इस पोस्ट में आप Class 12th Chemistry के ठोस की द्रव में विलेयता तथा प्रभावित करने वाले कारक अध्याय के सभी टॉपिक के बारे विस्तार से बताया गया है | आपको इन नोट्स से बहुत हेल्प मिलेगी |
ठोस की द्रव में विलेयता किसे कहते है:
निश्चित ताप पर 100 ग्राम विलायक में किसी ठोस की खुली हुई वह अधिकतम मात्रा जिसे संतृप्त विलयन बनाया जा सके , वह ठोस की द्रव में विलेयता कहलाती है।
संतृप्त विलयन किसे कहते है:
- दिये गये ताप एवं दाब पर जब किसी विलयन में विलेय की और अधिक मात्रा नहीं घोली जा सके, तो ऐसा विलयन संतृप्त विलयन कहलाता है।
- वह विलयन जो बिना घुले विलेय के साथ गतिक साम्य में होता है, संतृप्त विलयन कहलाता है।
संतृप्त विलयन में विलायक की दी गई मात्रा में घुली हुई, विलेय की अधिकत मात्रा होती है। संतृप्त विलयन में विलेय की सान्द्रता उसकी विलेयता कहलाती है।
असंतृप्त विलयन किसे कहते है:
जब ठोस अधिकतम मात्रा से कम मात्रा में घुला हुआ हो तो इस प्रकार बने विलयन को असंतृप्त विलयन कहते है।
अतिसंतृप्त विलयन किसे कहते है:
जब ठोस कुछ अधिकतम मात्रा में घुला हुआ हो तो इस प्रकार बने विलयन को अतिसंतृप्त विलयन कहते है।
ठोसों की द्रव में विलेयता को प्रभावित करने वाले कारक :
विलेय तथा विलायक की प्रकृति :
समान समान को खोलता है , अतः आयनिक ठोस जैसे NaCl , KCl , Na2CO3 , आदि जल जैसे ध्रुवीय विलायकों में खुल जाते है , जबकि सहसंयोजक ठोस जैसे नैफ्थेलिन , एन्थ्रासीन आदि अध्रुवीय विलायको जैसे बेंजीन , CCl4
आदि में खुल जाते है।
- ताप :
वे ठोस जिन्हे जल में खोलने पर ऊष्मा बाहर निकलती है , उनकी विलेयता ताप बढ़ाने से काम हो जाती है , जैसे CaO , Na2CO3 आदि।
वे ठोस प्रदार्थ जिन्हे जल में खोलने पर ऊष्मा अवशोषित होती है उनकी विलेयता ताप बढ़ाने से अधिक हो जाती है जैसे NaCl , KCl , NH4Cl आदि।
- दाब
ठोस तथा द्रव में सम्पीडियता का गुण बहुत कम होता है , अतः ठोस की द्रव में विलेयता पर दाब का कोई प्रभाव नहीं होता।
विलीनीकरण किसे कहते है:
जब एक ठोस विलेय को द्रवीय विलायक में डाला जाता है, तो यह उसमें घुलने लगता है। यह प्रक्रिया विलीनीकरण (घुलना) कहलाती है।
दूसरे शब्दों में किसी ठोस विलेय की एक द्रव विलायक में घुलने की प्रक्रिया विलीनीकरण कहलाती है। विलीनीकरण को अंग्रेजी में डिसाल्यूशन कहते हैं।
क्रिस्टलीकरण किसे कहते है:
विलीनीकरण के क्रम में जब एक ठोस विलेय को द्रवीय विलायक में डाला जाता है, तो ठोस घुलने लगता है जिससे विलयन में विलेय की सान्द्रता बढ़ने लगती है। इसी समय विलयन में से विलेय के कुछ कण ठोस विलेय के कणों के साथ जुड़कर अलग हो जाते हैं। यह प्रक्रिया क्रिस्टलीकरण (Crystalization) कहलाती है।
अत: ठोस विलेय के द्रवीय विलयन में घुलनीकरण के क्रम में विलेय के कुछ कणों का ठोस विलेय के कणों के अलग होकर जुड़ने के प्रक्रिया क्रिस्टलीकरण कहलाती है।
UP Board Class 12 Chemistry Notes in Hindi
—————————————————————————–
हमारी Team आशा करती है, UP Board Class 12 Chemistry ठोस की द्रव में विलेयता तथा प्रभावित करने वाले कारक Notes in Hindi से आपको सहायता मिली होगी | If you have any query regarding UP Board Class 12 Chemistry ठोस की द्रव में विलेयता तथा प्रभावित करने वाले कारक Notes in Hindi, तो आप कमेंट करके पूछ सकते है |
यदि यह UP Board Notes से आपको सहायता मिली है, तो आप अपने दोस्तों को upboardsolutionsfor.com वेबसाइट साझा कर सकते हैं।