Lohri Essay In Hindi

Lohri Essay In Hindi:लोहड़ी पंजाबी और हरियाणवी लोग बहुत उल्लास से मनाते हैं. यह देश के उत्तर प्रान्त में ज्यादा मनाया जाता हैं

Lohri Essay In Hindi

. इन दिनों पुरे देश में पतंगों का ताता लगा रहता हैं. पुरे देश में भिन्न-भिन्न मान्यताओं के साथ इन दिनों त्यौहार का आनंद लिया जाता हैं.

प्रस्तावना

लोहड़ी के त्यौहार उद्देश्य (Lohri Festival Objective)

सामान्तः त्यौहार प्रकृति में होने वाले परिवर्तन के साथ- साथ मनाये जाते हैं जैसे लोहड़ी में कहा जाता हैं कि इस दिन वर्ष की सबसे लम्बी अंतिम रात होती हैं इसके अगले दिन से धीरे-धीरे दिन बढ़ने लगता है. साथ ही इस समय किसानों के लिए भी उल्लास का समय माना जाता हैं. खेतों में अनाज लहलहाने लगते हैं और मोसम सुहाना सा लगता हैं, जिसे मिल जुलकर परिवार एवम दोस्तों के साथ मनाया जाता हैं. इस तरह आपसी एकता बढ़ाना भी इस त्यौहार का उद्देश्य हैं.

लोहड़ी का त्यौहार कब मनाया जाता हैं

लोहड़ी पौष माह की अंतिम रात को एवम मकर संक्राति की सुबह तक मनाया जाता हैं यह  प्रति वर्ष मनाया जाता हैं. इस साल 2022 में यह त्यौहार 14 जनवरी को मानाया जायेगा. त्यौहार भारत देश की शान हैं. हर एक प्रान्त के अपने कुछ विशेष त्यौहार हैं. इन में से एक हैं लोहड़ी. लोहड़ी पंजाब प्रान्त के मुख्य त्यौहारों में से एक हैं जिन्हें पंजाबी बड़े जोरो शोरो से मनाते हैं. लोहड़ी की धूम कई दिनों पहले से ही शुरू हो जाती हैं. यह समय देश के हर हिस्से में अलग- अलग नाम से त्यौहार मनाये जाते हैं जैसे मध्य भारत में मकर संक्रांति, दक्षिण भारत में पोंगल का त्यौहार  एवम काईट फेस्टिवल भी देश के कई हिस्सों में मनाया जाता हैं. मुख्यतः यह सभी त्यौहार परिवार जनों के साथ मिल जुलकर मनाये जाते हैं, जो आपसी बैर को खत्म करते हैं.

लोहड़ी के त्यौहार क्यों मनाया जाता है, इतिहास (Why we are Celebrated Lohri Festival History and Story)

पुराणों के आधार पर इसे सती के त्याग के रूप में प्रतिवर्ष याद करके मनाया जाता हैं. कथानुसार जब प्रजापति दक्ष ने अपनी पुत्री सती के पति महादेव शिव का तिरस्कार किया था और अपने जामाता को यज्ञ में शामिल ना करने से उनकी पुत्री ने अपनी आपको को अग्नि में समर्पित कर दिया था. उसी दिन को एक पश्चाताप के रूप में प्रति वर्ष लोहड़ी पर मनाया जाता हैं और इसी कारण घर की विवाहित बेटी को इस दिन तोहफे दिये जाते हैं और भोजन पर आमंत्रित कर उसका मान सम्मान किया जाता हैं. इसी ख़ुशी में श्रृंगार का सामान सभी विवाहित महिलाओ को बाँटा जाता हैं.

