Maulik Adhikar Kise Kahate Hain

Maulik Adhikar Kise Kahate Hain: हेलो स्टूडेंट्स, आज हमने यहां पर मौलिक अधिकार की परिभाषा, प्रकार और उदाहरण के बारे में विस्तार से बताया है।Maulik Adhikar Kise Kahate Hain यह हर कक्षा की परीक्षा में पूछा जाने वाले यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है।

Maulik Adhikar Kise Kahate Hain

मौलिक अधिकार वे अधिकार होते है जो व्यक्ति के जीवन के लिए मौलिक एवं आवश्यक होने के कारण संविधान के द्वारा नागरिकों को प्रदान किये जाते है।

मौलिक अधिकार की परिभाषा

डॉ. अम्बेडकर – ‘‘यदि मुझसे कोई प्रश्न पूछे कि संविधान का वह कौन सा अनुच्छेद हैMaulik Adhikar Kise Kahate Hain जिसके बिना संविधान शुन्यप्राय हो जायेगा तो इस अनुच्छेद 32 को छोड़कर मैं किसी और अनुच्छेद की ओर संकेत नहीं कर सकता यह संविधान की हृदय एवं आत्मा है।’’

श्री ए.एन.पालकीपाल ने कहा है- ‘‘मौलिक अधिकार राज्य के निरंकुश स्वरूप से साधारण नागरिकों की रक्षा करने वाला कवच है।’’

न्यायाधीश के. सुब्बाराव के अनुसार – ‘‘परम्परागत प्राकृतिक अधिकारों का दूसरा नाम मौलिक अधिकार है।’’

मौलिक अधिकार के प्रकार

भारत संविधान में मौलिक अधिकार 7 थे। यद्यपि वर्ष 1976 में 44वें संविधान संशोधन द्वारा मौलिक अधिकारों की सूची में से संपत्ति का अधिकार हटा दिया गया था। तब से यह एक कानूनी अधिकार बन गया है। अब कुल छ: मौलिक अधिकार है।Maulik Adhikar Kise Kahate Hain भारत संविधान में अब कुल छ: मौलिक अधिकार है।

भारतीय नागरिक के मौलिक अधिकार कौन-कौन से हैं निम्नलिखित है –

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  1. समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14 से 18)
  2. स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19 से 22)
  3. शोषण के विरूद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23 से 24)
  4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25 से 28)
  5. सांस्कृतिक एवं शैक्षणिक अधिकार (अनुच्छेद 29 से 30)
  6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32)

1. समानता का अधिकार

भारतीय समाज के व्याप्त असमानताओं एवं विषमताओं को दूर करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 14 से 18 में समानता के अधिकार का उल्लेख किया गया है।

  • विधि के समक्ष समानता – अनुच्छेद 14 के अनुसार ‘‘भारत राज्य क्षेत्र में किसी व्यक्ति को विधि के समक्ष समानता से वंचित नहीं किया जावेगा। Maulik Adhikar Kise Kahate Hainआशय कानून की दृष्टि से सब नागरिक समान है।
  • सामाजिक समानता – अनुच्छेद 15 के अनुसार राज्य किसी नगरिक के विरूध धर्म वंश जाति लिंग जन्म स्थान आदि के आधार पर नागरिकों के प्रति जीवन के किसी क्षेत्र में पक्षपात नहीं किया जावेगा।
  • अवसर की समानता – अनुच्छेद 16 की व्यवस्था के अनुसार राज्य की नौकरियों के लिए सभी को समान अवसर प्राप्त होंगे।
  • अस्पृश्यता का अंत –  अनुच्छेद 17 के अनुसार अस्पृश्यता का अंत कर दिया गया हैMaulik Adhikar Kise Kahate Hain। किसी भी दृष्टि में अस्पृश्यता का आचरण करना कानून दृष्टि में अपराध एवं दण्डनीय होगा।
  • उपाधियों का अंत – अनुच्छेद 18 के अनुसार ‘‘सेना अथवा शिक्षा संबंधी उपाधियों के अलावा राज्य अन्य को उपाधियाँ प्रदान नहीं कर सकता।

2. स्वतंत्रता का अधिकार

स्वतंत्रता एक सच्चे लोकतत्र की आधारभूत स्तंभ होती है।Maulik Adhikar Kise Kahate Hain संविधान के अनुच्छेद 19 से 22 तक इन अधिकारों का उल्लेख है।

  • विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता – अनुच्छेद 19 के अनुसार भारत के प्रत्येक नागरिक को भाषण लेखन एवं अन्य प्रकार से अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार है।
  • शांतिपूर्व एवं नि:शस्त्र सभा करने की स्वतंत्रता – अनुच्छेद 19 के अनुसार प्रत्येक नागरिक को शांतिपूर्ण ढंग से बिना हथियारों के सभा या सम्मेलन आयोजित करने का अधिकार है।
  •  समुदाय और संघ बनाने की स्वतंत्रता – भारतीय संविधान द्वारा नागरिकों को समुदाय और संघ बनाने की स्वतंत्रता प्रदान की गयी है।Maulik Adhikar Kise Kahate Hain द भ्रमण की स्वतंत्रता – प्रत्येक भारतीय को को संपूर्ण भारत में बिना किसी रोकटोक के भ्रमण करने तथा निवास की स्वतंत्रता है।
  • अपराध के दोष सिद्ध के विषय में संरक्षण की स्वतंत्रता– संविधान के अनुच्छेद 20 अनुसार को भी व्यक्ति अपराध के लिए तब तक दोषी नहीं ठहराया जा सकता जब तक कि वह किसी ऐसे कानून का उल्लंधन न करे जो अपराध के समय लागू था और वह उससे अधिक दण्ड का पात्र न होगा।
  • जीवन और शरीर रक्षण की स्वतंत्रता – संविधान के अनुच्छेद 21 के अनुसार किसी व्यक्ति को अपने प्राण या शारीरिक स्वतंत्रता से विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया को छोड़कर अन्य किसी से वंचित नहीं किया जा सकता।
  • बंदीकरण से संरक्षण की स्वतंत्रता – संविधान के अनुच्छेद 22 के द्वारा बंदी बनाये जाने वाले व्यक्ति को कुछ संवैधानिक अधिकार प्रदान किये गये है।

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3. शोषण के विरूद्ध अधिकार

संविधान के अनुच्छेद 23 व 24 के अनुसार को व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति का शोषण नहीं कर सकेगा। इस संबंध में निम्न व्यवस्थाएं की गयी है-

  • मनुष्यों का क्रय-विक्रय निषेध – संविधान के अनुच्छेद 32 (1) के अनुसार मनुष्यों, स्त्रियों और बच्चों के क्रय-विक्रय को घोर अपराध और दण्डनीय माना गया है।
  •  बेगार का निषेध – संविधान के अनुच्छेद 24 के अनुसार, 14 वर्ष से कम आयु वाले बालकों को कारखानों अथवा खानों में कठोर श्रम के कार्यों के लिए नौकरी में नहीं रखा जा सकेगा।
  • शोषण के विरूद्ध अधिकार का अपवाद – इस अधिकार की व्यवस्था में सार्वजनिक उद्देश्य से अनिवार्य श्रम की को योजना लागू करने का राज्य को अधिकार है।Maulik Adhikar Kise Kahate Hain वस्तुत: शोषण के विरूद्ध अधिकार का उद्देश्य एक वास्तविक सामाजिक लोकतंत्र की स्थापना करना है।

4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार

धार्मिक स्वतंत्रता का अभिप्राय यह है कि किसी धर्म में आस्था रखने या न रखने के बारे में राज्य को हस्ताक्षेप नहीं करेगा।Maulik Adhikar Kise Kahate Hain संविधान के अनुच्छेद 25 से 28 तक भारत के सभी नागरिकों के लिए धार्मिक स्वतंत्रता की व्यवस्था की गयी है।

