मकर संक्रांति पर निबंध – Makar Sankranti Essay in hindi

Makar Sankranti Essay in hindi: हेलो स्टूडेंट, हम आपको इस आर्टिकल मे मकर संक्रांति पर निबंध बताया गया है | पोस्ट अंत तक पढ़े |

Makar Sankranti Essay in hindi


प्रस्तावना


भारत एक ऐसा देश है जिसे त्यौहारों की भूमिका मानी जाती है, और मकर संक्रांति से ये त्यौहार शुरू होते हैं। यह हिंदू धर्म के त्यौहारों में से एक हैं, जो सूर्य देव के मकर राशि में प्रवेश करने पर मनाया जाता है।
मकर संक्रांति के दिन चावल, गेहूं, मिठाई दान, करने से व्यक्ति को समृद्धि आता है, और उसकी हर प्रकार की बाधाएं दूर होती है।
मकर संक्रांति का त्यौहार कब मनाया जाता है?
यहां हर साल आमतौर पर 14-15 जनवरी को पड़ता है लेकिन सूर्य चक्र के अनुसार यह 15 जनवरी को भी मनाया जाता है। भारतीय महीनों में यह त्यौहार पौष महीने में आता है।
साल 2021 में मकर संक्रांति बुधवार, 15 जनवरी को मनाया जाएगा यानि यह शीत ऋतु के दौरान प्रतिवर्ष मनाया जाता है।Makar Sankranti Essay in hindi


मकर संक्रांति क्यों मनाया जाता है?


पौष मास में जब सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है तब हिंदू मकर संक्रांति मनाते हैं।
माना जाता है कि इस दिन भगवान सूर्य देव अपने बेटे शनि से मिलने के लिए उनके घर पर जाते हैं। क्योंकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं इसलिए इस त्यौहार को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है।

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मकर संक्रांति का अर्थ


इसके त्योहार के नाम में ‘मकर’ शब्द का अर्थ मकर राशि है तथा ‘संक्रांति’ शब्द का अर्थ संक्रमण है इसीलिए मकर संक्रांति का अर्थ है सूर्य का मकर राशि में संक्रमण। जिसे हिंदू धर्म के अनुसार शुभ अवसरों में से एक माना जाता है और बहुत ही खुशियों के साथ यह त्यौहार लोगों द्वारा मनाया जाता है।
मकर संक्रांति का महत्व
ग्रह मकर का उत्तरायण में सूर्य का संक्रमण आध्यात्मिक महत्व का है और इस दिन यह माना जाता है कि गंगा जैसे पवित्र नदियों में डुबकी लगाने से हमारे सारे पाप धुल जाते हैं, और हमारी आत्मा पवित्र और शुद्ध हो जाती है।
मकर संक्रांति में रात छोटी और दिन लंबे होने लगती हैं, जो आध्यात्मिक प्रकाश की वृद्धि और भौतिकतावादी अंधकार को कम करने का प्रतीक है।
यह भी माना जाता है कि मकर संक्रांति के दौरान “कुंभ मेला” पर प्रयागराज में त्रिवेणी संगम, पर पवित्र स्नान करने से हमारे सभी पाप धुल जाते हैं, और जीवन के सभी बाधाएं दूर होती हैं।


मकर संक्रांति के उत्सव का वर्णन


मकर संक्रांति प्रसन्नता और एकजुटता का त्यौहार है। मकर संक्रांति हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह एक ऐसा त्यौहार है जिसे देश भर में अलग-अलग नामों से और रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है।
लोग विभिन्न प्रकार की गतिविधियों के साथ जैसे- नित्य, गाना और भोजन के साथ मौसम का आनंद लेते हैं। जिसमें विशेष रूप से तिल के लड्डू बनाए जाते हैं। लोग पतंग भी उड़ाते हैं और अपने परिवार और दोस्तों के साथ मौसम का आनंद लेते हैं।
इस पतंगों और तिल के लड्डुओं के अनोखे हिंदू समुदाय द्वारा बहुत ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। लोग इस त्यौहार को सुबह के समय नदियों में पवित्र डुबकी लगाकर मनाते हैं, और सूर्य देव की पूजा करते हैं।Makar Sankranti Essay in hindi


