वन महोत्सव पर निबंध – Van Mahotsav Essay in hindi

Van Mahotsav Essay in hindi: हेलो स्टूडेंट, हम आपको इस आर्टिकल मे वन महोत्सव पर निबंध बताया गया है | पोस्ट अंत तक पढ़े |

Van Mahotsav Essay in hindi

प्रस्तावना

भारतीय संस्कृति के अधिकतर उत्सव हमेशा  प्रकृति के साथ जुड़े हुए है। चाहे वो सामाजिक हो या धार्मिक। क्योंकि हम अपनी आवश्यता के लिए हमेशा प्रकृति पर निर्भर रहते है और उत्सवों के जरिये हम उनसे कृतज्ञता भाव अभिव्यक्त करते है। आज हम ऐसे ही एक उत्सव की बात करने जा रहे है जिसका नाम है वन महोत्सव।

वन महोत्सव यानी कि ‘पेड़ों का त्योहार’। हमारे जीवन में वनों का काफी महत्व है। वन हमें प्राणवायु, फल-फुल , छाया देते है और बदले में हमसे कुछ नहीं मांगते। साथ साथ पेड़ हमें जीवन में नैतिकता, परोपकार और विनम्रता जैसे गुण सिखाते है। उनका यही अहेसान हम वन महोत्सव जरिये अभिवक्त करते है।

वन महोत्सव दिवस

भारत देश में वन महोत्सव बड़े धाम धूम से मनाया जाता है। सन् 1950 में कृषि मंत्री डा. कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी द्वारा वन महोत्सव मनाने की शुरुआत हुई थी। यह उत्सव प्रति वर्ष 1 जुलाई को वन महोत्सव दिवस के रूप में मनाया जाता है और एक सप्ताह तक चलता है। यह एक राष्ट्रीय महोत्सव है। इस समय के दौरान पुरे भारत देश में एक लाख से भी ज्यादा वृक्षो रोपण होता है किया जाता है।

Read more: भारतीय किसान पर निबंध – Indian Farmer Essay in hindi

वन महोत्सव की शुरुआत

कृषि मंत्री डा. कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी ने देखा भारत में पेड़ों की कटाई ज्यादा हो रही है। इस विषय को लेकर वो काफी चिंतित हुए। लोगों में वनों के प्रति जागरूकता लाने के लिए  उन्होंने समूह में वृक्षारोपण का कार्यक्रम बनाने का सोचा। जिससे लोग जंगल संरक्षण और नए पेड़ों के रोपण का महत्व समझ सके। वन महोत्सव मनाने के लिए जुलाई महीने को चुना गया क्योंकि क्योंकि जुलाई महीने में वर्षा ऋतू की शुरुआत होती है और इस समय पर पेड़ लगाना काफी फायदेमंद होता है।

वैसे तो वन महोत्सव की शुरुआत  साल 1947 में देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू, डॉ राजेंद्र प्रसाद और मौलाना अब्दुल कलाम जैसे राष्ट्रीय नेताओं द्वारा की गई थी लेकिन साल 1950 में इसे कृषि मंत्री कन्हैया लाल मुंशी ने वन महोत्सव को राष्ट्रीय महोत्सव के रूप में घोषित किया।

वन महोत्सव दिवस का महत्व

वन प्राकृतिक संपत्ति है। पेड़ों के साथ हमारे जीवन का काफी गहरा रिश्ता रहा है। सदियों से पेड़ हमें फल, फूल और छाया देते आये हुए है और बदले में कुछ भी नहीं मांग रहे। लेकिन  मनुष्य विकास के नाम पर जितने पेड़ काट रहे है, उतने नए पेड़ों  का रोपण नहीं कर रहे। और यह एक गंभीर समस्या है।

आज के बच्चे कल का भविष्य है। इसलिए भारत की विद्यालयों में, विश्वविद्यालयों में यह महोत्सव बड़ी धामधूम से मनाया जाता है। ताकि बच्चों में बचपन से ही वनों के प्रति जागरूकता पैदा हो। सरकारी दफ्तरों, कई संगठनो और संस्था के द्वारा भी समूह में पौधों लगाने का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है।