 इस अधिकार के अंतर्गत निम्नलिखित स्वतंत्रताएं प्रदान की गयी हैं-

  • धार्मिक आचरण एवं प्रचार की स्वतंत्रता – संविधान के अनुच्छेद 25 के अनुसारप्रत्येक व्यक्ति को अपने अत:करण की मान्यता के अनुसार किसी भी धमर् को अबाध रूप में मानने, उपासना करने आरै उसका प्रचार करने की पूर्ण स्वतंतत्रता है
  • धार्मिक कार्यों के प्रबन्ध की स्वतंत्रता –  संविधान के अनुच्छदे 26 के द्वारा सभी धमोर्ं के अनुयायियों को धार्मिक और दानदात्री संस्थाओं की स्थापना औ उनके संचालन धार्मिक मामलों का प्रबंध, धार्मिक संस्थाओं द्वारा चल एवं अचल संपत्ति अर्जित करने राज्य के कानूनों के अनुसार प्रबंध करने की स्वतंत्रता प्रदान की ग है।
  • धार्मिक कार्यों के प्रबंध की स्वतंत्रता –  संविधान के अनुच्छदे 26 के द्वारा सभी धमोर्ं के अनुयायियों को धामिर्क और दानदात्री सस्ं थाओं की स्थापना और उनके संचालन, धार्मिक मामलों का प्रबंध, धार्मिक संस्थाओं द्वारा चल एवं अचल संपत्ति अर्जित करके राज्य के कानूनों के अनुसार प्रबध करने की स्वतंत्रता प्रदान की गयी है।
  • व्यक्तिगत शिक्षण-संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा देने की स्वतंत्रता –  संविधान के अनुच्छेद 28 की व्यवस्था के अनुसार किसी राजकीय (राज्य निधि से पूर्णत: पोषित) शिक्षण संस्था में किसी धर्म की शिक्षा नहीं दी जा सकती है।
  • धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के अपवाद –  धार्मिक कट्टरता एवं धार्मिक उन्माद को रोकने के लिये राष्ट्रीय एकता के उद्देश्य से सार्वजनिक हित में सरकार द्वारा इस अधिकार पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है।

5. संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार –

संविधान के अनुच्छेद 29 व 30 के द्वारा नागरिकों को संस्कृति एवं शिक्षा संबंधी दो अधिकार दिये गये है।

  • अल्पसंख्याकों के हितों का संरक्षण –  अनुच्छेद 29 के अनुसार अल्पसंख्याकों को अपनी भाषा लिपि या संस्कृति को सुरक्षित रखने का पूर्ण अधिकार है।
  • अल्पसंख्यकों को अपनी शिक्षण संस्थाओं की स्थापना एवं प्रशासन का अधिकार –  अनुच्छेद 30 के अनुसार धर्म या भाषा पर आधारित सभी अल्पसंख्यक वर्गों को अपनी रूचि के अनुसार शिक्षण संस्थाओं की स्थापना और उनके प्रशासन का अधिकार है।Maulik Adhikar Kise Kahate Hain यह अधिकार अल्पसंख्याकों को उनकी संस्कृति तथा भाष के संरक्षण हेतु राज्य से मिल रहे सहयोग को सुनिश्चित करता है।

6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार –

भारतीय संविधान में संवैधानिक उपचारों का प्रावधान इंग्लैंड की कानूनी व्यवस्था का अनुकरण हैMaulik Adhikar Kise Kahate Hain। इंग्लैण्ड में यह कॉमन लॉ की अभिव्यक्ति है। इंग्लैण्ड में संविधान उपचार की रीट इस कारण जारी की जाती थी कि सामान्य विधिक उपचारों उपयप्ति हैं। आगे चलकर ये रीट उच्च न्यायालय प्रदान करने लगा, क्योंकि उसके माध्यम से ही सम्राट न्यायिक शक्तियों का प्रयोग करता था।

भारतीय संविधान ने नागरिकों को केवल मौलिक अधिकार ही प्रदान नहीं किये हैंMaulik Adhikar Kise Kahate Hain, वरन् उनके संरक्षण की भी पूर्ण व्यवस्था की गयी है। अनुच्छेद 32 से 35 के अंतर्गत प्रत्येक नागरिक को यह अधिकार दिया गया है कि वह अपने मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए उच्च न्यायालय तथा उच्चतम न्यायालय की शरण ले सकता है। संवैधानिक उपचारों के अधिकार के महत्व के विषय में डॉभीमराव अम्बेडकर ने कहा था; ‘‘यदि मुझसे को यह पूछे कि संविधान का वह कौन-सा अनुच्छेद है, जिसके बिना संविधान शून्यप्राय हो जायेगा तो मैं अनुच्छेद 32 की ओर संकेत करूंगा। Maulik Adhikar Kise Kahate Hainयह अनुच्छेद तो संविधान की हृदय और आत्मा है।’’ यह अनुच्छेद उच्चतम तथा उच्च न्यायालयों को नागरिकों के मूल अधिकारों का सजग प्रहरी बना देता है। न्यायालयों द्वारा इन अधिकारों की रक्षा के लिए पांच उपचार प्रयोग किये जा सकते हैं-

