कार्यविधि (working):- अभिलाक्षणिक वक्र खीचने के लिए npn ट्रांजिस्टर को उत्सर्जक आधार संधि को बैटरी Vbb से अग्र बायसित किया गया है। जबकि आधार संग्राहक संधि को बैटरी Vcc से पश्च बायसित किया गया है। वोल्टता Vce को नियत रखकर निवेशी धारा Ib और निवेशी वोल्टता Vb में लेखा चित्र खीचते है। जिससे निवेशी अभिलाक्षणिक वक्र कहते है। जो चित्र में दिखाये अनुसार प्राप्त होता है।
निवेशी धारा Ib को नियत रखकर निर्गत धारा Ic और निर्गत वोल्टता Vce में लेखाचित्र खींचते है जिसे निर्गत अभिलाक्षणिक वक्र कहते है। जो चित्र में दिखाए अनुसार प्राप्त होता है।
निर्गत अभिलाक्षणिक वक्र – डाइग्राम
निवेशी प्रतिरोध:- निवेशी वोल्टता में परिवर्तन △Vbe और निवेशी धारा में परिवर्तन △Ib के अनुपात को निवेशी प्रतिरोध ri कहते है।
ri = △Vbe / △Ib
निर्गत प्रतिरोध – निर्गत वोल्टता में परिवर्तन △Vce और निर्गत धारा में परिवर्तन △Ic के अनुपात को निर्गत प्रतिरोध ro कहते है।
ro = △Vce / △Ic
धारा लब्धि या धारा प्रवर्धन गुणांक:- निर्गत धारा में परिवर्तन △Ic और निवेशी धारा में परिवर्तन △Ib के अनुपात को धारा गुणांक बीटा कहते है।
npn ट्रांजिस्टर को स्वीच आॅन आॅफ के रूप में कार्य करने के लिए परिपथ में जोड़ा गया है।
किरखोफ के नियम से
निवेशी वोल्टता Vbb = IbRb + Vbe
निर्गत वोल्टता:- Vce = Vcc + IcRe
यदि अर्द्धचालक के रूप में सिलिकन अर्द्धचालक काम में लिया गया है तो निवेशी वोल्टता का मान .6 वोल्ट से कम होने पर ट्रांजिस्टर में धारा का प्रचालन नहीं होगा जिससे Ic का मान शून्य होने के कारण निर्गत वोल्टता उच्च Vcc के बराबर होगी। जिसे लेखाचित्र में अतंरक क्षेत्र से व्यक्त किया गया है। यदि निवेशी वोल्टता का मान .6 वोल्ट से अधिक करें तो ट्रांजिस्टर में धारा का प्रचालक होगा और Ic का मान बढ़ने पर निर्गत वोल्टता का मान रेखिक रूप से घटता है|
जिसे सक्रिय क्षेत्र से व्यक्त किया गया है। यदि निवेशी वोल्टता का मान और अधिक बढ़ाये तो निर्गत वोल्टता का मान शून्य की ओर अग्रसर होता है। परन्तु शून्य होता नहीं है इसे संतृप्त क्षेत्र से व्यक्त किया गया है निर्गत वोल्टता V0 और निवेशी वोेल्टता Vi में लेखाचित्र जिसे अन्तरण वक्र कहते है चित्र में प्रदर्शित है।
जब निवेशी वोल्टता लघु है तो ट्रांजिस्टर में धारा का प्रचालन नहीं होता है निर्गत वोल्टता उच्च होती है इसे ट्रांजिस्टर की आॅफ अवस्था कहते है। जब निवेश उच्च होता है तो ट्रांजिस्टर में धारा का प्रचालन होता है और निर्गत का मान निम्न होता है इसे ट्रांजिस्टर की आॅन अवस्था कहते है। ट्रांजिस्टर इस प्रकार बनाया जाता है कि ये अन्तक और संतृप्त क्षेत्र में कार्य करें तो इस प्रकार से बनाया गया ट्रांजिस्टर स्विच आॅन आॅफ के रूप में कार्य करता है।
Remark:
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