कर्मधारय समास किसे कहते हैं? हेलो स्टूडेंट, हम आपको इस आर्टिकल में कर्मधारय समास किसे कहते हैं? पर पर निबंध बताया गया है | पोस्ट अंत तक पढ़े
कर्मधारय समास किसे कहते हैं?
जहाँ उत्तर पद प्रधान हो तथा ऐसे शब्दों का मेल हो, जिनमें से एक विशेष्य तथा दूसरा विशेषण होता है, या एक उपमेय तथा दूसरा उपमान होता है तो उसे कर्मधारय समास कहते हैं।
कर्मधारय समास के कुछ अन्य उदाहरण :
- कृष्णसर्प = कृष्ण है जो सर्प
- सज्जन = सत है जो जन
- नीलगाय = नीली है जो गाय
- शुभागमन = शुभ है जो आगमन
- कनकलता = कनक के समान लता
- प्राणप्रिय = प्राणों के सामान प्रिय
- भुजदंड = दंड के समान भुजा
- मृगलोचन = मृग के सामान लोचन
- कनकलता – कनक के समान लता
- घनश्याम – घन के समान श्याम (काला)
- विद्याधन – विद्या रूपी धन
- भवजल – भव रूपी जल
- आशालता आशा की लता
- नरसिंह नर रूपी सिंह
- प्राणप्रिय – प्राणों के समान प्रिय
- स्त्रीरत्न – स्त्री रूपी रत्न
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उपमान–उपमेय:
- देहलता – लता रूपी देह
- चंद्रमुख – चंद्र के समान मुख
- विद्याधन – विद्या रूपी धन
- कमलनयन – कमल के समान नयन
- वचनामृत – अमृत रूपी वचन
- क्रोधाग्नि – क्रोध रूपी अग्नि
- संसारसागर – संसार रूपी सागर
- ग्रंथरत्न – ग्रंथ रूपी रत्न
- करकमल – कर रूपी कमल
- कुसुमकोमल – कुसुम सा कोमल
- मृगलोचन – मृग के समान लोचन
- चरणकमल – कमल के समान चरण
- भुजदंड – दंड के समान भुजा
- कनकलता – कनक के समान लता
- घनश्याम – घन के समान श्याम (काला)
- विद्याधन – विद्या रूपी धन
- भवजल – भव रूपी जल
- आशालता आशा की लता
- नरसिंह नर रूपी सिंह
- प्राणप्रिय – प्राणों के समान प्रिय
- स्त्रीरत्न – स्त्री रूपी रत्न
कर्मधारय समास की पहचान |
कर्मधारय समास की पहचान करना बहुत सरल है। इस समास में आये शब्दों में विशेषण और विशेष्य या उपमेय और उपमान आते हैं। अर्थात इस समास में सम्मिलित शब्दों में हमें यह देखना होता है कि किसी शब्द की विशेषता बताई जाती है तथा किसी वस्तु की विशेष वस्तु से तुलना की जाती है। उदाहरणों को पढ़कर आप और अच्छी तरह समझ सकते हैं।
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