise Kahate Hain
किसी राष्ट्र द्वारा उस राष्ट्र के व्यक्तियों या विविध संस्थाओं से जो अधिभार (धन) लिया जाता है उसी को टैक्स या कर कहते है। कर प्रायः धन के रूप मे लिया जाता है, लेकिन यह धन के तुल्य श्रम के रूप मे भी लिया जा सकता है।Kar Kise Kahate Hain वर्तमान में कर सार्वजनिक (सरकार की) आय का प्रमुख स्त्रोत है।
कर की विशेषताएं
कर की विशेषताएं इस प्रकार है-
1. अनिवार्य अंशदान
कर सरकार को दियें जाने वाला अनिवार्य अंशदान है कर का भुगतान न करने पर व्यक्ति को सजा दी जा सकती हैKar Kise Kahate Hain। कोई व्यक्ति इस आधार पर कि असे वोट देने का अधिकार नही है उसे राज्य से कोई लाभ प्राप्त नही है सरकार को कर देने से मना नही किया जा सकता है एक व्यक्ति कर से तब तक बच सकता है जब तक वह उस वस्तु का उपयोग न करने का उद्धेश्य से उसे क्रय न करे जिसपर कर लगाया जाता है।
2. करों से प्राप्त आय सबके हित में व्यय की जाती है
राज्य का उद्धेश्य सभी नागरिको का कल्याण या हित करना है। देश के प्रत्येक नागरिक केई तरह से राज्य पर निर्भर रहता है और बिना राज्य का की सहायता के उसका आस्तित्व खतरे में पड़ जाता है।Kar Kise Kahate Hain आज देश के विकास और कुशल सेवाओं के उद्धेश्य से बहुत सें कार्य राज्य को सौंप दिये जाते है जिनकी पूर्ति के लिए राज्य को बहुत खर्च करना पड़ता है।
3. कर किसी विशेष सेवा के लिए किया जाने वाला भुगतान नही है
कर के भुगतान का राज्य अथवा उससे प्राप्त लाभ से कोई संबंध नही होताKar Kise Kahate Hain। यह मुमकीन नही है कि एक व्यक्ति भारी मात्रा में कर का भुगतान करे पर उसे राज्य से कोई लाभ प्राप्त न हों। प्रों . टॉजिग ने कर को अन्य शुल्कों से भिन्न बताते हुए कहा कि करों में भुगतान करने वाला एवं राज्य के बीच देना और लेना अथवा प्रत्यक्ष प्रतिफल’ का संबंध नही होता।
4. सरकार के द्वारा निर्धारण
करो का निर्धारण व्यक्तियों की इच्छानुसार नही किया जाता, वरन् सरकार स्वयं विशिष्ट नियमों एवं कानूनों के अन्तर्गत करों का निर्धारण करती है।
5. व्यक्तियों का भुगतान
कर वस्तुओं, सम्पत्ति व आय पर लगाया जा सकता है पर इसका भुगतान व्यक्ति की आय से ही किया जाता है।
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कर के उद्धेश्य
कर के उद्धेश्य इस प्रकार है–
1. आय प्राप्त करना
कर लगानें के और भी उद्धेश्य है पर आय प्राप्त करना इसका मुख्य उद्धेश्य हैKar Kise Kahate Hain। सरकार के बढ़ते हुए खर्च की पूर्ति के लिए कर लगाए जाते है पुराने समय में तो कर लगाने का एकमात्र उद्धेश्य आय प्राप्त करना था।
2. आय एवं सम्पत्ति की आसमानता को कम करना
आजकल सरकारों का मुख्य उद्धेश्य लोककल्याणकारी राज्यों की स्थापना करना हैKar Kise Kahate Hain। जिसमें सामाजिक न्याय और आय के समान वितरण को प्रमुखता दी जाती है प्रगतिशील करो के माध्यम धनी व ऊँची आय वालों पर कर लगाये जाते है तथा गरीबों को इस से दूर रखा गया है। इस प्रकार से आय के वितरण को समान रखने का प्रयत्न किया जाता है।
3. नियमन एवं नियन्त्रण
कर का उद्धेश्य आय प्राप्त करना ही नही है पर गैर आगम उद्धेश्य से भी कर लगाये जातें है जिन्हें नियामक कर कहते है। हानिकारक वस्तुओं के उपयोग को नियंत्रित करना, आयातों पर प्रतिबंध लगाना।
4. राष्ट्रीय आय को एक उपयुक्त स्तर पर बनाये रखना
कुछ अर्थशास्त्रियों का यह मत है कि करों का उद्धेश्य यह होना चाहिए कि राष्ट्रीय आय एक निश्चित स्तर पर बनी रहेKar Kise Kahate Hain। इस उद्धेश्य से आशय यह है करो से किसी आर्थिक क्रिया को इस प्रकार हतोत्साहित न किया जाए इसका का उत्पादन पर प्रतिकुल प्रभाव पड़े क्योंकि इससे देश की राष्ट्रीय आय कम हो जायेगी।
5. पूँजी निर्माण को प्रोत्साहन
आजकल विकासशील देशों की सबसे बड़ी समस्या पूँजी के निर्माण की है अत: कर भी इसी उद्धेश्य से लगाये जाते है कि बचत को उत्पादन कार्यो में लगाये जा सके। कर लगाने के पिछे मुल उद्धेश्य यह है कि विकासशील देशों में बचत अपने आप ही विनियोग की और प्रवाहित नही होती।
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कर का वर्गीकरण या प्रकार
