LC श्रेणी परिपथ : जब दिए गए परिपथ में एक प्रेरकत्व L , प्रतिरोध R तथा संधारित्र C आपस में श्रेणी क्रम में जुड़े हुए हो तथा इन तीनो के साथ कोई प्रत्यावर्ती धारा स्रोत जुड़ा हो तो इस प्रकार बने परिपथ को LCR श्रेणी परिपथ कहते है।
जैसा चित्र में दिखाया गया है की तीनों LCR आपस में श्रेणी क्रम में जुड़े है तथा एक प्रत्यावर्ती स्रोत भी श्रेणी क्रम में जुड़ा हुआ है अत: यह LCR परिपथ है।
जब प्रत्यावर्ती धारा स्रोत को चालू किया जाता है तो प्रतिरोध , प्रेरकत्व तथा संधारित्र इन तीनो के सिरों पर अलग अलग विभवान्तर उत्पन्न हो जाता है माना यह क्रमशः VR
, VL , VC है।
माना प्रत्यावर्ती धारा I = I0sinwt
प्रतिरोध के सिरों के मध्य विभवान्तर VR = V0sinwt
तथा संधारित्र के सिरों के मध्य विभवान्तर VC = V0sin(wt – π/2 ) है।
तथा प्रेरकत्व के सिरों के मध्य विभवान्तर VL = V0sin(wt + π/2 ) है।
अकेले प्रतिरोध के लिए धारा तथा विभवान्तर दोनों समान कला में होते है।
अकेले प्रेरकत्व के लिए विभवान्तर धारा से कला में π/2 आगे रहता है। अकेले संधारित्र के लिए विभवान्तर धारा से कला में π/2 पीछे रहता है।
अत: तीनों के लिए अलग लग फेजर डायग्राम निम्न प्रकार होगा
चूँकि यहाँ तीनो साथ में लगे हुए है तो RLC परिपथ के लिए फेजर डायग्राम निम्न प्रकार प्राप्त होता है
निम्न फेजर डायग्राम को हल करने पर अर्थात परिणामी मान निम्न प्रकार ज्ञात किया जाता है
हम ऊपर इन तीनो के कला के बारे में बात कर चुके है तो इन तीनो को कला के साथ लिखकर इनके सिरों पर उत्पन्न विभवान्तर का मान निम्न होता है
तीनों के सिरों पर उत्पन्न विभवान्तर का मान फेजर वाली समीकरण में रखकर हल करने पर
Remark:
दोस्तों अगर आपको इस Topic के समझने में कही भी कोई परेशांनी हो रही हो तो आप Comment करके हमे बता सकते है | इस टॉपिक के expert हमारे टीम मेंबर आपको जरूर solution प्रदान करेंगे|