इस पोस्ट में आप Class 12th Chemistry के विधुत रासायनिक श्रेणी या सक्रियता श्रेणी के गुण अध्याय के सभी टॉपिक के बारे विस्तार से बताया गया है | आपको इन नोट्स से बहुत हेल्प मिलेगी |
विधुत रासायनिक श्रेणी किसे कहते है:
तत्वों को मानक अपचयन के बढ़ते हुए क्रम में रखने पर जो श्रेणी प्राप्त होती है उसे विधुत रासायनिक श्रेणी या सक्रियता श्रेणी कहते हैं।
अभिक्रिया | E0(volt) में |
Li+ + e– → Li | -3.05 |
K+ + e– → K | -2.97 |
Ca2+ + 2e– → Ca | -2.87 |
Na+ + e– → Na | -2.71 |
Mg2+ + 2e– → Mg | -2.36 |
Al3+ + 3e– → Al | -1.66 |
2H2O + 2e– → H2 + 2OH– | -0.83 |
Zn2+ + 2e– → Zn | -0.76 |
Cr3+ + 3e– → Cr | -0.74 |
Fe2+ + 2e– → Fe | -0.44 |
Ni2+ + 2e– → Ni | -0.25 |
Sn2+ + 2e– → Sn | -0.14 |
Pb2+ + 2e– → Pb | -0.13 |
2H+ + 2e– → H2 | 0.0 |
AgBr + e– → Ag + Br– | +0.10 |
AgCl + e– → Ag + Cl– | +0.22 |
Cu2+ + 2e– → Cu | +0.34 |
Cu+ + e– → Cu | +0.52 |
I2 + 2e– → 2I– | +0.54 |
O2 + 2H+ + 2e– → H2O2 | +0.68 |
Fe3+ + e– → Fe2+ | +0.77 |
Ag+ + e– → Ag | +0.80 |
2Hg+ + 2e– → Hg2 | +0.92 |
NO3– + 4H+ + 3e– → NO + 2H2O | +0.97 |
Br2 + 2e– → 2Br– | +1.09 |
MnO2 + 4H+ + 4e– → Mn2+ + 2H2O | +1.23 |
O2 + 4H+ + 4e– → 2H2O | +1.23 |
Cr2O72- + 14H+ + 6e– → 2Cr3+ + 7H2O | +1.33 |
Cl2 + 2e– → 2Cl– | +1.36 |
Au3+ + 3e– → Au | +1.40 |
MnO4– + 8H+ + 5e– → Mn2+ + 2H2O | +1.51 |
H2O + 2H+ + 2e– →2H2O | +1.78 |
CO3+ + e– → CO2+ | +1.81 |
F2 + 2e– → 2F– | +2.87 |
विधुत रासायनिक श्रेणी के गुण – Electrochemical Range Properties:
1. यदि किसी युग्म का मानक अपचयन विभव (E0) धनात्मक है तो उसे मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड से जोड़ने पर उस इलेक्ट्रोड पर अपचयन होता है। जैसे-कॉपर का मानक अपचयन विभव + 0.34 वोल्ट है तो इसका अर्थ है कि मानक इलेक्ट्रोड से जोड़ने पर कॉपर इलेक्ट्रोड का अपचयन होता है और यह सेल का धनात्मक ध्रुव अर्थात् कैथोड (cathode) है।
Cu 2+ (aq) + 2e– → Cu(s) (अपचयन)
2. यदि किसी युग्म का मानक अपचयन विभव (E) ऋणात्मक है, तो उसे मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड से जोड़ने पर उस इलेक्ट्रोड पर
ऑक्सीकरण होता है। जैसे-जिंक का मानक अपचयन विभव -0.76 वोल्ट है तो इसका अर्थ है कि मानक इलेक्ट्रोड से जोड़ने पर जिंक इलेक्ट्रोड का ऑक्सीकरण होता है और यह सेल का ऋणात्मक ध्रुव अर्थात् ऐनोड (anode) है।
Zn(s) → Zn2+ (aq) + 2e– (ऑक्सीकरण)
3. मानक अपचयन विभव (E) का अधिक ऋणात्मक मान यह प्रदर्शित करता है कि धातुओं की धनायन (Na+, Mg2+, Zn+ आदि) बनाने की प्रवृत्ति अधिक है अर्थात् इलेक्ट्रॉन त्यागने (electron donate) की प्रवृत्ति अधिक है।
