Rashtravad Kise Kahate Hain: हेलो स्टूडेंट्स, आज हमने यहां पर राष्ट्रवाद की परिभाषा, प्रकार और उदाहरण के बारे में विस्तार से बताया है।Rashtravad Kise Kahate Hainयह हर कक्षा की परीक्षा में पूछा जाने वाले यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है।
Rashtravad Kise Kahate Hain
राष्ट्रवाद लोगों में किसी समूह की उस आस्था को कहते हैं, जिनमें इतिहास, भाषा, जातीयता एवं संस्कृति के आधार पर एकजुट हों।Rashtravad Kise Kahate Hain इन्हीं बंधनों के कारण वे इस निष्कर्ष पर पहुँचते है कि अपने राजनीतिक समुदाय अर्थात राष्ट्र की स्थापना करने का आधार हो। हालांकि दुनिया में ऐसा कोई राष्ट्र नहीं है जो इन कसौटियों पर पूरी तरह से फिट बैठता हो, इसके बावजूद अगर विश्व का मानचित्र उठा कर देखे तो धरती की एक-एक इंच जमीन राष्ट्रों की सीमाओं के बीच बँटी हुई मिलेगी।
राष्ट्रवाद की परिभाषा और अर्थ को लेकर व्यापक चर्चाएं होती रही हैं राष्ट्रवाद की सुस्पष्ट और सर्वमान्य परिभाषा करना आसान नहीं है। प्रो. स्नाइडर नो मानते हैं कि राष्ट्रवाद को परिभाषिक करना कठिन है|
फिर भी उन्होंने जो परिभाषा दी है वह राष्ट्रवाद को समझने में उपयोगी है- ”इतिहास के विशेष चरण पर राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक व बौद्धिक कारणों का एक उत्पाद-राष्ट्रवाद एवं परिभाषित, भौगोलिक क्षेत्र में निवास करने वाले व्यक्तियों का समूह जो समान भाषा, समान साहित्य, समान परम्परायें रीति-रिवाजों में परिपूर्ण हो।
राष्ट्रवाद का अर्थ
राष्ट्र के प्रति निष्ठा, उसकी प्रगति और उसके प्रति सभी नियम आदर्शों को बनाए रखने का सिद्धान्त। राष्ट्रवाद (NATION) राष्ट्र का जन्म लेटिन भाषा शब्द नेशों से हुआ है, जो सामूहिक जन्म अथवा वंश के भाव को व्यक्त करता है,Rashtravad Kise Kahate Hain परंतु आधुनिक काल में इसका अर्थ राष्ट्रीयता (NATIONALITY) शब्द का समरूपी होने पर ‘राष्ट्र’ शब्द किसी राष्ट्रीयता की सामान्य राजनीतिक चेतना का घोतक है |
जो, ए. जिम्मर्न के अनुसार ‘किसी सुनिश्चित स्वदेश के साथ जुड़ी विचित्र तीव्रता, घनिष्ठता तथा सम्मान की भावना का संयुक्त रूप है। राष्ट्र (NATION) का अर्थ लोगों के समूह से है – जिनकी एक जाति, एक इतिहास, एक संस्कृति, एक भाषा और एक निश्चित भू-भाग हो, राष्ट्रवाद उस विश्वास को कहते हैं, जिसके द्वारा प्रत्येक राष्ट्र को यह अधिकार है कि, जिस भू-भाग पर वे सदियों से रहते हैं, उस पर वे स्वतंत्र रूप से शासन कर सकें।
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राष्ट्रवाद की परिभाषा
गांधी जी ने इस व्यापक प्रेम को ही, राष्ट्र धर्म माना है, राष्ट्र एवं राष्ट्रवाद की परिकल्पना में गांधी ने ‘धर्म दर्शन’ और अध्यात्म का जैसा सम्मिश्रण किया वैसा बीसवीं शताब्दी के किसी अन्य विचारक ने नहीं किया और कम से कम गांधी से पहले तो मिलता ही नहीं हैRashtravad Kise Kahate Hain। भारत सारी दुनिया से सद्विचार लेने को आज भी तैयार रहता है। भारतवासी आज भी नदियों को प्रणाम करते है।
