एक चुम्बक के पास कोई चुम्बकीय सुई (कम्पास सूई ) लायी जाए तो चुंबकीय सुई एक निश्चित दिशा में ठहरती है , अब यदि चुम्बकीय सुई की स्थिति बदल दी जाए तो इसके ठहरने की दिशा भी बदल जाती है इसी प्रकार सुई एक वक्र पथ में विचलित होती रहती है। इससे यह सिद्ध होता है की चुम्बकीय क्षेत्र की रेखा वक्र के रूप में होती है इन्हीं वक्र रेखाओं को चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ या बल रेखाएं कहते है।
परिभाषा : किसी भी चुम्बक के चारों ओर का वह क्षेत्र जिसमे चुम्बकीय प्रभाव का अनुभव किया जा सकता है उसे क्षेत्र को उस चुंबक का क्षेत्र कहते है।
दूसरे शब्दों में कहे ” जब किसी चुम्बकीय क्षेत्र में एकांक उत्तरी ध्रुव को रखा जाए तो तो इस एकांक ध्रुव पर एक बल कार्य करता है , इस बल के कारण यह ध्रुव गति करता है , गति करने के लिए यह जिस पथ का अनुसरण करता है इस पर काल्पनिक रेखाएं खींचने पर यह पथ वक्र के रूप में प्राप्त होता है , इन वक्र रेखाओ को ही चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएं कहते है “
चुम्बकीय क्षेत्र रेखा या चुंबकीय बल रेखाओं के गुण (Properties of magnetic field line or magnetic force lines in hindi ):
1. चुम्बकीय रेखाएं बंद वक्र के रूप में होती है
किसी भी चुम्बक के बाहर चुम्बकीय रेखाएं उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव की ओर चलती है तथा चुम्बक के भीतर दक्षिण ध्रुव से उत्तर ध्रुव की ओर चलती है , चुम्बकीय क्षेत्र बल रेखाओ का अंत नहीं है।
2. किसी भी चुम्बकीय बल रेखा पर खिंची गयी स्पर्श रेखा उस बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को व्यक्त करती है।
3. दो चुम्बकीय बल रेखाये कभी भी एक दूसरे को नही काटती है , क्योंकि अगर ये एक दूसरे को काटे तो कटान बिन्दु पर चुंबकीय क्षेत्र की दो दिशाएं प्राप्त होती है जो की असंभव है।
4. जिस स्थान पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता अधिक होती है वहां सघन रेखाओ से दर्शाया जाता है तथा जहाँ चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता का मान कम होता है वहाँ कम रेखाओ से प्रदर्शित किया जाता है।
Remark:
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