हेलो स्टूडेंट, हम आपको इस आर्टिकल में हिंदी व्याकरण के महत्वपूर्ण अध्याय शब्दों की अशुद्धियाँ किसे कहते है? आदि के बारे में बताया गया है |
शब्दों की अशुद्धियाँ:
व्याकरण के सामान्य नियमों की ठीक -ठीक जानकारी न होने के कारण विद्यार्थी से बोलने और लिखने में प्रायः भद्दी भूलें हो जाया करती हैं। शुद्ध भाषा के प्रयोग के लिए वर्णों के शुद्ध उच्चारण, शब्दों के शुद्ध रूप और वाक्यों के शुद्ध रूप जानना आवश्यक हैं।
विद्यार्थी से प्रायः दो तरह की भूलें होती हैं- एक शब्द-संबंधी, दूसरी वाक्य-संबंधी।
शब्द-संबंधी अशुद्धियाँ दूर करने के लिए छात्रों को श्रुतिलिपि का अभ्यास करना चाहिए।
कुछ अशुद्धियों की सूची उनके शुद्ध रूपों के साथ यहाँ दी जा रही है-
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
अनुकुल | अनुकूल |
अध्यन | अध्ययन |
अस्थान | स्थान |
अद्वितिय | अद्वितीय |
अरमूद | अमरूद |
ईर्षा | ईर्ष्या |
उँचाई | ऊँचाई |
उन्नती | उन्नति |
नमष्कार | नमस्कार |
नबाव | नवाब |
नछत्र | नक्षत्र |
नारि | नारी |
राज्यमहल | राजमहल |
निरोग | नीरोग |
पुष्टी | पुष्टि |
प्रंतु | परंतु |
पूण्य | पुण्य |
पुस्प | पुष्प |
छि: छि: | छी छी |
उपर | ऊपर |
उज्वल | उज्ज्वल |
उत्कृष्ठ | उत्कृष्ट |
कलस | कलश |
कल्यान | कल्याण |
गनित | गणित |
गृहस्थ्य | गृहस्थ |
चिन्ह | चिह्न |
चांद | चाँद |
छमा | क्षमा |
ज्येष्ट | ज्येष्ठ |
यथेष्ठ | यथेष्ट |
शत्रुह्न | शत्रुघ्न |
रसायण | रसायन |
रामायन | रामायण |
लछिमन | लक्ष्मण |
लिक्खा | लिखा |
लच्छन | लक्षण |
बनावास | वनवास |
छः | छह |
अनाधिकार | अनाधिकार |
पृष्ट | पृष्ठ |
प्राप्ती | प्राप्ति |
पत्नि | पत्नी |
प्रसंशा | प्रशंसा |
प्रनाम | प्रणाम |
पमेश्र्वर | परमेश्र्वर |
परिक्षा | परीक्षा |
पुज्य | पूज्य |
पुरष्कार | पुरस्कार |
प्रशाद | प्रसाद |
प्रतिकुल | प्रतिकूल |
प्रान | प्राण |
परस्थिति | परिस्थिति |
पिचास | पिशाच |
ब्रम्ह | ब्रह्य |
बुढा | बूढा |
ब्राम्हन | ब्राह्यण |
भष्म | भस्म |
मट्टी | मिट्टी |
मैथलीशरण | मैथिलीशरण |
दांत | दाँत |
हिंदु | हिंदू |
हंसना | हँसना |
हिन्दूस्तान | हिन्दुस्तान |
मैत्रता | मित्रता, मैत्री |
ऐक्यता | एकता, ऐक्य |
धैर्यता | धैर्य, धीरता |
माधुर्यता | माधुर्य, मधुरता |
पैत्रिक | पैतृक |
एकत्रित | एकत्र |
सकुशलपूर्वक | सकुशल कुशलतापूर्वक |
उपरोक्त | उपर्युक्त |
उपरीलिखित | उपरिलिखित |
निरस | नीरस |
सन्यास | संन्यास |
मंत्रीमंडल | मंत्रिमंडल |
योगीराज | योगिराज |
भाग्यमान | भाग्यवान् |
विद्वान | विद्वान् |
व्यावहार | व्यवहार |
धनमान | धनवान् |
बिठाया | बैठाया |
पहिले | पहले |
वीना | वीणा |
वानी | वाणी |
वास्प | वाष्प |
सप्ताहिक | साप्ताहिक |