4. मानक अपचयन विभव (E) का अधिक धनात्मक मान यह प्रदर्शित करता है कि अधातुओं की ऋणायन बनाने की प्रवृत्ति अधिक है अर्थात् इलेक्ट्रॉन ग्रहण (electron pair) करने की प्रवृत्ति अधिक है।
5. जो पदार्थ हाइड्रोजन गैस से प्रबल अपचायक हैं, उनका मानक इलेक्ट्रोड विभव (मानक अपचयन विभव) ऋणात्मक (negative) होता है और उनको विद्यत-रासायनिक श्रेणी में हाइड्रोजन से ऊपर (up side) रखा गया है।
6. जो पदार्थ हाइड्रोजन गैस से दुर्बल अपचायक हैं, उनका मानक इलेक्ट्रोड विभव (मानक अपचयन विभव) धनात्मक (positive) होता है और उनको विद्युत-रासायनिक श्रेणी में हाइड्रोजन से नीचे (down side) रखा गया है।
7. जिस इलेक्ट्रोड युग्म का अपचायक प्रबल (strong) होता है, उसका संगत ऑक्सीकारक दुर्बल (weak) होता है। इसी प्रकार जिस इलेक्ट्रोड युग्म का ऑक्सीकारक प्रबल होता है, उसका अपचायक दुर्बल होता है।
उदाहरण:-Na+ /Na युग्म में Na एक प्रबल अपचायक है तो Na+ आयन दुर्बल ऑक्सीकारक है। इसी प्रकार Cl2/Cl– युग्म में Cl2–
आयन दुर्बल अपचायक है।
8. इलेक्ट्रोड के अपचयन विभव का ऋणात्मक (negative) मान जितना कम होता है, वैद्युत अपघटन द्वारा उसकी कैथोड पर जमा होने की प्रवृत्ति उतनी ही अधिक होती है। इस श्रेणी में ऊपर से नीचे की ओर चलने पर धात्विक तत्वों की उनके लवणों के वैद्युत अपघटन पर कैथोड पर जमा होने की प्रवृत्ति बढ़ती जाती है।
विद्युत-रासायनिक श्रेणी के अनुप्रयोग:
- धातुओं के धन विद्युती लक्षण:
जिस धातु के मानक अपचयन विभव (E) का ऋणात्मक मान जितना उच्च होता है, उस धातु की धनायन बनाने की प्रवृत्ति उतनी ही अधिक होती है। इस सारणी में ऊपर से नीचे की ओर चलने पर मानक अपचयन विभव का ऋणात्मक मान क्रमशः घटता है और धनात्मक मान क्रमश: बढ़ता है जिसके कारण इसमें ऊपर से नीचे की ओर चलने पर धातुओं का धनविद्युती गुण घटता है और अधातुओं का ऋणविद्युती गुण बढ़ता है। जैसे-Na, Mg, Al तथा Zn के मानक अपचयन विभव क्रमश: -2.71,-2.37,-1.66 तथा -0.76 वोल्ट हैं; अत: इनमें धन विद्युती लक्षण Na > Mg > Al> Zn के क्रम में होता है।
- धातुओं की रासायनिक अभिक्रियाशीलता:
जिस धातु के मानक अपचयन विभव (ER) का ऋणात्मक मान जितना अधिक होता है, उसकी रासायनिक अभिक्रियाशीलता भी उतनी अधिक होती है। इस सारणी में ऊपर से नीचे की ओर चलने पर मानक अपचयन विभव का ऋणात्मक मान क्रमशः घटता है, फलस्वरूप धातुओं की रासायनिक क्रियाशीलता क्रमशः घटती है जबकि अधातुओं की रासायनिक क्रियाशीलता बढ़ती है; जैसे-Li, Ba तथा Sr में क्रम Li> Ba > Sr है तथा Cl2, Br2 व I2 में क्रम Cl2 > Br2 >I2 है।
UP Board Class 12 Chemistry Notes in Hindi
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