लोहड़ी के पीछे एक एतिहासिक कथा भी हैं जिसे दुल्ला भट्टी के नाम से जाना जाता हैं. यह कथा अकबर के शासनकाल की हैं उन दिनों दुल्ला भट्टी पंजाब प्रान्त का सरदार था, इसे पंजाब का नायक कहा जाता था. उन दिनों संदलबार नामक एक जगह थी, जो अब पाकिस्तान का हिस्सा हैं. वहाँ लड़कियों की बाजारी होती थी. तब दुल्ला भट्टी ने इस का विरोध किया और लड़कियों को सम्मानपूर्वक इस दुष्कर्म से बचाया और उनकी शादी करवाकर उन्हें सम्मानित जीवन दिया. इस विजय के दिन को लोहड़ी के गीतों में गाया जाता हैं और दुल्ला भट्टी को याद किया जाता हैं.

इन्ही पौराणिक एवम एतिहासिक कारणों के चलते पंजाब प्रान्त में लोहड़ी का उत्सव उल्लास के साथ मनाया जाता हैं.

कैसे मनाया जाता हैं लोहड़ी का पर्व (How we Celebrate Lohri)

पंजाबियों के विशेष त्यौहार हैं लोहड़ी जिसे वे धूमधाम से मनाते हैं. नाच, गाना और ढोल तो पंजाबियों की शान होते हैं और इसके बिना इनके त्यौहार अधूरे हैं.

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पंजाबी लोहड़ी गीत (Song) :

लोहड़ी आने के कई दिनों पहले ही युवा एवम बच्चे लोहड़ी के गीत गाते हैं. पन्द्रह दिनों पहले यह गीत गाना शुरू कर दिया जाता हैं जिन्हें घर-घर जाकर गया जाता हैं. इन गीतों में वीर शहीदों को याद किया जाता हैं जिनमे दुल्ला भट्टी के नाम विशेष रूप से लिया जाता हैं

लोहड़ी खेती खलियान के महत्व :

लोहड़ी में रबी की फसले कट कर घरों में आती हैं और उसका जश्न मनाया जाता हैं. किसानों का जीवन इन्ही फसलो के उत्पादन पर निर्भर करता हैं और जब किसी मौसम के फसले घरों में आती हैं हर्षोल्लास से उत्सव मनाया जाता हैं. लोहड़ी में खासतौर पर इन दिनों गन्ने की फसल बोई जाती हैं और पुरानी फसले काटी जाती हैं. इन दिनों मुली की फसल भी आती हैं और खेतो में सरसों भी आती हैं. यह ठण्ड की बिदाई का त्यौहार माना जाता हैं.

लोहड़ी एवम पकवान :

भारत देश में हर त्यौहार के विशेष व्यंजन होते हैं. लोहड़ी में गजक, रेवड़ी, मुंगफली आदि खाई जाती हैं और इन्ही के पकवान भी बनाये जाते हैं. इसमें विशेषरूप से सरसों का साग और मक्का की रोटी बनाई जाती हैं और खाई एवम प्यार से अपनों को खिलाई जाती हैं.

लोहड़ी बहन बेटियों का त्यौहार :

इस दिन बड़े प्रेम से घर से बिदा हुई बहन और बेटियों को घर बुलाया जाता हैं और उनका आदर सत्कार किया जाता हैं. पुराणिक कथा के अनुसार इसे दक्ष की गलती के प्रयाश्चित के तौर पर मनाया जाता हैं और बहन बेटियों का सत्कार कर गलती की क्षमा मांगी जाती हैं. इस दिन नव विवाहित जोड़े को भी पहली लोहड़ी की बधाई दी जाती हैं और शिशु के जन्म पर भी पहली लोहड़ी के तोहफे दिए जाते हैं.

लोहड़ी में अलाव/ अग्नि क्रीड़ा का महत्व :

लोहड़ी के कई दिनों पहले से कई प्रकार की लकड़ियाँ इक्कट्ठी की जाती हैं. जिन्हें नगर के बीच के एक अच्छे स्थान पर जहाँ सभी एकत्र हो सके वहाँ सही तरह से जमाई जाती हैं और लोहरी की रात को सभी अपनों के साथ मिलकर इस अलाव के आस पास बैठते हैं. कई गीत गाते हैं, खेल खेलते हैं, आपसी गिले शिक्वे भूल एक दुसरे को गले लगाते हैं और लोहड़ी की बधाई देते हैं. इस लकड़ी के ढेर पर अग्नि देकर इसके चारों तरफ परिक्रमा करते हैं और अपने लिए और अपनों के लिये दुआयें मांगते हैं. विवाहित लोग अपने साथी के साथ परिक्रमा लगाती हैं. इस अलाव के चारों तरफ बैठ कर रेवड़ी, गन्ने, गजक आदि का सेवन किया जाता हैं.