सन्मान | सम्मान |
सिंदुर | सिंदूर |
सुर्य | सूर्य |
समुद्रिक | सामुद्रिक |
सुर्पनखाँ | शूर्पणखा |
साशन | शासन |
सृष्टी | सृष्टि |
स्मसान | श्मशान |
सम्राज्य | साम्राज्य |
संसारिक | सांसारिक |
समीति | समिति |
सूचिपत्र | सूचीपत्र |
स्वास्थ | स्वास्थ्य |
स्मर्ण | स्मरण |
सृंगार | श्रृंगार |
शक्ती | शक्ति |
षष्ट | षष्ठ |
बुद्धिवान | बुद्धिमान् |
भगमान | भगवान् |
घनिष्ट | घनिष्ठ |
आंख | आँख |
बांस | बाँस |
अंगना | अँगना |
कंगना | कँगना |
उंचा | ऊँचा |
जाऊंगा | जाऊँगा |
दुंगा | दूँगा |
छटांक | छटाँक, छटाक |
पांचवा | पाँचवाँ |
शिघ्र | शीघ्र |
गुंगा | गूँगा |
पहुंचा | पहुँचा |
गांधीजी | गाँधीजी |
सूंड | सूँड |
बांसुरी | बाँसुरी |
महंगा | महँगा |
मुंह | मुँह |
उंगली | ऊँगली |
जहां | जहाँ |
Hindi Grammar Class 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12
FAQs
जब विद्यार्थियों को व्याकरण के सामान्य नियमों की जानकारी नहीं होती तो विद्यार्थियों से बोलने और लिखने में प्रायः कई गलतियाँ हो जाया करती हैं। शुद्ध भाषा के प्रयोग के लिए वर्णों के शुद्ध उच्चारण, शब्दों के शुद्ध रूप और वाक्यों के शुद्ध रूप जानना बहुत आवश्यक है।
‘ब’ और ‘व’ की अशुद्धियाँ- ‘ब’ और ‘व’ के प्रयोग के बारे में हिन्दी में प्रायः अशुद्धियाँ होती हैं। इन अशुद्धियों का कारण है अशुद्ध उच्चारण। शुद्ध उच्चारण के आधार पर ही ‘ब’ और ‘व’ का भेद किया जाता है।
वर्तनी की अशुद्धियोँ के प्रमुख कारण निम्न हैँ जहाँ ‘श’ एवं ‘स’ एक साथ प्रयुक्त होते हैँ वहाँ ‘श’ पहले आयेगा एवं ‘स’ उसके बाद। जैसे– शासन, प्रशंसा, नृशंस, शासक । इसी प्रकार ‘श’ एवं ‘ष’ एक साथ आने पर पहले ‘श’ आयेगा फिर ‘ष’, जैसे– शोषण, शीर्षक, विशेष, शेष, वेशभूषा, विशेषण आदि।
अशुद्ध उच्चारण के बीच पलने वाला बालक शुद्ध उच्चारण नहीं कर पाता है। अक्षरों एवं मात्राओं का अस्पष्ट ज्ञान: जिन छात्रों को अक्षरों एवं मात्राओं का स्पष्ट ज्ञान नहीं दिया जाता, उनमें उच्चारण-दोष होता है। संयुक्ताक्षरों के संदर्भ में यह भूल अधिक होती है; जैसे स्वर्ग को सरग कहना, कर्म को करम कहना, धर्म को धरम कहना आदि।
वर्तनी की शुद्धता भाषा का अनिवार्य अंग है। अभिव्यक्ति के विचारों की क्रमिकता एवं सुसम्बधता कितनी ही सुव्यवस्थित क्यों न हो परन्तु यदि विचारों को व्यक्त करने वाली भाषा शुद्ध नहीं तो उसका प्रभाव नगण्य बनकर रह जायेगा। भाषा की शुद्धता मुख्यतः शुद्ध वर्तनी पर निर्भर करती है।
हम उम्मीद रखते है कि शब्दों की अशुद्धियाँ किसे कहते है? आपकी स्टडी में उपयोगी साबित हुए होंगे | अगर आप लोगो को इससे रिलेटेड कोई भी किसी भी प्रकार का डॉउट हो तो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूंछ सकते है |