1. बन्दी प्रत्यक्षीकरण लेख – व्यक्तिगत स्वतंत्रता हेतु यह लेख सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। लैटिन भाषा के हैबियस कार्पस का अर्थ है- ‘सशरीर उपस्थिति’। इस लेख के द्वारा न्यायालय बन्दी बनाये गये व्यक्ति की प्रार्थना पर अपने समक्ष उपस्थिति करने तथा उसे बन्दी बनाने का कारण बताये जाने का आदेश दे सकता है।Maulik Adhikar Kise Kahate Hain यदि न्यायालय के विचार में संबंधित व्यक्ति को बन्दी बनाये जाने के पर्याप्त कारण नहीं है या उसे कानून के विरूद्ध बन्दी बनाया गया है तो न्यायालय उस व्यक्ति को तुरंत रिहा (मुक्त) करने का आदेश दे सकता। Maulik Adhikar Kise Kahate Hainव्यक्तिगत स्वतंत्रता के लिए यह लेख सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।

2. परमादेश लेख – इस लेख अर्थ है- ‘हम आज्ञा देते हैं’। जब को सरकारी विभाग या अधिकारी अपने सार्वजनिक कर्तव्यों का पालन नहीं कर रहा है, जिसके परिणामस्वरूप किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकार का हनन होता है। तो न्यायालय इस लेख के द्वारा उस विभाग या अधिकारी को कर्तव्य पालन हेतु आदेश दे सकता है।

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3. प्रतिषेध लेख – इस लेख का अर्थ – ‘रोकना या मना करना।’ यहा आज्ञा पत्र उच्चतम एवं उच्च न्यायालयों द्वारा अपने अधीनस्थ न्यायालय को किसी मुकदमे की कार्यवाही को स्थगित करने के लिए निर्गत किया जाता हैMaulik Adhikar Kise Kahate Hain। इसके द्वारा उन्हें यह आदेश दिया जाता है कि वे उन मुकदमों की सुनवा न कीजिए जो उनके अधिकार क्षेत्र के बाहर हों।प्रतिषेध ओदश केवल न्यायिक पा्र धिकारियों के विरूद्ध ही जारी किये जा सकते हैं, प्रशासनिक कर्मचारियों के विरूद्ध नहीं।

4. उत्प्रेषण लेख – इस लेख का अर्थ है पूर्णतया सूचित करना। इस आज्ञा पत्र द्वारा उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालय को और उच्च न्यायालय अपने अधीनस्थ न्यायालय को किसी मुकदमे को सभी सूचनाओं के साथ उच्च न्यायालय में भेजने की सूचना देते हैंMaulik Adhikar Kise Kahate Hain। प्राय: इसका प्रयोग उस समय किया जाता है, Maulik Adhikar Kise Kahate Hainजब को मुकदामा उस न्यायालय के क्षेत्राधिकार से बाहर होता है और न्याय के प्राकृतिक सिद्धांतों का दुरूपयोग होने की संभावना होती हैMaulik Adhikar Kise Kahate Hain। इसके अतिरिक्त उच्च न्यायालय अपने अधीनस्थ न्यायालयों से किसी मुकदमे के विषय में सूचनाएं भी लेख के आधार पर मांग सकता है।

5. अधिकार-पृच्छा लेख – इस लेख का अर्थ है- ‘किस अधिकार से?’ जब कोइ व्यक्ति सार्वजनिक पद को अवैधानिक तरीके से जब जबरदस्ती प्राप्त कर लेता है तो न्यायलय इस लेख द्वारा उसके विरूद्ध पद को खाली कर देने का आदेश निर्गत कर सकता है।Maulik Adhikar Kise Kahate Hain इस आदेश द्वारा न्यायालय, संबंधित व्यक्ति से यह पूछता हैMaulik Adhikar Kise Kahate Hain कि वह किस अधिकार से इस पद पर कार्य कर रहा है? जब तक इस प्रश्न का सम्यक् एवं संतोषजनक उत्तर संबंधित व्यक्ति द्वारा नहीं दिया जाता, तब तक वह उस पद का कार्य नहीं कर सकता।

इस आर्टिकल में अपने पढ़ा कि,  मौलिक अधिकर किसे कहते हैं। हमे उम्मीद है कि उपर दी गयी जानकारी आपको आवश्य पसंद आई होगी। इसी तरह की जानकारी अपने दोस्तों के साथ ज़रूर शेयर करे ।

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