लोहड़ी मनाने के पीछे का कारण

पंजाब में लोहड़ी के त्यौहार को मनाने के बारे में लोगों की कई धारणाएँ हैं, जिनमें से कुछ शामिल हैं:

? माना जाता है कि लोहड़ी शब्द “लोई“ से लिया गया है, जो महान संत कबीर की पत्नी थी।

? जबकि कुछ लोगों का मानना ​​है कि यह शब्द “लोह“ से उत्पन्न हुआ है जो कि पत्तियों को बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला उपकरण है।

? राज्य के कुछ हिस्सों में लोगों का यह भी मानना ​​है कि त्योहार का नाम होलिका की बहन के नाम से उत्पन्न हुआ, जो आग से बच गई जबकि होलिका की मृत्यु हो गई।

? इसके अलावा, कुछ लोगों का यह भी मानना ​​है कि लोहड़ी शब्द की उत्पत्ति तिलोरी शब्द से हुई है जो रोरी और तिल शब्द के मेल से आता है।

यह त्योहार देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है और लोग इस दिन का बेसब्री से इंतजार करते हैं।

आंध्र प्रदेश में इसे भोगी नाम से मनाया जाता है। इसी तरह असम, तमिलनाडु और केरल में यह त्योहार क्रमशः माघ बिहू, पोंगल और ताई पोंगल के नाम से मनाया जाता है। दूसरी ओर यूपी और बिहार के लोग इसे मकर संक्रांति का उत्सव कहते हैं।

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2. पंजाब में लोहड़ी कैसे मनाई जाती है?

भारत के लोग लोहड़ी को कई अन्य त्योहारों की तरह खुशी के साथ मनाते हैं। यह उन त्योहारों में से एक है जो परिवार और दोस्तों को एक साथ इकट्ठा होने और कुछ गुणवत्ता समय बिताने का अवसर देता है। लोहड़ी पर लोग अपने दोस्तों और परिवार के साथ जाते हैं और मिठाई बांटते हैं। यह त्यौहार किसानों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि इसे फसल का मौसम माना जाता है।

लोग अलाव जलाकर और नाचते-गाते और अलाव जलाते हुए त्योहार मनाते हैं। आग के चारों ओर गाते और नाचते समय, लोग पॉपकॉर्न, गुड़, रेवड़ी, चीनी-कैंडी और तिल फेंकते हैं।

इस दिन, शाम को हर घर में एक पूजा समारोह आयोजित किया जाता है। यह वह समय होता है जब लोग परिक्रमा करके और पूजा अर्चना करके सर्वशक्तिमान से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

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credit:Silent Writer

उपसंहार

रीति-रिवाजों के अनुसार इस दिन लोग सरसों के साग, गुड़, गजक, तिल, मूंगफली, फूलिया और प्रसाद के साथ मक्की की रोटी जैसे खाद्य पदार्थ खाते हैं। इसके अलावा लोग इस दिन नए कपड़े भी पहनते हैं और भांगड़ा करते हैं जो पंजाब का लोक नृत्य है।

किसानों के लिए, यह दिन एक नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है।

नवविवाहित जोड़े और नवजात शिशुओं के लिए भी यह त्योहार बहुत महत्व रखता है। इस दिन नवविवाहित दुल्हनों को परिवार के सभी सदस्यों से उपहार मिलते हैं और वे सभी गहने पहनने वाले होते हैं जो दुल्हन आमतौर पर अपने विवाह के दिन पहनते हैं।

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