p-n  संधि डायोड में अग्र बायस और पश्च बायस | PN संधि डायोड का अभिलाक्षणिक वक्र

अग्र बायस (forward bias):-  यदि pn संधि डायोड के p भाग का सम्बन्ध बैटरी के धन टर्मेनल से ओर n भाग का सम्बन्ध बैटरी के ऋण टर्मिनल से कर दे तो इसे अग्र वायस कहते है।

इस प्रकार से जोड़ने पर p भाग के कोटर बैटरी के धन टर्मिनल से प्रतिकर्षित होकर और n के e  बैटरी के ऋण टर्मिनल से प्रतिकर्षित होकर संधि तल की ओर गति करती है इस प्रकार संधि तल पर electron और कोटर दोनों ही पहुँचने से यह चालक की तरह व्यवहार करता है परन्तु इसके लिए बैटरी की वोल्टता का मान रोधिका विभव से अधिक होना चाहिए।

पश्य वायस/उत्क्रम बायस (backward bias):- यदि pn संधि डायोड को बैटरी से इस प्रकार जोड़े की p भाग का सम्बन्ध बैटरी के ऋण टर्मिनल से और n भाग का सम्बन्ध बैटरी के धन टर्मिनल से हो तो इसे पश्य बायस कहते है।

इस प्रकार से जोड़ने पर p  भाग के कोटर बैटरी के ऋण टर्मिनल से आकर्षित होकर संधि तल से दूर और n  भाग के इलेक्ट्रॉन  बैटरी के धन टर्मिनल से आकर्षित होकर संधि तल से दूर गति करते है। इस प्रकार संधि तल पर न तो कोटर पहुचते है और न ही e  पहुँचते है। इस प्रकार संधि तल कुचालक की तरह कार्य करता है और हासी क्षेत्र की चैड़ाई बढ़ जाती है। परन्तु अल्पसंख्यक धारावाहकों के कारण संधि तल पर कोटर और ele  कुछ मात्रा में पहुँचते है जिससे अतिअल्प धारा बहती है। जिसे प्रति संतृप्त धारा कहते है।

PN संधि डायोड को अभिलाक्षणिक वक्र खिचने केलिए परिपथ :-

p-n संधि डायोड के अभिलाक्षणिक वक्र खीचने के लिए इसे परिपथ में दो प्रकार से जोड़ते है।

अग्र बायस:- pn संधि डायोड को परिवर्ति वोल्टता की बैटरी से इस प्रकार जोड़ते है कि बैटरी के धन टर्मिनल का सम्बन्ध p भाग से हो धारा नापने के लिए मिली आमीटर और विभवान्तर नापने के लिए वोल्ट मीटर परिपथ में जोड़ देते है।

वोल्टता का मान बदल बदलकर धारा का मान ज्ञात करते है तो यह पाते है कि एक निश्चित वोल्टता जिसे देहली वोल्टता तक धारा का मान समान होता है।  उसके आगे वोल्टता बढ़ाने पर धारा चर धातांकि रूप से बढ़ती है।

पश्च बायस:- pn संधि डायोड को परिवर्ति वोल्टता की बैटरी से इस प्रकार से जोड़ते है कि बैटरी का ऋण टर्मिनल सम्बन्ध p भाग से हो धारा नापने के लिए माइक्रोआमीटर और विभवान्तर नापने के लिए वोल्ट मीटर जोड़ देते है।

वोल्टता का मान बदल बदलकर धारा का मान ज्ञात करते है। धारा अति अल्प बहती है। जो वोल्टता बढ़ाने पर भी बढ़ती नहीं है। इसे प्रतिप संतृप्त धारा कहते है। परन्तु जेनर वोल्टता Vके बाद धारा का मान तेजी से बढ़ता है।

गतिक प्रतिरोध:- वोल्टता में परिवर्तन और धारा में परिवर्तन के अनुपात को गतिक प्रतिरोध कहते है।

सूत्र:

अग्र बायस में इसक प्रतिरोध बहुत कम 10 ओम कोटी का होता है।  जबकि पश्च बायस में इसका प्रतिरोध बहुत अधिक लगभग 106   ओम कोटी का होता है।

Remark:

दोस्तों अगर आपको इस Topic के समझने में कही भी कोई परेशांनी हो रही हो तो आप Comment करके हमे बता सकते है | इस टॉपिक के expert हमारे टीम मेंबर आपको जरूर solution प्रदान करेंगे|

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