स्वामी विवेकानन्द जी ने भी राष्ट्रवाद सम्बन्धी अवधारणा ही है इन्हीं विचारों के कारण उन्हें एक राजनीतिक चिन्तक की भी संज्ञा दी जा सकती है। उनके राजनीतिक विचार, धार्मिक एवं सामाजिक विचारों के सहगामी है स्वामी विवेकानन्द राष्ट्रवाद का आध्यात्मिकरण करने के पक्षपाती थे।
हिन्दू धर्म के महत्त्व के कारण ही उन्हें राष्ट्रवाद के समीप ला खड़ा किया।Rashtravad Kise Kahate Hain वे हिन्दू धर्म को सब धर्मों का प्रमुख स्रोत मानते थेRashtravad Kise Kahate Hain। उनके अनुसार ‘धर्म की व्यक्ति और राष्ट्र को शक्ति प्रदान करता है।’ विवेकानन्द हेगल की तरह राष्ट्र की महत्ता के प्रतिपादक थे।
बाल गंगाधर तिलक संकीर्ण राष्ट्रवादी भावना का विरोध करते थेRashtravad Kise Kahate Hain। उन्होंने वेदान्त की मानव एकता की धारणा को राष्ट्रवाद के माध्यम से प्राप्त कर विश्वबन्धुत्व की स्थापना की। वे अन्तर्राष्ट्रवाद को ही राष्ट्रवाद का उन्नत रूप मानते है।
एनी बेसेंट ने भी फिक्टे, हेगेल और अरविन्द की भांति राष्ट्रवाद के आध्यात्मिक पक्ष का प्रतिपादन किया।Rashtravad Kise Kahate Hain उनके अनुसार राष्ट्र एक आध्यात्मिक सत्ता है और ईश्वर की एक अद्भुत अभिव्यक्ति है। वे राष्ट्र को एक गंभीर आंतरिक जीवन से स्पन्दित आध्यात्मिक सत्ता मानती है। उन्होंने भारतीय राष्ट्रवाद की जड़े भारत के प्राचीन साहित्य और उस साहित्य में साकार हुए अतीत में ढूँढ निकाली थी।
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राष्ट्रवाद का इतिहास
राष्ट्रवाद और आधुनिक राज्य के इतिहास के बीच एक संरचनागत संबंध है16वीं एवं 17वीं शताब्दी के आसपास यूरोप में आधुनिक राज्य का उदय हुआ, जिसने राष्ट्रवाद के रूप में सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके विपरीत मध्ययुगीन यूरोप में राजसत्ता किसी एक शासक या सरकार के पास बँटी हुई थी। राष्ट्रवाद के सिद्धान्त को समझने के लिए उस घटनाक्रम को समझना आवश्यक है, जिसने आधुनिक राजसत्ता के जन्म के हालात बनें।
उन्नीसवीं सदी के आखिर तक राष्ट्रवाद पूंजीपति वर्ग के लिए और साथ में आम जनता के लिए भी राजनीतिक अधिकारों हेतु गोलबंदी का बहुत बड़ा कारक बन गया। राष्ट्रवादी विचार जैसे-जैसे यूरोपीय जमीन से आगे बढ़कर एषिया अफ्रीका और लातीनी अमेरिकी में पहुँचा, उसकी यूरोप से भिन्न किस्में विकसित होने लगी।Rashtravad Kise Kahate Hain इन क्षेत्रों में उपनिवेषवाद विरोधी मुक्ति संघर्षों को राष्ट्रवादी भावनाओं ने जीत के मुकाम तक पहुँचाया। परिणामस्वरूप उपनिवेषीकरण और राष्ट्रवाद का संचय बना।
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