वैद्युत आवेश के मूल गुण – Vidyut Aavesh Ke Mool Gun:
विद्युत आवेश के मुख्यतः तीन मूल गुण होते हैं |
- आवेश का बीजीय योग
- वैद्युत आवेश का क्वांटमीकरण
- आवेश का संरक्षण
आवेश का बीजीय योग:
किसी भी निकाय में कुल आवेश उसमें उपस्थित सभी आवेशो के बीजीय योग के बराबर होता है।
उदाहरण:
किसी निकाय में किसी यादृच्छिक मात्रक में मापे गए पाँच आवेश +1, +2, -3, +4 तथा –5 हैं, तब उसी मात्रक में निकाय का कुल आवेश = (+1) + (+2) + (-3) + (+4) + (-5) = -1 है।
वैद्युत आवेश का क्वांटमीकरण:
विद्युत आवेश को अनिश्चित रूप से विभाजित नहीं किया जा सकता। विद्युत आवेश के इस इस गुण को ही विद्युत आवेश का क्वाण्टीकरण कहते हैं।
आवेश का संरक्षण:
आवेश को ना तो उत्पन्न किया जा सकता है और ना ही नष्ट किया जा सकता है। यह विभिन्न तरीकों से विभिन्न समूहों में परिलक्षित हो सकता है।
जब वस्तुएँ रगड़ने पर आवेशित होती हैं तो एक वस्तु से दूसरी वस्तु में इलेक्ट्रॉनों का स्थानांतरण होता है, कोई नया आवेश उत्पन्न नहीं होता है, और न ही आवेश नष्ट होता है। वैद्युत आवेशयुक्त कणों को दृष्टि में लाएँ तो हमें आवेश के संरक्षण की धारणा समझ में आएगी।
जब हम दो वस्तुओं को परस्पर रगड़ते हैं तो एक वस्तु जितना आवेश प्राप्त करती है, दूसरी वस्तु उतना आवेश खोती है। बहुत सी आवेशित वस्तुओं के किसी वियुक्त निकाय के भीतर, वस्तुओं में अन्योन्य क्रिया के कारण, आवेश पुनः वितरित हो सकते हैं, परंतु यह पाया गया है कि वियुक्त निकाय का कुल आवेश सदैव संरक्षित रहता है। आवेश-संरक्षण को प्रायोगिक रूप से स्थापित किया जा चुका है।