वन और भारतीय संस्कृति

हमारी भारतीय संस्कृति का भी वनों के साथ काफी गहरा नाता है। हमारे ऋषि मुनि भी शांति और एकांत की तलाश में वन में रहते थे। हमारी प्राचीन परंपरा से हमें वक्षों की पूजा करना, व्रत रखना और जल चढना सिखाया जाता है। प्राचीन समय में गुरूकुल भी जंगल में ही हुआ करते थे क्योंकि शिक्षा लेते समय मन को एकाग्रता और शुद्ध वातावरण प्राप्त हो। हिन्दू संस्कृति में भी वृक्षों को भगवान का दर्जा दिया गया है।आपको तुलसी का एक पौधl हर घर में दिखने को मिलेगा।

वन से लाभ

वनों के अनगिनत लाभ है। सबसे अहम् लाभ तो वो हमारे जीवन के लिए प्राणवायु देता है। शुद्ध और स्वस्छ वातावरण देता है। उनकी हरियाली देखकर हमारी आंखों की थकान दूर होती है और मन को शांति मिलती है। वनों अनेक प्राणी और पक्षी का आशियाना है।

वनों से हमें लकड़ियां, फल, फूल, दवाइयां, कागज, चन्दन की लकड़ियां जैसी कई मूल्यवान जीवन जरुरी सामग्री प्राप्त होती है। गर्मी में ठंडक देना और वर्ष ऋतु में बारिश लाने का काम भी तो वनों को ही आभारी है। वन धरती के कटाव को रोकता है, जिसके कारण उपजाऊ मिटटी नष्ट नहीं होती है।

वनों की कटाई

देश की आबादी बढ़ने पर सबसे पहला प्रश्न रहने और खाने का है। जिसके चलते वनों की अंधाधुन कटाई हो रही है। हमारे देश में सिर्फ  20% ही वन बचे है। जो एक गंभीर प्रश्न है। वनों की कटाई के कारण प्रदूषण काफी बढ़ गया है। ग्लोबल वार्मिंग  विश्व के लिए एक चुनौती बन गई है। वनों के कटने के कारण बारिश कम हो रही है और धरती का तापमान बढ़ रहा है। वनों की कटाई के कारण पृथ्वी पर कई जीवों की जातियाँ नामशेष हो गई है।

वन महोत्सव की अहमियत

मनुष्य जितना वृक्षों की कटाई कर रहा है, उतने वह लगा नहीं रहा है। वन नहीं होंगे तो हमे कई अमूल्य सामग्री प्राप्त नहीं होगी और सबसे अहम बात है वर्षा नहीं होगी। अगर वर्षा नहीं होगी तो जल की समस्या होगी और सूखा पड़ेगा।

हर साल मनुष्य प्राकृतिक आपदाओं को बुलावा देता है। इसलिए सरकार वनो को बचाने के लिए यह मुहीम चला रही है और वन महोत्सव मना रही है। सभी लोगो को अधिक वृक्ष लगाने चाहिए और एक दूसरे को सचेत करने की ज़रूरत है।

पेड़ो की देखभाल है आवश्यक

वन महोत्सव के उस हफ्ते में लाखो पेड़ लगाए जाते है, मगर कुछ ही पेड़ बच पाते है। लोग पेड़ तो लगा लेते है परन्तु उनकी देखभाल नहीं करते है। पेड़ लगाने के संग उनकी देखभाल करना भी ज़रूरी होता है। बिना पानी और देखभाल के पौधे जीवित नहीं रहते है। हमे गंभीरता पूर्वक इस मुहीम के साथ शामिल होकर अपना कर्त्तव्य निभाना चाहिए।

वनो का महत्व

वनो में अनगिनत वृक्ष होते है। वहां की हवा शुद्ध होती है। वन सिर्फ मानव के लिए ही नहीं बल्कि जीव जंतुओं के लिए भी महत्वपूर्ण है। वनो से हमे कई मूल्यवान सामग्री प्राप्त होती है। पेड़ो से हमे छाया, फल और फूल मिलते है। वनो से प्राकृतिक सुंदरता में चार चाँद लग जाते है।

प्रकृति की सुंदरता वनो से कई गुना अधिक बढ़ जाती है। वन प्राकृतिक संसाधन है। पेड़ पौधे वातावरण में मौजूद जहरीली गैसों को सोख लेते है। वनो से चन्दन की लकड़ियां मिलती है। वन भूमि कटाव को रोकता है, जिससे उपजाऊ मिटटी नष्ट नहीं होती है।