मकर संक्रांति मनाने के तरीके


मकर संक्रांति के दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश करता है जो मकर रेखा में प्रवेश के रुप में भी जाना जाता है। मकर रेखा में सूर्य के प्रवेश का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृस्टि से बहुत महत्व होता है। सूर्य दक्षिणी गोलार्ध से उत्तरी गोलार्ध की ओर बढ़ने लगता है, इसे ही हम ‘उत्तरायन’ कहते है। आध्यात्मिक दृस्टि से देखा जाये तो ऐसा होना बहुत ही शुभ मन जाता है। इस शुभ दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करके अपने पापों को धोते है और सूर्य देव की पूजा करते है और उनका आशीर्वाद लेते है। इस दिन लोग दान भी करते है, ऐसा माना गया है, कि दान करने से सूर्य देव खुश होते है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
दक्षिणी गोलार्ध से उत्तरी गोलार्ध में सूर्य के प्रवेश करना बहुत ही शुभ माना जाता है। स्वास्थ्य के नजरिये से देखा जाये तो यह बहुत शुभ माना गया है। इसके साथ ही दिनों के समय में परिवर्तन होना शुरू हो जाता है। मकर संक्रांति का त्योहार हर्ष और उल्लास भी अपने साथ लेकर आता है। कई जगहों पर इस दिन पतंग उड़ाने की भी प्रथा है और पतंगबाजी का आयोजन भी किया जाता है। बड़े और बच्चें बड़े ही आनंद और जोश के साथ मनाते हैं।


मकर संक्रांति का पर्व मुझे क्यों अच्छा लगता है?


यह एक ऐसा दिन होता है जिस दिन आकाश में रंगबिरंगी पतंगों से भरा होता है। बच्चों में पतंग उड़ाने का बहुत उत्साह होता है, जो बच्चों में 10-15 दिन पहले ही देखी जा सकती हैं। सभी बच्चे इस दिन के लिए तैयारी पहले से ही कर पतंगे, मांझे इत्यादि खरीदकर घरों में रख देते है। इस दिन बहुत लोग स्नान के लिए कुछ धार्मिक स्थलों जैसे वाराणसी, प्रयागराज, हरिद्वार आदि गंगा के पवित्र घाटों पर स्नान करते है।
इस दिन मेरे घर के सभी सदस्य जल्दी उठकर गंगा नदी में स्नान करने के लिए जाते है। स्नान के बाद नए कपड़े पहनते है। स्नान करने के बाद मैं सूर्य देव को जल चढ़ता हूँ, उनकी पूजा और उन्हें गुड़, चावल और तिल से बनी चीजों का भोग लगाता हूँ और अच्छी फसल पैदा करने के लिए सूर्य देव का धन्यवाद और उनकी पूजा करता हूँ। फिर उसके बाद मैं गुड़ और तिल से बनी चीजों को खता हूँ और पैदा हुयी नई चावल से बनी चीजों का भी सेवन करता हूँ।
दोपहर तक नई फसल के चावल से खिचड़ी बनाई जाती है जिसमें तरह-तरह की सब्जियां मिलाकर तैयार की जाती है। हम सब मिलकर खिचड़ी को देशी घी या दही के साथ मिलाकर खाते है। मुझे पतंग उड़ाना बहुत ही पसंद है तो मैं अपनी पतंगों के साथ छत पर चला जाता हूँ और देर शाम तक पतंगबाजी करता हूँ।


