Vidyut Kshetra Rekhaye Kya Hai – विद्युत क्षेत्र रेखाएं किसे कहते हैं?
यदि विद्युत क्षेत्र को ग्राफीय रूप में निरूपित किया जावे तो यह कुछ रेखाओं (सतत) के रूप में प्राप्त होता है इस ग्राफीय निरूपण को ही विद्युत क्षेत्र रेखाएँ ( electric field lines in hindi) कहते है।
विद्युत क्षेत्र रेखाओ से सम्बन्धित महत्वपूर्ण गुणधर्म या विशेषताएं :
- विद्युत क्षेत्र रेखा या विद्युत बल रेखा के किसी बिंदु पर खींची गई स्पर्श रेखा , उस बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र की दिशा को व्यक्त करती है।
अर्थात विद्युत क्षेत्र के किसी बिंदु पर विद्युत क्षेत्र सदिश की दिशा ज्ञात करने के लिए उस बिन्दु पर निरूपित विद्युत क्षेत्र रेखा पर रेखा खींची जा सकती है और रेखा की परिणामी दिशा , विद्युत क्षेत्र (उस बिंदु पर) की दिशा होगी। - विद्युत बल रेखाएं धनावेश से शुरू होकर ऋणावेश पर समाप्त हो जाती है।
- एकल आवेश (एक ही आवेश) उपस्थित है तो क्षेत्र रेखाएं अनंत से शुरू होती है और अनन्त पर ही समाप्त होती हुई प्रतीत होती है।
- एक विलगित धनावेश के कारण विद्युत क्षेत्र रेखाएँ त्रिज्यत बाहर की तरफ तथा ऋणावेश के कारण क्षेत्र रेखाएं त्रिज्यत अंतर की तरफ होती है।
- दो विद्युत क्षेत्र रेखा कभी एक दूसरे को नहीं काटती है क्योंकि यदि ये एक दूसरे को काटे तो कटान बिंदु पर दोनों वक्रों पर खींची गयी स्पर्श रेखा दो परिणामी विद्युत क्षेत्रों को व्यक्त करती है जो की वास्तविकता में सम्भव नहीं है।
अतः दो बल रेखाओ का आपस में कटान संभव नहीं है। - विद्युत बल रेखाएं खुले वक्र के रूप में होती है क्योंकि ये रेखाएं धन आवेश से शुरू होती है तथा ऋण आवेश पर समाप्त होती है।
- किसी भी आवेश से शुरू या समाप्त होने वाली बल रेखाओ की संख्या उस आवेश के परिमाण के समानुपाती होती है अर्थात जितनी ज़्यादा रेखाएं उतना ही अधिक परिमाण का आवेश।
- किसी स्थान पर विद्युत क्षेत्र के लंबवत रखे एकांक क्षेत्रफल से गुजरने वाली बल रेखाओं की संख्या उस स्थान पर क्षेत्र की तीव्रता के तुल्य (समानुपाती) होती है। अर्थात क्षेत्र रेखाएं जितनी पास पास होती है क्षेत्र उतना ही अधिक प्रबल होता है और यदि बल रेखाएं दूर दूर है तो विद्युत क्षेत्र दुर्बल है।
- एक क्षेत्र रेखा जिस बिंदु आवेश से प्रारम्भ होती है उसी आवेश पर समाप्त नहीं होती है। विद्युत क्षेत्र रेखाएं कभी भी बंद लूप में नहीं होती।
- विद्युत क्षेत्र रेखाएं लम्बाई की दिशा में सिकुड़ने (संकुचित) का प्रयास करती है अतः कह सकते है की विपरीत आवेशों में आकर्षण होता है।
तथा क्षेत्र रेखाएं चौड़ाई की दिशा में फैलने का प्रयास करती है अतः कहा जा सकता है की समान प्रकृति के आवेश एक दूसरे को प्रतिकर्षित करते है - विद्युत बल रेखाएं समविभव पृष्ठ (आवेशित चालक) के हमेशा लंबवत होती है।