Meri Maa Essay In Hindi: माँ वह है जो हमें जन्म देती है, यहीं कारण है कि संसार में हर जीवनदायनी वस्तु को माँ की संज्ञा दी गयी है। यदि हमारे जीवन के शुरुआती समय में कोई हमारे सुख-दुख में हमारा साथी होता है तो वह हमारी माँ ही होती है।
Meri Maa Essay In Hindi
माँ हमें कभी इस बात का एहसास नही होने देती की संकट के घड़ी में हम अकेले हैं। इसी कारणवश हमारे जीवन में माँ के महत्व को नकारा नही जा सकता है।
प्रस्तावना
मेरे जीवन में मेरी माँ का महत्व
माँ एक ऐसा शब्द है, जिसके महत्व के विषय में जितनी भी बात की जाये कम ही है। हम माँ के बिना अपने जीवन की कल्पना भी नही कर सकते हैं। माँ के महानता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इंसान भगवान का नाम लेना भले ही भूल जाये लेकिन माँ का नाम लेना नही भूलता है। माँ को प्रेम व करुणा का प्रतीक माना गया है। एक माँ दुनियां भर के कष्ट सहकर भी अपने संतान को अच्छी से अच्छी सुख-सुविधाएं देना चाहती है।
एक माँ अपने बच्चों से बहुत ही ज्यादे प्रेम करती है, वह भले ही खुद भुखी सो जाये लेकिन अपने बच्चों को खाना खिलाना नही भूलती है। हर व्यक्ति के जीवन में उसकी माँ एक शिक्षक से लेकर पालनकर्ता जैसी महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाती है। इसलिए हमें अपनी माँ का सदैव सम्मान करना चाहिए क्योंकि ईश्वर हमसे भले ही नाराज हो जाये लेकिन एक माँ अपने बच्चों से कभी नाराज नही हो सकती है। यही कारण है कि हमारे जीवन में माँ के इस रिश्ते को अन्य सभी रिश्तों से इतना ज्यादे महत्वपूर्ण माना गया है।
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भगवान का एक रूप :
माँ दुनिया में भगवान का एक दूसरा रूप होती है जो हमारे दुःख लेकर हमे प्यार देती है और अच्छा इंसान बनाती है। ऐसा माना जाता है कि भगवान हर किसी स्थान पर नहीं रह सकता इसलिए उसने माँ को बनाया है हालाँकि माँ के साथ कुछ महत्वपूर्ण क्षणों को वर्णित किया जा सकता है।
हमेशा साथ रहने वाले भगवान के रूप में इस संसार में सभी के जीवन में माँ सबसे अलग होती है जो अपने बच्चों के सभी दुःख ले लेती है और उन्हें प्यार तथा संरक्षण देती है। हमारे शास्त्रों में माँ को देवी के समान पूजनीय माना जाता है। माँ हर मुश्किल घड़ी में अपने बच्चों का साथ देती है और अपने बच्चे को हर दुःख से बचाती है।
माँ असहनीय कष्टों को सहकर भी चुप रहती है लेकिन अगर बच्चे को जरा-सी चोट लग जाती है तो वह बहुत दुखी और परेशान हो जाती है। बच्चे का दुःख माँ से देखा नहीं जाता है। भगवान ने माँ को बच्चों के दुःख हरने और उन्हें प्यार तथा सुरक्षा प्रदान करने के लिए बनाया है।
एक माँ आभाष से यह जान लेती है कि उसका बच्चा किसी संकट में है वह अपने बच्चे के लिए पूरे देश, समाज और दुनिया से लड़ जाती है। भगवान ने इस शक्ति को माँ को प्रदान किया है ताकि माँ अपने बच्चे की रक्षा कर सके। माँ
दुनिया का सबसे आसान शब्द है और इस शब्द में भगवान खुद वास करते हैं।
मदर डे : माँ के प्रेम को किसी भी एक दिन में बांध पाना बहुत मुश्किल है लेकिन फिर भी मदर डे मनाया जाता है जिससे बच्चा माँ को वह प्यार और सम्मान दे सके जिसकी वह हकदार होती है। भारत देश में मदर डे को हर वर्ष मई महीने के दूसरे रविवार को मनाया जाता है जिससे बच्चे एक दिन पूरी तरह से अपने सारे काम भूलकर अपनी माँ के साथ समय बिता सकें और उनका ध्यान रख सकें।
अगर देखा जाए तो हर दिन माँ की पूजा की जानी चाहिए लेकिन माँ के महत्व और उनके त्याग के प्रतीक में यह दिन खास तौर पर मनाया जाता है। जब बच्चा बड़ा हो जाता है तो उसकी जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है और उसे अन्य काम भी होते हैं इसलिए वह हर दिन अपनी माँ के साथ समय व्यतीत नहीं कर पाता है। माँ के साथ समय व्यतीत करने के लिए वह मदर डे मनाता है।
