सन 1895 में फोकॉल्ट वैज्ञानिक ने ज्ञात किया की जब एक बन्द परिपथ से संबद्ध चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन किया जाता है तो फ्लक्स में परिवर्तन के कारण परिपथ में एक प्रेरित विद्युत वाहक बल उत्पन्न हो जाता है। इस प्रेरित विद्युत वाहक बल के उत्पन्न होने के कारण परिपथ में प्रेरित धारा बहने लगती है।
फोकॉल्ट वैज्ञानिक ने यह बताया की जब किसी परिवर्तनशील चुम्बकीय फ्लक्स में किसी चालक आकृति को रखा जाता है तो आकृति से सम्बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन होने से इस आकृति में भी प्रेरण की घटना उत्पन्न होती है।
अर्थात इस चालक आकृति में भी प्रेरित धाराएँ उत्पन्न हो जाती है , ये धाराएँ चालक की गति का विरोध करती है। ये प्रेरित धाराएं उसी के समान दिखती है जैसी जल में उत्पन्न भंवर दिखती है इसलिए इस प्रेरित धारा को भंवर धारा या भँवर धाराएँ कहते है इनको फोको धाराएँ के नाम से भी जाना जाता है।
परिभाषा (definition in hindi):
जब एक चालक से बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन किया जाता है तो उस चालक में एक प्रेरित धारा उत्पन्न हो जाती है जो चक्कर के रूप में होती है , इन चक्करदार प्रेरित धाराओं को ही भँवर धाराएँ कहते है ”
जिन चालकों का प्रतिरोध अधिक होता है उनमे उत्पन्न भँवर धाराओं का मान कम होता है।
भँवर धाराओं का प्रायोगिक प्रदर्शन:
जब धातु की एक पट्टिका की छड़ को चुम्बकीय क्षेत्र में दोलन करवाते है तो दोलन करने से पट्टिका में संबद्ध चुम्बकीय फ्लक्स का मान लगातार परिवर्तित होता रहता है।
चुम्बकीय फ्लक्स के इस परिवर्तन के कारण पट्टिका में भंवर धाराएं उत्पन्न हो जाती है जो पट्टिका की दोलन गति का विरोध करती है।
कभी कभी तो दोलन गति भँवर धाराओं के विरोध के कारण दोलन गति रुक भी जाती है।
यदि इस धातु की पट्टिका में चित्रानुसार खांचे काटे जाए तो यह पट्टिका आसानी से दोलन कर सकती है क्योंकि खांचे काटने से भंवर धाराओं के लिए उपलब्ध बंद पथ में कमी आ जाती है जिससे ये भंवर धाराएं कम हो जाती है और पट्टिका अपनी दोलन गति कर सकता है।
Remark:
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