वनो से ऑक्सीजन प्राप्त होता है। अगर वन होंगे तो प्राकृतिक आपदाएं कम हो जायेगी। पेड़ो से चारो तरफ हरियाली छायी रहती है। इसे सुरक्षित रखना हर मानव का कर्त्तव्य है।

पृथ्वी पर दुष्प्रभाव

वनो और पेड़ो की अधिक कटाई के कारण गंभीर हालात उत्पन्न हो रहे है। आंधी और तूफ़ान के कारण सब कुछ नष्ट हो जाता है। आज गर्मियों की अवधि में वृद्धि हो रही है और सर्दी का समय बेहद कम हो गया है।

कुछ राज्यों में गर्मी 47 डिग्री से 50 डिग्री तक पहुँच गयी है। इतनी गर्मी में मनुष्य की मौत हो सकती है। वनो के लगातार कटने से वनो में रहने वाले पशु पक्षी पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।कई प्रजातियां समाप्त हो गयी है और कुछ विलुप्त होने के कगार पर खड़ी है।

प्रदूषण भी अपने चरम सीमा पर पहुँच गया है और इससे कई तरह की बीमारियां हो रही है। बढ़ते प्रदूषण के कारण सांस लेने में भी मुश्किल हो रही है। सड़को पर लगातार गाड़ियाँ वायु को प्रदूषित कर रही है। वनो के कटने से वृक्ष की कमी हो रही है। वृक्ष होंगे तो प्रदूषण भी कम होगा। जितनी तेज़ी से उद्योगों के विकास के लिए हम वन काट रहे है, उतनी तेज़ी से हम वृक्ष लगा नहीं रहे है।

वनो की कमी एक गंभीर समस्या

वन नीति के मुताबिक धरती के कुल क्षेत्रफल में तेंतीस प्रतिशत भाग में वन होने चाहिए। मगर हमारे देश में मात्र बीस प्रतिशत ही वन रह गए है। तेज़ी से बढ़ती हुयी जनसंख्या के कारण भी लोग वनो को काट रहे है, ताकि घर बना सके।

खुद के घर बनाने के लिए वह वनो में रहने वाले प्राणियों का घर भी छीन रहे है। 2017 में वनो में सिर्फ एक प्रतिशत की वृद्धि हुयी है। यह वृद्धि दर बिलकुल कम है। प्रदूषण को अवशोषित और नियंत्रित करने के लिए हमे वनो का संरक्षण करना होगा। बढ़ते हुए प्रदूषण को रोकने के लिए हमारे पास वन बहुत कम है।

वनो के कटाव को रोकने के उपाय

जनसंख्या वृद्धि दर को रोकना अनिवार्य है। वनो को संरक्षित करने के लिए लोगो को जागरूक करना आवश्यक है। सरकार अपनी तरफ से वनो को संरक्षित करने का प्रयास कर रही है। हम सबको मिलकर वनो को सुरक्षित रखना होगा।

जो लोग अवैध रूप से वनो की कटाई कर रहे है, उन्हें सख्त सजा दी जानी चाहिए। हमे लकड़ियों से बने सामग्रियों का इस्तेमाल कम करना होगा, ताकि हम पेड़ो को कटने से बचा पाए।

source:
Calligraphy Creators

निष्कर्ष

वनो को बचाना बेहद आवश्यक है। हमारा अस्तित्व वनो पर निर्भर करता है। वनो को काटने से पृथ्वी पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। कई जीव जंतुओं की प्रजातियां विलुप्त हो रही है। पृथ्वी और पर्यावरण पर भयानक असर पड़ रहा है। समय रहते हम सभी को सचेत हो जाना चाहिए अन्यथा हम सब कुछ खो बैठेंगे और प्रकृति अपना विकराल रूप धारण कर लेगी।

हमे सरकार का साथ देते हुए वन महोत्सव को मनना चाहिए और कम से कम 1 पेड़ लगाकर उसकी देखभाल करनी चाहिए। यह हमे हर साल करना चाहिए। जब इस देश का हर व्यक्ति साल में एक पेड़ लगाएगा तो सोचिये कितने पेड़ लग जायेंगे।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top