इस एक दिन को वह बच्चे के रूप में जीना बहुत पसंद करता है। बच्चा यह चाहता है कि उसकी माँ उससे पहले की तरह प्यार करने लगे, उसकी चिंता करे, उसे कहानियाँ सुनाए। मदर डे को मदर टेरेसा जी की याद में मनाया जाता है। मदर टेरेसा जी ममता की देवी थीं। उन्हें भगवान का दूसरा रूप माना जाता था इसलिए उनके सम्मान में हर साल मदर डे मनाया जाता है।
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माँ का महत्व :
समाज और परिवार में माँ का बहुत महत्व होता है। माँ के बिना जीवन की उम्मीद भी नहीं की जा सकती है। अगर माँ न होती तो हमारा अस्तित्व भी नहीं होता। खुशी छोटी हो या बड़ी माँ उसमें बढ़-चढकर हिस्सा लेती है क्योंकि माँ के लिए हमारी खुशी ज्यादा मायने रखती है।
माँ बिना किसी लालच के अपने बच्चे को प्यार करती है और बदले में केवल बच्चे से प्यार ही चाहती है। हर किसी के जीवन में माँ एक अनमोल इंसान होती है जिसके बारे में शब्दों में कहा नहीं जा सकता। एक माँ बच्चे की छोटी-से-छोटी जरूरत का ध्यान रखती है। माँ बिना किसी लाभ के हमारी प्रत्येक जरूरत का ध्यान रखती है।
माँ का पूरा दिन बच्चों की जरूरतें पूरा करने में बीत जाता है लेकिन वह बच्चों से कुछ भी वापस नहीं मांगती है। एक माँ वह इंसान होती है जो अपने बच्चों के बुरे दिनों और बिमारियों में उनके लिए रात-रात भर जागती है। माँ हमेशा अपने बच्चों को सही राह पर आगे बढने के लिए बच्चे का मार्गदर्शन करती है।
माँ हमें जीवन में सही कार्य करने के लिए प्रेरित करती है। माँ बच्चे की सबसे पहली अध्यापक होती है जो उसे बोलना, चलना सिखाती है। एक माँ ही बच्चे को अनुशासन का पालन करना, अच्छा व्यवहार करना और देश, समाज, परिवार के लिए हमारी जिम्मेदारी और भूमिका को समझाती है।
माँ की आवश्यकता :
हमारे लिए माँ सबसे अच्छा खाना बनाने वाली, सबसे अच्छी बातें करने वाले, सबसे अच्छा सोचने वाली और सभी दुखों के सामने पहाड़ की तरह खड़ी रहने वाली है लेकिन माँ जरूरत पड़ने पर अपने बच्चे के अच्छे भविष्य के लिए उसे डांट भी सकती है। माँ बच्चे को सही कामों के लिए सदैव समर्थन देती है।
माँ हमेशा परिवार को एक बंधन में बांधकर रखती है। माँ अपने बच्चों के बारे में जानती है और माँ यह भी जानती है कि बच्चे को किस प्रकार सही रास्ता दिखाना है। माँ का सबसे अधिक समय संतान की देखभाल में ही गुजरता है। एक माँ ही संतान में संस्कार प्रदान करती है। एक माँ बच्चे की सबसे पहली गुरु होती है।
आरंभ में संतान सबसे अधिक माँ के संपर्क में होती है इसलिए माँ के मार्गदर्शन में ही संतान का विकास होता है। केवल माँ ही अपने बच्चे में महान संतों, महा पुरुषों की जीवनी सुनाकर महान व्यक्ति बनने के संस्कारों को कूट-कूटकर भरती है। एक माँ ही संतान को सामाजिक मर्यादाओं में रहना सिखाती है।
एक माँ ही संतान को उच्च विचारों का महत्व बताती है। एक माँ अपनी संतान को चरित्रवान, गुणवान बनाने में अपना पूरा योगदान देती है। किसी भी व्यक्ति का चरित्र उसकी माँ की बुद्धिमता पर निर्भर करता है। एक माँ अपने संतान के लिए सर्वाधिक प्रिय होती है। एक माँ अपनी संतान के लिए पूरे संसार से लड़ जाती है लेकिन माँ का संतान के प्रति अँधा प्रेम संतान के लिए अहितकर सिद्ध होता है।
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उपसंहार :
आज की भाग दौड़ की जिंदगी में मनुष्य अपनी दूसरी परेशानियों या खुशियों को अधिक प्राथमिकता देते हैं और दूसरी बातों की वजह से अपनी जननी को नजर अंदाज कर देते हैं। हमें कभी-भी अपनी जननी को नहीं भूलना चाहिए क्योंकि उनके एहसान को हम कभी नहीं चुका सकते इसलिए आप अपनी खुशियों और दुखों में कहीं पर भी हों लेकिन अपनी माँ को न भूलें और न ही उसे कभी अकेला छोड़ें।