महाकुंभ मेले का आयोजन


मकर संक्रांति के इस पवित्र दिन नदियों में स्नान करने की मान्यता है। इसलिए लोग स्नान के लिए गंगा के घाटों पर जाते है। इसे एक मेले के रूप में भी आयोजित किया जाता है जिसे अर्ध कुम्भ और महाकुंभ मेले का नाम दिया जाता है। वाराणसी में हर वर्ष अर्ध कुम्भ का मेला लगता है और प्रयाग के संगम पर महाकुंभ का आयोजन किया जाता है। यह महाकुंभ क्रमशः प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक के घाटों पर महाकुंभ पर्व के रूप में मनाया जाता है।
ऐसी मान्यता है की इस महाकुंभ में स्नान से आपके वर्षों के पाप धूल जायेंगे और आपको मोक्ष की प्राप्ति होगी। यह मेला मकर संक्रांति के दिन ही शुरू होता है और एक माह तक रहता है।


दान करने की प्रथा


विभिन्न प्रथाओं और संस्कृतियों के अनुसार देश के लगभग हर हिस्से में यह पर्व अलग-अलग नाम से मनाया जाता है। कई जगहों पर दान देने की प्रथा भी है। देश के अलग-अलग हिस्सों में दान अलग प्रकार से दिया जाता है। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड व उत्तरांचल प्रांतो में गरीबों को अन्न में दाल-चावल और पैसों का दान दिया जाता है। बाहर से आये संतो को भी लोग दान में अन्न और पैसे देते है। अन्य राज्यों में इस दिन गरीबों को खाना खिलाते हैं। अन्नदान महादान माना गया है, इसलिए उपज में पैदा हुई फसलों का दान गरीबों और संतो में करके चारों तरफ खुशियां बाटना इस पर्व का उद्देश्य है।Makar Sankranti Essay in hindi


पतंगबाजी का आयोजन


बहुत सी जगहों पर इस दिन पतंगबाजी की प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाता है। इस दिन मेरे यहां भी पतंगबाजी की एक प्रतियोगिता की जाती है जिसमें मैं भी हिस्सा लेता हूँ। अलग-अलग आयु वर्गों के लिए यह प्रतियोगिता कई भागों में बटी होती है, जिसमें मेरे माता-पिता और भैया-भाभी भी इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेते है, और इस त्योहार का भरपूर आनंद लेते है। बच्चों के साथ ही इस प्रतियोगिता की शुरुआत होती है जिसे गाने और संगीत के साथ आयोजन शुरू किया जाता है। मैंने इस प्रतियोगिता में अभी तक कभी जीत नहीं पाया हूँ, पर मुझे भरोसा है की एक दिन मैं अवश्य जीतूंगा। मैं पतंग बाजी में काफी अच्छा हूँ इसलिए मुझे खुद पर विश्वास है।
इस अवसर पर पूरे दिन पतंगों से आसमान भरा रहता है। रंगबिरंगी पतंगों साथ आसमान भी रंगीन लगने लगता है। प्रतियोगिता में जलपान और खाने की व्यवस्था भी की जाती है। प्रतियोगिता समाप्त होने के बाद सभी प्रतिभागियों को जलपान और भोजन कराया जाता है, जिसमें गुड़, तिल, इत्यादि से बनी चीजें और मिठाइयां होती है। जलपान और खाने के बाद विजेताओं को सम्मानित किया जाता है। इस आयोजन में सभी प्रतिभागी और हमारे कॉलोनी के सभी लोगों का बराबर का योगदान होता है। प्रतियोगिता के आयोजन को यादगार बनाने के लिए एक साथ सबकी फोटो खिची जाती है और बाद में सबको भेंट के रूप में दी जाती है।

https://www.youtube.com/watch?v=7WFoBCQbzMI
source:
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निष्कर्ष


मकर संक्रांति का एक अपना आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। देश भर में लोग पूरे उत्साह और जोश के साथ इस त्योहार को मनाते है। यह हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है जिसका उद्देश्य आपसी भाईचारा, एकता, और खुशियों को बटना हैं। इस दिन अन्य धर्मों के लोग भी पतंगबाजी में अपना हाथ आजमाते है और आनंद लेते है। गरीबों, जरूरतमंदों और संतो को दान के रूप में अन्न और पैसे देकर उनके साथ अपनी खुशियां बाटते है, ताकी चारों और बस खुशियाँ ही रहें।

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