करों के वर्गीकरण को करों के प्रकार या स्वरूप कहा जा सकता हैKar Kise Kahate Hain। इससे विभिन्न प्रकार के करों की जानकारी प्राप्त होती है। करों का वर्गीकरण निम्न प्रकार से किया जा सकता है–
1. प्रत्यक्ष तथा परोक्ष कर
2. आनुपातिक, प्रगतिशील एवं प्रतिगामी करारोपण
3. विशिष्ट कर एवं मूल्यानुसार कर
4. एक कर तथा बहु-कर प्रणाली
5. संपत्ति कर तथा वस्तु कर
6. अस्थायी कर तथा स्थायी कर
प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष करों का विवरण इस तरह है–
(अ) प्रत्यक्ष कर
कर की परिभाषा के अनुसार यह जनता द्वारा सरकार को दिए जाने वाले अनिर्वाय अंशदान है।Kar Kise Kahate Hain कर या तो उसी व्यक्ति के द्वारा चुकाया जाता है या उसे अन्य व्यक्ति पर विवर्तित किया जा सकता है। इस दशा मे वह कर जिसको वही चुकाता है, जिस पर कर लगाया जाता है, तो उसे प्रत्यक्ष कर कहते है।
प्रत्यक्ष कर की परिभाषा
प्रो. जे. एस. मिल के अनुसार,” एक प्रत्यक्ष कर वह है जो उसी व्यक्ति से मांगा जाता है जिससे कि भुगतान करने की इच्छा रखी जाती है।”
प्रो. डाल्टन के अनुसार,” एक प्रत्यक्ष कर वास्तव मे उसी व्यक्ति के द्वारा भुगतान किया जाता है जिस पर यह कानूनी तौर पर लगाया जाता है।”
प्रो. फिण्डले शिराज के अनुसार,” वे कर जो व्यक्तियों की संपत्ति एवं आय पर लगाये जाते हो और जो उपभोक्ताओं द्वारा राज्य को प्रत्यक्ष रूप से दिये जाते हो, उन्हे अप्रत्यक्ष कर कहा जाता है, जबकि शेष अन्य अप्रत्यक्ष कर होते है।
प्रो. बैस्टेबल के अनुसार,” प्रत्यक्ष कर वे कर है जो कि स्थाई और बार-बार उत्पन्न होने वाले अवसरों पर लगाये जाते है।”
प्रो. डी. मार्कों के अनुसार,” यदि किसी व्यक्ति की आय का प्रत्यक्ष अनुमान लगाकर उस पर कर लगाया जाता है तो वह प्रत्यक्ष कर कहलाता है।”
उपरोक्त परिभाषाओं मे से किसी भी एक परिभाषा को प्रत्यक्ष कर की पूर्ण परिभाषा कहना कठिन हैKar Kise Kahate Hain। संक्षेप मे, प्रत्यक्ष कर वह है जिनका करापात और कराघात एक ही व्यक्ति पर पड़ता है। इन्हें अन्यों पर डालना संभव नही है, जैसे आयकर, निगम कर, उत्तराधिकार कर आदि।
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(ब) परोक्ष या अप्रत्यक्ष कर
जब किसी कर का करापात एवं करभार अलग-अलग व्यक्तियों पर पड़ता है, तो उसे परोक्ष या अप्रत्यक्ष कर कहा जाता हैKar Kise Kahate Hain। जो व्यक्ति अप्रत्यक्ष करों को अदा करता है, उसे कर-भार सहन नही करना पड़ता है वरन् वह इस करभार को अन्य व्यक्तियों पर विवर्तित कर देता है। उदाहरण के तौर पर बिक्री कर को लिया जा सकता है। Kar Kise Kahate Hainबिक्रीकर का भुगतान व्यापारी द्वारा किया जाता है, किन्तु वह इस कर के भार को फुटकर विक्रेताओं या उपभोक्ताओं की ओर, वस्तु के मूल्य मे वृद्धि करके, विवर्तित कर देता है। इसी प्रकार, उत्पादन कर, मनोरंजन कर, आदि भी अप्रत्यक्ष करों के उदाहरण है।
अप्रत्यक्ष कर की परिभाषा
प्रो. डाल्टन के अनुसार,” अप्रत्यक्ष कर एक व्यक्ति पर लगाया जाता है, किन्तु इसका भुगतान पूर्णतया या अंशतया दूसरे व्यक्ति के द्वारा किया जाता है।”
प्रो. जे. एस. मिल के अनुसार,” अप्रत्यक्ष कर, वह कर है जो एक व्यक्ति से इच्छा और आशा से मांगा जाता है कि वह अपनी क्षतिपूर्ति दूसरे से कर लेगा।”
प्रो. बैस्टेबल के अनुसार,” परोक्ष कर वह कर है जो कभी-कभी उत्पन्न होने वाले विशेष अवसरों पर लगाया जाता है।”
प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों के अपने-अपने गुण और दोषों के कारण अर्थशास्त्री इनमे से कौन-सा कर श्रेष्ठ है, यह बताने मे मतभेद रखते है। कुछ प्रत्यक्ष करों को अच्छा मानते है, क्योंकि इनका भार अमीरों पर पड़ता है तथा गरीब बच जाते है। कुछ अप्रत्यक्ष करो को अच्छा मानते है, क्योंकि इनको वसूलना सरल है, किन्तु सभी अर्थशास्त्रियों का मत है कि ये दोनो एक दूसरे के पूरक है। ग्रेट स्टाॅटमेन के शब्दों मे,” प्रत्यक्ष एवं कर दो आकर्षक बहनों के समान है। जो लन्दन के सुन्दर संसार मे आई है। दोनों के मां-बाप एक है। उनमे उतना ही अंतर है जितना कि दो बहनों मे होता है।”
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