Kheera Ki Kheti Kaise Karen: खीरा की खेती (cucumber farming)पूरे भारत में की जाती है गर्मी के दिनों में बाजार में खीरा की काफी मांग रहती है। इसे मुख्य रूप से खाने के साथ सलाद के रूप में कच्चा ही खाया जाता है। यह गर्मी में coolness प्रदान करता है और हमारे शरीर में पानी की कमी को भी पूरा करता है। इसलिए गर्मियों में इसका सेवन काफी कारगर बताया गया है। खीरा की उन्नत खेती कैसे करें?
Kheera Ki Kheti Kaise Karen
गर्मियों में खीरे की बाजार की मांग को देखते हुए, अगर season के मौसम में खेती की जाए तो अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है। तो आइए अधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए खीरे की खेती के बारे में जानें।
खीरा की खेती के लिए जलवायु और मिट्टी
खीरा गर्मी की फसल है, जो 15-20 डिग्री सेल्सियस पर उचित वृद्धि के लिए उपयुक्त है। Greenhouse or polyhouse में सफलतापूर्वक उगाए गए है | Greenhouse or polyhouse में साल में तीन फसलें उगाने वाला खीरा शहर के पास उगाना काफी फायदेमंद होता है, बाजार में साधारण खीरे की जगह बिना बीज वाले खीरे की ज्यादा मांग होती है।
खीरे को लगभग सभी मिट्टी में उगाया जा सकता है, लेकिन दोमट मिट्टी खेती और उत्पादन में आसानी, उच्च जैविक सामग्री, दोमट मिट्टी का Ph 6-7 और अच्छी जल निकासी, और उचित खेती भी होती है।
बिजाई (sowing)
खीरे की फसल को खेतों में बोने का सबसे अच्छा समय फरवरी-मार्च है। बुवाई के लिए प्रति हेक्टेयर 2 से 2.5 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। खीरे के पौधे फैल रहे हैं। इसलिए अच्छी फसल की बुवाई करते समय उनके बीजों की दूरी कम से कम 50 से 100 सेमी होनी चाहिए।
खीरे की रोपाई करते समय खेतों में पंक्तियों को एक पंक्ति से दूसरी पंक्ति में कम से कम 150 सेमी की दूरी पर रखना चाहिए। खीरे के बीज बोते समय 1 सेमी की गहराई तक बोयें। बुवाई के समय कम से कम दो बीज बोने चाहिए।
खाद एवं उर्वरक (Manure & Fertilizer)
खेत तैयार करते समय 40 किलो नाइट्रोजन (90 किलो यूरिया), 20 किलो Phosphorous (125 किलो सिंगल Phosphate) और 20 किलो potassium (35 kg muriate of potash) का प्रयोग करें। एक तिहाई नत्रजन और potassium व Phosphorous की पूरी मात्रा बुवाई के समय तथा शेष उर्वरक एक माह बाद डालें।
समय पर सिंचाई (Timely irrigation)
मौसम और मिट्टी के प्रकार के अनुसार पानी देना बेहतर है। सामान्यतः शुष्क मौसम में पानी अधिक होना चाहिए और गीले मौसम में पौधों को कम पानी की आवश्यकता होती है। आवश्यकतानुसार फसल की सिंचाई करने की सलाह देती है। बीज बोने के 1-2 दिन बाद हल्की पानी देना सबसे अच्छा होता है। अंकुरण तेज होता है। इसके बाद 4 से 5 दिन बाद दोबारा पानी पिलाएं।
रोग नियंत्रण (Common Diseases)
विषाणु रोग (viral disease):- वायरल रोग खीरे का एक आम रोग है, यह रोग पौधों की पत्तियों से शुरू होता है और इसका प्रभाव फलों पर पड़ता है। इस रोग में पत्तियों पर पीले धब्बे पड़ जाते हैं और धीरे-धीरे पत्तियाँ सिकुड़ने लगती हैं। इस रोग का प्रभाव फल पर भी पड़ता है, फल छोटे और टेडी हो जाते हैं। रोग को नीम का काढ़ा या गौमूत्र में micro zyme को मिला कर इसे 250 ml प्रति pump फसलो पर छिडकाव करने से दूर किया जा सकता है |
एन्थ्रेक्नोज ( Anthreknoj ):- यह रोग मौसम में बदलाव के कारण होता है।इस रोग की विशेषता फलों और पत्तियों पर धब्बे होते हैं। 250 मिली प्रति Pump फसलों को दिया जाता है। छिड़काव करके हटाया जा सकता है।
चूर्णिल असिता ( powdered asita ) : यह रोग erysiphi sicoracearum नामक कवक के कारण होता है। यह रोग मुख्य रूप से पत्तियों पर होता है और यह धीरे-धीरे तने के फूलों और फलों को प्रभावित करता है। इस रोग में पत्तियों के आधार पर सफेद धब्बे दिखाई देते हैं और धीरे-धीरे ये धब्बे बढ़ने लगते हैं और तने के फूल और फलों पर आक्रमण करने लगते हैं।
नर्सरी कैसे तैयार करें?
कई किसान अपने भाइयों की जलवायु और जलवायु परिस्थितियों में खेती करने के लिए खीरे के पौधे तैयार कर सकते हैं या नर्सरी से पौधे खरीद सकते हैं। जब किसानों को खीरे की पौध या नर्सरी की आवश्यकता हो तो किसान को पहले से ही खीरे की खेती करनी चाहिए और खेत में अधिक तापमान के कारण खीरे की देर से खेती करनी चाहिए या सीधे नहीं करनी चाहिए।
नर्सरी से तैयार पौधों को खेत में किसी भी मौषम मे लगा सकता है तथा पॉलीहाउस नेट हाउस तथा मौसम के अनुकूल उत्पादन ले सकता है |
फसल की तुड़ाई और उपज
बुवाई के 45-50 दिन बाद उपज शुरू हो जाती है, पूरी फसल में 10-12 बार तोड़ा जा सकता है, और कटाई तेज चाकू या अन्य नुकीली चीज से की जानी चाहिए।
पैदावार और लाभ
यदि आप किसान है तो आपको खेती में कम लागत लगाकर मोटी रकम कमा सकते है. इसके लिए बस आपको अपने खेत में खीरे कि खेती करनी होगी
नीदरलैंड के खास बीज देसी खीरो की खेती करें तो बाजार में खीरा 25 रुपये किलो बिकता है. तो आप 40 से 45 प्रति किलो के हिसाब से बिकेंगे और आप उसके हिसाब से अनुमान लगा सकते हैं, जो भी आपका क्रेडिट है, आप उतना ही बेचेंगे जितना आपकी फसल तैयार है और उतनी ही आय प्राप्त होगी।
निष्कर्ष
खीरे की खेती (cucumber farming) बहुत ही लाभकारी व उपयोगी होता हैं।खीरा हमारे शरीर में पाचन शक्ति को बढ़ाने में मदद करता है, खीरे में Protein, vitamin C, Iron, Carbohydrate जैसे तत्व पाए जाते है| वैसे तो खीरा गर्मी के मौसम में होता है पर वर्षा ऋतू में खीरे की फसल अधिक होत। किसान भाईयों का कहना हैं कि इसकी खेती से अच्छी income की उम्मीद रहती हैं ।
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तो किसान मित्रों, यह है खीरे की खेती (cucumber farming) के बारे में पूरी जानकारी। मुझे उम्मीद है कि आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। इसे अपने दोस्तों के साथ साझा करें। यदि आपके कोई प्रश्न हैं, तो आप हमें एक टिप्पणी छोड़ सकते हैं। पूरा लेख पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।